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जनवरी 20, 2022 316 0 फादर जोसेफ गिल, USA
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प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: मेरे दो छोटे बच्चे हैं, और मुझे इस बात की चिंता है कि उन्हें विश्वास में कैसे मज़बूत किया जाए। हमारी दुनिया में जो साल-दर-साल अत्यधिक धर्मविहीन होती जा रही है, क्या कोई ऐसा तरीका है जिससे मैं उनके भीतर कैथलिक आस्था को इतनी गहराई से स्थापित कर सकूं कि जैसे-जैसे वे बड़े होते जाएंगे वे कैथलिक बने रहेंगे?

उत्तर: यह वास्तव में बहुत सारे माता-पिता के लिए एक कठिन स्थिति है, क्योंकि हमारी संस्कृति अक्सर खुले तौर पर हमारे कैथलिक विश्वास के खिलाफ है। जब ऐसा लगता है कि हवा उलटी दिशा में ही बह रही है तो इस हवा के बीच में कैसे उन्हें कैथलिक धर्म में मज़बूत किया जाए?

चुनौती का एक हिस्सा यह है कि ईश्वर की कृपा एक रहस्य है। सौ लोग एक ही बात या प्रवचन सुन सकते हैं, और इससे कुछ लोगों का जीवन बदल जाएगा, जबकि दूसरों को यह उबाऊ और अर्थहीन प्रवचन लगेगा। मेरे अपने परिवार में, मेरा एक भाई है जो खुद को नास्तिक कहता है – एक ही परिवार से एक पुरोहित और एक नास्तिक, दोनों एक ही माता-पिता और एक ही परवरिश के साथ एक ही छत के नीचे! इसलिए, हमें यह स्वीकार करना चाहिए कि अनुग्रह एक रहस्य है — लेकिन हम यह भी आश्वस्त हैं कि परमेश्वर आपके बच्चों को आपसे कहीं अधिक प्यार करता है, और वह उनके दिलों को जीतने और उन्हें उद्धार की ओर ले जाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहा है।

इसके साथ ही, कुछ ऐसी चीजें हैं जो माता-पिता अपने बच्चों को येशु मसीह का साक्षात्कार करने और उनके प्रति वफादार रहने में मदद करने के लिए कर सकते हैं। हालांकि मेरे कोई बच्चे नहीं हैं, मैंने युवाओं के बीच सेवा कार्य करते हुए पिछले सत्रह वर्षों में हजारों बच्चों और किशोरों के साथ काम किया है, और मैंने कुछ सफल रणनीतियों को देखा है जो परिवार अपने बच्चों को वफादार रखने के लिए नियोजित करते हैं।

सबसे पहले, रविवार की मिस्सा-पूजा के साथ कोई समझौता न करें। मुझे याद है कि मेरे माता-पिता हमें छुट्टी पर मिस्सा में ले जा रहे थे, और वे हमारे किसी भी खेलकूद को मिस्सा पूजा में दखल देने की अनुमति नहीं देते थे। अपने बच्चों पर एक पिता का सामूहिक मिसाल विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। एक कहावत है कि, “यदि एक माँ मिस्सा में जाती है तो बच्चे भी मिस्सा में जाते हैं, लेकिन अगर एक पिता मिस्सा में जाता है तो पोते-पोते भी मिस्सा में जाते हैं।” जब मैं और मेरे भाई स्काउट शिविरों में घर से बाहर रहते थे, तो मेरे पिता जी हम दोनों को मिस्सा में ले जाने के लिए हमारे स्काउट कैंपआउट की और आते थे, हमें मिस्सा में ले जाते, और जब मिस्सा खत्म हो जाती है तो हमें वापस शिविर में पहुंचा देते थे! इस अनुभव ने मुझ पर बहुत बड़ा प्रभाव डाला और मुझे सिखाया कि हमारे और रविवारीय मिस्सा बलिदान के बीच कोई भी दखल नहीं, हाँ बिल्कुल भी नहीं आने दिया गया। यही हमारे परिवार की असली आधारशिला थी। यदि आप कभी छुट्टी पर होते हैं, तो आप www.masstimes.org पर जा सकते हैं, जिसमें पूरी दुनिया के सभी जनसमूह की सूची है—इसलिए चाहे आप पेरिस में हों या ब्यूनस आयर्स या डिज्नी वर्ल्ड में हों, फिर भी आप रविवारीय मिस्सा पा सकते हैं!

दूसरा महत्वपूर्ण बात है कि आप एक परिवार के रूप में एक साथ प्रार्थना करें। मिस्सा पूजा के लिए जाते वक्त रास्ते में मेरा परिवार रोज़री माला की प्रार्थना करता था, और आगमन काल में पुष्प चक्र की जो परम्परा है, उस पर हमारे परिवार की विशेष भक्ति थी। चालीसा काल में हम एक साथ क्रूस यात्रा में भाग लेते थे, और मेरे माता-पिता हमें अक्सर परम प्रसाद की आराधना में ले जाते थे। हालाँकि कई बार मैं ने इन चीजों में घसीटे जाने की शिकायत भी की, फिर भी परिणाम यह निकला कि उन्होंने मुझे येशु मसीह के साथ एक व्यक्तिगत संबंध से परिचित कराया, जो आज तक मजबूत बना हुआ है।

इसके अलावा, अपने बच्चों के लिए प्रार्थना और उपवास करना कभी न भूलें—प्रतिदिन!

