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पृथ्वी पर हमारे जीवन में विपत्तियाँ आती रहती हैं, लेकिन ईश्वर ऐसा क्यों होने देता है?
लगभग दो साल पहले, मैं अपने खून की वार्षिक जांच के लिए गयी थी और जब जांच का परिणाम आया, तो मुझे बताया गया कि मुझे ‘मायस्थेनिया ग्रेविस’ बीमारी है। बढ़िया नाम! लेकिन न तो मैंने और न ही मेरे किसी मित्र या परिवार ने इसके बारे में कभी सुना था।
मैंने उन सभी संभावित भयावहताओं की कल्पना की जो आगे के समय में मेरे लिए हो सकती हैं। निदान के समय, मैं 86 की थी। इतने वर्षों तक जीवन के अंतर्गत, मेरे जीवन में मुझे कई झटके लगे थे। छह लड़कों का पालन-पोषण चुनौतियों से भरा था, और ये चुनौतियां तब भी जारी रहीं जब मैंने उन्हें अपने अपने परिवार को बनाते और बढाते देखा। मैं कभी निराश नहीं हुई; पवित्र आत्मा की कृपा और शक्ति ने मुझे हमेशा वह शक्ति और विश्वास दिया जिसकी मुझे आवश्यकता थी।
आखिरकार मैं ‘मायस्थेनिया ग्रेविस’ के बारे में अधिक जानने के लिए श्रीमान गूगल महोदय पर निर्भर हो गयी और क्या हो सकता है, इसके बारे में कुछ पन्नों को पढ़ने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मुझे बस अपने डॉक्टर पर भरोसा करना होगा। बदले में, मेरे डॉक्टर ने मुझे एक विशेषज्ञ के हाथों में सौंप दिया। मैं नए नए विशेषज्ञों के साथ एक कठिन रास्ते से गुजरी, गोलियाँ बदली, अस्पताल के अधिक चक्कर काटे, और अंततः मुझे अपना ड्राइविंग लाइसेंस छोड़ना पड़ा। द्रविंग लाइसेंस के बिना मैं आगे का जीवन कैसे जी पाऊंगी? मैं ही वह व्यक्ति थी जो दोस्तों को विभिन्न कार्यक्रमों में ले जाती थी।
अपने डॉक्टर और परिवार के साथ बहुत चर्चा करने के बाद, मुझे आखिरकार एहसास हुआ कि नर्सिंग होम में दाखिला लेने के लिए अपना नाम दर्ज कराने का समय आ गया है। मैंने टाउन्सविले में लोरेटो नर्सिंग होम को चुना क्योंकि वहां मुझे अपने विश्वास को पोषित करने के अवसर मिलेंगे। मुझे कई राय और सलाह का सामना करना पड़ा – सभी वैध, लेकिन मैंने पवित्र आत्मा से मार्गदर्शन के लिए प्रार्थना की। मुझे लोरेटो होम में स्वीकार कर लिया गया और मुझे जो भी प्रस्ताव दिये गये थे, उन्हें स्वीकार करने का मैंने मन बना लिया। यहीं पर मेरी मुलाकात फेलिसिटी से हुई।
कुछ साल पहले, टाउन्सविले में बाढ़ आई थी। 100 साल में एक बार हुई इस बाढ़ में टाउन्सविले का एक नया उपनगर पानी में डूब गया था, जिसमें ज़्यादातर घर जलमग्न हो गए थे। फेलिसिटी का घर, उपनगर के बाकी घरों की तरह, बहुत नीचे था, इसलिए उसके पूरे घर में लगभग 4 फ़ीट पानी भर गया था। जब टाउन्सविले में फ़ौज की छावनी के सैनिकों ने बड़े पैमाने पर सफाई का काम संभाला, तो सभी निवासियों को किराए पर वैकल्पिक आवास ढूँढ़ना पड़ा। फ़ेलिसिटी अगले छह महीनों के दौरान तीन अलग-अलग किराये के मकानों में रही, साथ ही सैनिकों की मदद करने और अपने घर को फिर से रहने लायक बनाने की दिशा में काम करती रही।
एक दिन, उसे अस्वस्थ महसूस होने लगा और उसके बेटे, ब्रैड ने डॉक्टर को फ़ोन किया। डॉक्टर ने सलाह दी कि अगर हालात ठीक न हों तो उसे अस्पताल ले जाना चाहिए। अगली सुबह, ब्रैड ने उसे फर्श पर लेटी हुई पाया। फ़ेलिसिटी का चेहरा सूजा हुआ था। ब्रैड ने तुरंत एम्बुलेंस बुलाया। कई परीक्षणों के बाद, उसे ‘एन्सेफेलाइटिस’, ‘मेलियोइडोसिस’ और ‘इस्केमिक अटैक’ का पता चला और वह हफ़्तों तक बेहोश रही।
