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अक्टूबर 27, 2021 305 0 Luke Lancaster, USA
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डरें नहीं !

क्या अतीत में अपने सांसारिक पिता के साथ आपका जो संबंध था, आपने उसे भविष्य में स्वर्गिक पिता के साथ पनपने वाले संबंध की नीव बनने दिया है?

मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के फ्लोरिडा प्रदेश के टंपा ज़िले में पला-बढ़ा था। मेरे माता पिता दोनो कैथलिक थे और उन्होंने मुझे भी बचपन से कैथलिक विश्वास में बड़ा किया। हालांकि जब मैं छह साल का था, तब मेरा जीवन बदलने लगा। मेरे माता पिता अलग हुए और मेरे पिता ने तलाक की अर्ज़ी डाली। दो साल तक मेरे माता पिता मेरी परवरिश का हक पाने के लिए एक दूसरे से लड़ते रहे, फिर जब मैं आठ साल का हुआ, उन दोनों ने फिर से एक साथ रहने का फैसला किया। मगर उस समय मुझे अंदाज़ा भी नही था कि यह सब तो बस शुरुआत थी।

जब मैं दस साल का हुआ तो मेरी मां ने तलाक की अर्ज़ी डाली। उन्हें मेरी देखरेख का हक भी मिल गया, पर तब भी मुझे मेरे पिता से कभी कभी मिलने जाने का आदेश दिया गया था। मेरे पिता में काफी सारे अच्छे गुण थे – वे मेहनती थे, किफायती थे, और खेलकूद का शौक रखते थे – पर उनके अंदर का सबसे बड़ा दोष यह था कि उनमें धैर्य की कमी थी, और इसी बात ने आगे चल कर ईश्वर और मेरे संबंध को प्रभावित किया। वे एक पल खुश तो दुसरे पल झट से गुस्सा करते थे। अगर मुझसे गलती से दूध का एक गिलास भी गिर जाता तो वे आगबबूला हो कर मुझे बुरी तरह डांटने लगते थे। अक्सर ऐसे भयानक गुस्से का बच्चों पर दो तरह का असर होता है। या तो बच्चा मोटी चमड़ी वाला बन जाता है और अपने आप को अंदर से इतना कठोर बना लेता है कि उसे किसी बात से कोई फर्क नहीं पड़ता, या फिर उसके अंदर एक गहरा डर बैठ जाता है और वह गलती करने के डर से खुद को सब से अलग करके जीवन जीने लगता है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। इस बात ने मेरी परवरिश को बहुत प्रभावित किया।

हमारे सांसारिक पिता को हमारे स्वर्गिक पिता का, ईश्वर का प्रतिबिंब होना चाहिए (एफेसियों 3:14-15)। जो कुछ भी आपके सांसारिक पिता करते हैं, उनके गुण, उनके बात करने का तरीका और उनका चाल चलन, यह सब कुछ हमारे मन में स्वर्गिक पिता की छवि बनाता है। इसीलिए, जब मैं युवावस्था में था, तब मैं स्वर्गिक पिता से उसकी तरह डरने लगा जिस तरह मैं अपने पिता से डरा करता था। मैं हर दिन डरे सहमे गुज़ारता था, यह सोच कर कि मैं कभी ना कभी कोई भयंकर पाप कर बैठूंगा और फिर अनंत काल तक नरक की आग में जलूंगा। हर बात, हर काम, हर विचार में मुझे पाप कर डालने का डर सताता था।

मैं आपको एक उदाहरण देता हूं: अगर मैं बाहर एक छोटा चिकन सैंडविच खाता था और मुझे एक और सैंडविच मंगाने का मन होता था तो मैं लालच में आ कर पाप कर बैठने के डर से खुद को रोक लेता था। चूँकि मुझे कोई समझाने वाला नही था, इसीलिए मैं अपनी ज़रूरतों और अपने डर के बीच उलझ कर रह जाता था। इस मनोग्रसित-बाध्यता विकार ने मेरे खाने पीने पर इतना गहरा असर डाला कि मेरा वज़न नौ किलो घट गया।

