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जनवरी 20, 2022 526 0 Keith Nester
Encounter

जब मैं ने ‘हाँ’ कहा

जब एक प्रोटेस्टेंट पादरी को कैथलिक कलीसिया  में एक बड़ा खजाना मिल जाता है, तब क्या होता है?

कैथलिक बनना मेरे लिए आसान नहीं था। कई धर्मान्तरित लोगों की तरह, मेरे पास भी बहुत से पूर्वाग्रह और बाधायें थीं । मेरी सबसे बड़ी बाधा यह थी कि मेरा विश्वास अर्थात कलीसिया के प्रति मेरा दृष्टिकोण ही मेरा करियर था। 20 साल की उम्र में, मैंने एक युवा पादरी के रूप में पूर्णकालीन सेवकाई में प्रवेश किया। सेवकाई में अपने 22 साल के करियर के दौरान, मैंने कई भूमिकाएँ निभाई हैं- वरिष्ठ पादरी, शिक्षक पादरी, अराधना का अगुआ, मिशन समन्वयक आदि।

मेरा विश्वास ही मेरा जीवन था, और कैथलिक बनने के लिए इन सारी बातों को पीछे छोड़ने के विचार के साथ मैं जूझता रहा। मैंने कभी नहीं सोचा था कि कभी ऐसा होगा। मेरे परिवार में कोई कैथलिक नहीं था। यूनाइटेड मेथडिस्ट चर्च के पादरी के बेटे के रूप में बढ़ते हुए, कैथलिक विश्वास से मेरा एकमात्र संपर्क कैथलिक विश्वास से नफरत करने वाले लोगों से था। शादी से पूर्व, जब मैं अपनी पत्नी से मिला, तो मैंने उससे पूछा कि क्या वह चर्च जाती  है, तो  उसने उत्तर दिया, “मैं एक कैथलिक हूं, लेकिन मैं चर्च नहीं जाती”; इसलिए मैं उसे अपने चर्च ले गया और उसे बहुत अच्छा लगा! हमारी शादी युनाइटेड मेथडिस्ट चर्च में हुई थी, जहाँ मैंने काम किया था; और हमने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। जब तक… 

मैं अनजाने में पकड़ा गया

वास्तव में अपने विश्वास को जीने वाले एक कैथलिक व्यक्ति के साथ मेरी पहली मुलाक़ात का अनुभव, जीवन बदलने वाला साबित हुआ। उनका नाम डेविन शैड है। वे ग्राफिक डिजाइनर थे। मैंने उन्हें हमारे युवा सेवकाई के लिए एक लोगो बनाने का काम दिया था, जिस के कारण विश्वास, कलीसिया और अंततः उनके कैथलिक विश्वास के बारे में कुछ दिलचस्प बातचीत हुई। उनके बारे में मेरी पहली धारणा यह थी कि वह येशु से प्यार करते थे और एक जीवंत विश्वास रखते थे। यह मुझे बहुत अजीब लग रहा था, क्योंकि जब मैं उनके भोजन कक्ष में बैठा था, तो मैं उनके घर में मौजूद चिह्नों, चित्रों और अन्य “कैथलिक दिखने वाले” सामानों से बड़े पशोपेश में था। ऐसा कौन करता है? मुझे इस विषय पर डेविन पर दबाव बनाना पड़ा। मैंने कभी किसी कैथलिक को येशु के बारे में उस तरह से बात करते नहीं सुना था जैसा डेविन ने किया था। मैंने यह मान लिया था कि उन्होंने बाइबिल ठीक ढंग से नहीं पढी थी, और यदि पढ़ते तो वे समझ लेते कि उनका कैथलिक विश्वास पवित्र ग्रन्थ की शिक्षा से बिलकुल मेल नहीं खाता है। मैं उनके साथ कुछ वचन साझा करने और सुसमाचार की व्याख्या करने के विचार पर मौके के  इंतज़ार में था। मुझे यकीन था कि मेरी ओर से उन्हें वचन सुनाने के कुछ मिनटों के बाद, वे एकअसलीईसाई बनने, पापी की पश्चाताप की प्रार्थना करने और मेरी तरह प्रोटेस्टेंट बनने के लिए तैयार होंगे। मैंने उनसे पूछा, “डेविन, आप को मुक्ति कब मिली थी?” मैं देखना चाहता था कि एक कैथलिक इस प्रश्न का उत्तर कैसे देगा। मुझे ज्यादा उम्मीद नहीं थी। लेकिन मैं बहुत गलत था। 

