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अप्रैल 19, 2022 483 0 तेरेसा एन वीडर , USA
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मेरे लिए कुछ ढूंढो

मैंने सर उताकर नानी के चेहरे की ओर देखा, उनके पैरों का आलिंगन किया, उनके एप्रन पर अपने चेहरे को दबाया जिसमें से सेब की पकौड़ी की गंध आ रही थी, फिर खुशी से मैं ने उनको धन्यवाद दिया। इसके तुरंत बाद मैं अपने भाई को नानी द्वारा दिया गया खजाना दिखाने के लिए भागी।  

वह घर पुराना था और मेरे परनाना का था। यह एक छोटा सा पक्का घर था जहाँ उन्होंने कई बच्चों की परवरिश की। विरल भाग और मटमैली महक के कारण, ताज़ी पेंट की गई लकड़ी से बने इसके सुन्दर आकार लोगों का आकर्षण नहीं खींच पा रहा था। इस घर की अपनी पारिवारिक यादें, कहानियाँ और विरासत का इतिहास था। जब मेहमान मिलने आते थे, तो पीछे के भूरे रंग की लकड़ी के दरवाजे से होकर रसोई की मेज पर से ताज़ा पके हुए सेब के पकौड़े की अलौकिक सुगंध निकलती थी। यह एक ऐसा घर है जो मुझे मेरी नानी की प्यारभरी याद दिलाता है। यह दिलचस्प बात है कि कैसे एक साधारण स्मृति दूसरी स्मृति की, और फिर तीसरी स्मृति की कड़ी बनाती है और तब तक कड़ियाँ बनाती रहती है जब तक कि पूरी कहानी मेरे दिमाग को न भर दे। कुछ ही मिनिटों में, मुझे दूसरी जगह और समय पर वापस ले जाया जाता है जो मेरे जीवन की नींव का हिस्सा था।

मेरी परवरिश केंटकी के एक ऐतिहासिक इलाके के एक साधारण जगह और आम समय में हुई। यह एक ऐसा दौर था जब प्रतिदिन की सांसारिक दिनचर्याओं को पारिवारिक परंपराओं की तरह संजोया जाता था। रविवार का दिन गिरजाघर जाने, आराम करने और घर परिवार में बिताने का दिन था। हमारे पास क्रियात्मक चीजें थीं और हम साधारण कपड़े पहना करते थे। उन कपड़ों के फट जाने पर अक्सर मरम्मत की जाती थी। जब हम दुर्भाग्यवश अपने लिए पर्याप्त भोजन या चीज़ें नहीं जुटा पाते थे, तब रिश्तेदारों और दोस्तों पर निर्भर रहते थे। जब तक दुसरे द्वारा प्रदत्त सहायता यदि जल्द से जल्द चुकाया जाना संभव नहीं था, तब तक हम इसे स्वीकार नहीं करते थे। दूसरे के बच्चों की देखभाल करना जीवन की आवश्यकता मानी जाती थी और ज़रुरी हुई तो इसका आग्रह दोस्तों या पड़ोसियों के सम्मुख रखने से पूर्व निकटतम रिश्तेदारों से कहा जाता था।

माँ और पिताजी, अभिभावक होने की अपनी जिम्मेदारियों को अपना प्राथमिक कर्तव्य मानते थे। उन्होंने हमारी ज़रूरतों को पूरा करने के लिए त्याग किया और शायद ही कभी स्वयं के लिए समय निकाला। हालांकि, कभी कभार, उन दोनों ने किसी शाम का वक्त बाहर गुज़ारने की योजना बनाई और वे दोनों इसका इंतज़ार करते थे। मेरी नानी, जिन्हें हम नोना कहते थे, उस पुराने घर में रहती थीं, उन्होंने बहुत ही स्वादिष्ट पकौड़े बनाए और जब मेरे माता-पिता दोनों एक साथ घर से बाहर थे, उस दौरान उन्होंने खुशी-खुशी मेरी और मेरे भाई-बहनों की देखभाल की।

