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जनवरी 13, 2025 30 0 डीकन जिम मैकफैडेन
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मसीहियो, आगे आएं और अपने अस्तित्व को साबित करें!

एक सच्चा मसीही कभी भी अन्याय या द्वेष के प्रति आंख मूँद नहीं सकता।

रिंगो स्टार ने एक बार गाया था:

“अगर आपको गमगीन गीत गाने हैं,
तो अपनी कीमत चुकानी होगी
और आप जानते हैं, यह आसान नहीं होता।”

यदि हम येशु के मार्ग का अनुसरण करने जा रहे हैं, तो हमें इसके कठिन और अक्सर चुनौतीपूर्ण परिणामों को स्वीकार करने के लिए तैयार रहना होगा।

चुनाव और परिणाम

येशु ने पहले ही भविष्यवाणी की थी कि उनके शिष्यों को कोड़े मारे जाएंगे, राज्यपालों के सामने उन्हें घसीटा जाएगा, परिषदों को सौंपा जाएगा, एक नगर से दूसरे नगर भागने पर मजबूर किया जाएगा, समाज से बहिष्कृत किया जाएगा और उनसे नफरत की जाएगी — सिर्फ इसलिए क्योंकि वे उनसे जुड़े हुए हैं। तो फिर उन्हें उत्पीडन पर आश्चर्य क्यों होना चाहिए? आखिरकार, येशु के साथ भी यही सब किया गया था। येशु का क्रूस उनके अनुयायियों का भी क्रूस होगा। सताव अपरिहार्य है। जैसा कि किसी ने कहा था: “अगर आप येशु का अनुसरण करने जा रहे हैं, तो आप जंगल का जीवन जीने के लिए तैयार रहिए।”

क्यों? साधारण शब्दों में, एक मसीही — जो बलिदानी और आत्म-त्यागपूर्ण प्रेम का चिन्ह है, और जो न्याय और शांति को बढ़ावा देता है — हमारे समाज की प्रचलित चेतना और मूल्यों को सवालों के घेरे में लाता है। इस दुनिया के झूठे साम्राज्य का आधार इस भ्रामक विचार पर खडा है कि कोई व्यक्ति सांसारिक वस्तुओं को प्राप्त करके खुश हो सकता है; इसलिए हम धन, प्रतिष्ठा और प्रशंसा, नियंत्रण और हेरफेर, और भोगवादी सुख के प्रतिमानों का पीछा करते हैं। हमारे समाज में इसे अत्यधिक उपभोक्तावाद, राष्ट्रवाद, स्वायत्त व्यक्तिवाद, और स्वतंत्रता की विकृत समझ के रूप में देखा जाता है, जो बाहरी बंधनों से मुक्त होने के रूप में परिभाषित की जाती है। यह झूठा साम्राज्य, जो अहंकार का सामूहिक विस्तार है, सुसमाचार को दबाने की ज़रुरत महसूस करता है, क्योंकि वह जानता है कि यदि ऐसा नहीं हुआ, तो उसका अंत निश्चित है। इसीलिए येशु के अनुयायियों का सताव किया जाता है।

जब हमें इतनी शत्रुता, क्रोध और विद्वेष का सामना करने केलिए मजबूर किया जाता है, तब हमारी सोच इस तरह हो जाती हैं: “मैं गिरजाघर जाता हूं, नियमों का पालन करता हूं; फिर मुझे प्यार और प्रशंसा क्यों नहीं मिलती? यह नकारात्मक प्रतिक्रिया क्यों हो रही है?” हम मन में यह विचार ला सकते हैं कि सत्य को थोड़ा नरम तरीके से प्रस्तुत करना बेहतर होगा। आखिरकार, मैं खुद को और अपने प्रियजनों को इस तरह की कठिनाई में क्यों डालूं? हम सोच सकते हैं, क्यों न हम ‘वश में किया गया मसीही धर्म’’ या ‘हल्का कैथलिक धर्म’ को अपना लें, जिसमें हम अपने स्थानीय समाज की प्रचलित चेतना के साथ तालमेल बिठाते हुए इसके धर्मनिरपेक्ष मूल्यों को अपना लें और उनका समर्थन करें।

