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जून 03, 2023 278 0 Rob O'Hara
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मम्मी का बेटा

उसको जितना किसी और चीज़ से गर्व नहीं होता उतना मम्मी का बेटा कहलाने पर गर्व होता है। रोब ओ हारा ईश माता के करीब रहने की अपनी सुंदर जीवन कहानी सुनाते हैं

यह सब कहां से शुरू हुआ?

कई साल पहले जब मैं एक बच्चा था, डबलिन में अपने माता-पिता के एकमात्र बच्चे के रूप में पला-बढ़ा। वे दोनों बिना किसी झिझक के रोज़ माला विनती की प्रार्थना करते थे। फादर पैट्रिक पायटन का आदर्श वाक्य, “परिवार जो एक साथ प्रार्थना करता है, एक साथ रहता है” मेरे घर का भी नारा था।

पहली बार माँ मरियम से अपनी मुलाकात मुझे याद है, उस समय मैं एक छोटा लड़का था। मेरे माता-पिता ने लोगों को मई के महीने में, जो माँ मरियम का विशेष महीना है, रोज़री की प्रार्थना करने के लिए आमंत्रित किया था। यह मेरे लिए बहुत मायने नहीं रखता था, लेकिन अचानक, जैसे ही मैं रोज़री प्रार्थना करने वाले लोगों की भीड़ के बीच बैठा, मुझे प्रार्थना करने की तीव्र इच्छा महसूस हुई। गुलाबों की सुगंध चारों तरफ भर गई, और मैंने माता मरियम की उपस्थिति को महसूस किया। जब रोज़री माला समाप्त हो गई, तो मैंने प्रार्थना करते रहने की तीव्र इच्छा महसूस की और लोगों से और कुछ समय तक रुकने का आग्रह किया, “आइए एक और रोज़री माला जपें, माँ मरियम यहाँ उपस्थित हैं।” इसलिए, हमने एक बार और माला की विनती की, लेकिन वह अभी भी पर्याप्त नहीं थी। लोग जाने लगे, लेकिन मैं वहीं रुका रहा और माता मरियम के साथ 10-15 बार माला विनती की। मैंने माँ मरियम को नहीं देखा, लेकिन मुझे पता था कि वह वहाँ थी।

जब मैं चार या पाँच साल का था, मैंने पहली बार मूर्त रूप में माता मरियम की कृपा और सहायता का अनुभव किया। 80 के दशक में बेरोजगारी अधिक थी। मेरे पिता की नौकरी चली गई थी, और चूंकि उनकी उम्र करीब पैंतालीस थी, इसलिए दूसरी नौकरी पाना आसान नहीं था। बड़े होते हुए मैंने यह कहानी कई बार सुनी है, इसलिए मेरे दिमाग में इसका विवरण स्पष्ट है। मेरे माता-पिता विश्वास के साथ माता मरियम की शरण में गए। उन्होंने रोजरी की एक नौरोजी प्रार्थना शुरू कर दी और नौरोजी प्रार्थना के अंत में, मेरे पिताजी को वह नौकरी मिल गई जो वे वास्तव में चाह रहे थे।

सताता हुआ खालीपन

जब मैं अपनी किशोरावस्था में पहुंचा, तो मुझे लगा कि विश्वास, प्रार्थना और यहाँ तक कि माता मरियम के बारे में बात करना भी उतने मजेदार बातें नहीं हैं। इसलिए मैंने रोज़री माला जपना बंद कर दिया और जब मेरे माता-पिता प्रार्थना कर रहे होते तो मैं वहाँ न होने के बहाने खोजता था। दु:ख की बात है कि मैं धर्मविहीन दुनिया में फँस गया और वास्तव में खुद को उसमें झोंक दिया। मैं उस शांति, आनंद और तृप्ति के बारे में भूल गया जो मैंने अपने बचपन में और अपनी किशोरावस्था से पूर्व प्रार्थना में पाया था। मैंने खुद को खेल, सामाजिकता और अंततः अपने करियर में पूरी तरह झोंक दिया। मैं सफल और लोकप्रिय था, लेकिन मेरे अंदर हमेशा एक कुतरता हुआ खालीपन था। मैं किसी चीज़ के लिए तरस रहा था, लेकिन मुझे नहीं पता था कि वह क्या है। मेरे घर आते ही मेरे माता-पिता माला विनती करते हुए दिखाई देते थे और मैं अपने आप पर हँसता और आगे बढ़ जाता।

