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यह अनुमान लगाना आसान नहीं है कि भविष्य में आप सफल होंगे या अमीर होंगे या प्रसिद्ध होंगे, लेकिन एक बात पक्की है- अंत में मृत्यु आपका इंतजार कर रही है।
इन दिनों मेरा काफी समय मरने की कला का अभ्यास करने में व्यतीत हो रहा है। मैं कहना चाहूँगा कि जब से मुझे यह एहसास हुआ है कि मैं समय के तराजू के भारी छोर पर पहुँच गया हूँ, तब से मैं इस अभ्यास के हर पल का आनंद ले रहा हूँ, ।
मैं सचमुच सत्तर साल की उम्र पार कर चुका हूँ, और इसलिए मैं गंभीरता से सोचता हूँ: मैंने अपनी मृत्यु की अनिवार्यता के लिए क्या सकारात्मक तैयारी की है? मैं कितना बेदाग जीवन जी रहा हूँ? क्या मेरा जीवन जितना संभव हो सकता है, पाप से, विशेष रूप से शरीर के पापों से मुक्त है? क्या मेरा अंतिम लक्ष्य मेरी अमर आत्मा को अनंत नरक से बचाना है?
ईश्वर ने अपनी दया से मुझे जीवन के इस खेल में ‘अतिरिक्त समय’ दिया है, ताकि मैं अपने मामलों (विशेष रूप से आध्यात्मिक मामलों) को व्यवस्थित कर सकूँ, इससे पहले कि मैं चोटी पर पहुँच जाऊँ और मृत्यु की घाटी की छाया में चला जाऊँ। मेरे पास इन्हें सुलझाने के लिए जीवन भर से ज़्यादा समय था, लेकिन कई लोगों की तरह, मैंने जीवन की सबसे महत्वपूर्ण चीज़ों की उपेक्षा की, और मूर्खतापूर्ण तरीके से अधिक धन, सुरक्षा और तत्काल संतुष्टि की तलाश करना पसंद किया। मैं यह नहीं कह सकता कि मैं अपने प्रयासों में कहीं भी सफल हूँ क्योंकि जीवन के विकर्षण मुझे मेरी वृद्धावस्था के बावजूद परेशान करते रहते हैं। यह निरंतर संघर्ष हमेशा बहुत कष्टप्रद और पीड़ादायक होता है, फिर भी जब कोई व्यक्ति अभी भी प्रलोभन में आ सकता है, तब ऐसी व्यर्थ भावनाएँ बहुत निरर्थक होती हैं।
मेरे कैथलिक पालन-पोषण के बावजूद, और ईश्वर की और से ‘मृत्यु का दूत’ जब मेरे कंधे पर वह अपरिहार्य थपकी देगा, तब उसको स्वीकार करने और उसका इंतजार करने के आग्रह के बावजूद, मैं अभी भी राजा के उस पत्र का इंतजार कर रहा हूं जिसमें मुझे ‘बड़े शून्य’ पर पहुंचने पर बधाई दी जायेगी। बेशक, मेरी उम्र के कई लोगों की तरह, मैं अपने सांसारिक अस्तित्व को लम्बा खींचने में मदद करने के लिए दवाओं, स्वच्छता और शुचिता के नुस्खे, विशेष परहेज या किसी भी अन्य यथासंभव तरीके से किसी भी प्रोत्साहन को अपनाकर अपरिहार्य को टालने की कोशिश कर रहा हूं।
मृत्यु सभी के लिए अपरिहार्य है, यहां तक कि संत पापा केलिए भी, हमारी प्यारी चाची बियाट्रीस केलिए और राजघरानों के लिए भी। लेकिन हम जितने लंबे समय तक उस अपरिहार्य को टालने का प्रयास करते हैं, उतनी ही अधिक आशा की किरण हमारे मानस में धुंधली धुंधली चमकती है—कि हम उस लिफ़ाफ़े को आगे बढ़ा सकते हैं, उस गुब्बारे में एक और सांस भर सकते हैं, और उसे उसकी सबसे बाहरी सीमा तक फैला सकते हैं। मुझे लगता है, एक तरह से, यह मृत्यु की तारीख को सफलतापूर्वक आगे बढ़ाने का उत्तर भी हो सकता है—वह सकारात्मकता, अमरता के प्रति वह प्रतिरोध। मैंने हमेशा सोचा है कि यदि मैं किसी भी तरह से अनुचित करों को टाल सकता हूं, तो फिर दूसरी निश्चितता, अर्थात् मृत्यु को टालने का प्रयास क्यों न करूं?
