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जून 03, 2023 312 0 Margaret Ann Stimatz
Evangelize

क्या आप ज्यादा खाने के आदी हैं? मदद यहाँ है

क्या आप जीवन की अनिश्चितताओं से परेशान हैं? हिम्मत मत हारिये। एक समय मैं भी उन परिथितियों में फंसी थी – लेकिन येशु ने मुझे इससे बाहर निकलने का मार्ग दिखाया।

एक दिन जब मैं तीस साल की थी, अपनी पसंदीदा हवादार आसमानी रंग का कपड़ा पहनकर शहर में टहल रही थी। यह कपड़ा मुझपे अच्छा लगता था, इसलिए मैं इसे अक्सर पहनती थी। बिना किसी चेतावनी के मैंने अचानक एक दुकान की खिड़की में अपना प्रतिबिंब देखा। मैं अपनी आँखों पर विश्वास नहीं कर पाई। मैंने अपने उभरते हुए पेट को अन्दर दबाने की कोशिश की। पर यह मुमकिन नहीं था। मेरे शारीर में हर जगह उभार था। मेरे रुधिर वहिकाओं के नीचे मेरे पैर सुखाये हुए सूअर के मांस की तरह लग रहे थे। मुझे अपने आप से घृणा महसूस हुई।

लापरवाह

मेरा खाना और वजन नियंत्रण से बिलकुल बाहर हो गया था; और इससे से भी बढ़कर, मेरा पूरा जीवन एक रेल दुर्घटना के समान हो गया था। हाल ही में तलाक मेरे वैवाहिक जीवन को बर्बाद कर चुका था। बाहर से तो मैं दिखावा करती थी कि सब कुछ ठीक है, लेकिन अंदर ही अंदर मैं टूट चुकी थी।
चर्बी की दीवारों के पीछे अलग-थलग रहते हुए, मैंने अपनी पीड़ा किसी से साझा नहीं की। अपने दर्द को कम करने के लिए, मैंने शराब पी ली, खूब काम किया, और अत्यधिक खाया। डायटिंग के लगातार प्रयासों ने मुझे मोह, आत्म-दया और अत्यधिक भोजन की गुलामी के एक भयंकर चक्र में फंसा दिया।

और इन सभी मलबों के नीचे, आध्यात्मिक समस्याएँ पनप रही थीं। यधपि मैं खुद को कैथलिक कहती थी, लेकिन मैं एक नास्तिक की तरह जीवन बिता रही थी। मेरे लिए ईश्वर तो था, लेकिन बहुत दूर वहां ऊपर, जो मेरे दुखों के बारे में कुछ भी परवाह नहीं करता था। मुझे ऐसे ईश्वर पर थोड़ा भी भरोसा क्यों करना चाहिए? मैं जब केवल अपने माता-पिता से मिलने जाती थी, तभी मैं रविवारीय मिस्सा में जाती थी ताकि उन्हें विश्वास दिला सकूं कि मैं ईमानदारी पूर्वक अपने विश्वास को निभाती हूँ। सच में, मैं अपने मन में ईश्वर के बारे में एक भी विचार लाये बिना अपने दिन बिताती रही और वही करती थी जो मेरी पसंद की थीं।

लेकिन उस खिड़की में अपने प्रतिबिंब की डरा देने वाली स्मृति ने मुझे परेशान कर दिया। एक नई बेचैनी ने मेरी आत्मा को जकड़ लिया। बदलाव जरूरी था, लेकिन यह कैसे होगा? मुझे अनुमान नहीं था। न ही मुझे इस बात का अंदाज़ा था कि परमेश्वर स्वयं उस क्षण में कार्य कर रहा था, और अपनी कोमल उँगलियों से मेरे हृदय के दर्द को मुझे दिखा रहा था।

