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क्या कोई विचार पाप बन सकता है? इस पर मनन करने का यह अवसर है।
जहां तक मेरी स्मृति पीछे की और जाती है, मैं एक अच्छी मसीही थी, कलीसिया के कार्यकलापों में शामिल हो रही थी, लेकिन कोई भी यह अनुमान नहीं लगा सका कि मैं सिर्फ बाहरी गतिविधियों से गुजर रही थी। हालाँकि, 2010 में, एक घटना ने गहराई तक मुझ में परिवर्तन ला दिया और मुझे पीड़ाओं के बीच ईश्वर की आवाज़ सुनने के लिए प्रेरित किया। इस प्रकाशन ने मुझे एक सच्चा मसीही बनने की यात्रा शुरू करने में मदद की।
वेरोनिका और मैं सिर्फ सबसे अच्छे दोस्त नहीं थीं; हम एक साथ घूमती थीं, क्योंकि हमारे बेटे हमें एक साथ लाये थे। लेकिन हम दोस्त थी जो वास्तव में एक-दूसरे को पसंद करती थी और हम माताएं थीं जो हमारे बच्चों से प्यार करती थीं। वेरोनिका मधुर, सुंदर और वास्तव में दयालु व्यक्ति थी। मेरा बेटा उसके बेटे का सबसे अच्छा दोस्त था।
28 अगस्त 2010 को वेरोनिका ने मुझे फोन किया और पूछा कि क्या मेरा बेटा उसके घर पर रात बिता सकता है। हालाँकि मैंने उसे पहले भी दर्जनों बार अनुमति दी थी, लेकिन उस रात, किसी कारण से, मैं व्याकुल थी। मैंने उससे ना कहा, लेकिन मैं ने यह भी कहा कि वह जा सकता है और दोपहर के बाद कुछ समय खेल सकता है और मैं उसे रात के खाने से पहले उठा लूंगी। लगभग 4 बजे, मैं उसे लेने के लिए वेरोनिका के घर गयी। जब मैं वेरोनिका के रसोई में खड़ी थी और हम दोनों अपने लड़कों के बारे में बात कर रही थी, उसने मुझे बताया कि उनमें से प्रत्येक एक उपहार था और वे कितने विशेष बच्चे थे। वह उन्हें उनकी पसंदीदा आइसक्रीम खरीदने के लिए किराने की दुकान पर ले गई थी। मेरा बेटा भी नाश्ता चाह रहा था, जिसे वेरोनिका ने उदारतापूर्वक उसके लिए खरीदा और उस में से कुछ मुझे घर ले जाने के लिए दिया। मैंने उसे धन्यवाद दिया और वहां से घर चली आयी।
अगली सुबह, जब मैं उठी, तब यह खबर सुनी कि वेरोनिका की हत्या कर दी गई है। वहीं, जहां मैं एक शाम पहले उससे बात कर रही थी… उसका पति जो उससे जल्दी ही तलक लेने वाला था, उसने उसकी हत्या करने के लिए एक हत्यारे को भाड़े पर रखा था, क्योंकि वे अलग हो गए थे। वास्तव में कौन जानता है कि और क्या क्या कारण था। मुझे ऐसा लगा जैसे किसी ने मेरे पेट में मुक्का मार दिया गया हो। मैं साँस नहीं ले पा रही थी। मैं रोना बंद नहीं कर सकी।
अपनी पीड़ा में, मैं अपने सोने के कमरे के फर्श पर लेटकर रो रही थी, सचमुच चिल्ला रही थी। 39 साल की एक खूबसूरत युवा मां की हत्या कर दी गई, जिससे उसका 8 साल का बेटा मातृहीन हो गया। और किस लिए? मैंने पीड़ा और क्रोध में ईश्वर को पुकारा। तू ऐसा कैसे होने दे सकता है? क्यों प्रभु?
मेरी पीड़ा के बीच, एक विचार मेरे मन में आया। और जीवन में पहली बार मैंने इस विचार को ईश्वर की वाणी के रूप में पहचाना। ईश्वर ने कहा, “मैं यह नहीं चाहता; लोग इसे चुनते हैं।” मैंने ईश्वर से पूछा, “क्या, इस भयानक स्थिति में मैं क्या कर सकती हूँ?” उसने मुझे उत्तर दिया, “सूसन, दुनिया में अच्छाई की शुरुआत तुमसे होती है।” मैं सोचने लगी। मैंने सोचा कि कैसे मैंने वेरोनिका और उसके पति को गिरजाघर में एक साथ देखा था, और मुझे आश्चर्य हुआ कि जो व्यक्ति हत्या की साजिश रच रहा था वह गिरजाघर में कैसे जा सकता था। ईश्वर ने मुझे फिर उत्तर दिया।
ईश्वर ने मुझे बताया कि उसका पति शुरु से एक हत्यारा नहीं था, बल्कि उसका पाप उसके दिल में बढ़ गया था, अनियंत्रित हो गया था, और वह एक लंबे अंधेरे रास्ते पर ले जाया गया था। मुझे बाइबल का वचन याद आया, “परन्तु मैं तुम से कहता हूं – जो बुरी इच्छा से किसी स्त्री पर दृष्टि डालता है, वह अपने मन में उस के साथ व्यभिचार कर चुका है” (मत्ती 5:28)। उस क्षण, यह वचन मेरी समझ में आया। मैंने हमेशा सोचा था, “एक विचार पाप कैसे हो सकता है?” वेरोनिका की हत्या के बाद, मुझे यह सब समझ में आया। पाप आपके हृदय में शुरू होता है और जब आप उस पर अपने हाथों से कार्य करते हैं तो वह हावी हो जाता है। और अगर हम कभी भी अपने विवेक की जांच करने या यह सोचने के लिए समय नहीं निकालते हैं कि क्या सही है और क्या गलत है, तो ज़्यादा संभावना है कि हम वास्तव में गलत रास्ते पर चले जायें।
तो ईश्वर, “मैं क्या कर सकती हूँ?” उसने मुझसे कहा कि एकमात्र व्यक्ति जिसे मैं नियंत्रित कर सकती हूं वह मैं खुद हूं – मैं प्यार करना चुन सकती हूं और उस प्यार को बाहर फैला सकती हूं। मेरे लिए, इसका मतलब अपनी अंतरात्मा की जांच करना और एक बेहतर इंसान बनने की कोशिश करना था। क्या मैं अपने शत्रु से प्रेम करती हूँ? या यहाँ तक कि मेरे पड़ोसी से भी? दुर्भाग्य से, इसका उत्तर एक जोरदार ‘न’ था। जब मुझे एहसास हुआ कि मैं अपने आस-पास के लोगों से प्रेमपूर्ण व्यवहार नहीं कर रही हूँ, तब मैं निराश हो गई।
कैथलिक चर्च में, हमारे पास पाप स्वीकार का संस्कार है, जहां हम किसी पुरोहित के पास जाते हैं और अपने पापों को स्वीकार करते हैं। मुझे हमेशा से यह संस्कार नापसंद था, और मैं इस संस्कार में जाने से डरती था। लेकिन यहां, इस जगह पर, जमीन पर रोती हुई, मुझे लगा कि यह एक उपहार है। एक उपहार जिसके लिए मैं वास्तव में आभारी थी। अपने पापों को बताने में, मैं मसीह का सामना करने में सक्षम हुई। मेरा पापस्वीकार ऐसा था जैसा मैंने पहले कभी नहीं किया था। इस संस्कार में, मुझे वह अनुग्रह प्राप्त हुआ जो येशु हमें तब प्रदान करते हैं जब हम उसे माँगने का निर्णय लेते हैं। मैंने अपने आप पर अच्छी तरह से गौर किया, और पाप स्वीकार स्थान में ईश्वर के बेशर्त प्यार के साथ साक्षात्कार के कारण मेरा स्वार्थ पिघलने लगा। संस्कार मुझे बेहतर करने का प्रयास करने देता है, और यद्यपि मैं जानती हूं कि मैं एक पापी हूं और मुझे असफलताएं मिलती रहेंगी, मैं हमेशा प्रभु की पवित्र कृपा और क्षमा प्राप्त करने की आशा कर सकती हूं, चाहे कुछ भी हो। इससे मुझे उसकी अच्छाइयों को आगे फैलाने में मदद मिलती है।’ मुझे नहीं लगता कि इसे समझने के लिए आपको कैथलिक बनना होगा।
वेरोनिका की हत्या मेरी गलती नहीं थी, लेकिन मैं निश्चित रूप से उसे व्यर्थ नहीं मरने दूंगी; मैं दूसरों को यह बताए बिना उसका जीवन बर्बाद नहीं होने दूंगी कि इसका मुझ पर क्या प्रभाव पड़ा और ऐसी भयानक परिस्थितियों की राख से भी अच्छाई निकल सकती है। इस प्रकार, वास्तव में मसीही होने की दिशा में मेरी यात्रा शुरू हुई।
मैंने बाइबिल में वेरोनिका के बारे में सोचा। जब येशु अपनी प्राण पीड़ा के दौरान दुःख पीड़ा भोग रहे थे, गोलगोथा की ओर जा रहे थे, पीटे गये थे और खून से लथपथ थे , तो उनकी मुलाकात वेरोनिका नाम की एक महिला से हुई। वेरोनिका ने येशु का चेहरा पोंछ दिया। दयालुता का एक छोटा सा कार्य। यह आदमी, यह ईश्वर-पुरुष, पीटा गया था, खून से लथपथ था, थका हुआ था और पीड़ा में था, फिर भी इस महिला, वेरोनिका ने थोड़ी राहत प्रदान की। कुछ ही पलों में पसीना और खून पोंछ लिया गया, और एक पल के लिए, चाहे वह कितना भी छोटा क्यों न हो, येशु को इस महिला से प्यार का एहसास हुआ। इससे न तो उसकी दुःख-पीड़ा रुकी और न ही उसका दर्द, लेकिन एक ऐसी भीड़ के बीच में जो उसका मज़ाक उड़ा रही थी, उसे कोड़े मार रही थी, कपड़े के साथ उस महिला का स्पर्श येशु केलिए गौरवशाली लगा होगा। इसलिए, उन्होंने उसके कपड़े पर अपनी छवि अंकित कर दी।
“वेरोनिका” नाम का अर्थ है “सच्ची छवि”। येशु ने वेरोनिका पर अपने प्रेम की छाप छोड़ी। और इसलिए, मेरी दोस्त वेरोनिका के कारण, जिसने मेरे अपने जीवन के कठिन दौर में प्यार और राहत प्रदान की, मेरा फ़र्ज़ है कि जहां भी मैं जाऊं, प्यार और दयालुता फैलाऊं। मैं दुख-पीड़ा को रोक नहीं सकती, लेकिन मैं उन लोगों को राहत दे सकती हूं जो खो गए हैं, गरीब हैं, अकेले हैं, अवांछित हैं, या जो प्यार नहीं किये गये हैं। और इसी कारण, मैं येशु का चेहरा तब तक पोछूँगी, जब तक उनकी कृपा और दया मुझे अनुमति देगी।
Susan Skinner एक पत्नी, माँ, देखभाल करने वाली और लेखिका का भी कार्य कर रही हैं। वर्तमान में, वे संयुक्त राज्य अमेरिका के टेनेसी राज्य के फ्रैंकलिन में सेंट फिलिप कैथलिक चर्च में वयस्कों का विश्वास प्रशिक्षण और आर.सी.आई.ए. की निदेशिका हैं।