संत अगस्तीन मृत्यु को “ऋण जिसे चुकाना ही होगा” कहकर संदर्भित करते हैं। महाधर्माध्यक्ष एंथनी फिशर आगे कहते हैं: “जब मृत्यु की बात आती है, तो जिस तरह आधुनिक जमाने में लोग कर चोरी में लगे रहते हैं, उसी तरह हमारी वर्तमान संस्कृति भी बुढ़ापे, कमज़ोरी और मृत्यु को नकारने में लगी रहती है।”
यही बात फिटनेस जिम के लिए भी लागू होती है। मैंने पिछले हफ़्ते ही सिडनी के बाहर पश्चिमी उपनगर में हमारे अपेक्षाकृत छोटे समुदाय में पाँच फिटनेस जिम प्रतिष्ठानों की गिनती की। फिट और स्वस्थ रहने की यह उन्मत्त इच्छा अपने आप में नेक और सराहनीय है, बशर्ते हम इसे बहुत गंभीरता से न लें, क्योंकि यह हमारे जीवन के हर पहलू को नुकसान पहुँचा सकती है। और कभी-कभी, यह आत्ममुग्धता की ओर ले जा सकती है और ले जाती भी है। हमें अपनी क्षमता और प्रतिभा पर भरोसा होना चाहिए लेकिन विनम्रता के सद्गुगुण को ध्यान में रखना चाहिए जो हमें वास्तविकता से जुड़ा रखता है, ताकि हम सामान्य जीवन के लिए ईश्वर के दिशा-निर्देशों से बहुत दूर न भटक जाएँ।
हम लोग उम्र को बढाने और मृत्यु को नियंत्रित करने की कोशिश भी करते हैं, इसलिए वे सौन्दर्य प्रसाधन सामग्रियों का अत्यधिक उपयोग और मेडिकल अतिरेक, तरल नाइट्रोजन का उपयोग करके शीत संरक्षण (क्रायो-प्रिजर्वेशन), प्रत्यारोपण के लिए अवैध रूप से चुराए गए अंगों या इच्छामृत्यु के कृत्य द्वारा प्राकृतिक मृत्यु को मात देने के सबसे शैतानी तरीके के माध्यम से हमारी अपनी शर्तों पर होते हैं… जैसे कि हमारे जीवन को समय से पहले खत्म करने वाली दुर्घटनाएँ पर्याप्त नहीं हैं।
फिर भी, अधिकांश लोग मृत्यु के विचार से डरते हैं। यह अधीर करनेवाला, भ्रमित करने वाला और निराशाजनक हो सकता है, क्योंकि यह हमारे सांसारिक जीवन का अंत होगा, लेकिन उन सभी ‘दुनिया के अंत’ या कयामत की भावनाओं को बदलने और आशा, खुशी, सुखद प्रत्याशा और आनंद का एक नया क्षितिज खोलने के लिए बस एक सरसों के दाने भर विश्वास की आवश्यकता होती है।
इस लोक में जीवन के बाद ईश्वर के साथ जीवन और उससे जुड़ी सभी चीज़ों में विश्वास के साथ, मृत्यु बस एक ज़रूरी दरवाज़ा है जिसे हमें स्वर्ग के बारे किये गए सभी वादों में हिस्सा लेने के लिए खोलना होगा। हमारे सर्वशक्तिमान ईश्वर ने क्या गारंटी दी है कि उसके पुत्र येशु में विश्वास के जरिए और उसके निर्देशों के आधार पर जीवन जीने के ज़रिए, मृत्यु के बाद जीवन मिलता है – परिपूर्ण जीवन। और इसलिए, हम पूरे आत्मविश्वास के साथ यह सवाल पूछ सकते हैं: “मृत्यु, कहाँ है तेरी जीत? मृत्यु, कहाँ है तेरा दंश ?” (1 कुरिन्थी 15:55)
जब उस महान और अज्ञात देश में प्रवेश करते हैं, तो घबराहट की उम्मीद की जाती है, लेकिन हेमलेट नाटक में शेक्सपियर ने कहा था: “मृत्यु एक अनदेखा देश है, जहाँ से कोई यात्री वापस नहीं आता है,” इस के विपरीत, हम जिन्हें विश्वास के उपहार से आशीर्वाद मिला है, हमें इस बात का सबूत दिखाया गया है कि कुछ आत्माएँ उस गलत सूचना की गवाही देने के लिए मृत्यु की गहराई से वापस लौटी हैं।
कैथलिक कलीसिया की धर्मशिक्षा हमें सिखाती है कि मृत्यु पाप का परिणाम है। धर्मग्रन्थ और परंपरा की पुष्टि के प्रामाणिक व्याख्याकार कलीसिया का शिक्षाधिकार या मैजिस्टेरियम है, जो हमें यह सिखाता है कि मृत्यु मनुष्य के पाप के कारण दुनिया में आई। “भले ही मनुष्य का स्वभाव नश्वर है, लेकिन ईश्वर ने उसे मरने के लिए नहीं बनाया था। इसलिए मृत्यु सृष्टिकर्ता ईश्वर की योजनाओं के विपरीत थी और पाप के परिणामस्वरूप दुनिया में आई।” प्रज्ञा ग्रन्थ की पुस्तक इसकी पुष्टि करती है। “ईश्वर ने मृत्यु नहीं बनाई, और वह प्राणियों की मृत्यु से प्रसन्न नहीं होता। उसने सब कुछ की सृष्टि की ताकि वह अस्तित्व में बना रहे और उसने जो कुछ भी बनाया वह हितकर है।” (प्रज्ञा 1:13-14, 1 कुरिन्थी 15:21, रोमी 6:21-23)
सच्चे विश्वास के बिना, मृत्यु विनाश जैसी लगती है। इसलिए, विश्वास की खोज करें क्योंकि विश्वास ही मृत्यु के विचार को जीवन की आशा में बदल देता है। यदि आपके पास जो विश्वास है वह मृत्यु के भय को दूर करने के लिए पर्याप्त रूप से मजबूत नहीं है, तो उस अल्प विश्वास को पूर्ण विश्वास में जल्द से जल्द परिवर्त्तित करें, क्योंकि आखिरकार, जो दांव पर लगा है वह आपका शाश्वत जीवन है। इसलिए, आइए चीजों को सिर्फ संयोग पर न छोड़ें।
आपकी यात्रा सुरक्षित हो, चलिए दूसरी दुनिया में मिलते हैं!
सीन हैम्पसी is an author, singer/songwriter and has 10 albums and 7 books to his credit. A retiree at eighty-five, he is passionate about his faith and keen on embracing the Sacraments, especially the Holy Mass and Perpetual Adoration. Sean lives in New South Wales, Australia. He is happy to be contacted at: [email protected]
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