एक शाम मेरी माँ, पिताजी के साथ बाहर जाने के लिए तैयार बैठी थी, पिताजी की कमीज़ से स्टार्च किया हुआ मांड की ताज़ी गंध आ रही थी, और शाम को जब वे दोनों एक साथ बाहर गए, तो हमारे घर की प्रतिदिन की दिनचर्या में परिवर्त्तन झलक रही थी और घर और आँगन उत्साह की भावना से भर गए। हम पड़ोस में नानी के घर गए; जैसे ही नानी का पुराना धूसर लकड़ी का दरवाजा खुला और फीके रंग का एप्रन पहनी हुई मेरी नानी ने हम सबका अभिवादन किया, तब मुझे लगा कि मैं एक पुराने दौर में वापस कदम रख रही हूँ। पहले नानी के साथ एक संक्षिप्त बातचीत हुई, अनुशासित व्यवहार करने की सख्त चेतावनी सबको देने के बाद, उन्होंने हम सबको स्वागत का चुम्मा दिया, जिसके कारण हमारे कपड़ों पर उनके एप्रन के इत्र की खुशबू और और हमारे गालों पर उनकी लिपस्टिक रह गयी। जब नानी की रसोई का दरवाजा अन्दर से बंद हुआ, तो हम बगल के कमरे में हमारे घर से लाए गए खिलौनों के एक बैग के साथ खेलने के लिए छोड़ दिए गए थे। जब तक नानी ने रसोई घर की सफाई की और एक बुजुर्ग बहन की सेवा-शुश्रूषा की, जो उनके साथ रहती थी, तब तक हम इस शाम के लिए खरीदी गई नई तस्वीरवाली कापियों में रंग भरने में संतुष्ट थे।

नया माहौल और खेल की उत्तेजना की भावना खत्म होने में बहुत समय नहीं लगा और खिलौनों में अब ज्यादा दिलचस्पी नहीं थी। हमारा मनोरंजन करने के लिए नानी के घर टेलीविजन भी नहीं था और उनके पुराने पार्लर रेडियो में केवल स्थानीय लोक गीत ही बजाया जा रहा था। घर की पुरानी साज-सज्जा, आवाज़ और महक ने मेरा ध्यान बस कुछ ही देर के लिए आकर्षित किया। फिर, मैंने नानी के चप्पलों को लकड़ी के फर्श पर रगड़े जाने की आवाज़ सुनी। नानी यह देखने के लिए दरवाजे पर आ गई कि हम ठीक हैं या हमें किसी चीज की जरूरत है। शाम की बढ़ती आलस्य के कारण मैं ने पुकारा, “नानी, मेरे लिए कुछ ढूंढो”।

“तुम्हारा क्या मतलब है?” उन्होंने पूछा।

मैंने जवाब दिया, “माँ ने कहा था कि जब वह एक छोटी लड़की थी, उन दिनों जब कभी वह ऊब जाती थी, तो वह आपकी बहन से कहती थी कि उन केलिए “कुछ ढूंढें”। तब आपकी बहन उनके लिए एक खजाना ढूंढ़ लेती थी”। मेरे शब्दों पर विचार करने के लिए नानी ने दूर की ओर नज़र डाली। बिना ज्यादा देर किए वह पीछे मुड़ी और इशारा किया, “मेरे पीछे चले आओ”।

मैं उनके पीछे एक अंधेरे, ठंडे, बासी कमरे की ओर तेजी से चली, जिसमें कुछ पुराने फर्नीचर थे, और एक प्राचीन और सुंदर लकड़ी की अलमारी भी थी।

नानी ने एक बत्ती जलाई और तब अलमारी के दरवाजे पर लगे कांच की घुंडी चमकने लगी। मैं ने नानी के घर के इस हिस्से में कभी प्रवेश नहीं किया था, और मैं कभी भी अकेली उनके साथ नहीं रही थी। मुझे कोई अनुमान नहीं था कि क्या अपेक्षा की जाए। मैंने अपने उत्साह को नियंत्रित करने की कोशिश की, और सोच रही थी कि उस दरवाज़े के पीछे कौन सा खजाना हमारा इंतजार कर रहा है, जो हमें उसे खोलने के लिए प्रेरित कर रहा था। यह अनियोजित पल, सात साल की छोटी लड़की के लिए बहुत अधिक था, और मैं अपनी नानी के साथ के इस विशेष यादगार पल को बर्बाद नहीं करना चाहती थी।

नानी ने एक कांच की घुंडी घुमाई, दरवाजा चरमराते हुए खुल गया और लकड़ी के छोटे दराजों के ढेर दिखाई दिए। नानी ने एक दराज में हाथ डाला, एक हल्के से इस्तेमाल किए गए भूरे रंग के चमड़े के पर्स को बाहर निकाला, मुझे दे दिया और इसे खोलने के लिए मुझसे कहा। एक अजीब उम्मीद के कारण मैं घबराई हुई थी, इसलिए मेरे नन्हे हाथ कांपने लगे, और मैंने उस पर्स को खोला। चमड़े के पर्स के नीचे में कोने में चांदी के क्रूसित प्रभु की छोटी मूर्ति से जुड़ा हुआ सफेद मोतियों की एक छोटी जपमाला थी। मैंने बस इसे देखा। फिर उन्होंने मुझसे पूछा कि क्या यह एक अच्छा खजाना है? मैंने अपनी माँ की जपमाला देखी थी, लेकिन मेरे पास मेरी अपनी जपमाला नहीं थी और इसका उपयोग करना मैं नहीं जानती थी। हालांकि, किसी कारणवश, मुझे लगा कि यह अब तक का सबसे अच्छा खजाना है! मैंने ऊपर नानी के चेहरे की ओर देखा, उनके पैरों का आलिंगन किया, उनके एप्रन पर अपने चेहरे को दबाया जिसमें से सेब की पकौड़ी की गंध आ रही थी, फिर खुशी से मैं ने उनको धन्यवाद दिया। इसके तुरंत बाद मैं अपने भाई को नानी द्वारा दिया गया खजाना दिखाने के लिए भाग गयी।