लेकिन यदि हम अपनी संस्कृति की मूर्तिपूजक प्रथाओं की निंदा नहीं करते — जैसे अमीरों द्वारा गरीबों का शोषण, नस्लवाद का जहर, और सांसारिक सत्ता का उपयोग करनेवाले लोगों की झूठ और कपट — तो क्या हम इस कायरता के साथ जी सकते हैं? क्या हम अपने बपतिस्मा की प्रतिज्ञाओं के प्रति सच्चे रह सकते हैं, जिसमें हमें पुरोहित, नबी, और राजा के रूप में अभिषेक किया गया था? मसीह के शरीर के सदस्य के रूप में, हममें से प्रत्येक को अपने शब्दों और कार्यों के द्वारा सुसमाचार के मूल्यों की गवाही देने के लिए बुलाया गया है। और इसका अर्थ यह हो सकता है कि कभी-कभी हमें अपने परिवारों, अपने कार्यस्थलों और व्यापक समाज में एक ‘विरोधाभास का चिन्ह’ बनना पड़ेगा।

एकमात्र मार्ग

यदि हम सामान रूपी हलके, सुरक्षित और आराम की ज़िन्दगी जी रहे कैथलिक बन जाते हैं, तो हम वही बन जाएंगे जिनका वर्णन टी.एस. इलियट ने किया है: ” जीवित लेकिन आंशिक रूप से जीवित।” हमारे पास दो विकल्प हैं: या तो एक आत्मकेंद्रित और स्वार्थी जीवन जीयें, या येशु के मार्ग को अपनाएं, जिसमें येशु केंद्र बिंदु हैं, हमारा जीवन उनके लिए है, और नियंत्रण उन्हीं के हाथों में है। हम एक ही समय दोनों रास्तों पर नहीं चल सकते। जैसा कि हमारे प्रभु स्पष्ट रूप से कहते हैं: ” जो मेरे साथ नहीं है, वह मेरा विरोधी है; और जो मेरे साथ नहीं बटोरता, वह बिखेरता है|” (मत्ती 12:30)

जिस प्रकार एक बीज जड़ों को विकसित करके सूर्य की प्रचंड गर्मी का सामना करता है, उसी प्रकार हमें भी विश्वास की गहराइयों को जानने और थामे रहने की आवश्यकता है। यह केवल गहरी और स्थायी प्रार्थना जीवन, दैनिक रूप से धर्मग्रन्थ और परंपराओं पर चिंतन, संस्कारों में सक्रिय भागीदारी – विशेष रूप से पाप स्वीकार और पवित्र यूखरिस्त – और दूसरों की सेवा — खासकर उनकी सेवा जो सबसे कमजोर हैं — इसके माध्यम से ही हम अपनी आस्था के जीवन को विकसित कर सकते हैं

विश्वास की इन गहरी वास्तविकताएँ हमेशा इस बात को समझने में निहित है कि हम वास्तव में कौन हैं — अर्थात, हम ईश्वर के प्रिय पुत्र पुत्रियां, जिन्हें त्रिएक ईश्वर के साथ एकता में और अपने भाइयों और बहनों के साथ एकजुटता में रहने के लिए बनाये गए हैं। जो लोग अपनी अपनी आत्मा से जुड़े हुए हैं और जिन्होंने खुद को ईश्वर के प्रेम की ऊर्जा में स्थिर किया है, केवल वही लोग येशु का अनुसरण करने के परिणामों को स्वीकार कर पायेंगे। केवल वे ही सताव का सामना करने में साहस और दृढ़ता दिखा पाएंगे।

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डीकन जिम मैकफैडन कैलिफोर्निया के फोल्सम में स्थित सेंट जॉन द बैपटिस्ट कैथलिक चर्च में सेवा देते हैं। वे प्रौढ़ विश्वास निर्माण, बपतिस्मा की तैयारी के लिए प्रशिक्षण, आध्यात्मिक निर्देशन, और कारावास सेवा में कार्यरत हैं।

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डीकन जिम मैकफैडेन

डीकन जिम मैकफैडेन कैलिफोर्निया के फोल्सम में स्थित सेंट जॉन द बैपटिस्ट कैथलिक चर्च में सेवा देते हैं। वे प्रौढ़ विश्वास निर्माण, बपतिस्मा की तैयारी के लिए प्रशिक्षण, आध्यात्मिक निर्देशन, और कारावास सेवा में कार्यरत हैं।

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