मुझे वे बातें भी पापमय लगती थीं जो असल में पापमय नही थीं। बात यहां तक आ पहुंची कि पापस्वीकार के मौकों पर मैं पुरोहित के सामने घंटों तक अपने छोटे छोटे पाप गिनते रहता था। वह तो ईश्वर का शुक्र है कि मेरे चर्च के पुरोहित बहुत अच्छे थे और धैर्य के साथ मेरी बातें सुन कर मेरी उलझनों को सुलझाने की कोशिश किया करते थे। लेकिन यह सब तो मेरी परेशानी का एक छोटा सा हिस्सा था। मेरे मन में ईश्वर की बड़ी अजीब छवि थी। और मुझे एक सौम्य और धैर्यवान पिता की ज़रूरत थी। स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद मैंने दक्षिण पश्चिमी फ्लोरिडा के आवे मारिया विश्वविद्यालय में दाखिला लिया। वहीं जा कर धीरे धीरे मुझे मेरे डर से छुटकारा मिला। वहां मैं रोज़ प्रार्थनाघर जाया करता था और अब्बा पिता के प्रेम को समझने की कोशिश किया करता था।

उन दिनों जब भी मैं प्रार्थना किया करता था, एक गीत मेरे मन में गूंजा करता था। वह गीत है “फॉर किंग एंड कंट्री” एल्बम का गाना “शोल्डर्स”। उस गाने की इस पंक्ति “मुझे देख कर ही विश्वास करने की ज़रूरत नहीं है, कि तू मुझे कंधों पे, अपने कंधों पे उठा कर चल रहा है” ने मेरे मन में घर करके मेरे दिल को परिवर्तित किया। धीरे धीरे मेरा डर प्रेम में परिवर्तित होने लगा। मुझे विश्वास होने लगा कि ईश्वर मुझे उनके परमप्रिय पुत्र के रूप में देखते हैं, जिससे वे अत्यंत प्रसन्न हैं (मारकुस 1:11)। वे एक सौम्य पिता हैं जो मेरी सारी दुर्बलताओं को ध्यान में रखते हैं। जैसा कि स्तोत्र ग्रंथ में लिखा है, “प्रभु दया और अनुकंपा से परिपूर्ण है। वह सहनशील और अत्यंत प्रेममय है।” आगे चल कर मैंने स्वर्गिक पिता ईश्वर के लिए एक स्तुति विनती रची जो कि इस प्रकार है:

सबसे सौम्य स्वर्गिक पिता (1 राजा 19:12)
सबसे दयालु स्वर्गिक पिता (यशायाह 40:11)
सबसे उदार स्वर्गिक पिता (मत्ति 7:11)
सबसे मधुर स्वर्गिक पिता (भजन संहिता 23:1)
सबसे विनीत स्वर्गिक पिता (लूकस 2:7)
सबसे सौम्य भाषी स्वर्गिक पिता (1 राजा 19:12)
सबसे आनंदित स्वर्गिक पिता (सफन्याह 3:17)
सबसे सहायक स्वर्गिक पिता (होशे 11:3-4)
सबसे प्यारे स्वर्गिक पिता (1 योहन 4:6)
सबसे प्रेममय स्वर्गिक पिता (यिरमयाह 31:20)
सबसे कोमल स्वर्गिक पिता (यशायाह 43:4)
मेरे संरक्षक स्वर्गिक पिता (भजन संहिता 91)

मैं आप सबसे निवेदन करता हूं कि आप बाइबिल के इन वचनों को पढ़ें और मेरी तरह ईश्वर और अपने संबंध की गहराई को बढ़ाएं। आपके लिए चंगाई और परिपूर्णता का मार्ग खुला है। मेरी इस यात्रा में मेरा साथ दीजिए।

आइए हम लिस्यु की संत थेरेसा के उन वचनों को याद करें जहां वे कहती हैं – “इस बात को सोचने में कितना मधुर आनंद है कि ईश्वर सच्चा है, कि वह हमारी दुर्बलताओं का हिसाब रखता है और हमारे स्वभाव की नाज़ुकता को अच्छी तरह समझता है। फिर मुझे किस बात का डर?” (संत थेरेसा द्वारा लिखित आत्मा की कहानी)।

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Luke Lancaster

Luke Lancaster www.stpeterinstitute.com नामक वेबसाइट पर बाइबिल क्षमाप्रार्थी के निर्देशक हैं। वे कैथलिक विश्वास से संबंधित सवालों पर छोटे लेख लिखते हैं। वे फ्लोरिडा के टंपा ज़िले में रहते है।

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