एक वफादार मुस्लिम होने के नाते दिन में तीन बार अल्लाह से प्रार्थना करने, उपवास करने, दान देने और नमाज़ पढने से लेकर संत पापा के निजी प्रार्थना कक्ष में बपतिस्मा लेने तक, मुनीरा की यात्रा में ऐसे मोड़ और बदलाव आये हैं जो आपको आश्चर्यचकित कर देंगे! अल्लाह के बारे में मेरी छवि एक सख्त मालिक की थी जो मेरी थोड़ी सी भी गलती पर सज़ा दे देता था। अगर मुझे किसी चीज़ की ज़रुरत थी, तो मुझे उपवास और प्रार्थना के द्वारा अल्लाह की कृपा खरीदनी थी। हमेशा यह डर मुझे सताता था कि अगर मैंने कुछ भी गलत किया तो मुझे सज़ा मिलेगी। विश्वास का पहला बीज मेरे एक चचेरे भाई को मृत्यु के करीब होने का अनुभव हुआ था, और उसने मुझे बताया कि उसे एक अंधेरी सुरंग से निकलने के दृश्य का अनुभव हुआ, जिसके अंत में उसने एक चमकदार रोशनी देखी और दो लोग वहां खड़े थे - येशु और मरियम। मैं उलझन में थी; क्या उसे पैगंबर मोहम्मद या इमाम अली को नहीं देखना चाहिए था? चूँकि उसे पूरा यकीन था कि ये येशु और मरियम थे, इसलिए हमने अपने इमाम से स्पष्टीकरण मांगा। उन्होंने उत्तर दिया कि ईसा (येशु) भी एक महान पैगम्बर हैं, इसलिए जब हम मरते हैं, तो वह हमारी आत्माओं को बचाने आते हैं। उनके उत्तर ने मुझे संतुष्ट नहीं किया, लेकिन इससे येशु के बारे में सच्चाई की मेरी खोज शुरू हो गई। खोज मेरे बहुत सारे ईसाई मित्र होने के बावजूद, मुझे नहीं पता था कि कहाँ से शुरू करूँ। मेरे ईसाई दोस्तों ने मुझे सदा सहायिका माँ मरियम की नवरोज़ी प्रार्थना (नोवेना) में आमंत्रित किया, और मैंने नियमित रूप से नोवेना में भाग लेना शुरू कर दिया, और प्रभु के वचन की व्याख्या करने वाले प्रवचनों को ध्यान से सुनना शुरू कर दिया। हालाँकि मुझे ज़्यादा कुछ समझ में नहीं आया, लेकिन मेरा मानना है कि वह मरियम ही थी जिसने मुझे समझा और आख़िरकार मुझे सच्चाई तक ले गई। स्वप्नों की एक शृंखला में, जिसके माध्यम से प्रभु मुझसे वर्षों से बात करते थे, एक चरवाहे के वेश में एक आदमी की ओर इशारा करती एक उंगली को मैंने देखा, जबकि एक आवाज ने मुझे नाम से पुकारते हुए कहा, "मुनीरा, उसका अनुसरण करो।" मैं जानती थी कि चरवाहा येशु था, इसलिए मैंने पूछा कि कौन बोल रहा है। उन्होंने उत्तर दिया: "वह और मैं, हम दोनों एक हैं।" मैं उसका अनुसरण करना चाहती थी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि कैसे करूं। क्या आपको स्वर्गदूतों में विश्वास है? हमारी एक दोस्त थी जिसकी बेटी पर भूत-प्रेत सवार था। वे इतने हताश थे कि उन्होंने मुझसे इसका समाधान भी पूछा। एक मुस्लिम होने के नाते, मैंने उनसे कहा कि हमारे पास ऐसे बाबा लोग हैं जिनके पास वे जा सकती हैं। दो महीने बाद, जब मैंने उस लडकी को दोबारा देखा तो मैं आश्चर्यचकित रह गयी। पहले वह लड़की बिलकुल दुबली-पतली, छरहरी आकृति वाली भूतनी जैसी थी, लेकिन अब वह एक स्वस्थ, उज्ज्वल, सुडौल किशोरी बन गई थी। उन्होंने मुझे बताया कि एक कैथलिक पुरोहित फादर रूफस ने येशु के नाम पर उसको शैतान के फंदे से मुक्त कराया था। कई बार उन्होंने हमें निमंत्रण दिया कि हम फादर रूफस के साथ पवित्र मिस्सा बलिदान में भाग लें। बार बार इनकार करने के बाद, अंतत: हमने उनका निमंत्रण स्वीकार कर लिया। फादर ने मिस्सा के अंत में मेरे लिए प्रार्थना की और मुझसे बाइबल से एक वाक्य पढ़ने के लिए कहा; मुझे ऐसी शांति महसूस हुई कि फिर पीछे मुड़ना नहीं पड़ा। उन्होंने क्रूस पर चढ़े व्यक्ति के बारे में बात की - जिसने मुसलमानों, हिंदुओं और दुनिया भर में सभी मानव जाति के लिए अपनी जन कुर्बान कर दी। इससे मेरे अन्दर येशु के बारे में और अधिक जानने की गहरी इच्छा जागृत हुई और मुझे लगा कि ईश्वर ने सत्य जानने की मेरी प्रार्थना के उत्तर में इन लोगों से मेरा परिचय कराया है। जब मैं घर आयी तो मैंने पहली बार बाइबल खोली और दिलचस्पी से उसे पढ़ना शुरू किया। फादर रूफस ने मुझे एक प्रार्थना समूह खोजने की सलाह दी, लेकिन मुझे नहीं पता था कि कैसे और कहाँ खोजूं, इसलिए मैंने खुद ही येशु से प्रार्थना करना शुरू कर दिया। एक समय, मैं बारी-बारी से बाइबल और कुरान पढ़ रही थी, और मैंने प्रभु से पूछा: “हे प्रभु, सत्य क्या है? यदि तू सत्य है, तो मेरे मन में केवल बाइबल पढ़ने की इच्छा भर दे।” तब से, मुझे केवल बाइबल खोलने के लिए प्रेरणा मिलती रही। जब एक मित्र ने मुझे प्रार्थना समूह में आमंत्रित किया, तो मैंने पहले मना कर दिया, लेकिन उसने जोर दिया और तीसरी बार, मुझे झुकना पड़ा। दूसरी बार जब मैं गयी, तो मैं अपनी बहन को साथ ले गयी। यह हम दोनों के लिए जीवन बदलने वाला साबित हुआ। जब उपदेशक ने प्रवचन दिया, तो उन्होंने कहा कि उन्हें एक संदेश मिला है, “यहाँ दो बहनें हैं जो सत्य की खोज में आई हैं। अब उनकी खोज ख़त्म हो गई है।” जैसे-जैसे हम साप्ताहिक प्रार्थना सभाओं में शामिल होते गए, मैं धीरे-धीरे वचन को समझने लगी, और मुझे एहसास हुआ कि मुझे दो काम करने होंगे - क्षमा करना और पश्चाताप करना। जब मेरे परिवार ने मुझमें स्पष्ट परिवर्तन देखा तो वे उत्सुक हो गए, इसलिए उन्होंने भी प्रार्थना सभा में आना शुरू कर दिया। जब मेरे पिताजी को रोज़री माला के महत्व के बारे में पता चला, तो उन्होंने आश्चर्यजनक रूप से सुझाव दिया कि हम घर पर एक साथ इसकी प्रार्थना करना शुरू करें। तब से, हम, एक मुस्लिम परिवार, हर दिन घुटने टेककर रोज़री माला की प्रार्थना करने लगे । चमत्कारों का कोई अंत नहीं येशु के प्रति मेरे बढ़ते प्रेम ने मुझे पुण्य देश की तीर्थयात्रा में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। रवाना होने से पहले, एक सपने में एक आवाज़ ने मुझे बताया कि हालाँकि मेरे अंदर डर और गुस्सा गहरा है, लेकिन मैं जल्द ही इस से मुक्त हो जाऊंगी। जब मैंने यह सपना अपनी बहन के साथ साझा किया, यह सोचकर कि इसका क्या मतलब हो सकता है, उसने मुझे पवित्र आत्मा से सलाह लेने की बात कही। मैं हैरान थी क्योंकि मैं वास्तव में नहीं जानती थी कि पवित्र आत्मा कौन है। इस के बाद सब कुछ जल्द ही आश्चर्यजनक तरीके से बदल गया । जब हमने संत पेत्रुस के गिरजाघर का दौरा किया (जहां पेत्रुस को सपने में सभी जानवर दिखाई दे रहे थे, जिन्हें ईश्वर ने उन्हें खाने की अनुमति दी थी (प्रेरित चरित 10:11-16)), तब गिरजाघर के दरवाजे बंद थे क्योंकि हमें देर हो गई थी। फादर रूफस ने घंटी बजाई, लेकिन किसी ने उत्तर नहीं दिया। लगभग 20 मिनट के बाद, उन्होंने कहा, "चलो हम गिरजाघर के बाहर प्रार्थना करते हैं," लेकिन मुझे अचानक अपने भीतर एक आवाज़ महसूस हुई जो कह रही थी: "मुनीरा, तुम घंटी बजाओ।" फादर रूफस की अनुमति से मैंने घंटी बजाई। कुछ ही क्षणों में वे विशाल दरवाजे खुल गये। पुरोहित ठीक बगल में बैठे थे, लेकिन उन्होंने घंटी तभी सुनी जब मैंने उसे बजाया। फादर रूफस ने कहा: "अन्य जातियों के लोगों को पवित्र आत्मा प्राप्त होगी।" मैं अन्यजाति की थी! यरूशलेम में, हमने ऊपरी कक्ष का दौरा किया जहां अंतिम भोज और पवित्र आत्मा का अवतरण हुआ था। जब हम प्रभु की स्तुति कर रहे थे, हमने तूफ़ान की गड़गड़ाहट तथा बिजली और गर्जन की कड़कड़ाहट सुनी, कमरे में हवा चली और मुझे अन्य भाषाओं का वरदान मिला। मैं इस पर विश्वास नहीं कर सकी! प्रभु ने मुझे उसी स्थान पर पवित्र आत्मा का बपतिस्मा दिया जहाँ माता मरियम और प्रेरितों को पवित्र आत्मा प्राप्त हुआ था। यहाँ तक कि हमारा यहूदी टूर गाइड भी आश्चर्यचकित था। वह अपने घुटनों पर गिर गया और उसने हमारे साथ प्रार्थना की। अंकुर बढ़ता रहता है जब मैं घर लौटी, तब मैं बपतिस्मा लेने के लिए उत्सुक थी, लेकिन मेरी माँ ने कहा: "मुनीरा देखो, हम येशु का अनुसरण करते हैं, हम येशु में विश्वास करते हैं, हम येशु से प्यार करते हैं, लेकिन धर्मांतरण... मुझे नहीं लगता कि हमें यह करना चाहिए। तुम जानती हो कि हमारे मुस्लिम समुदाय के अन्दर से कई प्रतिक्रियाएं होंगे।” लेकिन मेरे भीतर प्रभु को पाने की गहरी इच्छा थी, खासकर उस सपने के बाद जिसमें उन्होंने मुझसे हर दिन मिस्सा बलिदान में शामिल होने के लिए कहा था। मुझे याद है मैं कनानी स्त्री की तरह प्रभु से विनती कर रही थी: "तू ने उसे अपनी मेज से नीचे गिरनेवाली रोटी के टुकड़े खिलाए, मेरे साथ भी उस कनानी स्त्री के जैसा व्यवहार कर प्रभु, और मेरे लिए मिस्सा बलिदान में शामिल होकर पवित्नार युखारिस्ट को प्राप्त करना संभव बना प्रभु।" कुछ ही समय बाद, जब मैं अपने पिता के साथ टहल रही थी, हम अप्रत्याशित रूप से एक गिरजाघर में पहुँचे जहाँ मिस्सा बलिदान का समारोह अभी शुरू ही हुआ था। मिस्सा में भाग लेने के बाद, मेरे पिताजी ने कहा: "चलिए, हम हर दिन यहां आएं।" मुझे लगता है कि बपतिस्मा की मेरी राह वहीं से शुरू हुई। अप्रत्याशित उपहार मैंने और मेरी बहन ने प्रार्थना समूह में शामिल होकर रोम और मेडजुगोरे की यात्रा पर जाने का फैसला किया। सिस्टर हेज़ल, जो इसका आयोजन कर रही थीं, उन्होंने मुझसे यूं ही पूछा कि क्या तुम रोम में बपतिस्मा लेना चाहोगी? मैं गुप्त और अदाम्बरहीन बप्तिस्मा चाहती थी, लेकिन प्रभु की कुछ और ही योजनाएँ थीं। सिस्टर ने बिशप से बात की, जिन्होंने हमें कार्डिनल के साथ पांच मिनट की मुलाक़ात का अवसर दिलाया, जो ढाई घंटे तक चली; कार्डिनल ने कहा कि मैं रोम में आपको बपतिस्मा प्राप्त करने केलिए सभी इंतज़ाम कर लूँगा। इसलिए हमें कार्डिनल द्वारा संत पापा के निजी प्रार्थनालय में बपतिस्मा दिया गया। मैंने फातिमा नाम रखा और मेरी बहन ने मारिया नाम रखा। हमने वहां कई कार्डिनलों, पुरोहितों और धार्मिक लोगों के साथ अपने बपतिस्मा के बाद का दोपहर का समारोही भोजन को खुशी-खुशी मनाया। मुझे बस यह महसूस हुआ कि इन सब के दौरान, प्रभु हमसे कह रहा था: “चखकर देखो कि प्रभु कितना अच्छा है; धन्य है वह, जो उसकी शरण जाता है” (स्तोत्र ग्रन्थ 34:8)। जल्द ही कलवारी का क्रूस आ ही गया। हमारे परिवार