गोलियथ के साथ मुकाबला

काम पर एक महिला ने अपने खाने और वजन के बारे में अपनी निराशा मुझसे व्यक्त की और हम दोस्त बन गए। एक दिन उसने बारह चरणों वाले एक समूह का उल्लेख किया जिसमें उसने भाग लेना शुरू किया था। वह समूह जोर देकर कहता है कि अव्यवस्थित भोजन हमारे भावनात्मक और आध्यात्मिक जीवन से संबंधित है, इसलिए वजन कम करने और अत्यधिक खाना बंद रखने के लिए उन घटकों पर भी ध्यान देने की जरूरत है। इस एकीकृत दृष्टिकोण ने मुझे आकर्षित किया। इस तरह के समूहों के प्रति मेरी नापसंद के बावजूद, मैंने इस समूह की कुछ बैठकों में भाग लेने की कोशिश की। जल्द ही, मैं नियमित रूप से उपस्थित होने लगी, और हालांकि मैं शायद ही किसी बैठक में एक शब्द भी बोली होगी, बाद में मैं वहा से मिले कुछ सुझावों पर प्रयोग करती थी। इस दृष्टिकोण ने कुछ हद तक काम किया, और कुछ महीनों के बाद जब मेरा वजन कम होने लगा तो मैं बहुत खुश थी। हालाँकि — मैंने इस बात को किसी के सामने उजागर नहीं किया — तब भी मैं अपनी प्रगति के लिए खतरा बना हुआ एक शातिर गोलियथ के साथ संघर्ष कर रही थी।

हर दिन काम पर जाने के दौरान, मैं एक ऐसी आहार योजना का पालन करने लगी जो मुझे संयमित रूप से खाने और प्रलोभनों को कम करने में सहायता करती थी। लेकिन शाम 5:00 बजे तक हर रोज मुझे बहुत तेज भूख लग जाती थी। मैं घर जाती और जब तक थककर बिस्तर पर गिर न जाती तब तक अनियंत्रित रूप से बहुत सारा भोजन अपने मुंह में ठूसती रहती थी। मैं इस राक्षस के सामने शक्तिहीन और भयभीत थी कि मेरे वजन बढ़ता न जाये। मुझे खुद से घृणा हो गई थी। मुझे कुछ सूझ नहीं रहा था कि मुझे क्या करने की जरूरत थी? ये सब चलता रहा, और निराशा ने मुझे जकड़ लिया।

एक सुझाव मेरे दिमाग में आया

फिर अप्रत्याशित रूप से मेरे दिमाग में सबसे विचित्र विचार आया कि काम से सीधे घर जाने के बजाय, मैं शाम के सवा पाँच बजे वाले मिस्सा बलिदान में भाग ले सकती हूँ। वह कम से कम मेरे खाने को स्थगित कर देगा और इसकी अवधि को एक घंटे कम कर देगा। पहले तो यह विचार दयनीय लगा। क्या यह अस्थायी और बेहूदा नहीं था? लेकिन, चूँकि कोई अन्य विकल्प नज़र नहीं आ रहा था, तो हताशा ने मुझे इसे आज़माने के लिए प्रेरित किया। जल्द ही मैं मिस्सा बलिदान में भाग लेने लगी और प्रतिदिन पवित्र परम प्रसाद ग्रहण करने लगी।
मेरा एक लक्ष्य मेरे अत्यधिक खाने को कम करना था। जाहिर तौर पर, येशु के लिए इतना ही काफी था। वास्तव में अपने शरीर और रक्त में मौजूद येशु वहां मेरी प्रतीक्षा कर रहे थे, और मुझे वापस पाकर खुश थे। बहुत समय बाद ही मुझे एहसास हुआ कि इन सब में भी उनका एक मकसद था: एक अथाह रूप से ऊंचा, व्यापक और गहरा मकसद। वह सुनिश्चित रूप से जानते थे कि मुझे क्या चाहिए और इसे कैसे प्रदान करना है।

