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मार्च 16, 2022 560 0 Ghislaine Vodounou
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उसने मुझे कभी नहीं छोड़ा

उस दिन मैं हताश और अकेली महसूस कर रही थी, लेकिन मुझे क्या पता था, कुछ खास होने वाला था…

जब संत पापा फ्रांसिस ने 8 दिसंबर 2020 से शुरू होने वाले “संत जोसेफ का वर्ष” घोषित किया, तो मुझे वह दिन याद आया जब मेरी मां ने मुझे इस महान संत की एक सुंदर मूर्ति दी थी जिसे मैंने अपने प्रार्थनाकक्ष में गहरी श्रद्धा के साथ रखा था। इन वर्षों में, मैंने संत जोसेफ के लिए कई नवरोज़ी प्रार्थनाएं की हैं, लेकिन मुझे हमेशा यह महसूस होता था कि संत जोसफ शायद मेरी प्रार्थनाओं से अवगत नहीं होंगे। जैसे-जैसे समय बीतता गया, मैंने संत जोसफ पर बहुत कम ध्यान दिया।

पिछले साल, मेरे एक पुरोहित मित्र ने मुझे संत जोसेफ से 33 दिन की प्रार्थना करने की सलाह दी, इसलिए मैंने फादर डोनाल्ड एच. कॉलोवे द्वारा रचित संत जोसेफ के प्रति समर्पण की 33 दिन प्रार्थना की। समर्पण प्रार्थना के अंतिम दिन मुझे इस बात का अंदाजा नहीं था कि मेरे जीवन में कुछ खास होने वाला है। रविवार का दिन था। मैं बहुत उदास महसूस कर रही थी, हालाँकि, उदास होना मेरे स्वभाव में बिल्कुल नहीं है। लेकिन वह दिन बहुत अलग था। इसलिए पवित्र मिस्सा बलिदान के ठीक बाद, मैंने आराधना में जाने का फैसला किया। क्योंकि मेरी इच्छा थी कि परम पवित्र संस्कार के सम्मुख बैठकर मैं कुछ पा लूं, क्योंकि मुझे विश्वास था कि जो कोई अपने दिल की गहराइयों से प्रार्थना करेगा, उसे सांत्वना ज़रूर मिलेगी।

 ऊपर से प्यार

एक बार, जब मैं म्यूनिख में भूमिगत मेट्रो रेल सेवा यू-बान में मेट्रो गाडी की प्रतीक्षा कर रही थी, मैंने देखा कि एक महिला अनियंत्रित रूप से रो रही है। इसे देखकर मैं हिल गयी थी और उसे सांत्वना देना चाहती थी। उसके ज़ोरदार विलाप ने सबका ध्यान आकर्षित किया था और हर कोई उसे घूर रहा था, जिससे मेरे जाने और उससे बात करने की इच्छा कम हो गयी थी। कुछ देर बाद वह जाने के लिए उठी, लेकिन अपना दुपट्टा पीछे छोड़ गई। अब मेरे पास उसके पीछे जाने के अलावा कोई चारा नहीं था। जैसे ही मैंने दुपट्टा वापस दिया, मैंने उससे कहा, “मत रोओ … आप अकेली नहीं हैं। येशु आपसे प्यार करते हैं और वह आपकी मदद करना चाहते हैं। अपनी सभी परेशानियों के बारे में उससे बात करें… वह आपकी मदद जरूर करेंगे।” मैंने उसे कुछ पैसे भी दिए। फिर उसने मुझसे पूछा कि क्या मैं उसे अपनी बाहों में ले सकती हूं। मैं थोड़ी अनिच्छुक थी, लेकिन पल में इस अनिच्छा को एक तरफ धकेलकर, मैं ने उस महिला को गर्मजोशी से गले लगाया और धीरे से उसके गालों को छुआ। इस कृत्य से मैं स्वयं आश्चर्यचकित थी क्योंकि उस दिन मैं बहुत खालीपन और आत्मा में उदासीपन महसूस कर रही थी। और सच में मैं कह सकती हूं कि यह प्यार मेरी तरफ से नहीं था। वह येशु ही थे जो इस तरह उसके पास पहुंचे थे!