को वित्तीय संकट का सामना करना पड़ा, जिसके लिए हमारे समुदाय के लोगों ने ईसाई धर्म में हमारे धर्मांतरण को जिम्मेदार ठहराया। आश्चर्यजनक रूप से, मेरे परिवार के बाकी लोगों ने बिलकुल दूसरा रास्ता अपनाया। हमसे और हमारे विश्वास से मुंह मोड़ने के बजाय, उन्होंने अपने लिए बपतिस्मा की मांग की। प्रतिकूलता और विरोध के बीच, उन्हें येशु में शक्ति, साहस और आशा मिली। पिताजी ने इसे अच्छी तरह से व्यक्त किया, "सलीब या क्रूस के बिना ईसाई धर्म नहीं हो सकता है।" आज, हम अपने विश्वास में एक-दूसरे को प्रोत्साहित करना जारी रखते हैं और जब भी मौका मिलता है, इसे दूसरों के साथ साझा करते हैं। जब मैं अपनी चाची से अपने धर्म परिवर्तन के अनुभव के बारे में बात कर रही थी, तब उन्होंने मुझसे पूछा कि मैंने ईश्वर को "पिता" क्यों कहा। उसके लिए ईश्वर, अल्लाह है। मैंने उससे कहा कि मैं उसे पिता कहती हूँ, क्योंकि उसने मुझे अपनी प्यारी बच्ची बनने के लिए आमंत्रित किया है। मुझे उसके साथ एक प्रेमपूर्ण संबंध बनाने में खुशी होती है जो मुझसे इतना प्यार करता है कि उसने मुझे मेरे सभी पापों से शुद्ध करने और अनन्त जीवन का वादा प्रकट करने के लिए अपने पुत्र को भेजा। अपने उल्लेखनीय अनुभव साझा करने के बाद, मैंने उससे पूछा कि अगर वह मेरी जगह होती तो क्या वह अब भी अल्लाह का अनुसरण करती। उसके पास कोई जवाब नहीं था।
By: Munira Millwala
Moreइनिगो लोपेज़ का जन्म 15वीं सदी के स्पेन में एक कुलीन परिवार में हुआ था। सामंती राज दरबार का प्रेम और शूरवीरता के आदर्शों से प्रभावित होकर, वह एक उग्र योद्धा बन गया। सन 1521 ईसवीं में एक युद्ध के दौरान फ्रांसीसी आक्रमणकारियों के खिलाफ अपने पैतृक शहर पलेर्मो की रक्षा करते समय, इनिगो तोप के गोले से अत्यधिक घायल हो गया था। गंभीर रूप से घायल होने के बाद भी साहस से भरपूर इनिगो ने फ्रांसीसी सैनिकों की प्रशंसा हासिल की, जो उसे कैद करने के बजाय, उसके उपचार के लिए उसके अपने घर ले गए। रोमांस भरे उपन्यासों का आनंद लेते हुए बिस्तर पर अपने स्वास्थ्य लाभ की अवधि बिताने की योजना बनाते हुए, इनिगो को यह देखकर निराशा हुई कि उपलब्ध पुस्तकें केवल संतों के जीवन पर थीं। उन्होंने अनिच्छा से इन पुस्तकों को पढ़ा, लेकिन जल्द ही इन गौरवशाली जीवन कथाओं के बारे में पढ़कर आश्चर्यचकित हो गए। संतों की जीवन कहानियों से प्रेरित होकर, उन्होंने खुद से पूछा: "अगर वे कर सकते हैं, तो मैं क्यों नहीं?" घुटने की चोट से उबरने के दौरान यह सवाल उन्हें सताता रहा। लेकिन संतों द्वारा उनमें बोई गई यह पवित्र खलबली और अधिक मजबूत हो गई और अंततः उन्हें कलीसिया के सबसे महान संतों में से एक बना दिया गया: लोयोला के इग्नेशियस। एक बार ठीक होने के बाद, इग्नेशियस ने अपना चाकू और तलवार मोंट्सेरात की धन्य कुंवारी माँ मरियम की वेदी पर रख छोड़ दिया। उन्होंने अपने महंगे कपड़े त्याग दिए और दिव्य गुरु के मार्ग पर चलने के लिए निकल पड़े। उनका साहस और जुनून कम नहीं हुआ था, लेकिन अब से उनकी लड़ाई स्वर्गीय सेना के लिए होगी, जो मसीह के लिए आत्माओं को जीतेगी। उनके लेखन, विशेष रूप से स्पिरिचुअल एक्सरसाइजेज (आध्यात्मिक अभ्यास) ने अनगिनत जिंदगियों को छुआ है और उन्हें पवित्रता और मसीह के मार्ग पर निर्देशित किया है।
By: Shalom Tidings
Moreशालोम टाइडिंग्स के नियमित स्तंभकार फादर जोसेफ गिल अपने जीवन की कहानी साझा करने के लिए अपने दिल की बातें खुलकर रखते हैं और बताते हैं कि उन्हें कैसे प्यार हुआ मैं मानता हूं कि मेरी बुलाहट को बुलाहट कम माना जाना चाहिए, बल्कि जिस व्यक्ति ने मुझे बनाया और मेरे दिल को उसने अपनी ओर आकर्षित किया, यह बुलाहट उस व्यक्ति के साथ मेरी प्रेम लीला मानी जानी चाहिए। जब मैं बहुत छोटा था, तभी से मैं प्रभु से प्रेम करता था। मुझे याद है जब मैं आठ या नौ साल का था, तब मैं अपने कमरे में बैठकर बाइबल पढ़ता था। मैं परमेश्वर के वचन से इतना प्रेरित हुआ कि मैंने बाइबल की मेरी अपनी किताब लिखने की भी कोशिश की (कहने की जरूरत नहीं है, यह कोशिश सफल नहीं हुई!)। मैंने मिशनरी या शहीद होने का, उदारतापूर्वक अपना जीवन मसीह को देने का सपना देखा। फिर मेरी किशोरावस्था आ गई और मसीह के प्रति मेरा जुनून सांसारिक चिंताओं के नीचे दब गया। मेरा जीवन बेसबॉल, लड़कियों और संगीत के इर्द-गिर्द घूमने लगा। मेरी नई महत्वाकांक्षा एक अमीर और प्रसिद्ध रॉक संगीतकार या खेल उद्घोषक बनने की थी। आत्मा पर आघात शुक्र है, प्रभु ने मेरा साथ नहीं छोड़ा। जब मैं चौदह वर्ष का था, तो मुझे अपने युवा समूह के साथ रोम की तीर्थयात्रा पर जाने का सौभाग्य मिला। कोलोसियम में खड़े होकर मैंने सोचा, “इस स्थान पर दस हजार से अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने येशु मसीह के लिए अपना खून बहाया है। मुझे अपने विश्वास की अधिक परवाह क्यों नहीं करना चाहिए?” सिस्टाइन गिरजाघर ने मुझे प्रभावित किया - सुन्दर चित्रों से भरपूर उस छत के कारण नहीं, बल्कि दूर की दीवार पर बनी उस कला के कारण: माइकल एंजेलो द्वारा "अंतिम न्यायविधि” का सुन्दर चित्र वहां अंकित था। वहाँ, जीवन भर लिए गए फैसलों के परिणाम को अर्थात स्वर्ग और नरक को सशक्त रूप से दर्शाया गया है। यह सोचकर मुझे अंदर तक आघात लगा कि मैं उन दो स्थानों में से एक में अनंत काल बिताऊंगा, मैंने सोचा... "तो मैं कहाँ जा रहा हूँ?" जब मैं लौटा, तो मुझे पता था कि मुझे अपने जीवन में कुछ परिवर्त्तन लाने की ज़रूरत है... लेकिन ऐसा करना कठिन हो सकता है। मैं किशोरावस्था में बहुत सारे पाप, गुस्से और नाटकबाजी में फंस गया था। मैंने आधे-अधूरे मन से प्रार्थना जीवन विकसित करने की कोशिश की, लेकिन यह जड़ नहीं जमा सका। मैं यह नहीं कह सकता कि मैं वास्तव में पवित्रता के लिए प्रयासरत हूँ। प्रभु को मेरा दिल जीतने के लिए और अधिक मुठभेड़ों की जरूरत पड़ी। सबसे पहले, मेरी पल्ली ने सतत आराधना शुरू की, जिससे लोगों को परम प्रसाद के पवित्र संस्कार के सामने प्रार्थना करने का 24 x 7 अवसर प्रदान किया गया। मेरे माता-पिता ने आराधना के एक साप्ताहिक घंटे के लिए साइन अप किया और मुझे आने के लिए आमंत्रित किया। पहले तो मैंने मना कर दिया; मैं अपने पसंदीदा टीवी कार्यक्रम छोड़ना नहीं चाहता था! लेकिन फिर मैंने तर्क दिया, "अगर मैं वास्तव में पवित्र परम प्रसाद के बारे में जो कहता हूं और उस पर विश्वास करता हूं - कि यह वास्तव में यीशु मसीह का शरीर और रक्त है - तो मैं उस संस्कार के साथ एक घंटा क्यों नहीं बिताना चाहूंगा?" इसलिए, अनिच्छा से, मैंने आराधना में जाना शुरू किया... और मुझे उससे प्यार हो गया। मौन मनन-चिंतन, धर्मग्रंथ का पाठ और प्रार्थना आदि के उस साप्ताहिक घंटे ने मेरे लिए परमेश्वर के व्यक्तिगत, और भावुक प्रेम का एहसास कराया... और मैं अपने प्यारे प्रभु को अपने पूरे जीवन के माध्यम से वह प्रेम लौटाने की इच्छा करने लगा। केवल सच्ची ख़ुशी लगभग उसी समय, ईश्वर मुझे कुछ आत्मिक साधनाओं में ले गया जो बहुत परिवर्तनकारी थी। एक साधना ओहियो में थी, जो कैथलिक फ़ैमिली लैंड नामक एक ग्रीष्मकालीन कैथलिक पारिवारिक शिविर था। वहाँ, पहली बार, मुझे मेरी ही उम्र के लड़के मिले जिनके मन में येशु के प्रति गहरा प्रेम था, और मुझे एहसास हुआ कि एक युवा व्यक्ति के रूप में पवित्रता के लिए प्रयास करना संभव (और अच्छा भी!) था। फिर मैंने क्रूस वीर के द्वारा आयोजित हाई स्कूल के लड़कों के लिए सप्ताहांत साधना में भाग लेना शुरू किया, और मैंने और भी अधिक दोस्त बनाए। येशु मसीह के प्रति उनके प्रेम को देखकर मेरी आध्यात्मिक यात्रा में वृद्धि हुई। अंततः, हाई स्कूल के एक वरिष्ठ छात्र के रूप में, मैंने एक स्थानीय सामुदायिक कॉलेज की कक्षाओं में जाना शुरू कर दिया। तब तक, मेरी पढ़ाई घर पर ही हुआ करती थी, इसलिए मुझे घर का सुरक्षा कवच और आश्रय मिला हुआ था। लेकिन इन कॉलेज की कक्षाओं में, मेरा सामना नास्तिक प्रोफेसरों और सुखवादी साथी छात्रों से हुआ, जिनका जीवन अगली पार्टी, अगली तनख्वाह और अगले हुकअप के इर्द-गिर्द घूमता था। लेकिन मैंने देखा कि वे बहुत दुखी लग रहे थे! वे लगातार अगली सुखदायक चीज़ के लिए प्रयास कर रहे थे। वे कभी भी अपने स्वार्थ की पूर्ती से बड़ी किसी चीज़ के लिए नहीं जी रहे थे। इससे मुझे एहसास हुआ कि दूसरों के लिए और मसीह के लिए अपना जीवन अर्पित करने में ही एकमात्र सच्ची खुशी है। उस समय से, मुझे पता था कि मेरा जीवन प्रभु येशु और उसके इर्द गिर्द होना चाहिए। मैंने फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय में अपनी पढ़ाई शुरू की और मैरीलैंड में माउंट सेंट मैरी के सेमिनरी में दाखिला लिया। लेकिन एक पुरोहित बनाने के बाद भी मेरी यात्रा जारी है। हर दिन प्रभु अपने प्रेम का और अधिक प्रमाण दिखाता है और मुझे अपने हृदय की गहराई में ले जाता है। यह मेरी प्रार्थना है कि आप सभी, मेरे प्रिय शालोम टाइडिंग्स के पाठको, आप अपने विश्वास को "हमारी आत्माओं के महान प्रेमी" के साथ एक क्रांतिकारी, सुंदर प्रेम संबंध के रूप में देखें!
