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जनवरी 10, 2025 47 0 फ़ियोना मैककेना, Australia
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पहले उसी ने मुझे प्रेम किया

सालों तक, मेरी माँ ने मुझे मेरे पिता के प्यार का अनुभव करने से रोका, लेकिन मैंने उन दोनों के साथ और खुद के साथ सामंजस्य स्थापित करने का एक रास्ता खोज लिया!

कोई भी यह नहीं जानना चाहता कि जिससे वह प्यार करता है और जिस पर वह भरोसा करता है, वही उससे झूठ बोला है, लेकिन ऐसा होता है। पहली बार मेरे साथ ऐसा हुआ, मैं एक बच्ची थी और अपनी माँ के साथ रहकर मैं बड़ी हो रही थी। मुझे पत्रों का एक पार्सल मिला जिसमें वे सारे पात्र थे जिन्हें मैंने अपने पिता को काफी समय के अंतराल में लिखा था। सिर्फ उसी दिन मुझे पता चला कि उन पत्रों को कभी मेरे पिता के पास नहीं भेजा गया था। फेंके गए बंडल से, मैंने उनके लिए बनाया हुआ एक कार्ड निकाला, जिस पर मैंने लिखा था ‘हैप्पी फादर्स डे, डैड, आई लव यू’, और उन पत्रों के मिलने के कुछ ही पल बाद मुझे बड़ी उलझन का एहसास हो गया जिससे मैं बुरी तरह प्रभावित हो गयी थी। उससे भी ज़्यादा मेरे भीतर क्रोध और अन्याय के शिकार होने की भावना उठ रही थी।

जब मैंने अपनी माँ से उन अप्राप्त पत्रों के बारे में पूछा, तो वह उदासीन और बेफिक्र थी, उसने सहजता से कहा कि उसे हमेशा से पता था कि मैं उसके प्रति बेवफ़ा हूँ, और मेरे पिता को लिखे गए पत्र मेरे बारे में उसके संदेह के सबूत थे – मैंने उन्हें ‘डैड’ कहा था, जिसका माँ केलिए यही मतलब था कि मैंने उसे धोखा दिया है। सच्चाई का पता चलने पर मुझे जो पीड़ा हुई वह असहनीय थी, मेरे लिए नहीं, बल्कि मेरे पिता के लिए। मैंने उनके द्वारा लिखे गए पत्रों का कभी जवाब नहीं दिया, यह जानकर उन्हें कितना दर्द हुआ होगा,.. और फिर भी, मुझे आश्चर्य हुआ कि इतने समय के बाद भी मुझसे कोई बात न सुनने के बाद भी, वे मुझे पत्र क्यों लिखते रहे, विदेश में अपने रोमांच, अपने दैनिक जीवन, उनकी देखी गई दिलचस्प चीज़ों या मिले लोगों के बारे में मुझे बताते रहे। यह जानते हुए कि उसके प्रति मेरे प्यार को कभी नहीं समझा गया, मुझे जो अपराधबोध महसूस हुआ, मैं उसको कभी नहीं भूल पाऊँगी। मुझे विश्वासघात महसूस हुआ। क्योंकि जो शब्द मैंने सिर्फ़ अपने पिता के लिए बचाकर रखे थे, उनमें किसी और ने घुसपैठ कर ली थी। मुझे लगा कि मेरे पिता को जानने का और उन्हें मुझे जानने का अधिकार छीन लिया गया है।

एक और वंचित प्रेम कहानी

लगभग तीस साल बाद, मुझे एक और पिता का पता चला, जिनसे मुझे दूर रखा गया था। ईश्वर और कैथलिक कलीसिया की वास्तविकता जानने के बाद, मुझे लगा कि मेरे स्वर्गिक पिता के साथ मेरा रिश्ता छीन लिया गया है, जिससे मुझे कुछ समय के लिए नष्ट और अपराध बोध की भावना हुई, उसके बाद उस पिता के प्यार के अयोग्य होने का और भी बड़ा एहसास हुआ – कि रिश्ते में मेरी अनुपस्थिति के बावजूद उस पिता को मेरी तलाश जारी रखनी चाहिए।

अब तक के मेरे जीवन ने ईश्वर के प्रेम और दया का सामना करने और उससे भी महत्वपूर्ण रूप से उसे स्वीकार करने से मुझे रोका था। जबकि मुझे लगा होगा कि ईश्वर को जानने से मैं रोकी गयी थी, जो कि एक तरह से मेरे पालन-पोषण के आधार पर सच है, अब मुझे पता है कि मुझे जानने से कोई भी ईश्वर को कभी रोक नहीं सका। सच्चाई यह है कि स्वर्ग में हमारा पिता अपने सभी बच्चों को अपने साथ रखना चाहता है, और वह हमें वापस लाने के लिए कुछ भी करने से नहीं चूकेगा। हमसे बस इतना ही अपेक्षित है कि हम समर्पण करें और उसे अपनी हाँ कहें।