अंत में, जब मैं आराधना के लिए गिरजाघर पहुंची, तो ईश्वर से मदद की गुहार लगाई और मेरा जीवन उसके नियंत्रण में है इस बात का एक संकेत के लिए मदद माँगी। जैसे ही मैंने संत जोसेफ वाली अपनी प्रार्थना और समर्पण को पूरा किया, मैंने संत जोसेफ की मूर्ति के सामने एक मोमबत्ती जलाई। तब इस बात पर विचार करते हुए कि उन्होंने मुझे कभी जवाब क्यों नहीं दिया, मैंने सहज भाव से संत जोसेफ से पूछा कि क्या वह वास्तव में मेरी परवाह करते हैं, या नहीं।  

बड़ी मुस्कान

वापस ट्रेन की ओर जाते समय, एक महिला ने मुझे गली में रोक दिया। वह 50 के आसपास की लग रही थी और मेरी उससे यह पहली और आखिरी मुलाक़ात थी, लेकिन उसने मुझसे जो कहा वह अभी भी मेरे कानों में गूँज रहा  है। जैसे ही मैंने उसकी ओर देखा और सोच रही थी कि वह मुझसे क्या चाहती है, उसने अचानक अपने चेहरे पर एक बड़ी मुस्कान के साथ कहा “ओह! संत जोसेफ आपसे बहुत प्यार करते हैं, आपको पता नहीं है।” मैं हतप्रभ रह गयी और उसने जो कहा उसे दोहराने के लिए मैंने उससे कहा। मैं इसे फिर से सुनना बहुत चाहती थी और मेरे पास जो भावना थी वह शब्दों से परे है। उस पल मुझे पता चल गया था कि मैं कभी अकेली नहीं हूं। खुशी के आंसू मेरे गालों पर लुढ़कते गए, क्योंकि मैंने उससे कहा कि मैं प्रार्थना कर रही थी और एक संकेत मांग रही थी। मंत्रमुग्ध कर देने वाली एक मुस्कान के साथ उसने उत्तर दिया, “प्रिय, यह पवित्र आत्मा का कार्य है”

फिर उसने पूछा, “क्या आप जानती हैं कि संत जोसेफ आपसे सबसे ज्यादा किस बात केलिए प्यार करते हैं?” मैंने हतप्रभ स्थिति में पीछे मुड़कर उसकी ओर देखा। मेरे गालों को धीरे से छूते हुए (ठीक वैसे ही जैसे मैंने पहले मेट्रो में दूसरी महिला के साथ किया था) वह फुसफुसाई, “तुम्हारा कोमल और विनम्र दिल से।” फिर वह चली गई।

मैंने इस भली महिला से इससे पहले या बाद में कभी नहीं मिली। यह बात असामान्य थी, क्योंकि ज्यादातर हमारे गिरजाघरों में हम एक-दूसरे को जानते हैं, लेकिन मुझे अभी भी स्पष्ट रूप से याद है कि वह कितनी प्यारी और खुशी से भरी थी।

उस दिन मैं इतना हताश महसूस कर रही थी इसलिए मुझे वास्तव में यह महसूस करने की ज़रूरत थी कि प्रभु वास्तव में मुझसे प्यार करते हैं और मेरी परवाह करते हैं । संत जोसेफ के संदेश से मेरी चिंता दूर हुई। संत जोसफ इतने वर्षों तक मेरे साथ रहे, हालांकि मैंने अक्सर उनकी उपेक्षा की थी।

मेरा दृढ़ विश्वास है कि उस दिन की शुरुआत में मेट्रो में रोनेवाली महिला से मुलाक़ात की घटना बाद में इस दयालु और भली अपरिचित महिला के साथ मेरी मुलाकात से जुड़ी हुई थी। उसने मुझे ज्ञान का एक महत्वपूर्ण सन्देश दिया। हम जो कुछ भी दूसरों के लिए करते हैं, हम येशु के लिए करते हैं, भले ही हमारा ऐसा करना हमारी इच्छा के अनुरूप न हो। जब हम दूसरों तक पहुँचने के लिए अपने आराम क्षेत्र से बाहर निकलते हैं तो येशु और भी अधिक खुश होते हैं। तब से, मैं हर दिन अपने प्रिय संत जोसेफ की शक्तिशाली मध्यस्थता मांगती हूं, बिना किसी असफलता के!

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Ghislaine Vodounou

Ghislaine Vodounou गिलाइन वोडोनु अपने विश्वास की गवाही देती रहती हैं। वे जर्मनी के म्युनिक शहर में रहती हैं।

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