By: फादर जोसेफ गिल
Moreकालातीत सुन्दरता अब कोई दूर का सपना नहीं है... आकर्षक दिखने की हमारी चाहत सार्वभौमिक है। बाइबिल के आरम्भ काल से ही, पुरुषों और महिलाओं ने समान रूप से संवारने, तथा आहार, व्यायाम, सौंदर्य प्रसाधन, जेवर, कपड़े और अन्य सजावट के माध्यम से अपने शरीर को सुंदर बनाने की कोशिश की है। क्योंकि हमारे सृजनकर्ता स्वयं सौंदर्य है, हम उस सृष्टिकर्ता के प्रतिरूप में और उसके सादृश्य में सृष्ट किये गए हैं, इसलिए इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि हम उसके स्वभाव के सिद्धांतों को अपने शारीरिक स्वरूप में प्रकट करने की इच्छा रखते हैं - वास्तव में, इसके द्वारा हम अपने शरीर में परमेश्वर को महिमान्वित कर रहे हैं, और हमें ऐसा करने के लिए आदेश दिया जाता है (1 कुरिन्थी 6:20)। फिर भी हमारा वर्तमान धर्म विहीन युग हर दिन जोर-शोर से हमारी कमियों की घोषणा करता है: हम सुंदर नहीं हैं, स्मार्ट नहीं हैं, पतले नहीं हैं, आकर्षक नहीं हैं, युवा नहीं हैं, स्टाइलिश नहीं हैं, आदि इत्यादि। हर साल, बहुत बड़ी संख्या में उपभोक्ता अनावश्यक मात्रा में सौंदर्य प्रसाधन, सौंदर्य उत्पाद, और संबंधित सेवाओं की खरीदारी करते हैं। अफसोस की बात है कि आक्रामक सर्जरी, इंजेक्शन, पूरक की कृत्रिम चीज़ें और अन्य संदिग्ध कॉस्मेटिक प्रक्रियाएं तेजी से आम होती जा रही हैं, यहां तक कि चालीस से कम उम्र वालों के बीच भी। दोषरहित सुंदरता हम येशु मसीह के अनुयायी, जो दुनिया में रहते हैं लेकिन दुनिया के नहीं, हम कैसे सुंदर होंगे? संत अगस्तीन ने सदियों पहले इसी प्रश्न से जूझते हुए एक प्राचीन उपदेश में हमें यह शाश्वत उत्तर दिया था: 'उससे प्यार करो जो हमेशा सुंदर है।और जिस मात्रा में आपके अंदर वह प्रेम बढ़ेगा, उसी मात्रा में आपकी सुंदरता भी बढ़ेगी। क्योंकि प्रेमपूर्ण उदारता वास्तव में आत्मा की सुंदरता है।' (योहन के पहले पत्र पर दस व्याख्यान, नौवां व्याख्यान , 9-वां अनुच्छेद) सच्ची सुंदरता उस प्यार से निकलती है जो "शरीर के दीपक", यानी हमारी आँखों (लूकस 1:34) से चमकता है, न कि हमारे बालों या होठों के रंग से। वास्तव में, येशु हमें "संसार की ज्योति" कहते हैं (मत्ती 5-14) - हमारी मुस्कुराहट से उसका प्रेम झलकना चाहिए और दूसरों के जीवन को रोशन करना चाहिए। अंततः, हमें अपने मसीही जीवन-साक्ष्य की सुंदरता द्वारा दूसरों को येशु मसीह और उनकी कलीसिया की सुंदरता की ओर आकर्षित करना चाहिए, और यही इस सांसारिक जीवन में हमारा मुख्य दायित्व है। फिर भी, यद्यपि हमारी आत्माएँ इच्छुक हैं, हमारा शरीर कभी-कभी दुनिया की अपर्याप्तता के झूठे ‘सुसमाचार’ का शिकार हो जाता है। मानवीय असुरक्षा के ऐसे क्षणों के दौरान, मैं सुलेमान के सर्वश्रेष्ठ गीत में वर्णित परमेश्वर के अचूक संदेश से उत्साहित हूं: "मेरी प्रेयसी, तुम सर्वसुन्दर हो। तुम में कोई दोष नहीं” (4:7)। हालाँकि मैंने अपने शरीर को कई वर्षों तक घिसा है, मैं लम्बा जीवन जीकर अपने भूरे "मुकुट" (सूक्तिग्रंथ 16:31) प्राप्त करने के लिए, और, हाँ, झुर्रियाँ भी प्राप्त करने केलिए आभारी हूँ, जो कई अनुभवों और आशीर्वादों का प्रतिनिधित्व करते हैं ताकि चिकनी त्वचा पाने के लिए मैं कभी भी इसका खरीद फरोख्त नहीं करूंगी। शायद आप एक माँ हैं और गर्भावस्था के साथ आपका आकार कुछ कुछ बदल गया है। लेकिन आपका शरीर चमत्कारी है - इसने गर्भधारण किया, बच्चे को गर्भ में संभाला और परमेश्वर के उस बच्चे को जन्म भी दिया। परमेश्वर के राज्य के विस्तार करने की अपनी फलदायीता केलिए आप आनन्दित और उल्लासित हो जाएँ ! शायद आप किशोरी हैं, और आपका शरीर असुविधाजनक परिवर्तनों से गुजर रहा है; और इस परिवर्त्तन को जटिल बनाते हुए, शायद आपको लगे कि आप दुनियावी लोगों की भीड़ में फिट नहीं बैठती हैं। लेकिन ईश्वर के कार्य की प्रगति आप हैं - आप एक उत्कृष्ट कृति हैं जिसे वह आपके द्वारा उसके विशेष लक्ष्य और उद्देश्य को पूरा करने के लिए अद्भुत रूप से आपको अद्वितीय बना रहा है। जहां तक ' दुनियावी लोगों की भीड़’ का सवाल है, क्या उस भीड़ के लिए प्रार्थना करने के लिए आप को प्रेरणा मिले; परमेश्वर जानता है कि दुनियावी भीड़ में सम्मिलित लोगों की अपनी असुरक्षाएँ हैं। शायद आप अधेड़ उम्र के हैं और पिछले कुछ वर्षों में आपका वज़न कुछ अतिरिक्त बढ़ गया है, या हो सकता है कि आप हमेशा मोटापे से जूझते रहे हों। यद्यपि स्वस्थ शरीर प्राप्त करने और उसे स्वस्थ बनाए रखने के लिए आहार और व्यायाम महत्वपूर्ण हैं, आप जिस आकार या रूप में हैं, बिल्कुल उसी आकार या रूप में ईश्वर आपसे प्यार करता है - आप अपने प्रति धैर्य रखें और अपने आप को उसके कोमल हाथों में सौंप दें। शायद आप कैंसर जैसी बीमारी से जूझ रहे हैं और उसके इलाज का असर भी झेल रहे हैं। जैसे ही आपका शरीर लड़खड़ाता है, मसीह आपके साथ क्रूस उठाते हैं। अपने कष्टों को उसके सामने प्रस्तुत करें, और वह आपको इतनी ताकत और लचीलापन देगा कि आप अपने आसपास के उन लोगों के लिए आशा की किरण बन सकें जो अपनी चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। आप अपने साहसी जीवन के माध्यम से पाए गए ईश्वर के अच्छे कार्य से सांत्वना पायें। शायद पहले की या वर्तमान स्वास्थ्य की समस्याओं के कारण आपके शरीर में कुछ स्थायी निशान या विकृति है - आप यह जानकर सांत्वना पायें कि संत काटेरी की मृत्यु के बाद उसके चेहरे पर जो चेचक के निशान थे, वे चमत्कारिक रूप से गायब हो गए। वास्तव में, हमारे असली घर स्वर्ग में, मसीह हमारे तुच्छ शरीर को अपने गौरवशाली शरीर के समान बदल देगा (फिलिप्पी 3:20-21), और हम तारों की तरह चमकते रहेंगे (दानिएल 12:3)। पूरी तरह से अलंकृत अभी के लिए, जैसे परमेश्वर हमें चाहते हैं, हम वैसे ही हैं। जो उसने हमें पहले ही दे दी है हमें अपने उस बाहरी स्वरूप को बदलने या उस सुंदरता में सुधार करने की ज़रूरत नहीं है। हमें खुद को वैसे ही स्वीकार करना चाहिए जैसे हम हैं और हम जैसे हैं वैसे ही खुद से प्यार करना चाहिए। सबसे महत्वपूर्ण चीज़ जो हम कर सकते हैं वह है येशु से प्रेम करना। जितने तक हमारे दिल उसके प्यार से भर जाएगा, उतना ही हमारे शरीर उसकी सुंदरता को प्रतिबिंबित करेगा। लेकिन यह कोई सौंदर्य प्रतियोगिता नहीं है. हालाँकि दुनिया आम तौर पर कमी के सिद्धांत पर काम करती है ताकि हमें लगे कि हमें अपना उचित हिस्सा पाने के लिए प्रतिस्पर्धा करनी चाहिए, येशु मसीह खूबी या प्रचुरता के सिद्धांत पर काम करता है ताकि हमेशा जरूरत से ज्यादा हो - "जिसके पास है उसे और अधिक दिया जाएगा" (मत्ती 13:12) यदि हम प्रभु पर भरोसा करते हैं जो "खेत के फूलों को सजाता है" (मत्ती 6:28), तो हम उस शरीर से संतुष्ट होंगे जिसे ईश्वर ने हमें दिया है। इसके अलावा, हम पहचानेंगे कि हमारी ईश्वर प्रदत्त सुंदरता न केवल पर्याप्त है बल्कि प्रचुर भी है। साथ ही, यह कोई तुलना का खेल नहीं है। हालाँकि हम अक्सर अपनी तुलना दूसरों से करने के लिए प्रलोभित होते हैं, फिर भी हम अद्वितीय हैं; परमेश्वर ने हमें अपनी माँ के गर्भ में किसी और की तरह दिखने के लिए नहीं बनाया है। वास्तव में, हममें से प्रत्येक येशु मसीह की संपूर्ण सुंदरता के विशिष्ट चमकदार प्रतिबिंब और आकर्षक गवाह बनने की यात्रा पर अलग-अलग मुकामों पर हैं। परम पिता परमेश्वर ने हमें पूर्णतः सुशोभित किया है। अगली बार जब आप दर्पण में देखें, तो याद रखें कि उसने आपको अद्भुत रूप से अच्छी तरह से बनाया और सजाया है, और वह यह देखकर प्रसन्न होता है कि आप उसकी सुंदरता को कैसे प्रतिबिंबित करते हैं।
By: Donna Marie Klein
Moreअपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलना कभी भी आसान काम नहीं होता, तो फिर क्यों परेशानी उठानी है? जीवन के किसी मोड़ पर, येशु हम सभी से पूछते हैं: “क्या तुम मेरे राज्य के लिए बाहर निकलने को तैयार हो?” इसके लिए कोई योग्यता की ज़रुरत नहीं है; कोई नौकरी का विवरण नहीं, कोई बायोडाटा स्क्रीनिंग नहीं… यह एक सरल हाँ या नहीं वाला प्रश्न है। जब मुझे यह बुलावा मिला, तो मेरे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं था। मैंने जब अपने सेवा क्षेत्र में प्रवेश किया, तब किसी प्रकार का लाभ पाने की मेरी कोई इच्छा नहीं थी। समय ने साबित कर दिया कि येशु के लिए एक इच्छुक और प्रेमपूर्ण हृदय ही वह सब था जिसकी मुझे आवश्यकता थी। उसने बाकी सब संभाल लिया। एक बार जब आप हाँ कहते हैं, तो आप अपने आप में बदलाव देख सकते हैं! जीवन अधिक सार्थक, आनंदमय और रोमांचकारी हो जाता है। इसका मतलब यह नहीं है कि दुख कभी मौजूद नहीं होगा। "जब येशु के लिए इस संसार को छोड़कर अपने पिता के पास लौटने का समय निकट था, तो उसने अपने शिष्यों के पैर धोए। उसने पेत्रुस से कहा: 'यदि मैं तुम्हारे पैर न धोऊँगा, तो तुम्हारा मेरे साथ कोई सम्बन्ध नहीं रह जाएगा।'" उसने आगे कहा: "इसलिए यदि मैं - तुम्हारे प्रभु और गुरु – ने तुम्हारे पैर धोए हैं, तो तुम्हें भी एक दूसरे के पैर धोने चाहिए।" (योहन 13:14) एक तरह से, येशु पूछ रहे हैं: "क्या तुम भीगने के लिए तैयार हो?" पेत्रुस की तरह, हम स्वाभाविक रूप से सूखे और आरामदायक रहना पसंद करते हैं, लेकिन वह हमें अपने प्यार और अनुग्रह के जल में भीगने के लिए बुला रहा है। सबसे खूबसूरत बात यह है कि वह हमें अपने लिए नहीं बुला रहा है... जब येशु अपने शिष्यों के पैर धोने के लिए नीचे झुका, तो न केवल उसके शिष्य भीग गए, बल्कि इस प्रक्रिया में येशु के हाथ भी गीले और गंदे हो गए। जब हम मसीह के पदचिन्हों पर चलते हैं, तो उसके नाम पर दूसरों की सेवा करते हुए, हम भी उस बोझ और दर्द का हिस्सा बनेंगे जिससे दूसरा व्यक्ति गुज़र रहा है। पवित्र बाइबिल हमें निर्देश देती है: “भारी बोझ धोने में एक दूसरे की सहायता करें, और इस प्रकार तुम मसीह की विधि पूरी करें।” (गलाती 6:2) येशु के रूपान्तरण के बाद, पेत्रुस ने कहा: “प्रभु, यहाँ होना हमारे लिए कितना अच्छा है; आप चाहें, तो मैं यहाँ तीन तम्बू खड़ा कर दूंगा - एक आपके लिए, एक मूसा, और एक एलियस के लिए।” (मत्ती 17:4) ऐसा लगता है कि हम कई मायनों में पेत्रुस के जैसे हैं। तंबू लगाना और उस आरामदायक क्षेत्र में रहना हम पसंद करते हैं, चाहे वह हमारा गिरजाघर हो, घर हो या कार्यस्थल। सौभाग्य से, हमारे लिए पवित्र बाइबिल हमें ऐसे कई योग्य उदाहरण प्रदान करती है जिनसे हम सीख सकते हैं। होना या न होना हमारे पल्ली पुरोहित श्रद्धेय क्रिस्टोफर स्मिथ ने एक बार इस बात पर मनन किया कि कैसे योहन बपतिस्ता ने अपने आराम क्षेत्र जंगल को छोड़ दिया और मसीहा के आने की घोषणा करने के लिए शहर में आया। मूसा मिस्र से भाग गया और अपने ससुर के साथ अपने लिए एक तम्बू बनाया लेकिन परमेश्वर ने उसे बाहर निकाला और उसे एक मिशन सौंपा। उसे उसी मिस्र में वापस लाया गया जहाँ से वह भागा था, और परमेश्वर ने उसे अपने लोगों को बचाने के लिए शक्तिशाली रूप से इस्तेमाल किया। एलियस ईज़ेबेल से भाग गया और एक झाड़ी के नीचे शरण ली (1 राजा 19:4), लेकिन परमेश्वर ने उसे अपने लोगों के लिए अपनी योजना को स्थापित करने के लिए वापस लाया। अब्राहम को अपने रिश्तेदारों को छोड़ना पड़ा और यात्रा करनी पड़ी जहाँ परमेश्वर उसे ले गया, लेकिन उस राज्य को देखें जो परमेश्वर में अब्राहम के भरोसे के कारण विकसित हुआ! अगर मूसा घर पर रहता, तो इस्राएलियों का क्या हश्र होता? और अगर एलियस डर के मारे पीछे हट जाता और वापस आने से इनकार कर देता तो क्या होता? पेत्रुस को देखें, जिसने समुद्र में उग्र लहरों पर अपने पैर रखने के लिए नाव से विश्वास की छलांग लगाई। वह बिलकुल अकेला था, डूबने का डर उसके मन में था, लेकिन येशु ने उसे डगमगाने नहीं दिया। बाहर निकलने की उसकी इच्छा ने एक अविस्मरणीय चमत्कार की शुरुआत की, जिसका आनंद नाव के अंदर मौजूद अन्य डर से भरे शिष्यों में से कोई भी नहीं ले सका, क्योंकि उन्होंने अपने आराम के क्षेत्र से बाहर निकलने से इनकार कर दिया था। और इसी तरह, हमारे जीवन में भी, अपने तंबू से बाहर निकलने का पहला कदम उठाने केलिए परमेश्वर हमारा इंतज़ार कर रहा है। जब पवित्र आत्मा ने मुझे लेखन के माध्यम से सुसमाचार प्रचार करने के लिए प्रेरित किया, तो मेरे लिए पहले इसे हाँ कहना बहुत मुश्किल था। मैं स्वभाव से डरपोक और शर्मीली हूँ, और जैसे पेत्रुस लहरों को देखता था, वैसे ही मैं केवल अपनी अक्षमताओं को देखती थी। लेकिन जब मैंने खुद को परमेश्वर की इच्छा के आगे समर्पित कर दिया और उस पर भरोसा करना शुरू कर दिया, तो उसने मुझे अपनी महिमा के लिए इस्तेमाल करना शुरू कर दिया। आइए हम अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलें और पवित्र आत्मा के अभिषेक में भीगें, क्योंकि यह जलती हुई झाड़ी की शक्तिशाली आग थी जिसने मूसा का अभिषेक किया था। याद रखें कि कैसे (एक मिस्री को मारकर!) इस्राएलियों को 'बचाने' का मूसा का पहला प्रयास उन इस्राएलियों के द्वारा अस्वीकार कर दिया गया था? ऊपर से आने वाले आह्वान का धैर्यपूर्वक इंतज़ार करें, उसका अभिषेक प्राप्त करें, और उसके नाम का प्रचार करने के लिए दुनिया में जाएँ! ------------------------- लिडिया बोस्को एक कार्मेलाइट धर्म बहन हैं जो कैथलिक सेवा ‘अभिषेकाग्नि’ के माध्यम से प्रभु की सेवा करती हैं। वे अपने पति और तीन बच्चों के साथ दक्षिणी यू.एस.ए के दक्षिण कैरोलिना में रहती हैं।
By: लीडिया बोस्को
Moreड्राइविंग सीखना मेरे जीवन में बार-बार आने वाली एक बड़ी बाधा थी। इस घटना ने मेरे लिए इसे बदल दिया! दस साल पहले, ईश्वर ने मुझे पहली बार मेरे होने वाले पति से मुलाक़ात कराई। मैं उस समय श्रीलंका में रह रही थी जबकि वह ऑस्ट्रेलिया में रहता था। प्यार में पड़ने से मिलने वाली नई ऊर्जा से भरकर, श्रीलंका में रहते हुए, ड्राइविंग की तैयारी के लिए एक ड्राइविंग स्कूल में मैंने दाखिला लिया। पहले कभी गाड़ी न चलाने के कारण, मैं चिंतित थी, फिर भी दृढ़ थी, और ईश्वर की कृपा से, मैंने पहले प्रयास में ही अपना ड्राइविंग लाइसेंस प्राप्त कर लिया। छोटी शुरुआत ऑस्ट्रेलिया पहुँचने के तुरंत बाद, मैंने एक स्थानीय ड्राइविंग स्कूल में दाखिला लिया और अभ्यास जारी रखने के लिए एक सेकंड-हैंड कार खरीदी। मेरी पहली गलती यह थी कि मैंने अपने पति को मुझे सिखाने का मौक़ा दिया। आप अच्छी तरह से कल्पना कर सकते हैं कि इसका क्या परिणाम हुआ होगा! चाहे मैं जितनी भी सीखती रही, मेरे अन्दर का डर मुझे पीछे खींचता रहा। मैं तब तक ठीक-ठाक गाडी चलाती थी, जब तक कि कोई कार मेरे पीछे नहीं आ जाती और यह मुझे परेशान कर देता, मानो मैं जांच के दायरे में हूं। मेरी उम्र पच्चीस के आसपास थी| ऐसी उम्र में इस तरह का डर बहुत ही अतार्किक था। पेशेवर ड्राइविंग प्रशिक्षक से सबक लेने से भी कोई मदद नहीं मिली। मैं अभ्यास करने में हिचकिचाने लगी और मेरी कार धीरे-धीरे धूल जमा करने लगी, जबकि मैं खुद को यह समझाने की कोशिश कर रही थी कि ड्राइविंग मेरे लिए नहीं है। काम पर जाने और वापस आने के लिए, मैंने दो बसें और एक ट्रेन ली, लेकिन खुद को ड्राइव करने के लिए मजबूर नहीं कर सकी। मैंने अपनी कार बेच दी। हार मानने को तैयार नहीं यह जीवन शैली स्पष्ट रूप से हमारे लिए काम नहीं कर रही थी, इसलिए मैंने एक बार फिर कोशिश करने का फैसला किया। अब 2017 था और मैंने एक नए प्रशिक्षक के साथ साइन अप किया। लग रहा था कि कुछ सुधार हो रहा है। हालांकि, मेरा पहला ड्राइविंग टेस्ट फिर से बहुत ही बेचैनी भरा था। मेरा प्रशिक्षक काफी क्रोधित था, और जब परीक्षक मेरे स्कोर का मूल्यांकन करने के लिए चला गया, तो उसने कहा “तुम निश्चित रूप से असफल हो जाओगी”। निराश और भारी मन से, मैं फैसला सुनने के लिए ड्राइविंग सेंटर में चली गयी। परीक्षक ने कहा “आप पास हो गयी हैं”! हैरान और अविश्वास में, मैंने पूरे दिल से ईश्वर का शुक्रिया अदा किया। मेरे पति भी बहुत खुश थे और मेरे नए आत्मविश्वास के आधार पर हमने फिर से एक सेकंड-हैंड कार खरीदी, बहुत उम्मीद थी कि इस बार यह काम करेगी। इसकी शुरुआत अच्छी रही और फिर धीरे-धीरे लेकिन निश्चित रूप से, यह सब वापस आने लगा - घबराहट, डर, झिझक। छह महीने से थोड़ा ज़्यादा समय बीतने के बाद, मैंने फिर से अपना सारा आत्मविश्वास खो दिया। मैंने अपनी कार बेच दी। मेरे धैर्यवान पति का मानना था कि मैं अपनी क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर रही थी, इसलिए उन्होंने न