जब यह सताता हुआ खालीपन मेरे जीवन को झुलसाता रहा, तो मैंने सोचा कि चाहे मैं कुछ भी कर लूँ यह खालीपन मुझे क्यों नहीं छोड़ता। हालाँकि मेरे पास एक अच्छी नौकरी थी, लेकिन मैं इतनी बुरी तरह से परेशान हो जा रहा था कि मैं अवसाद से घिरता गया। एक दिन, अवसाद के एक और भयानक दिन के बाद, मैं घर आया और अपने माता-पिता को हमेशा की तरह अपने घुटने टेक कर माला विनती करते हुए देखा। वे खुशी से मेरी ओर मुड़े और मुझे उनके साथ प्रार्थना में शामिल होने के लिए कहा। मुझे कोई बहाना नहीं सूझ रहा था, इसलिए मैंने कहा, “ठीक है।” मैंने उन मालाओं को उठाया जो कभी मेरे स्पर्श से परिचित थीं और मैंने प्रार्थना में अपना सिर झुका लिया।

मरियम के आंचल में

मैं मिस्सा बलिदान के लिए गया जहां कुछ पुराने मित्रों ने मुझे गिरजाघर के पीछे की पंक्ति में बैठे हुए देखा, तो उन्होंने मुझे एक प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया। जब मैं गया, तो अन्य युवाओं को रोज़री की प्रार्थना करते हुए देखकर मुझे आश्चर्य हुआ। जैसे ही मैंने प्रार्थना करने के लिए घुटने टेका, मेरे मन में बचपन की माला विनती करते हुए आनंदपूर्ण यादे उमड़ने लगीं। चूंकि मैंने अपनी “माँ” के साथ वह रिश्ता तोड़ दिया था, इसलिए बहुत लंबे समय तक मैंने उनसे बात नहीं की थी। उस दिन के बाद काम करने जाते वक्त रास्ते में नियमित रूप से माला विनती करते हुए, मैंने अपने दिल की बातें माता मरियम से कहनी शुरू कर दी।

माता मरियम के मातृ आलिंगन में वापस आने के बाद, मेरे जीवन के सभी क्षेत्रों से अंधेरापन और भारीपन दूर होने लगा और मुझे काम का समय बहुत अच्छा लगने लगा। जब मुझे एहसास हुआ कि माँ मरियम मुझसे कितना प्यार करती है, तो मैंने अपने दिल की बातें उन्हें ज्यादा से ज्यादा बतानी शुरू कर दी। मैंने अपने आप को उनके आँचल में लिपटा और शान्ति से घिरा हुआ महसूस किया।