अगले वर्ष एक कैथलिक प्राथमिक विद्यालय में मेरा नाम लिखा गया, जहाँ मैंने येशु और उसकी माँ मरियम के बारे में बहुत कुछ सीखा। मैंने जब अपना पहला परम प्रसाद ग्रहण किया, तब जपमाला की विनती करनी सीखी। जैसे-जैसे मैं रोज़री की प्रार्थना करती रही, मेरे अन्दर येशु और मरियम के प्रति प्रेम के बीज पनपने लगे। वक्त गुजरता गया, और कुछ वर्षो बाद वह छोटी सफेद मोती की माला मेरे हाथों के लिए बहुत छोटी हो गई और मैंने एक साधारण लकड़ी की जपमाला प्राप्त कर ली। मैं हमेशा अपनी जेब में लकड़ी की बनी वह जपमाला रखती हूं, और यह भी मेरे लिए एक खजाना बन गया है। वर्षों प्रार्थना में समय बिताने पर, धन्य माँ मरियम और उसकी रोज़री माला के प्रति मेरे अन्दर एक अपार प्रेम विकसित हुआ।

इन दिनों, मेरी माला विनती शुरू करने से पहले, मैं चुपचाप धन्य माँ से “मेरे लिए कुछ ढूँढने” के लिए कहती हूं। हर कहानी कोई न कोई अच्छे गुण को प्राप्त करने का आदर्श देती है। इसलिए, मैं अक्सर माँ मरियम से रोज़री प्रार्थना के दैनिक रहस्यों में निहित विवरणों और कहानियों की व्याख्या करने और अपने जीवन में उन गुणों को विकसित करने के लिए कहती हूं। अपने बेटे, येशु के दरवाजे मेरे लिए खोलने में माँ कभी असफल नहीं होती, ताकि मैं उसके करीब आ सकूं। कृपापूर्वक वह जो कुछ प्रकट करती है, उस पर मनन करने के बाद, मैंने पाया है कि “खजाने” वहीं पाए जाते हैं।

जीवनचक्र तेजी से आगे बढ़ गया। आज, मैं नानी की उम्र के बराबर हूँ जब उसने मुझे उन छोटी सफेद मोतियों की जपमाला दी थी। मुझे उस दिन की याद आती है, जब उसने “मेरे लिए कुछ ढूँढा” था। मेरे मन में सवाल उठता है कि जब वह मेरे अनुरोध पर विचार करने के लिए रुकी थी, तो क्या वह मुझे दिए जा रहे उस खजाने के भविष्यगामी प्रभाव को जानती थी? क्या वह जानती थी कि वह मेरे लिए पुराने अलमारी के दरवाजा मात्र नहीं, बल्कि और बहुत कुछ खोल रही है? उस चमड़े के बटुए में, उन्होंने आध्यात्मिक खजाने की एक पूरी दुनिया खोल दी थी। मैं सोचती हूँ कि क्या वह पहले से ही अपने लिए माला के खजाने को ढूंढ ली है और इसे मुझे देना चाहती है? जब उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम स्वयं बटुए को खोलो और भीतर के खजाने को ढूंढो तब क्या वह जानती थी कि उसके ये शब्द भविष्यसूचक हैं? नानी को स्वर्ग में येशु के साथ रहते हुए अब काफी समय हो चुका है। मेरे पास अभी भी वह भूरे रंग का चमड़े का बटुआ है जिसके अंदर मोती की छोटी जपमाला है। मैं समय-समय पर इसे निकालती हूं और नानी के बारे में सोचती हूं। मुझे अभी भी उसके सवाल सुनायी देता है: “क्या यह एक अच्छा खजाना है?” मैं अब भी खुशी-खुशी उसे जवाब देती हूं, “हां नानी, यह अब तक का सबसे अच्छा खजाना है!”

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तेरेसा एन वीडर

तेरेसा एन वीडर ने विभिन्न सेवाओं में अपनी सक्रिय भागीदारी द्वारा कई वर्षों तक कलीसिया की सेवा की है। वे अमेरिका के कैलिफोर्निया में अपने परिवार के साथ रहती हैं।

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