डेविन के पास केवल उस प्रश्न का उत्तर था, बल्कि मेरे लिए उनके अपने भी कुछ प्रश्न थे। ऐसे प्रश्न, जिनके लिए मैं बिल्कुल तैयार नहीं था। उदाहरण के लिए, “कीथ, आपकी बाइबल कहाँ से आई?” “इतने सारे प्रोटेस्टेंट संप्रदाय क्यों हैं?” “जब प्रोटेस्टेंट संप्रदायों के बीच इतने सारे अंतर हैं तो हम कैसे जानते हैं कि ईसाई धर्म की सच्चाई को सही ढंग से कौन सिखा रहा है?” और भी बहुत कुछ प्रश्न!

मैंने इनमें से किसी भी विचार को पहले कभी नहीं सुना था, लेकिन हालांकि मैं उत्सुक था, मैं अपने दिमाग को इस संभावना के इर्दगिर्द नहीं टिका सकता था कि कैथलिक कलीसिया येशु मसीह द्वारा स्थापित एकमात्र सच्ची कलीसिया हो सकती है। यहाँ तक कियेशु मसीह द्वारा स्थापित कोई एक सच्ची कलीसिया थी, यह भी मेरे लिए एक नया विचार था। मेरा हमेशा से मानना ​​था कि पवित्र ग्रन्थ में किसी व्यक्ति की आस्था और विश्वास ही मायने रखता है, कि किसी संस्था से कोई संबंध। डेविन मुझे यह देखने में मदद कर रहे थे कि बाइबल स्वयं दिखाती है कि येशु ने केवल एक कलीसिया की स्थापना की, बल्कि प्रेरितों के अधिकार के माध्यम से वह कलीसिया आज भी अस्तित्व में है क्योंकि प्रेरितों ने विश्वास को आगामी पीढ़ियों को सौंप दिया था। हालाँकि, यह ऐसा कुछ नहीं था जिसे मैं आसानी से स्वीकार कर सकता था। 

जब ईश्वर ने मुझे बुलाया

डेविन और मेरे बीच इन वर्षों में बातचीत के कई दौर हुए। हम एक साथ रोम और मेडजुगोरे की तीर्थयात्रा पर निकले। हम जोश से बहस करते रहे। इस दौरान मेरा चर्च में सेवा कार्य का विस्तार हो रहा था और मेरा परिवार भी  बढ़ रहा था। मुझे अपने चर्च में अपनी जिम्मेदारियां पसंद थीं। ईश्वर इन कार्यों को आगे बढ़ा रहे थे और सब कुछ अच्छा चल रहा था हालाँकि ऐसी बहुत सी चीजें थीं जो डेविन ने मुझे दिखाई थीं जो मेरी प्रोटेस्टेंट सोच को चुनौती देती थीं, फिर भी मैं धर्म परिवर्तन के विचार को गंभीरता से लेने से बहुत डरता था। हालाँकि, विशेष रूप से एक रात को ईश्वर ने मुझे बाहर बुलाया।

मैं एक चर्च शिविर में था और मेरा एक मित्र प्रभुभोज के अनुष्ठान में युवाओं की अगुवाई कर रहा था। यह मेरे लिए कोई नई बात नहीं थी, लेकिन जब वह उस अनुष्ठान में आगे बढ़ रहा था और रोटी और रस को पकड़कर कह रहा था  “यह येशु का प्रतिनिधित्व करता है“, मुझे पता था कि येशु ने ऐसा नहीं कहा था, और मुझे यह भी पता था कि यह वह नहीं था जिसे ख्रीस्तीय कलीसिया 1500 वर्षों तक विश्वास करती थी। यह ऐसा था मानो ईश्वर मुझे बुला रहा था और मुझ से कह रहा थाघर आओ और मैं तुम्हें और दिखाऊंगा …” मैं रोता रहा और कमरे से निकल गया। मैंने डेविन को फोन किया और उसके सामने कबूल किया कि मैं कैथलिक बनने के लिए अपने अन्दर बुलाहट महसूस कर रहा हूँ। मुझे डर था कि वे इस बात को लेकर मुझे रगड़ देगा कि वे कितने सही थे, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। उन्होंने बस इतना कहा कि मैं आप की मदद करने के लिए तैयार हूँ। 

