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जून 03, 2023 380 0 Jennifer Sage
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मेरे जीवन की ज्योति

मैं अपने कारावास के पहले दिन से ईश्वर के साथ संबंध को गहरा और मज़बूत बनाती आ रही हूँ। मुझे अक्सर पछतावा होता है कि मैंने उसकी आवश्यकता को तब जाना जब मेरे जीवन में इतनी बड़ी त्रासदी आयी; लेकिन मैं अधिक आभार महसूस करती हूँ, क्योंकि मैंने प्रभु में अपने जीवन के लिये एक ज्वलंत जुनून पाया है। उसे खोजने की इच्छा प्रार्थना से उत्पन्न हुई। मैंने उन लोगों के लिए प्रार्थना की जो मेरी लत के कारण मेरे खतरनाक कार्यों के विनाशकारी परिणाम भुगत रहे हैं। प्रार्थना के दौरान, ईश्वर ने अपने असीम प्रेम को प्रकट किया तथा अपने पुत्र, येशु मसीह के माध्यम से मुझे अपने बंधुता में शामिल होने का आमंत्रण दिया। कारागार में कई वर्ष बिताने के दौरान, ईश्वर के साथ संबंध गहरा करने की मेरी यात्रा ईंट, पत्थर और सीमेंट की अंगीठी बनाने के लिए ज़रूरी उन बुनियादी तकनीकों की याद दिलाती है। यह ऐसा कौशल था जो मैंने उस समय विकसित किया था जब मैं बाहर रहकर स्वछंद आनंद उठाने के लिए स्वतंत्र थी। सबसे पहले मैंने येशु के प्रति अपने नए प्रेम के लिए अपने ह्रदय को साफ़ किया।

उन पत्थरों की तरह जिन्हें मैं अंगीठी के गड्ढे के चारों ओर रखती थी, मैंने खुद को ईश्वरीय मार्गदर्शन के माध्यम से आत्म-सुधार चाहने वाले अन्य लोगों के साथ घेर लिया। कलीसिया वह आधारशिला बन गयी जिस पर मेरी नींव रखी गई थी। मैंने ईश-वचन को ध्यानपूर्वक सुना, और अपने दैनिक जीवन में भी लागू करने का भरसक प्रयास किया। लेकिन मेरी अंगीठी खाली थी। मैं अपनी अंगीठी के वस्तुओं को जोड़ने तथा निर्माण करने के लिए निकल पड़ी।

मैं अपने कुछ समय को सामुदायिक प्रार्थना, बाइबल अध्ययन की सभाओं और समूहों के पुनर्गठन के सत्रों के लिए समर्पित कर रहे थी। अंगीठी की आग को जलाने के लिए ये छोटे-छोटे क्रियाकलाप जैसी चिंगारियां जरूरी थीं, लेकिन मुझे पता था कि मुझे कुछ और ठोस चीज़ों की जरूरत है, वरना मेरी आग जल्दी बुझ जाएगी। मैंने उत्साहपूर्वक कुछ ऐसा चाहा जिस केलिए मैं अपने जीवन को समर्पित कर सकूँ, जो ईश्वर के साथ मेरे बंधन को मजबूत करे। वह उत्तर “सेवा-कार्य” के रूप में आया।

मुझे सच्ची खुशी दूसरों की सेवा करने, चाहे वह दूसरों के दर्द को सुनने वाले कान के सरल रूप में, या अपने साथियों को पढ़ाने के रूप में, या नेतृत्व के पदों पर रहकर समर्पण के साथ काम करने से मिली। मैंने अपनी अंगीठी में सेवा कार्यों के विशाल लट्ठों को जमा कर दिया। अब मुझे आग प्रज्वलित करने के लिए कुछ ज्वलनशील तत्व चाहिए था।

आश्चर्य की बात थी कि प्रभु मेरे जीवन में बहुत जल्दी ईंधन पहुंचाने लगा। हमारे आत्मिक निदेशक के साथ परामर्श सत्र, मेरे कार्य पर्यवेक्षक के साथ सलाह के पेशेवर सत्र, और घर पर मेरे परिवार के प्यार भरे समर्थन ने मुझे वह प्रोत्साहन दिया जिसकी मुझे अपने अतीत के लिए क्षमा माँगने और अपने भविष्य पर विश्वास करने के लिए सख्त जरूरत थी। मैं उत्सुकता के साथ उनके सभी प्रेमपूर्ण मार्गदर्शन को जलावन लकड़ी की तरह अंगीठी में डालती गयी। अंततः मेरी निर्मित कृति यानी अंगीठी में आग प्रज्वलित करने का समय आ गया था।

मैंने जीवित वचन में सच्ची चिंगारी पाई। पूरे एक साल तक मैंने इस महत्वपूर्ण तत्व को ग्रहण किया। मैंने ईश्वर की शिक्षा, दिशा और ज्ञान को स्वीकारते हुए इसमें ऑक्सीजन भरा, और चिंगारी को सावधानी से अपनी अंगीठी के आकार के आधार के पास रखा। ईश्वर ने चिंगारी को धीरे से फूंक मार कर मेरी मदद की, और येशु के प्रति मेरा प्रेम आग के समान मेरे दिल में बस गया।

आज भी यह आग तेज गर्मी और उज्ज्वल प्रकाश देकर जलती है। प्रभु और मेरे बीच के प्रेम ने वह सब संतुष्ट कर दिया है जिसकी मैंने कभी लालसा की थी। क़ैद से पूर्व, मैं भटक गयी थी और सांसारिक सुखों से विचलित हो गयी थी; हताश और दिशाहीन महसूस कर रही थी, और इन सबके जाल में फँस गयी थी। जीवन के जंगल में भटके कोई व्यक्ति, आग की रोशनी देखे बिना उस जंगल से बाहर नहीं निकल सकता है। उसी प्रकार मेरा जीवन प्रभु में ही अर्थ पाता है, और इस आग की रोशनी से आशा की किरण देखना अधिक आसान है।

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Jennifer Sage

Jennifer Sage is an active member of the Catholic community in the Albian Correctional Facility. Encouraged by the Chaplain whom she has been assisting for various projects and recovery groups, Jennifer writes from behind the bars about inspirations from God.

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