मेरी व्यक्तिगत ‘हाँ’ ने मुझे एहसास दिलाया कि जब हम ईमानदारी से ईश्वर के प्रेम को पहचानते और जानते हैं, तो हम अपने दिलों को उसके पवित्र हृदय के साथ जोड़ते हैं और फिर, हम केवल उसके प्रेम के द्वारा ही प्रेम कर सकते हैं। जो हमें चोट पहुंचाते हैं, उन लोगों के घाव को देखने में ईश्वर का यह अलौकिक प्रेम हमें मदद करता है। उसका दयालु प्रेम हमारे गहरे घावों को भरने में मदद करता है, उन घावों को अत्यंत कोमलता, सम्मान और देखभाल के साथ एक-एक करके सतह पर लाता है…

उनके असीम प्रेम और दया ने मुझे यह समझने में मदद की कि क्षमा केवल चोट और क्रोध को दूर करने के बारे में नहीं है, बल्कि अपराधबोध और आक्रोश के बोझ को छोड़ने के बारे में भी है जिसे मैं इतने लंबे समय से ढो रहा था। प्रार्थना और चिंतन के माध्यम से, मैं यह देखने लगा कि जिस तरह मेरे सांसारिक पिता मेरी चुप्पी के बावजूद प्यार से मेरे पास पहुँचते रहे, उसी तरह मेरे स्वर्गीय पिता भी अटूट प्रेम और करुणा के साथ मेरा पीछा करता रहता है।

क्यों? क्योंकि पहले उसी ने हमसे प्रेम किया, और वह हमें सबसे अंतरंग तरीके से जानता है।

क्षमा की प्राप्ति

पिता ईश्वर की कृपा से ही मैं अपने पिता के साथ खोए हुए प्यार के वर्षों के लिए खुद को क्षमा करने में सक्षम बनी। इस अलौकिक प्रेम ने अपनी माँ के द्वारा मुझे दिए गए दर्द के लिए भी उन्हें क्षमा करने में मुझे प्रेरित किया। ईश्वर के प्रेम ने मुझे दिखाया कि मैं अतीत की गलतियों या दुखों के बावजूद क्षमा और मुक्ति के योग्य हूँ। और उसके प्रेम ने मेरे दिल में यह प्रेरणा दी कि मेरी माँ भी उसी क्षमा और मुक्ति की हकदार हैं।

उसके प्रेम ने मेरे दर्द को करुणा और सहानुभूति के स्रोत में बदल दिया, जिससे मुझे हर टूटी हुई स्थिति में उपचार की सुंदरता और क्षमता देखने को मिली। ईश्वर के प्रेम की उपचार शक्ति के माध्यम से, मैंने सीखा कि क्षमा सिर्फ हमारे द्वारा दूसरों को दिया जा रहा उपहार ही नहीं, बल्कि एक ऐसा उपहार है जो हम खुद को देते हैं। यह स्वतंत्रता और शांति का मार्ग है, अतीत को छोड़ने और नए विश्वास और प्रेम के साथ भविष्य को गले लगाने का एक माध्यम है।

मेरी प्रार्थना है कि हम सभी अपने स्वर्गीय पिता के असीम प्रेम से प्रेरित हों, जो हमें प्रचुर मात्रा में क्षमा, चंगाई और मुक्ति प्रदान करता है। बदले में, हम भी उसी प्रेम और क्षमा को अपने और अपने आस-पास के सभी लोगों तक पहुँचाएँ, जिससे अनुग्रह, करुणा और मेल-मिलाप से भरी दुनिया बने।

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फ़ियोना मैककेना ऑस्ट्रेलिया के कैनबरा में रहती हैं, जहाँ वे अपनी पल्ली में धर्मविधि की प्रभारी, पवित्र संस्कारों की समन्वयक और गायिका के रूप में कार्य करती हैं। उन्होंने एनकाउंटर स्कूल ऑफ़ मिनिस्ट्री से कैथलिक मिनिस्ट्री इक्विपिंग कोर्स पूरा किया और ईश शास्त्र में मास्टर डिग्री के लिए अध्ययन कर रही हैं।

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फ़ियोना मैककेना

फ़ियोना मैककेना resides in Canberra, Australia. She recently completed a two-year Catholic ministry equipping course with Encounter School of Ministry and is studying for a Masters Degree in Theological Studies.

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