काश यह मेरी कहानी का वह हिस्सा होता जहां मैं परिवर्तित हुआ, लेकिन ऐसा नहीं है। मैं बहुत डर गया था। धर्म परिवर्त्तन को मैं टालता रहा, क्योंकि मैं निर्णय नहीं ले पा रहा था कि यह कैसे संभव हो पायेगा। मैं कैसे अपने लिए कोई नौकरी ढूंढूंगा? मेरा परिवार क्या सोचेगा? मैं उन्हें कैसे समझा पाऊंगा? मुझे जो दिशा निर्देश मिल रहा था, उस पर ये सभी सवाल हावी हो गये और मैंने कई सालों तक कैथलिक में धर्मांतरण वाली सोच को अपने दिमाग से हटा लिया। और यही मेरे जीवन की सबसे बड़ी ग्लानियों में से एक है।

दस से अधिक वर्षों के बाद, अंततः परमेश्वर का बुलावा कुछ ऐसा दस्तक दे रहा था जिसका मैं अब और अनदेखा नहीं कर पा रहा था। मैं कुछ वर्षों से यूनाइटेड मेथडिस्ट चर्च मेंयुवाओं और मिशन का पादरीरहा था, जब ग्रेग नाम के मेरे एक अच्छे दोस्त ने मुझे और मेरी पत्नी कोअपारिशन हिल (दर्शन पहाड़)की फिल्म प्रदर्शनी में भाग लेने के लिए आमंत्रित किया। यह फिल्म एक वृत्तचित्र था जिसमें सात अजनबियों द्वारा मेडजुगोरे की तीर्थयात्रा करने के बारे में था। मैंने मेडजुगोरे यात्रा के बारे में काफी समय से नहीं सोचा था, लेकिन जब ग्रेग ने फोन किया तो मैंने सोचा कि मेरा जाना बेहतर होगा, क्योंकि ग्रेग ही वह व्यक्ति था जो मूल रूप से मुझे बहुत वर्षों पहले उस यात्रा पर ले गया था। फिल्म ने मेरे दिमाग में बहुत सी चीजें वापस ला दीं और कई बार मेरी आँखों से आंसू बह आए।  धन्य माँ मरियम ने मुझे स्पर्श करने के लिए इस फिल्म का स्पष्ट रूप से उपयोग किया था। 

सबसे बुरा हिस्सा

मेरे अपने चर्च में एक तूफान जैसी परिस्थिति थी जिससे मैं जूझ रहा था। हालांकि मेरा स्थानीय चर्च बहुत अच्छा था, लेकिन हमारा यूनाइटेड मेथडिस्ट संप्रदाय बड़ी गड़बड़ी में फंसा था। मेरे लिए यह स्पष्ट हो गया था कि पवित्र ग्रन्थ की व्याख्या करने के  लिए  एक आधिकारिक आवाज की कमी थी, इसके अलावा हमारे सम्प्रदाय में अराजकता और फूट भी अपरिहार्य थी। युनाइटेड मेथडिस्ट चर्च एक मजबूत संप्रदाय था, लेकिन कुछ स्थानीय सांस्कृतिक परम्पराएं विवाह और पवित्र ग्रन्थ की बातों के विरुद्ध जा रही थीं। मैंने खुद को ऐसे कई लोगों के बीच में फंसा हुआ पाया जो चाहते थे कि चर्च वर्त्तमान समय के बहाव के साथ बहता रहे। इस सत्य से वे चिंतित नहीं थे कि विवाह और मानुषिक कामुकता जैसी बातों को पवित्र ग्रन्थ में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।पवित्र ग्रन्थ की विभिन्न व्याख्याओं में यह सिर्फ एक व्याख्या है;कलीसिया में पिछले सभी वर्षों में इसे गलत परिभाषित किया है और अब हम इसे ठीक कर देंगे;परमेश्वर नफरत नहीं करता, वह हर किसी से प्यार करता है, इसलिए आप किसी पर फैसला नहीं कर सकते;” ऐसे ऐसे कुछ बयान दिए जा रहे थे जिनके खिलाफ मैंने हमेशा अन्दर ही अन्दर संघर्ष किया था, यह जानते हुए कि वास्तव में किसी तरह के बाहरी ईश्वरप्रदत्त अधिकार के बिना ऐसी गलत बातों के खिलाफ बोलने के लिए मेरा कोई आधार नहीं है। मेरी एक बहुत ही उदार पादरी मित्र के साथ एक बातचीत के दौरान, वह मुझसे बोली, “कीथ, यदि आप चर्च के अधिकार की सारी बातों पर विश्वास करते हैं, तो आप कैथलिक क्यों नहीं बनते?” यह बहुत ही बढ़िया सवाल था!