केवल मेरे लिए प्रार्थना की बल्कि जब मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रही थी, तब भी उन्होंने मुझ पर विश्वास बनाए रखा। उस समस्या के जड़ का पर्दाफाश साल बीतते गए...2020 में, हम एक ऑनलाइन आतंरिक चंगाई सेवा में भाग ले रहे थे। वह असरदार और प्रभावशाली सेवा अपने अंत के करीब थी, और तब तक मुझे कुछ खास महसूस नहीं हुआ था। यह मेरे पति की प्रार्थना ही रही होगी जिसने स्वर्ग को हिला दिया, क्योंकि जब पुरोहित आंतरिक घावों की चंगाई के लिए प्रार्थना कर रहे थे, तो मुझे थीम पार्क में बम्पर कार खेलने की एक ज्वलंत घटना की स्पष्ट याद आई। मैं लगभग छह साल की रही होगी और इस खेल को आज़माने के लिए बहुत उत्सुक थी। मैंने एक छोटी गुलाबी कार को चुना, मैं उसमें कूद गई और खुशी से उसे चला रही थी, जब अचानक मुझे लगा कि पीछे वाली कार बार-बार मेरी कार से टकरा रही है। हालाँकि यह खेल का हिस्सा था, मुझे लगा कि मुझ पर हमला हुआ है, और अब उस वर्तमान क्षण में, मैं उस डरावनी और भयंकर भय और बेचैनी को फिर से महसूस कर रही हूँ जो बिल्कुल वैसा ही था जैसा मुझे गाड़ी चलाते समय महसूस होता था! मुझे याद है कि मैं अपने पिता को जल्द से जल्द वहाँ से निकलने के लिए बेचैनी से उकसा रही थी। यह एक ऐसी याद थी जो उस घटना के बाद से इतने सालों में एक बार भी मेरे मन में नहीं आई थी। मेरी समस्या के मूल कारण से हमारे प्रभु येशु मसीह मुझे ठीक कर रहे थे। यह मेरे लिए एक बहुत बड़ा बयान था कि हमारे पिता परमेश्वर ने गाड़ी चलाने की क्षमता के साथ मेरी सृष्टि की है, जिस पर मैं लगातार सवाल उठाती रही थी। सड़क पर वापस आने के लिए उत्सुक, मैंने अपने पति के साथ लंबी दूरी तक गाड़ी चलाई और इस डर से मेरी मुक्ति स्पष्ट थी। ड्राइविंग में मैं ने अच्छी प्रगति कर ली थी और अब मुझे मेरे पीछे वाली कार से कोई परेशानी नहीं थी। कोई सोच सकता है कि यही आखिरी झटका था जिसकी अपनी ज़िंदगी को बदलने के लिए मुझे ज़रूरत थी। मैं जितना भी सुधार करने वाली थी, और चूँकि मेरी ड्राइविंग का अभ्यास लगातार नहीं चल रहा था, मैं अभी भी अपने सर्वश्रेष्ठ स्तर पर नहीं थी। हमारे नवजात शिशु ने मेरे जीवन का अधिक समय ले लिया था, इसलिए मेरी प्राथमिकताएँ बदल गई थीं। हम जिस छोटे से शहर के अपार्टमेंट में रहते थे, वह हमारे छोटे बच्चे के पालन-पोषण के लिए उपयुक्त नहीं था। हम जो परवरिश उसे देना चाहते थे उस केलिए उपनगरीय जीवन ज़्यादा अनुकूल होगा, और जब तक मैं आसानी से गाड़ी नहीं चला पाती हूँ, तब तक हम यह कदम नहीं उठा सकते हैं। सैंतो निनोटो द्वारा मेरा बचाव उस समय मेरी सास हमसे मिलने आई थीं। वे प्राग के शिशु येशु की उत्साही भक्त थी, उन्होंने मुझे शिशु येशु के प्रति नव रोज़ी प्रार्थना (नोवेना) दी, और मैंने चमत्कार के लिए मन्नत रखती हुई प्रतिदिन प्रार्थना की। नोवेना पूरा करने के तुरंत बाद एक प्रथम शुक्रवार को, हम येशु के पवित्र हृदय के सम्मान में पवित्र मिस्सा में भाग लेने के लिए किसी गिरजाघर की तलाश कर रहे थे। हमने जितने भी गिरजाघर देखे वे सभी बंद थे, आखिरकार हम एक ऐसे गिरजाघर में पहुँचे जो न केवल खुला था बल्कि जहां सैंतो निनो* (पवित्र शिशु) का पर्व मनाया जा रहा था। समारोही पवित्र मिस्सा और गिरजाघर की सारी गतिविधियाँ शिशु येशु के प्रति श्रद्धा और प्रेम से भरी हुई थी। समारोह के अंत में गायक मंडली ने एक शक्तिशाली, गूंजती हुई ढोल की थाप बजाई, जिसने पूरे वातावरण को भर दिया। उस ढोल की हर थाप मेरी आत्मा को छेदती थी और मुझे लगता था कि मेरे सारे डर उड़ गए हैं। एक नया साहस और आशा ने डर की जगह ले ली। मेरा आत्मविश्वास अब मेरी अपनी क्षमताओं पर निर्भर नहीं था, बल्कि येशु मेरे भीतर क्या कर सकते हैं, इस पर निर्भर था। मेरी कमियों के बावजूद ईश्वर का अटल प्रेम मेरे पीछे दौड़ रहा था और अब समय आ गया था कि मैं सब कुछ उनके हवाले कर दूँ। ड्राइविंग प्रशिक्षक के साथ प्रशिक्षण के नए सत्रों को पूरा करने के बाद, हमने घर के सारे सामान समेट लिए और उपनगर में चले गए। मेरे पिता और ससुर ने मेरी ड्राइविंग में बाकी बची कुछ कमियों को दूर करने में मेरी मदद की और मेरी माँ ने मेरे लिए प्रार्थना की। लाइसेंस प्राप्त करने के सात साल बाद, मैं अब रोज़ाना आसानी से गाड़ी चला रही हूँ। हाईवे के पाँच लेन वाले हिस्से पर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से गाड़ी चलाना मुझे हमारे ईश्वर की अथाह शक्ति और दया की निरंतर याद दिलाता है। सारी महिमा, सम्मान और प्रशंसा येशु को मिले, जिसने स्टीयरिंग व्हील संभाला और मेरे परिवार के जीवन को बदल दिया। "जो मुझे बल प्रदान करते हैं, मैं उनकी सहायता से सब कुछ कर सकता हूँ।" – फिलिप्पी 4:13 * सैंतो नीनो डे सेबू शिशु येशु की एक चमत्कारी छवि है, जिसका आदर फिलिपिनो कैथलिक समुदाय द्वारा किया जाता है|
By: मिशेल हेरोल्ड
Moreहमारे पास जो कुछ भी है वह ऊपर से एक उपहार है, लेकिन कभी सोचा है कि जब ईश्वर ने आपको यह दिया तो उसका क्या इरादा था? जब मैं तीन भाइयों में सबसे छोटा था, तब तक मेरा परिवार ख्रीस्तीय परिवार था, लेकिन मेरा परिवार कोई ख्रीस्तीय रीति रिवाज़ का पालन नहीं करता था। मेरे माता-पिता शुरू से कैथलिक नहीं थे, इसलिए मुझे याद है कि प्रोविडेंस कैथलिक हाई स्कूल में एक नए छात्र के रूप में मेरे पहले दिन, मैं बिलकुल डर गया था, क्योंकि कभी किसी पुरोहित या धर्म बहन से मेरी भेंट नहीं हुई थी। मुझे कैथलिक मिस्सा के बारे में कुछ भी नहीं पता था, लेकिन मुझे स्कूल में सभी मिस्साओं में भाग लेने के लिए कहा गया था। मुझे ईश शिक्षा के पाठ्यक्रम में भी हिस्सा लेना था, लेकिन उसके अंतर्गत नियमित रूप से आयोजित बेसबॉल कार्यक्रम में मुझे रूचि थी, इसलिए बेसबॉल खेलने के इरादे से मैं ने ईश शास्त्र की कक्षा में भाग लेने से कोई आपत्ति नहीं जताई। कुछ ढूँढ रहे हो ... 14 साल की उम्र में, मेरे साथियों के सामने विश्वास की बातों को लेकर शर्मिन्दगी का एहसास होने का बड़ा डर मुझे सताता था – मुझे दर था कि मुझसे कैथलिक विश्वास के बारे में बुनियादी सवाल पूछा जाएगा और मैं जवाब नहीं दे पाऊँगा। लेकिन हम नए छात्रों को ईशशास्त्र पढ़ाने वाली सिस्टर मार्गरेट ने कभी भी मुझे असहज नहीं किया। एक दिन कक्षा के बाद, वह मेरे लिए दरवाज़े पर इंतज़ार कर रही थी। मेरा इरादा सीधे उनके बगल से निकल जाने का था, लेकिन उन्होंने मुझे रोका, मेरी आँखों में देखा और कहा: "बर्क, तुम कुछ ढूँढ रहे हो।" मैंने वहाँ से जाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने फिर से मुझे रोका और कहा: "इसे पढ़ो।" उन्होंने मुझे मेरी पहली बाइबल दी। उस शाम, बेसबॉल का अभ्यास, होमवर्क और रात के खाने के बाद, मैं अपने कमरे में गया, दरवाज़े बंद किए और बाइबल से मत्ती के सुसमाचार को पढ़ना शुरू किया। इसने मुझे वास्तव में इस तरह से आकर्षित किया कि यह मेरी आदत बन गई। धीरे-धीरे, ईशशास्त्र मेरी पसंदीदा कक्षाओं में से एक बन गया। पूरे स्कूल केलिए होने वाले मिस्सा समारोहों के दौरान, मैं अपने दोस्तों को परम प्रसाद स्वीकार करने के लिए जाते हुए देखता था और जिस रोटी के टुकड़े को वे ग्रहण कर रहे थे, उसके प्रति उनकी श्रद्धा के बारे में जानने के लिए मैं उत्सुक रहता था। हम कानिष्ठ लोगों के लिए आयोजित एक साधना के अवसर पर, अंतिम दिन के मिस्सा बलिदान के दौरान, परम प्रसाद से मेरी गहन साक्षात्कार हुआ, इसके द्वारा मेरे भीतर ईश्वर की शक्ति का एहसास हुआ। पुरोहित ने हमें परम प्रसाद की अभिषेक प्रार्थना और वितरण के लिए पवित्र वेदी की चारों ओर इकट्ठा किया; मैं पवित्र वेदी के इतने करीब कभी नहीं गया था। परम प्रसाद वितरण के दौरान, पुरोहित परमप्रसाद लेकर हम में से प्रत्येक के पास आये; मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। जैसे ही वे मेरे पास आये और कहा: "ख्रीस्त का शरीर", मेरा इरादा उन्हें यह बताना था कि मैं कैथलिक नहीं हूं। लेकिन यह कहने केलिए जैसे ही मैंने अपना मुंह खोला, उन्होंने परम प्रसाद को मेरी जीभ पर रख दिया। मैंने उस क्षण महसूस किया कि ईश्वर की शक्ति मेरे पूरे शरीर से गुजर रही है। हालाँकि अब मैं जानता हूँ कि बपतिस्मा न पाए हुए