लोगों ने ध्यान देना शुरू कर दिया कि मैं कितना खुश हूँ और मुझसे पूछने लगे किस चीज़ ने तुम्हारा जीवन इतना बदल दिया। “ओह, बस इसलिए कि मैंने फिर से माला विनती करना शुरू कर दिया है।” मुझे यकीन है कि मेरे दोस्तों ने सोचा होगा कि 20 की उम्र पर करने वाले एक युवक के लिया के यह कुछ अजीब लग रहा है, लेकिन वे देख सकते थे कि मैं कितना खुश था। जितना अधिक मैंने प्रार्थना की, उतना ही अधिक मैं पवित्र संस्कार एवं परम प्रसाद में उपस्थित प्रभु येशु के प्रेम में डूबता चला गया। जैसे-जैसे येशु के साथ मेरा संबंध बढ़ता गया मैं अधिक से अधिक येशु की ओर मुड़ता गया, मैंने आयरलैंड में कैथलिक युवा आंदोलनों में शामिल होना शुरू कर दिया जैसे प्योर इन हार्ट आन्दोलन और यूथ 2000। मैं सेंट लुइस डी मोंटफोर्ट द्वारा लिखित “ मरियम के द्वारा येशु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण” और “मरियम की सच्ची भक्ति” जैसी किताबें पढ़ने लगा। संत पापा जॉन पॉल द्वितीय ने इससे प्रेरित होकर आदर्श वाक्य “टोटस टूस” (सम्पूर्ण रूप से तेरा) अपनाया था। इस वाक्य ने मुझे गहराई से प्रभावित किया। मैंने माता मरियम से भी कहा, “मैं खुद को पूरी तरह से तुझे देता हूं।” जैसे-जैसे इन महान संगठनों की मदद द्वारा मेरा विश्वास बढ़ता गया, और मुझे बहुत अधिक आनंद महसूस हुआ। मैंने सोचा, “यह स्वर्ग है, यह महान है!”

“उस सही एक” की तलाश

मैं अपने दिल में जानता था कि मेरी बुलाहट वैवाहिक जीवन की है, लेकिन मैं उस समय सही महिला से नहीं मिल पा रहा था। इसलिए मैंने माता मरियम से निवेदन किया, “मेरे लिए सही पत्नी खोजने में मेरी मदद कर, ताकि हम एक साथ तुझसे प्रार्थना कर सकें और तेरे बेटे को और अधिक गहराई से प्यार कर सकें।” मैंने हर दिन यह प्रार्थना की और मैंने अपनी भावी पत्नी के लिए और हमें आशीर्वाद में मिलने वाले बच्चों के लिए येशु और मरियम को धन्यवाद देना शुरू कर दिया। तीन महीने बाद, मैं अपनी भावी पत्नी बर्नी से मिला। अपनी पहली मुलाक़ात पर मैंने उससे कहा, “चलो गिरजाघर में चलते हैं और माता मरियम से माला विनती की प्रार्थना करते हैं।”

बर्नी ना कह सकती थी, लेकिन उसने कहा, “हाँ, चलो करते हैं” और हमने माता मरियम की मूर्ति के सामने घुटने टेक कर एक साथ माला विनती की। वह मेरी प्रेमावस्था की सबसे अच्छी मुलाक़ात थी! अपने पूरे प्रेमालाप के दौरान हमने विवाह संस्कार के लिए तैयार होने और हमारे विवाह में हमारे साथ रहने के लिए हर रोज माता मरियम और संत जोसेफ से माला विनती करते थे। हमने रोम में शादी की और यह हमारे जीवन का सबसे अच्छा दिन था। कुछ ही समय बाद बर्नी ने गर्भधारण किया। जब हमारी नन्हीं बेटी लुसी का जन्म हुआ, तो हमने उसे बपतिस्मा के दिन माता मरियम को समर्पित किया।

तूफानों का वह दौर

हमारी शादी के शुरुआती वर्षों में, मैंने कॉर्पोरेट बैंकिंग की दुनिया से नौकरी छोड़ दी। यह कई कारणों से मेरे लिए सही जगह नहीं थी। जब मैं बेरोजगार था, किराए का भुगतान करने और एक छोटे बच्चे को पालने की कोशिश कर रहा था, हमने सही नौकरी मिलने के लिए माला विनती की। आखिरकार, हमारी प्रार्थनाओं का जवाब ह्यूमन लाइफ इंटरनेशनल नामक एक धर्मार्थ संगठन के लिए एक अद्भुत काम के रूप में मिला। ईश्वर की जय और माता मरियम को धन्यवाद!