मैंने उस विचार पर फिर से मनन करना शुरू कर दिया था। ऐसा लग रहा था कि मैंने डेविन के साथ जिन बातों पर मनन-चिंतन किया और बहस की थी, वे सारी बातें अब सही ढंग से समझ में रही थीं। मैं किसी बिलकुल अलग जगह पर था। मैंने सीखा था कि ईश्वर की आवाज़ को सुनना सबसे बुरा काम है। मुझे अभी भी कुछ आपत्तियाँ थीं। मेरे पास अभी भी विरोध और बहस के मुद्दे थे, लेकिन मुझे अपने जीवन में एक नई बुलाहट और एक नई उपस्थिति महसूस होने लगी थी। मुझे इन बातों पर निर्णय लेने में थोड़ा समय लगा, लेकिन यह सब मेरे लिए स्पष्ट हो गया जब मैं येशु के गर्भागमन पर्व पर एक उपदेश देने की तैयारी कर रहा था। (यह आगमन का काल थाइसलिए हम मरियम के बारे में प्रवचन में जिक्र कर सकते थे।) जैसे ही मैंने अपने कार्यालय में बैठकर इस उपदेश पर काम कर रहा था, मैं भावुकता में बह गया। जितना अधिक मैंने मरियम के बारे में सोचा, उतना ही मैं जानता था कि वह कितनी अद्भुत व्यक्ति थी, और पवित्र आत्मा से कितनी जुड़ी हुई थी, और वह अभी भी इसी तरह बनी हुई है। मुझे मरियम की उपस्थिति महसूस हुई। जब मैंने वह प्रवचन दिया, तो मैं पवित्र आत्मा को सक्रिय और गतिशील महसूस कर रहा था। मैंने बताया कि कैसे मरियमनई हेवाऔरविधान की नयी मंजूषाथी। मैंने अपने प्रवचन में इस बारे में बात की कि वह स्वर्गदूत, गाब्रियल द्वाराप्रणाम, प्रभु की कृपापात्रीअभिवादन करने के लिए कितनी योग्य और अद्भुत व्यक्तित्व रही होगी। इस प्रवचन ने लोगों में काफी कौतूहल उत्पन्न किया। 

एक व्यक्ति आंसुओं के साथ मेरे पास आया और कहा कि उसने पहले कभी ऐसा कुछ नहीं सुना था। इसके बारे में मैं और भी बहुत कुछ कह सकता हूँ, लेकिन मूल बात यह है: मेरी सैद्धांतिक आपत्तियों का समाधान तर्कों से नहीं हुआ, बल्कि मेरे दिल पर अधिकार जमाकर धन्य माता मरियम ने समाधान ढूंढ कर दिया। हालांकि, मेरे मन में अभी भी यह बड़ा सवाल था कि अगर मैं कैथलिक सम्प्रदाय में परिवर्तित हो गया, तो मेरा जीवन कैसा चलेगा। मेरे पिताजी ने एक बार मुझसे कहा था, “कीथ, कैथलिक बनना तो एक बात है, लेकिन तुम अपनी नौकरी को कैसे छोड़ पाओगे? कोई रास्ता निकालना पडेगा उनका मतलब था कि मुझे यह जानने की जरूरत है कि मैं अपने परिवार का भरणपोषण कैसे करूंगा। मैं जीवन यापन के लिए क्या करूंगा? मेरी सेवकाई का क्या होगा?