तीसरा, पाप को अपने घर से बाहर रखें। अगर आप अपने बच्चों को स्मार्टफोन देते हैं, तो उस पर एक फिल्टर लगाएं। सुनिश्चित करें कि वे जो टीवी शो और फिल्में देखते हैं, जो संगीत वे सुनते हैं, और जो किताबें वे पढ़ते हैं, वे स्वस्थ हैं। हालाँकि आपके बच्चे शिकायत कर सकते हैं, फिर भी माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों को एक बुरी फिल्म देखने का त्वरित अस्थायी आनंद देने से अधिक, बच्चों की शाश्वत खुशी के बारे में चिंता करें!

एक और कार्य आप कर सकते हैं: आप अपने घर को एक पवित्र मंदिर बनाएं। इसमें क्रूसित प्रभु की मूर्ती, पवित्र तस्वीरों, संतों की मूर्तियों और साथ साथ कैथलिक विश्वास पर लिखित पुस्तकों से भरें। पुरानी कहावत सच है: “दृष्टि से बाहर, दिमाग से बाहर।” जितना अधिक हम शाश्वत वास्तविकताओं को ध्यान में रख सकते हैं, उतना ही अधिक हम उनके प्रति वफादार रहेंगे।

पांचवां, अपने बच्चों को एक अच्छे कैथलिक समुदाय के इर्दगिर्द रखें, दोनों, बच्चों के हमउम्र साथियों के साथ और वयस्कों के साथ भी। उन्हें अच्छे दोस्तों की ज़रूरत है जिनके मूल्य और सिद्धांत समान हैं, इसलिए संभव है तो उन्हें एक युवा समूह में शामिल होना चाहिए या कैथलिक ग्रीष्मकालीन शिविरों में हिस्सा लेना चाहिए। उन्हें वयस्क सलाहकारों की भी आवश्यकता है जो कैथलिक विश्वास से प्यार करते हैं, इसलिए अन्य अच्छे कैथलिक परिवारों से मित्रता करें। अपने पल्ली पुरोहित को भोजन के लिए आमंत्रित करें। पल्ली के अन्य सदस्यों के साथ कभी-कभार सामूहिक पार्टी का आयोजन करें। जब मैं छोटा था, मेरे पिता कभी-कभी मुझे शनिवार की सुबह अपने पुरुषों के समूह में ले जाते थे, और मैं इन पुरुषों को देखने के प्रभाव को कभी नहीं भूलूंगा – जिन पुरुषों को मैं जानता था और सम्मान करता था और पसंद करता था, जो प्लंबर और वकील और खेल प्रशिक्षक थे, प्रार्थना और गायन करते थे – और वे येशु के बारे में भावुक भी थे । इससे मुझे एहसास हुआ कि प्रभु में विश्वास करना अच्छा और सामान्य था!

एक संबंधित प्रश्न यह है कि अपने बच्चे को किस स्कूल में भेजा जाए। इसका उत्तर काफी सरल है: कौन किसे बदल रहा है? अगर आपका बच्चा स्कूल जाता है और वहां येशु मसीह का प्रकाश ले जा पाता है, तो यह एक अच्छा वातावरण है। लेकिन अगर आपका बच्चा दुनिया के मूल्यों को अपनाना शुरू कर देता है, तो शायद स्कूल बदलने का समय आ गया है। अफसोस की बात है कि कई कैथलिक स्कूल वास्तव में मसीह-केंद्रित वातावरण प्रदान नहीं करते हैं, इसलिए सावधान रहें, भले ही आप कैथलिक स्कूल चुनते हों।

अंत में, बच्चों में विश्वास की ज्योति प्रज्वलित बनाए रखने का सबसे अच्छा और सबसे प्रभावी तरीका ऐसे माता-पिता बनना है जो अपने निजी जीवन में प्रभु की तलाश कर रहे हैं! मेरे पिता ने हमेशा मेरे जन्म से पहले से ही प्रतिदिन रोजरी माला की प्रार्थना की थी, और मेरे माता-पिता दोनों घर पर अपने विश्वासी जीवन पर आराम से चर्चा करते थे। मैं उन्हें स्वयं ही विश्वास का अध्ययन करते, संतों या आध्यात्मिकता के बारे में पुस्तकें पढ़ते हुए देखता था। जैसा कि पुरानी कहावत है, “विश्वास कम सिखाया जाता है, लेकिन अधिक हासिल किया जाता है” – और हमारे कार्य शब्दों से अधिक जोर से बोलते हैं। इसका मतलब यह नहीं है कि हम परिपूर्ण हैं, लेकिन हमें अपने दिलों में प्रभु के चेहरे की तलाश में ईमानदार होना चाहिए।

निश्चित रूप से उपरोक्त में से कोई भी बात हमें गारंटी नहीं देती है, क्योंकि हमारे बच्चों की अपनी स्वतंत्र इच्छा हैं और प्रभु का अनुसरण करना है या नहीं यह चुनने में वे सक्षम हैं। लेकिन इन कामों को करने में, हम उन्हें मज़बूत नींव दे रहे हैं, और परमेश्वर को उनका दिल जीतने का मौका दे रहे हैं। यह उसकी ही कृपा है जो बच्चों को कैथलिक बनाए रखती है—हम केवल उस अनुग्रह के वाहक हैं! यह कभी न भूलें कि जितना आप अपने बच्चों से प्रेम करते हैं, परमेश्वर असीम रूप से उनसे अधिक प्रेम करता है—और उनके उद्धार की कामना करता है!

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फादर जोसेफ गिल

फादर जोसेफ गिल हाई स्कूल पादरी के रूप में एक पल्ली में जनसेवा में लगे हुए हैं। इन्होंने स्टुबेनविल के फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय और माउंट सेंट मैरी सेमिनरी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फादर गिल ने ईसाई रॉक संगीत के अनेक एल्बम निकाले हैं। इनका पहला उपन्यास “Days of Grace” (कृपा के दिन) amazon.com पर उपलब्ध है।

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