जब बर्नी ने जुड़वाँ लड़कों को जन्म दिया तो हमें और खुशी हुई, हालाँकि गर्भावस्था के सोलहवें सप्ताह में, प्रसव पीड़ा में बर्नी को लेकर हम अस्पताल पहुंचे। स्कैन से पता चला कि जुड़वा बच्चे जीवित नहीं रह पाएंगे। लेकिन निराश होने के बजाय हमने माता मरियम की ओर रुख किया। वह हमारे साथ थी, हमें वास्तव में अपने पर निर्भर रहने के लिए प्रोत्साहित कर रहीं थी। हमने प्रार्थना की कि वह एक चमत्कारी चंगाई के लिए मध्यस्थता करे। जो हफ्ता हमने अस्पताल में बिताया, हम आनंदित थे, मजाक कर रहे थे और हंस रहे थे। हम आशा से भरे हुए थे और कभी निराश नहीं हुए।
अस्पताल के कर्मचारी हैरान थे कि इतने कठिन समय से गुजर रहा यह युवा जोड़ा किसी तरह अपनी खुशी और उम्मीद बनाए हुए है। मैं बिस्तर पर घुटने टेकता और हम माता मरियम से हमारे साथ रहने के लिए निवेदन करते हुए हम दोनों माला विनती करते थे। हमने जुड़वां बच्चों को येशु और मरियम की देखभाल में सौंप दिया, लेकिन छठवें दिन बर्नी का गर्भपात हो गया, और हमने अपने बेटों को येशु और मरियम की प्यार भरी देखभाल में सौंप दिया। यह एक कठिन दिन था। हमें उन्हें हाथों में उठाना है और उन्हें दफनाना है। लेकिन माता मरियम हमारे दुख में हमारे साथ थीं। जब मुझे कमजोरी महसूस हुई, जैसे मैं जमीन पर गिर रहा था, माता मरियम ने मुझे पकड़ लिया। जब मैंने अपनी पत्नी को रोते हुए देखा और यह जानता कि मुझे मजबूत बने रहना है, तो माता मरियम ने मेरी मदद की।

कृपा का इशारा

जब हम अभी भी दुःखी थे, हम मेडजुगोरजे की तीर्थ यात्रा पर गए। पहले दिन, हमें अप्रत्याशित रूप से पता चला कि पवित्र मिस्सा बलिदान चढ़ाने वाले फादर रोरी थे जो हमारे बहुत अच्छे मित्र थे। हालाँकि वे नहीं जानते थे कि हम वहाँ हैं, हमें लगा कि उनका उपदेश हमारे लिए और हमारे प्रति था। उन्होंने वर्णन किया कि कैसे एक प्रसिद्ध व्यक्ति ने अपने युवा मित्र की दारुण मृत्यु पर अपनी रोज़री माला उठाकर उसका सामना किया। रोज़री माला ने उसे उस अंधेरी जगह से बाहर निकला। हमारे लिए, वह एक पुष्टिकरण था — येशु और मरियम का एक संदेश; हम उनकी ओर मुड़कर और माला विनती करके इस कठिन घड़ी से बाहर निकल सकते हैं।

दो साल बाद, हमें एक और प्यारी सी बच्ची जेम्मा मिली। बाद में, मेरे पिता बीमार हो गए और जब वे अपनी मृत्यु शैय्या पर थे, मेरी पत्नी ने मुझे प्रोत्साहित किया कि मैं उनसे पूछूं कि उनके पसंदीदा संत कौन हैं। जब मैंने उनसे पूछा, तो उनके चेहरे पर एक खूबसूरत मुस्कान आ गई और उन्होंने कोमलता से उत्तर दिया, “मरियम…। क्योंकि वह मेरी माँ है।” मैं इसे कभी नहीं भूलूंगा। यह उनके जीवन के अंत के बहुत करीब की घटना है और उनका आनंद उस चीज़ को दर्शा रहा था जो आगे उनका इंतजार कर रहा था।

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