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जून 23, 2021 1495 0 Cardinal Raniero Cantalamessa
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क्या ईश्वर से गलतियाँ हो जाती हैं ?

क्या पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र की मृत्यु को चाहा था ताकि उससे भलाई निकाली जा सके?

विषाणु का दोस्त

चित्रकार जेम्स थॉर्नहिल लंदन के सेंट पॉल कथीड्रल की छत से कुछ ही कदम नीचे बने मचान पर खड़े होकर छत पर भित्ति चित्रों को बना रहे थे | वे अपनी सुन्दर चित्रकारी से इतने उत्साहित हो गए कि उन्होंने इसे बेहतर तरीके से देखने के लिए पीछे कदम रखा | वे इस बात से अनजान थे कि वे मचान के बिलकुल किनारे पहुँच गए थे जहां से नीचे गिरना निश्चित था । यह देखकर उनका सहायक भयभीत हो गया । उसने समझ लिया कि बॉस को चिल्लाकर रोकूँ तो यह आपदा होने में बिलकुल देर नहीं लगेगी । उसने कोई सोचा सोची नहीं की, तुरंत अपने पेंट के डिब्बे में एक ब्रश डुबोया और उसे भित्ति चित्र पर फेंक दिया। सुन्दर चित्र को बदरंग होते देखकर जेम्स थॉर्नहिल चकित रह गए और दो कदम आगे बढ़ गये। उनकी खूबसूरत कलाकृति खराब हो गयी थी, लेकिन उनकी जान बच गयी |

ईश्वर कभी-कभी हमारे साथ ऐसा ही करता है। वह हमारा चैन और हमारी परियोजनाओं को बाधित करता है ताकि हमें  अपने सामने मौजूद गहरी खाई से बचाया जा सके। लेकिन हमें सावधान रहने की जरूरत है ताकि हम धोखा नहीं खाए । हमारे आधुनिक तकनीकी समाज के चमचमाते भित्तिचित्र को बदरंग करनेवाला व्यक्ति ईश्वर नहीं है । ईश्वर हमारा सहयोगी है, विषाणु का सहयोगी नहीं! वह स्वयं बाइबल में कहता है, “मैं तुम्हारे लिए निर्धारित अपनी योजनायें जानता हूँ’ – यह प्रभु की वाणी है “”तुम्हारे हित की योजनायें, अहित की नहीं, तुम्हारे लिए आशामय भविष्य की योजनाएं |” (यिरमियाह 29:11)। यदि ये सारे संकट परमेश्वर की ओर से दंड होते, तो अच्छे और बुरे दोनों पर समान रूप से मार नहीं पड़ता । और न ही गरीबों को इसके बुरे परिणाम भुगतना पड़ता । क्या गरीब सबसे बुरे पापी हैं? बिलकुल नहीं!

येशु अपने मित्र लाज़रुस की मृत्यु के बाद रोये थे | आज येशु सम्पूर्ण मानवता के सम्मुख संकट बनकर खड़े इस महामारी के लिए हमारे साथ रो रहे हैं । हाँ, जिस तरह जब बच्चा दर्द से कराहता है तो उसके मातापिता दुःख झेलते हैं, उसी तरह परमेश्वर “पीड़ा भोग रहा है” । जिस दिन हम इस सच्चाई को जानेंगे, उसी दिन  हम उन सारे इल्ज़ामों के बारे में सोचकर शर्मिंदा होंगे जिन्हें हमने परमेश्वर पर लगाया था । ईश्वर हमारी पीड़ा को हमसे दूर करने केलिए उस पीड़ा में भाग लेता है। संत अगुस्तिन ने लिखा है ” ईश्वर भलाई का सर्वश्रेष्ठ होने के कारण, अपने कामों में कोई बुराई नहीं होने देता | हाँ, उनकी सर्वश्रेष्ठता और भलाई में, वह बुराई में से भलाई को भी उत्पन्न कर सकता है |”

 असीमित स्वतंत्रता

क्या पिता परमेश्वर ने अपने पुत्र की मृत्यु को चाहा था ताकि उससे भलाई निकाला जा सके ? नहीं, उसने बस मानव की स्वतंत्रता को अपना कार्य पूरा कर लेने की अनुमति दी। हालाँकि, उसने इसे सभी मनुष्यों के लाभ के लिए एक महती उद्देश्य के काम में आने दिया । भूकंप और महामारी जैसी प्राकृतिक आपदाओं का भी यही उद्देश्य है। आपदाएं ईश्वर के द्वारा नहीं लाये  जाते हैं । उसने प्रकृति को भी स्वतंत्रता दी है, जो गुणात्मक रूप से मनुष्य की तुलना में बिलकुल अलग तरह की स्वतंत्रता है, हाँ, वह भी स्वतंत्रता का एक रूप है । उसने दुनिया को उस घड़ी की तरह नहीं बनाई जो पहले से ही प्रोग्राम्ड है, और जिसकी गति का अनुमान लगाया जा सकता था। कुछ लोग इसे संयोग कहते हैं, लेकिन पवित्र बाइबिल इसे “ईश्वरीय प्रज्ञा” कहती है।

क्या ईश्वर चाहता है कि हम उसके सम्मुख याचिका दायर करें ताकि वह हमें अपनी ओर से कुछ खैरात प्रदान कर सके? क्या परमेश्वर की योजना को बदलने में हमारी प्रार्थना में ताकत है? नहीं, लेकिन ऐसी चीजें हैं जो ईश्वर ने हमें उनकी कृपा और हमारी प्रार्थना दोनों के फल के रूप में देने का फैसला किया है। वह अपने सृष्ट प्राणियों को दिए गए लाभ का श्रेय अपने तक सीमित नहीं रखना चाहता है लेकिन उन प्राणियों के साथ साझा करना चाहता है । परमेश्वर ही हमें यह करने के लिए प्रेरित करता है: यीशु ने कहा: “ढूंढो और तुम्हें मिल जाएगा, खटखटाओ और तुम्हारे लिए खोला जाएगा” (मत्ती 7:7) |

जब इस्राएलियों को रेगिस्तान में जहरीले सर्पों ने काटा था, तब परमेश्वर ने मूसा को आज्ञा दी कि वह एक कांसे के सर्प को एक डंडे पर खड़ा करें । जिन सबों ने इसे देखा वे नहीं मरे । येशु ने इस प्रतीक को अपने लिए उपयोग किया जब उन्होंने निकोदेमुस से कहा, “जिस तरह मूसा ने मरुभूमि में सांप को ऊपर उठाया था, उसी तरह मानव पुत्र को भी ऊपर उठाया जाना है, जिससे जो उस में विश्वास करता है, वह अनन्त जीवन प्राप्त करे” (योहन 3:14-15)। इन दिनों एक अदृश्य विषैले “सर्प” ने हमें डंस लिया है। जो हमारे लिए क्रूस पर “उठाया गया” था हम उसी पर टकटकी लगाएं । आइए अपनी और पूरी मानव जाति की ओर से हम उसकी आराधना करें। जो विश्वास के साथ उस की ओर देखेगा, वह मरेगा नहीं । जब कभी मृत्यु आएगी, तब विश्वास करने वाले को शाश्वत जीवन की प्रतिज्ञा की जाती है ।

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Cardinal Raniero Cantalamessa

Cardinal Raniero Cantalamessa is the preacher to the Papal household from the time of Pope John Paul II. A prolific author, Cardinal Cantalamessa is also a popular speaker, invited to give talks and retreats around the world.

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