कोमल और दयामय प्रेम के साथ, येशु ने मेरे लड़खड़ाते पैरों को ठोस जमीन पर लाने के लिए मेरी निराशा का इस्तेमाल किया और मेरे दिल को ठीक करने और इसे अपने दिल से जोड़ने की एक लंबी प्रक्रिया शुरू की। प्रत्येक दिन पवित्र मिस्सा में उसने अपने शरीर और रक्त को मुझे खिलाते और पिलाते हुए मेरी बीमारियों को ठीक करना शुरू किया, मुझे अलौकिक अनुग्रहों से भर दिया, मेरे अंधकारमय जीवन में प्रकाश फैलाया, और मुझे उन बुराइयों से लड़ने के लिए तैयार किया जो मुझे डराती थीं।

अंततः मिल गयी मुझे आज़ादी

येशु के यूखारिस्तीय अनुग्रह ने मुझे प्रज्वलित किया और स्फूर्ति प्रदान की, और मैंने कार्यक्रम में अपनी भागीदारी को एक नए स्तर पर पहुँचा दिया। पहले मैंने ऊपरी तौर पर दिलचस्पी ली; अब मैं पूरी तन्मयता के साथ शामिल हो चुकी हूँ, और जैसे-जैसे दिन बीतते गए, मुझे दो उपहार मिले जो अनिवार्य रूप से उपयोगी साबित हुए: एक सहायक समुदाय जो अच्छे और बुरे दिनों में मेरे साथ रहा, और व्यावहारिक रणनीतियों का एक शस्त्रागार। इनके बिना, मैं हिम्मत हार जाती और हार मान लेती। लेकिन इसके बजाय – एक लंबी अवधि में, जैसा कि मैंने येशु को मेरे लिए उद्धारकर्ता के रूप में स्वीकार करना सीखा। आखिर येशु इसी के लिए मर गए थे। जैसे-जैसे मेरी बारह-चरणों की दोस्ती ने मुझे समृद्ध और मजबूत किया, और जैसा कि मैंने ज्ञान और साधनों का उपयोग किया जो मुझे दिया गया था, मैंने पाया कि मुझे अपने अव्यवस्थित खानपान से मुक्ति मिली और एक स्थिर और स्थायी सुधार योजना आज भी जारी है।

इस प्रक्रिया में, विश्वास जो पहले केवल मेरे दिमाग में था, अब मेरे दिल में स्थानांतरित हो गया, और मेरे मन में एक दूरस्थ बेपरवाह परमेश्वर की जो झूठी छवि थी वह छवी टुकड़े-टुकड़े हो गई। येशु, मेरे धन्य उद्धारकर्ता ने जो मुझे अपने करीब लाना जारी रखता है, मेरे बहुत से कड़वी यादों को मीठी यादों में बदल दिया। आज तक मेरे जीवन के अन्य गड्ढों और बंजर भूमि, जो मुझे फलने-फूलने से रोकते हैं, उन्हें बदलने में वह मुझे सहयोग देना जारी रखता है।

आप कैसे हैं? आज आप किन असंभव बाधाओं का सामना कर रहे हैं?

चाहे आप अपने खाने के बारे में परेशान हों, किसी ऐसे प्रियजन के बारे में परेशान हों जिसने विश्वास छोड़ दिया हो, या अन्य बोझों से कुचले गये हो, तो हिम्मत न हारें, दिल थाम लीजिए। पवित्र यूखरिस्त और आराधना में येशु को गले लगाइये। वह आपका इंतजार कर रहे हैं। अपना दर्द, अपनी कड़वाहट, अपनी गंदगी उसके पास ले आइए। वह आपकी सहायता के लिए उसी तरह ही आना चाहते हैं जिस तरह उसने मुझे मेरे सारे संकटों में बचाया था। कोई भी समस्या चाहे वह बहुत बड़ी हो या बहुत छोटी, सब कुछ उसके पास लाया और सुलझा जा सकता है।

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Margaret Ann Stimatz

Margaret Ann Stimatz is a retired therapist currently working to publish her first book “Honey from the Rock: A Forty Day Retreat for Troubled Eaters”. She lives in Helena, Montana.

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