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जुलाई 27, 2021 1726 0 Shalom Tidings
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बीसवीं सदी के एक उत्तम धर्मगुरु

सन 1926 में जब क्रिस्टेरो युद्ध की शुरुआत हुई तब मेक्सिकी लोगों को धर्म के नाम पर काफी उत्पीडन झेलना पडा था | चर्चों को ज़ब्त करके उन पर ताला लगा दिया गया| धार्मिक शिक्षाओं और प्रार्थना सभाओं पर पाबंदी लगा दी गई| पुरोहितों और चर्च से जुड़े बाकी लोगों को मजबूरी में सरकार से छिपकर भूमिगत होना पड़ा|

एक रात की बात है| पुलिस कर्मियों ने सादे कपड़ों में एक घर को घेर लिया क्योंकि उन्हें शक था कि उस घर में लोग परम प्रसाद ग्रहण करने केलिए इकट्ठा हुए थे| एक व्यक्ति उनके पास आया और अपनी जैकेट का ज़िप खोलकर अन्दर के शर्ट पर लगे लेफ्टिनेंट के बैज की ओर इशारा किया||

“यह सब क्या हो रहा है?” उसने उन से सवाल किया| “हमें लगता है कि अंदर एक पुरोहित है” उन्होंने जवाब दिया| “ मैं अंदर जाकर जाँच करता हूँ, तब तक तुम सब लोग यहीं रुको”, उसने उन्हें आदेश दिया| पुलिसवालों को बाहर पहरे पर बिठाकर वे अंदर गए और उन्होंने इंतज़ार कर रहे सारे विश्वासियों को परमप्रसाद वितरित किया |

फादर मिगुएल प्रो वेश बदलने और बहुरूपिया बनने की अपनी इस खूबी केलिए बेहद मशहूर थे| वे अपना रूप बदलने में बहुत माहिर थें और इसी के सहारे वे अक्सर देर रात बड़ी ही बहादुरी के साथ कभी किसी के बच्चे को बपतिस्मा देने, तो कभी किसी की शादी कराने, तो कभी कहीं मिस्सा बलिदान अर्पित करने, या पापस्वीकार कराने, या बीमारों को रोगी लेपन  का संस्कार देने निकल पड़ते थे| एक से ज़्यादा बार वे पुलिस अफसर के हुलिए में जेल में घुसे, ताकि जो कैथलिक कैदी सज़ा-ए-मौत के दंड के इंतज़ार में है उन्हें अंतिम संस्कार दिया जा सकें| कभी कभी वे किसी अमीर कारोबारी की तरह सजधज कर रईसों के इलाकों में, या अपने दुश्मनों के घरों के आसपास घूमा करते थे, ताकि वह ग़रीबों केलिए कुछ सामान इकट्ठा कर सकें|

कभी किसी नवयुवती की बाहों में बाहें डालकर, तो कभी किसी भिखारी के फाटे पुराने कपड़ों में, उन्होंने ख़ुशी ख़ुशी सामाजिक और आध्यात्मिक तौर पर परेशानी में पड़े मेक्सिकी ख्रीस्तविश्वासियों की मदद की| और इसके लिए उन्होंने कई बार बिना डरे अपनी जान जोखिम में डाली| वे अपनी हाज़िर-जवाबी केलिए जाने जाते थे और उन्होंने हँसते हँसते मौत का सामना करते हुए कहा, “अगर मैं स्वर्ग जाकर उदास चहरे वाले संतों से मिलूंगा तो मैं उन्हें अपने मेक्सिकी टोपी नाच से उल्लासित कर दूँगा”| उन्होंने लगभग एक साल से ज़्यादा समय तक इसी तरह गुप्त रूप से सेवकाई की, जिस बीच उनके दुश्मन बड़ी उत्सुकता से उनकी सेवकाई रोकने का मौका खोज रहे थे| आखिरकार लोगों ने किसी की जान लेने की कोशिश का झूठा इलज़ाम उनपर लगाकर उन्हें गिरफ्तार कर लिया | गिरफ्तारी के तुरंत बाद उन्हें बिना किसी कारवाई के मौत की सज़ा दी गई|

उस समय सत्ता में रहे प्रेसिडेंट कालेस ने दुनिया भर के पत्रकारों को फादर प्रो की मौत का साक्षी बनने का न्यौता भेजा| वहां पहुंचे पत्रकार सोच रहे थे कि गोली चलाने के लिए तैयार  जल्लादों को देखकर फादर प्रो बिखर जायेंगे, और मारे जाने के डर से अपने विश्वास को त्याग देंगे| इसके विपरीत पत्रकारों ने फादर प्रो के शांति से रौशन चेहरे की तस्वीर खींची| इन तस्वीरों में फादर प्रो अपने दुश्मनों को माफ़ करते और उन केलिए प्रार्थना करते दिखते हैं| मरते वक़्त उन्होंने अपनी आँखों पर पट्टी बाँधने से इंकार किया और खुली बाहों से अपने ऊपर चली गोलियों का स्वागत करते हुए चिल्लाया: “वीवा क्रिस्तोरे!” (ख्रीस्त राजा की जय!)

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