व्यक्ति के लिए - यहाँ तक कि जो परम प्रसाद में येशु मसीह की वास्तविक उपस्थिति पर विश्वास नहीं करने वाले बपतिस्मा प्राप्त व्यक्ति के लिए भी – परम प्रसाद ग्रहण करना सही नहीं है, परिस्थितियाँ ऐसी थीं कि मैंने अपना पहला पवित्र संस्कार संयोग से ग्रहण किया! इस घटना ने मेरे जीवन को बहुत गहराई से बदल दिया; मैंने विश्वास के बारे में और अधिक अध्ययन करना शुरू किया, और जब मैं मिसिसिपी चला गया, तब तक मैं एक कैथलिक बन चुका था जो हर दिन वास्तव में येशु मसीह को ग्रहण कर सकता था। उतार-चढ़ाव बेसबॉल अच्छा चल रहा था, और टीम अक्सर राष्ट्रीय स्तर पर रैंक करती थी। अपने अंतिम वर्ष के दौरान, जब मैं ज़ोन में आया, तो मैंने एक ग्रैंड स्लैम मारा (चौका, जो बेसबॉल खेल में बहुत कम लोग मार पाते हैं), जिस के कारण हम कॉलेज वर्ल्ड सीरीज़ में पहुँच गए। मुझे उस टूर्नामेंट का सबसे मूल्यवान खिलाड़ी नामित किया गया। लेकिन अगले तीन खेलों में कुछ त्रुटियों ने सब कुछ खत्म कर दिया। वर्ल्ड सीरीज़ मेजर लीग ड्राफ्ट के दौरान, मेरे आठ साथियों को ड्राफ्ट किया गया, लेकिन मेरे फोन की घंटी नहीं बजी। मैं टूट गया। मैं घर आया और मुझे नहीं पता था कि क्या करना है। मेरे हाई स्कूल के पूर्व बेसबॉल कोच, शिकागो व्हाइट सॉक्स के कोच बन चुके थे। कुछ हफ़्तों बाद उन्होंने मुझे फ़ोन किया और पेशेवर बेसबॉल खेलने के लिए ट्रायल के बारे में बताया। यह मेरे लिए अच्छा रहा, और अगले दिन, मैंने व्हाइट सॉक्स टीम के साथ एक अनुबंध पर हस्ताक्षर किए। लेकिन यह वैसा नहीं हुआ जैसा मैंने योजना बनाई थी। सीज़न के अंत में, उन्होंने कहा: "बर्क, तुम सब कुछ अच्छा करते हो, लेकिन तुम कुछ भी महान नहीं करते, हम महानता की तलाश में हैं।" उन्होंने मेरे अनुबंध को नवीनीकृत नहीं किया। मैं कुछ समय तक कोशिश करता रहा, लेकिन आखिरकार मुझे इस सच्चाई का सामना करना पड़ा कि यह सब खत्म हो चुका है। मैं 23 साल का था और मेरे पास सिर्फ़ गणित की डिग्री थी। किसी ने बताया कि बीमांक विज्ञान (एक्चुरियल साइंस) में करियर बनाना संभव है, इसलिए मैंने वह पढ़ाई की, मुझे नौकरी मिल गई और मैंने खूब पैसे कमाए। लेकिन काम का तनाव इतना कम था कि मैं ऊब गया और मैंने अपनी नौकरी छोड़ दी। ओहियो विश्वविद्यालय से अपनी मास्टर डिग्री पूरी करने के बाद, मुझे एक माइनर लीग बेसबॉल टीम, केन काउंटी कुगर्स, में नौकरी मिल गई। चार साल बाद, मेरे पास दो नौकरियों के प्रस्ताव आये - एक ही समय में बेसबॉल में दो नौकरी! मेरे सपनों के मुताबिक़! मैंने स्टेफ़नी को डेट करना शुरू ही किया था, जिससे मैं स्थानीय गिरजाघर में मिला था। एक रात, हम डिनर के लिए बाहर गए और जब हम रेस्तराँ से निकल रहे थे, तो उसने कहा: "चलो परम प्रसाद की आराधना के लिए गिरजाघर चलते हैं।" हालाँकि मैं कम से कम आठ या नौ साल से कैथलिक था, लेकिन मैंने परम प्रसाद की आराधना के बारे में कभी नहीं सुना था। स्टेफ़नी ने समझाया कि हम परम प्रसाद के संस्कार के सामने एक घंटे की शांत प्रार्थना करेंगे। उस आराधना के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मौन में, हमारी मुलाक़ात ईश्वर से होती है। हम हर मंगलवार की रात को एक घंटे की आराधना के लिए जाने लगे, और मौन से मेरा डर मौन की लालसा में बदल गया। यह मेरे हर सप्ताह का सबसे शांतिपूर्ण घंटा बन गया। और मेरे दिल में, पुरोहित बनने की भावना सतह पर उभरती रही। ऐसा लग रहा था जैसे ईश्वर मुझसे पुरोहित बनने के लिए कह रहा था; बार-बार एक सौम्य निमंत्रण। मेरे परिवार के सदस्य, दोस्त और यहाँ तक कि पूरी तरह से अजनबी लोग भी मेरे पास आने लगे और कहने लगे कि उन्हें लगता है कि तुम एक अच्छा पुरोहित बन सकता हो। मुझे लगा कि पवित्र आत्मा आंतरिक और बाहरी दोनों तरह से काम कर रही है। इसलिए, मैंने स्टेफ़नी से बात की, और उसने मुझसे कहा कि अगर यह मेरी बुलाहट है, तो मुझे इसका पालन करना होगा। मेरा इरादा था कि मैं एक साल के लिए सेमिनरी जाऊँ और फिर स्टेफ़नी के पास लौट आऊँ। लेकिन जैसे ही मैं सेमिनरी के दरवाज़े से अंदर गया, मुझे ऐसी शांति महसूस हुई जो कभी खत्म नहीं हुई। मई 1998 में, जब मैं सेमिनरी का पहला साल पूरा कर रहा था, मुझे अपने पिता का फोन आया और उन्होंने मुझे तुरंत घर जाने के लिए कहा, क्योंकि मेरी माँ को फेफड़ों के कैंसर का पता चला था, जो मस्तिष्क और कलेजे तक फैल गया था। मैंने सब कुछ छोड़ दिया और घर चला गया। कैंसर की बीमारी चौथे चरण पर पहुँच चुकी थी। हालाँकि हम उम्मीद करते रहे, दो महीने बाद, माँ टेलीविजन देखती हुई मेरी बाहों में गिर पड़ी और चली गयी। यह भयानक था। जब मैंने खिड़की से बाहर देखा और ड्राइव वे में अपनी माँ की कार देखी, तो मैंने कल्पना की कि मेरी माँ ईश्वर के आमने-सामने आ रही हैं। ईश्वर उनसे यह नहीं पूछ रहा था कि वह किस तरह की कार चलाती हैं या वह कितना पैसा कमाती हैं, बल्कि इसके बजाय, कुछ और बुनियादी बात पूछ रहा था, जैसे: "क्या तुमने अपने पूरे दिल, दिमाग और आत्मा से अपने ईश्वर से प्यार किया है, और अपने पड़ोसी से अपने जैसा प्यार किया है?" भले ही मेरी माँ, गिरजाघर नहीं जाती थीं, फिर भी उन्होंने हमें ईश्वर के प्यार के बारे में सिखाया था। सबसे बेहतर आनंद मैं आस्था के संकट से गुज़रा। मैंने यह भी सोचा कि क्या मृत्यु के बाद भी जीवन है। मैं अपने जीवन के सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति को मुझसे दूर करने के लिए ईश्वर से नाराज़ था, लेकिन ऐसा हुआ कि ईश्वर ने मुझे इससे बाहर निकाला। मैं सेमिनरी वापस गया और कुछ वर्षों बाद मुझे पुरोहिताई का अभिषेक मिला। मैं ईश्वर का शुक्रिया अदा करता हूँ कि मैं कभी भी बेसबॉल के प्रमुख दलों में नहीं पहुँच पाया, क्योंकि पुरोहित के रूप में मैंने जो आनंद और शांति का अनुभव किया है, वह बेसबॉल के मैदान पर मेरे द्वारा अनुभव की गई किसी भी आनंद से कहीं ज़्यादा है। मैं न केवल शिकागो के बेसबॉल क्लबों के लिए धार्मिक परामर्शदाता रहा हूँ, बल्कि मैंने कैथलिक खेल शिविरों को स्थापित और संचालित किया है, जिनका अब विस्तार हो रहा है। यह ईश्वर का अनोखा तरीका था, जिस तरीके से खेलों में मेरे शौक और मेरी पसंद को आत्मसात करने और इसे अपने सेवा क्षेत्र में लाने की ईश्वर ने मुझे अनुमति दी। ईश्वर हमें एक उद्देश्य के साथ उपहार देता है, और वह चाहता है कि जिन तरीकों से हमने कभी कल्पना भी नहीं की थी, उन तरीकों से हम उनकी महिमा के लिए उन उपहारों का उपयोग करें। ------------------------- फादर बर्क मास्टर्स इलिनोई के हिंसडेल में सेंट आइजैक जोग्स पल्ली में सेवा करते हैं। वे ‘ए ग्रैंड स्लैम फॉर गॉड: ए जर्नी फ्रॉम बेसबॉल स्टार टू कैथलिक प्रीस्ट’ नामक पुस्तक के लेखक हैं।
By: फादर बर्क मास्टर्स
Moreहर क्रिया के साथ, हम एक तीर लक्ष्य की ओर निशाना साध रहे हैं। क्या हम हर बार कहते हैं "अरे निशाने पर सही नहीं गया! क्या मैं इसे फिर से कर सकता हूं?" बातचीत पिछली रात शुरू हुई थी, जैसे कई अन्य बातचीत होती हैं, पूरी तरह से निर्दोष बातचीत। घर के रास्ते पर, मुझे असहजता का एहसास हुआ। उन शब्दों पर विचार करते हुए जो मैंने पहले अपनी दोस्त से साझा किए थे, मुझे लगा कि क्या मैं वही पुराना संकेत महसूस कर रही हूं जो शायद पवित्र आत्मा की ओर से मुझे मिल रहा है। रात के अँधेरे में भी ईश्वर का आत्मा मुझे सलाह देता है, जिसे स्तोत्र 16:7 में वर्णित किया गया है? “मैं अपने परामर्शदाता ईश्वर को धन्य कहता हूँ। रात को भी मेरा अंत:करण मुझे पथ दिखाता है।” गेराज में गाड़ी लगाते हुए, मैंने तुरंत उस विचार को नकार दिया... आखिरकार, यह महिला कुछ अन्य महिलाओं के साथ कुछ समस्या का सामना कर रही थी, इसलिए उसने उन समस्याओं को लेकर मुझसे संपर्क किया, और मैं अपनी प्रतिक्रिया में सहानुभूति और समझदारी दिखाने की कोशिश कर रही थी। अगली सुबह, हालांकि, यह स्पष्ट था कि स्तोत्रकार का अनुभव अब मेरा था: प्रभु वास्तव में “मेरा परामर्शदाता ईश्वर मुझे परामर्श देता है; रात को भी मेरा अंत:करण मुझे पथ दिखाता है।” मुझे कुछ साल पहले शब्दों की शक्ति के बारे में मैंने जो सीखा था, जागते ही वह तुरंत याद आया। हाँ, जो कुछ मैंने पिछली रात साझा किया था, वह सत्य था। यह उस संदर्भ में सहायक भी था, जो मेरी इस व्यक्ति के साथ संबंधों के संदर्भ में था। मेरी प्रतिक्रिया प्रेरणादायक नहीं थी! अफसोस, इसे आवश्यक भी नहीं कहा जा सकता था! सौभाग्य से, मेरा आंकलन सकारात्मक नोट पर समाप्त हुआ, क्योंकि मेरी टिप्पणियों को दयालु माना जा सकता था, क्योंकि जब हम अपनी दोस्त की चिंताओं पर चर्चा कर रहे थे, तब मैंने इन महिलाओं के उन सुंदर गुणों को याद किया। जैसे हम में से अधिकांश किसी न किसी विशेष प्रकार का आइस क्रीम या अन्य पसंदीदा भोजन के स्वाद का बार-बार आनंद लेते हैं, वैसे ही हम में से कुछ के पास एक विशेष पाप होता है जिसका बार-बार स्वाद लेने का हमारा मन करता है। (एक कहानी याद आती है कि एक व्यक्ति पुरोहित के पास जाकर हर बार पाप स्वीकार में यह कहता है कि वह अशुद्ध विचारों में उलझा हुआ था...