छह महीने पहले वह जिस दूषित बाढ़ के पानी में से होकर चलती थी, पता चला कि उसी की वजह से उसकी रीढ़ की हड्डी और मस्तिष्क में संक्रमण हो गया था। जैसे-जैसे वह होश में आती-जाती रही, फेलिसिटी को एक तरह से मौत का अनुभव हुआ:
“जब मैं बेहोश पड़ी थी, मैंने महसूस किया कि मेरी आत्मा मेरे शरीर को छोड़ रही है। यह पानी में तैर कर बाहर आई और एक खूबसूरत आध्यात्मिक स्थान पर बहुत ऊपर उड़ गई। मैंने देखा कि दो लोग मेरी ओर देख रहे हैं। मैं उनकी ओर गई। वे मेरे माता-पिता थे – वे बहुत युवा लग रहे थे और मुझे देखकर बहुत खुश थे। जब वे एक तरफ खड़े हुए, तो मैंने कुछ अद्भुत देखा, प्रकाश का एक आश्चर्यजनक चेहरा। यह परमेश्वर पिता था। मैंने हर जाति, हर नस्ल, हर देश के लोगों को जोड़े में चलते देखा, कुछ ने एक दुसरे के हाथ थामे हुए थे।
जब मैं उठी, तो यह सोचते हुए कि मैंने शांति और प्रेम की उस खूबसूरत जगह को छोड़ दिया, मैं निराश थी। मैं उस जगह को स्वर्ग मान रही थी। अस्पताल में बिताई गई पूरे समय के दौरान मेरी आत्मिक देखभाल करने वाले पुरोहित ने कहा कि जागने पर जिस प्रकार की प्रतिक्रया मैं ने की थी उस प्रकार की प्रतिक्रया उन्होंने कभी किसी को करते नहीं देखा।”
फेलिसिटी कहती है कि उसे हमेशा से ही विश्वास था, लेकिन असंतुलन और अनिश्चितता का यह अनुभव ईश्वर से यह पूछने के लिए पर्याप्त था: “प्रभु, तू कहाँ है?” 100 साल में एक बार आनेवाली बाढ़ का आघात, उसके बाद की व्यापक सफाई, किराए के मकान में रहती हुई अपने घर के पुनर्निर्माण में बिताए गए महीने, यहाँ तक कि अस्पताल में बिताए गए नौ महीने – जिसके बारे में उसे बहुत कम याद है – इन सबके कारण उसके विश्वास की मृत्यु हो सकती थी। लेकिन वह मुझे दृढ़ विश्वास के साथ बताती है: “मेरा विश्वास पहले से कहीं ज़्यादा मज़बूत हो गया है।” वह याद करती है कि यह उसका विश्वास ही था जिसने उसे जिस दौर से वह गुज़री उससे निपटने में मदद की: “मुझे लगता है कि मैं बच गई और वापस आ गई, ताकि अपनी खूबसूरत पोती को कैथलिक हाई स्कूल में जाते और बारहवीं कक्षा पूरी करते देख सकूँ। अब वह विश्वविद्यालय जा रही है!”
विश्वास सभी चीज़ों पर भरोसा करता है, सभी चीज़ों को ठीक करता है, और विश्वास कभी खत्म नहीं होता।
फेलिसिटी के कारण ही मुझे एक ऐसे सामान्य प्रश्न का उत्तर मिला जिसका सामना हम सभी को जीवन में कभी न कभी करना पड़ सकता है: “ईश्वर क्यों बुरी घटनाओं को होने देते हैं?” मैं कहूंगी कि ईश्वर हमें स्वतंत्र इच्छाशक्ति देता है। मनुष्य बुरी घटनाओं को अंजाम दे सकते हैं, बुरे काम कर सकते हैं, लेकिन हम परिस्थिति को बदलने, मनुष्यों के दिलों को बदलने के लिए ईश्वर को पुकार भी सकते हैं।
सच तो यह है कि अनुग्रह की पूर्णता में, वह प्रतिकूल परिस्थितियों में भी अच्छाई ला सकता है। जिस तरह से वह मुझे फेलिसिटी से मिलने और उसकी खूबसूरत कहानी सुनने के लिए नर्सिंग होम में ले गया, और जिस तरह से फेलिसिटी ने अस्पताल में अंतहीन महीनों बिताने के दौरान विश्वास में ताकत पाई, ईश्वर आपकी प्रतिकूलताओं को भी अच्छाई में बदल सकता है।
एलेन लुंड is a mother of six lovely sons, one of whom watches over his family from heaven. She was involved in the Catholic Women's League for 60 years and currently lives in aged care in Townsville, Australia.
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