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जून 23, 2021 1424 0 फादर जोसेफ गिल, USA
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प्रश्न और उत्तर

प्रश्न:- मैं अपने जीवन में बहुत एकाकीपन महसूस करता हूं। मैं अपने परिवार से अलग हो गया हूँ, और मेरे कोई दोस्त भी नहीं हैं। अगर मैं इसी दर्दभरे अकेलापन में ही रहूँ तो मेरे जीवन में कभी आनंद का अनुभव होगा ?

उत्तर:- अकेलापन दर्दनाक है | लेकिन यह आम जीवन का हिस्सा बन चुका है। विख्यात औषधि कंपनी सिगना द्वारा प्रकाशित एक हालिया अध्ययन में पाया गया कि 46% अमेरिकियों को “कभी-कभी या हमेशा” अकेलापन महसूस होता है, और अकेलेपन की उच्चतम दर युवा लोगों (18-22 वर्ष की आयु) में होती है। इसलिए, यदि आप ‘अकेले’ हैं, तो जान लें कि आप ‘अकेले’ नहीं हैं!

हम सभी कभी न कभी अकेलापन महसूस करते हैं। एक धर्मगुरु के रूप में, निश्चित रूप से, मुझे भी अकेलापन का दर्द होता है। मेरे लिए, रविवार की दोपहर के बाद सबसे अधिक अकेलापन का एहसास होता है । रविवार की सुबह अक्सर भक्ति से सराबोर उत्साही विश्वासियों की संगति में हर्षोल्लास के साथ बीता जाता है, लेकिन जब वे सभी अपने परिवार के साथ समय बिताने के लिए घर चले जाते हैं, तब मैं अपने खाली आवास पर लौट जाता हूं।

लेकिन जब ऐसा होता है, तो मैं अपने अकेलापन को ‘एकांत’ में बदलने की कोशिश करता हूं। ‘अकेलापन’ और ‘एकांत’ में क्या फर्क है? अन्य मनुष्यों के साथ संबंध की कमी को अकेलापन का दर्द कह सकते हैं । प्रभु से घनिष्ठ या अन्तरंग रूप से जुड़े रहकर जिस शांति का अनुभव किया जाता है उसे एकांत कहा जा सकता है । अकेलापन चाहे जितना भी दर्दनाक हो, प्रभु के साथ एक गहरी घनिष्ठता के लिए यह एक निमंत्रण हो सकता है। जब हम मानवीय संपर्क के लिए इस लालसा या दर्द को महसूस करते हैं, तब हम उस खालीपन को भरने के लिए प्रभु को आसानी से आमंत्रित कर सकते हैं। वह हमारा सबसे करीबी दोस्त है; वह हमारी आत्माओं से  प्रेम करता है।

और वह जानता है कि अकेला होने का म  तलब क्या है! उनके दुखभोग के दौरान, उनके लगभग सभी दोस्तों ने उन्हें त्याग दिया, जिससे उनका पवित्र ह्रदय चोटिल हुआ। हम अपने अकेलापन को उसके साथ साझा कर सकते हैं।

लेकिन सच्चाई यह भी है कि “अकेला रहना मनुष्य के लिए अच्छा नहीं !” (उत्पत्ति 2:18)। अच्छी बात है कि  हम एक बड़े समुदाय का हिस्सा हैं: मसीह का शरीर अर्थात कलीसिया । हम हर समय अपने कलीसिया  परिवार से घिरे रहते हैं – न केवल विश्वासियों के सांसारिक समुदाय से, बल्कि स्वर्गदूतों और संतों (“विजयी कलीसिया”) से भी हम घिरे हैं । उन सबकी जीवन कथाएं हमें प्रेरणा और सांत्वना दे सकती हैं। संत जॉन बोस्को, संत पंक्रास, मदर टेरेसा जैसे कई संत हैं जिनसे मैं व्यक्तिगत रूप से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं । वे मेरे दोस्त हैं, हालांकि इस समय हमारी मित्रता ‘पत्र मित्र’ के स्तर पर है। जब मैं उनकी मध्यस्थता की विनती करता हूं, तो वे मेरे लिए प्रार्थना करते हुए मेरी प्रार्थना का परिणाम अंतर्दृष्टि के रूप में मुझे देते हैं ! लेकिन किसी दिन, मैं उनसे आमने-सामने मिलने और हमेशा के लिए उनके सान्निध्य का आनंद लेने की आशा  करता हूं।