पुरोहित पूछते हैं: “क्या आपने उन विचारों के साथ रहकर पाप किया ?” पाप स्वीकार करनेवाला व्यक्ति जवाब देता है: “नहीं, लेकिन उन विचारों ने मेरे साथ रहकर पाप किया होगा!”) मैंने महसूस किया कि मैंने अपने विशेष 'स्वाद' वाले पाप के सामने समर्पण कर दिया था, जिसे मैं अक्सर स्वीकार करती थी, लेकिन फिर भी उसे दोहराती रहती थी... लेकिन जैसा कि कहानी में उस आदमी के पापस्वीकार से हमें हंसी आती है, उसी तरह मेरे पापस्वीकार के बारे में सोचकर मुझसे उस तरह की हंसी नहीं निकलती! अपने इस द्वंद्व पर विचार करते हुए, मैंने सोचा कि समान स्थिति में क्या कोई और इस तरह की सोच रख सकते हैं... किसी और का 'पसंदीदा पाप' क्या हो सकता है? क्या उन्होंने भी उसे बार-बार ईश्वर, पुरोहित या यहां तक कि किसी ऐसे दोस्त के सामने, जिसे वे विश्वास करते हैं, इस तरह बार बार पाप स्वीकार किया होगा,? बचपन से बड़े होने के पल बाइबिल में 'पाप' शब्द का यूनानी अनुवाद 'हमार्टानो' है, जिसका मतलब है कि एक व्यक्ति तीर चला रहा है, लेकिन निशाना चूक जाता है। जो व्यक्ति निशाने से चूकता था, उसे पापी कहा जाता था। मेरी सारी कोशिशों के बावजूद, मैं भी निशाने से चूक गयी थी! उस सुबह ईश्वर से बात करने के बाद, मैंने अपनी दोस्त को संदेश भेजा। माफी मांगने के लिए टाइप करते हुए एक ऐसा विचार जो मेरे मन में आया उसे भी साझा करने के बाद, मुझे अंततः अपने 'हमार्टानो' की जड़ समझ में आई। मैंने अपने संदेश में लिखा: “मेरे शब्दों का उपयोग करने और लोगों के साथ कहानियाँ और बातचीत साझा करने की मस्ती मुझ पर हावी थी, जिसके कारण मुझे अनावश्यक और प्रेरणा न देनेवाले कार्यों के लिए इसका उपयोग करने की अपनी इच्छाओं को मैं रोक नहीं पाती थी।” मैंने संदेश समाप्त करते हुए अपनी दोस्त से कहा कि अगर मैं भविष्य में इन 'सीमाओं' से बाहर जाऊं, तो वह मुझे जवाबदेह ठहराए। मुझे जल्द ही जवाब में एक संदेश मिला: "चाहे हम कितने भी समय से येशु के साथ चल रहे हों, हमारे पास हमेशा और प्रगति करने के अवसर होते हैं। तुम माफ़ किए गए हो! मैं सहमत हूँ कि हमारी बातचीत जितनी देर तक चली, उतनी लंबी नहीं होनी चाहिए थी, जिससे हम एक खतरनाक क्षेत्र में पहुंच गए थे। मैं उन परिस्थितियों के प्रति अधिक सचेत रहने की पूरी कोशिश करूंगी और जरूरत पड़ने पर तुम्हें जवाबदेह ठहराऊँगी, और तुम्हारे लिए भी वही करने की उम्मीद करती हूं। प्रभु का धन्यवाद कि उसने हमें अपनी कृपा और दया से दिखाया, और हमें यह समझाया कि हमें कहां बेहतर करने की आवश्यकता है।" मेरी दोस्त की कृपालु प्रतिक्रिया और ईमानदारी की सराहना करते हुए, मुझे 'बेहतर करने' की प्रेरणा मिली! मुझे एहसास हुआ कि चूंकि यह स्पष्ट है कि हमारे भीतर कुछ ऐसा है, जिसे हम अपने सामान्य प्रलोभन में शामिल होकर या उसे बढ़ावा देकर पोषित कर रहे हैं, इसलिए इस परिणामी व्यवहार की जड़ तक पहुंचना अनिवार्य है। पवित्र आत्मा से यह जड़ हमारे सामने प्रकट करने के लिए कहने से, हमें यह समझने में मदद मिलती है कि हम इस क्षेत्र में बार-बार निशाना क्यों चूकते हैं। हमारे साथ अतीत में क्या हुआ था, जिसके कारण हमारे अंदर एक खालीपन पैदा हो गया था, जिसे हम अपने पाप के स्वाद से भरना चाहते हैं? इस भोग-विलास से हम किस ज़रूरत या इच्छा को पूरा कर रहे हैं? क्या हमारे टूटेपन के कारण कोई घाव सड़ रहा है, जिसे भरने की ज़रूरत है? हम किस तरह की स्वस्थ प्रतिक्रिया पर विचार कर सकते हैं, जिससे न केवल दूसरों को चोट पहुँचने से रोका जा सके, बल्कि हम अपनी कमज़ोरियों में खुद के प्रति करुणा और अनुग्रह भी दिखा सकें? यह जानते हुए कि हमें ‘अपने पड़ोसी से अपने समान प्रेम करना है, दूसरों से प्रेम करने की कोशिश करने से खुद से भी प्रेम करने की ज़रूरत बढ़ती है, है न? बोयें, उगाएं और छांटें कभी-कभी, हम सालों तक एक ही व्यवहार में बने रहते हैं। मेरी दोस्त के अन्दर जवाब देने का साहस था, लेकिन बहुत से लोगों के पास ऐसा साहस नहीं होता है, इस कारण, हम ऐसे पैटर्न में बने रहते हैं जो पवित्र आत्मा के प्रयासों को सीमित करते हैं ताकि हम मसीह की प्रतिछाया के अनुरूप बन सकें। हम बदलने की कोशिश कर सकते हैं, लेकिन जब तक हम पर्याप्त रूप से प्रेरित नहीं होते हैं, शायद किसी और को अपना जवाबदेही के भागीदार बनाने के द्वारा, हम हार मान सकते हैं और अपनी पसंद के स्वाद पर वापस जा सकते हैं। चाहे वह रॉकी रोड आइसक्रीम हो, या मेरे द्वारा अनावश्यक शब्दों का चयन, प्रभु चाहते हैं कि हम जानें कि यदि हम उनकी आत्मा को हमें अन्य विकल्पों की ओर ले जाने देते हैं तो हमारा जीवन और हमारे आस-पास के अन्य लोगों का जीवन कितना अधिक सुखद हो सकता है । मुझे पता था कि जिस प्रवृत्ति में मैं इतनी आसानी से फंस गयी थी, उसको बदलने का तरीका खोजने की मुझे ज़रूरत है। जब मेरी दोस्त ने देखा कि मैं फिर से उस परिचित रास्ते पर चलना शुरू कर रही हूँ, तब मैंने उससे जवाबदेह होने में मेरी मदद करने के लिए कहा। चूँकि पाप से बचने के हमारे सभी प्रयास येशु के चरित्र का बेहतर अनुकरण करने की ओर ले जाते हैं, इसलिए गलाती 5:22-23 मेरे मन में आया। मैं पाप के अपने विशेष स्वाद के बजाय आत्मा के फलों में से किसी एक के साथ अपनी भूख को संतुष्ट करना चुन सकती थी। प्रेम, आनंद, शांति, सहनशीलता, मिलनसारी, दयालुता, भलाई, ईमानदारी, सौम्यता और आत्म-संयम के फल उत्पन्न करना येशु मसीह के समान बनने केलिए हमारे प्रयासों में पवित्र आत्मा के साथ हमारी भागीदारी का प्रमाण है। अभ्यास से परिपूर्णता नहीं मिलती, लेकिन यह प्रगति जरूर करता है! इन गुणों में से किसी एक का अभ्यास करने की दिशा में अपने इरादे को निर्देशित करके मुझे पता था कि मैं अंततः धार्मिकता का फल देखूंगी। प्रत्येक फल एक बीज बोने से शुरू होता है, फिर अंततः जब तक कि हम सही प्रकार का फल नहीं देखते, तब तक खाद देकर, उगाकर और छंटाई की जाती है। इस बीच, मैं अपने मन को अनुस्मारकों से खाद देना शुरू करूँगी, ऐसी कहावत के द्वारा: "शब्द तीर की तरह होते हैं; एक बार कमान से छोड़े जाने के बाद उन्हें वापस नहीं बुलाया जा सकता।" जब मैं अपने व्यवहार की जड़ जानती हूँ, और मैंने अपनी मित्र को मुझे जवाबदेह ठहराने के लिए आमंत्रित किया है, तब मैं आत्म-नियंत्रण का अभ्यास करने पर ध्यान केंद्रित करने का विकल्प चुन रही हूँ, जैसा कि मेरी मित्र ने बहुत ही संक्षेप में बताया, उसी तरह जब मुझे लगता है कि दूसरे लोग हमें 'खतरनाक क्षेत्र में डाल रहे हैं', तब उनके साथ बातचीत समाप्त कर रही हूँ। यह देखने और चखने के बाद कि प्रभु अच्छे हैं, मैं जानती हूँ कि केवल वही वास्तव में मेरे दिल की इच्छाओं को पूरा कर सकते हैं। स्तोत्र 16:8 आगे कहता है: "मैं प्रभु को सदा अपनी आँखों के सामने रखता हूँ; वह मेरे दाहिने विराजमान है, मैं विचलित नहीं होऊँगा।" मैं लक्ष्य पर निशाना लगाने के लिए एक बार फिर अपना तीर उठाती हूँ। प्रभु की कृपा से, समय के साथ, मेरा तीर निशाने के करीब पहुँच जाएगा। येशु की शिष्य बनने के लिए प्रतिबद्ध, मैं अपने स्वर्ग रुपी घर का मार्ग येशु का अनुसरण करूँगी। निश्चय ही तेरी भलाई और तेरी कृपा से मैं जीवन भर घिरा रहता हूँ। मैं चिरकाल तक प्रभु के मंदिर में निवास करूँगा। (स्तोत्र 23:6)
By: करेन एबर्ट्स
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