आस्था का एक मज़बूत कदम

उन सवालों के जवाब कुछ समय के लिए मुझे प्राप्त नहीं हुए, लेकिन एक रात जब मैंने क्रूसित प्रभु की प्रतिमा के सामने प्रार्थना की, तब मैंने येशु से कहा, “प्रभु, मैं कैथलिक बनने के लिए तैयार हूं, लेकिन मुझे कोई मार्ग ढूँढने की जरूरत है।येशु ने क्रूस पर से बड़ी स्पष्टता के साथ मुझ से बात की।मैं ही मार्ग, सत्य और जीवन हूँ। तुम्हारे लिए मेरे द्वारा मार्ग बनाने की जरूरत नहीं है, तुम्हें बस मेरी जरूरत है मुझे पता था कि इसका क्या मतलब है। मैंने थोड़ी देर पहले मिस्सा बलिदान के दौरान आशीर्वाद प्राप्त किया था (क्योंकि मैं परम प्रसाद का संस्कार प्राप्त नहीं कर सका था) येशु मुझे दिखा रहे थे कि वह केवल परम प्रसाद में वास्तव में उपस्थित थे, बल्कि यह भी कि मेरी प्राथमिक आवश्यकता परमेश्वर के लिए चीजों को आसान या पूरी तरह से प्रकट करने की नहीं थी, बल्कि विश्वास का एक मज़बूत कदम उठाने की थी, जैसे मैंने पहले कभी नहीं लिया था। वह मुझे दिखा रहा था कि मुझे वास्तव में जिस चीज की जरूरत थी वह नियंत्रण या आश्वासन नहीं था। मुझे जो चाहिए था, वह येशु था। 

मैं महसूस कर रहा था कि भले ही मैं इस दुनिया में अपना सब कुछ खो दूंगा, लेकिन मैं येशु को पा जाऊंगा तो जीत मेरी होगी! मुझे उस स्थान पर पहुंचना था जहां मुझे धर्मांतरण करने के लिए पूर्णता से काम करने की आवश्यकता नहीं थी। मुझे येशु के प्रति अपना सब कुछ बलिदान करने के लिए तैयार रहना था। एक बार जब मैं वह कदम उठाने में सक्षम हो गया, उसके बाद यह सब कुछ स्पष्ट हो गया। पीछे मुड़कर देखने का सवाल ही नहीं था। येशु ने कहा, “स्वर्ग का राज्य खेत में छिपे हुए खजाने के सदृश है, जिसे कोई मनुष्य पाता है और दुबारा छिपा देता है। तब वह उमंग से जाता और सब कुछ बेचकर उस खेत को खरीद लेता है।” (मत्ती 13:44)

इतने सालों के बाद मैं आखिरकार इस खेत को खरीदने के लिए तैयार हो गया था। मैं बहुत खुश हूं कि मैंने किया। कैथलिक बनने के बाद से, चीजें आसान नहीं रही हैं। मैंने दोस्त, पैसा, सुरक्षा, स्थिरता और बहुत कुछ खो दिया है। लेकिन मैंने जो कुछ भी हासिल किया है, वह जितना मैं कभी मांग सकता था, उससे कहीं अधिक मूल्यवान है। मैंने जो आशीर्वाद प्राप्त किया है, उसकी तुलना मेरे द्वारा किए गए त्याग के साथ नहीं की जा सकती है। परमेश्वर अपने वचन पर खरा उतरा है। मुझे पता है कि इस जीवन में चाहे कुछ भी हो जाए, मैं कभी भी कलीसिया और मेरा नया विश्वास नहीं छोड़ूंगा। 

जब आप ईश्वर की पुकार को सुनकर उसका पालन करते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि जीवन आसान हो जाता है, बल्कि यह अधिक सार्थक हो जाता है। उसने मुझे जो अनुग्रह दिया है उसके लिए मैं बहुत आभारी हूं, और यह यात्रा मुझे यहां से कहां ले जाएगी, इसका मैं केवल सपना देख सकता हूं

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Keith Nester

Keith Nester is the Executive Director of Down to Earth Ministries where he speaks to audience about faith, theology and his journey to Catholicism. Keith and his wife Estelle have 3 adult children and live in Cedar Rapids, Iowa. Keith has shared his testimony through the Shalom World program “Mary My Mother”. To watch the episode visit: shalomworld.org/shows/mary-mymother

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