जब हम शोधन स्थान (“दुख भोग रही कलीसिया”) की पवित्र आत्माओं के लिए प्रार्थना करते हैं, तो हम अपने उन प्रियजनों से भी जुड़ते हैं जो हमसे पहले इस दुनिया से चले गए हैं, और जिन्हें याद करने वाले और प्रार्थना करने वाले कोई नहीं है क्योंकि उन्हें धरती पर अकेलापन सहना पड़ा। हमारे अकेलापन के दर्द को उनके लिए समर्पित करने से और बदले में उनकी प्रार्थनाओं को स्वीकार करने से, हम अपने दुख को योग्यता में बदल देते हैं।

हमारे स्वर्गीय मित्रों के अलावा, “प्रयतमान कलीसिया” (कलीसिया के सदस्य जो यहाँ पृथ्वी पर हैं), उनके द्वारा  भी हमारे लिए एक समुदाय प्रदान किया जाना चाहिए। आप अपनी कलीसिया में सक्रिय रूप से शामिल हो जाएँ तो आप प्रेरक और मिलनसार लोगों से मिलेंगे। शायद आपके यहाँ का बाइबल अध्ययन दल आपकी कलीसिया में सक्रिय भागीदारी केलिए मौक़ा दे रहा है। आप अपने उम्र के या काम के स्तर के लोगों के लिए निर्धारित किसी समूह में भाग ले सकते हैं या यदि कोई ऐसा दल नहीं है तो एक नया समूह आप बना सकते हैं | आप विन्सेंट डी पॉल सोसाइटी, मरिया की सोडालिटी या सेवा के लिए तत्पर किसी भी समूह के साथ जुड़कर दूसरों की मदद कर सकते हैं | कभी कभी हमें अपनी पल्ली सीमा से बाहर खोजना पडेगा |

क्या आपके शहर में जीवंत गतिविधियों में संलिप्त अन्य कैथलिक समुदाय हैं या ऐसा कोई समुदाय है जिनके साथ आसानी से आप जुड़ पाएंगे ? मैं कुछ ऐसी पल्लियों में रहा हूँ जहाँ सामुदायिक वातावरण हार्दिक और प्यार भरा रहा है, और कुछ अन्य स्थानों पर भी रहा हूँ जहाँ इसकी कमी थी। मेरी नियुक्ति ऐसी एक विशेष पल्ली में हुई थी, जहां बहुत कम सामुदायिक गतिविधियाँ होती थीं । पल्लीवासी मिस्सा बलिदान में आते थे और तुरंत चले जाते थे । इसलिए, एक समुदाय की तलाश में, मैं एक स्थानीय कैथलिक स्कूल में स्वेच्छा से कार्य करने लगा जहाँ मुझे कुछ अच्छे और जोशीले परिवार मिले जो आज भी मेरे मित्र हैं। मैं गारंटी देता हूं कि समुदाय वहां “बाहर” है, हमें बस उन्हें ढूँढने की हिम्मत रखनी चाहिए !

जो लोग किसी न किसी कारण से घर के अन्दर काम करते हैं, वे अन्य तरीकों से सम्बन्ध जोड़ सकते हैं। उदाहरण के लिए मसीही कैदियों को पत्र लिखना शुरू करें जिन्हें समर्थन और प्रोत्साहन की आवश्यकता है। हम कभी भी फोन उठाकर परिवार के सदस्यों या पुराने दोस्तों के साथ संपर्क शुरू कर सकते हैं। कभी-कभी बस एक अनपेक्षित ‘थैंक यू’ कार्ड भेजने से दोस्ती को फिर से स्थापित या मज़बूत की जा सकती है।

यद्यपि अकेलापन ईश्वर के साथ रिश्ते को और गहरा और सक्रिय करनेवाला उत्प्रेरक बन सकता है, तो भी ईश्वर की इच्छा है कि हम दूसरे लोगों का समर्थन करते हुए उनकी संगति में रहें। परिवार और दोस्तों के समुदाय को एक दूसरे के प्यार और देखभाल के लिए विकसित करने के लिए हम सृष्ट किये गए हैं । उन्हें ढूंढो — और तुम उन्हें पाओगे।

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फादर जोसेफ गिल

फादर जोसेफ गिल हाई स्कूल पादरी के रूप में एक पल्ली में जनसेवा में लगे हुए हैं। इन्होंने स्टुबेनविल के फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय और माउंट सेंट मैरी सेमिनरी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फादर गिल ने ईसाई रॉक संगीत के अनेक एल्बम निकाले हैं। इनका पहला उपन्यास “Days of Grace” (कृपा के दिन) amazon.com पर उपलब्ध है।

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