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मार्च 23, 2023 362 0 Antoinette Moynihan, Ireland
Encounter

उसकी शरण में सुरक्षित

माँ मरियम की भक्ति अपने आप में एक लक्ष्य नहीं है … यह एक पवित्र मार्ग है जो हमेशा मसीह की ओर जाता है 

मेरी माँ और नानी माँ मरियम और पवित्र हृदय के प्रति बड़ी श्रद्धा रखती थीं। जब हम बच्चे थे, उन दिनों हम अक्सर माँ मरियम से उन बहुत सी चीज़ों के लिए प्रार्थना करते थे, जिनकी हमें आवश्यकता होती है। जब हम किसी खोई हुई गुड़िया या चोरी हुई बाइक को खोजने की कोशिश कर रहे थे, तब भी हम माता मरियम की ओर मुड़ते थे। मेरे पिता भवन निर्माण क्षेत्र में काम करते थे। जब काम दुर्लभ था, जो अक्सर हुआ करता था, मेरी माँ ने मरियम से प्रार्थना की और अनिवार्य रूप से, थोड़े समय बाद, कोई न कोई ठेकेदार मेरे पिता के लिए काम की पेशकश करने घर आते थे।

क्योंकि हम बच्चों को लगता था रोज़री बड़ी लम्बी प्रार्थना है, हम में से अधिकांश बच्चे जब भी ‘रोज़री’ शब्द सुनते थे, तो भाग कर छिप जाते थे। लेकिन हमारी माँ अंततः हमें ढूंढ लेती और हमें प्रार्थना करने के लिए साथ ले आती थी। दुर्भाग्य से, जैसे-जैसे हम बड़े होते गए, बचपन के समय की तुलना में माता मरियम हमारे लिए कम महत्वपूर्ण हो गई।

वापस मरियम की बाहों में

सन 2006 में, सेंट पैट्रिक चर्च का एक दल एक आध्यात्मिक मिशन कार्यक्रम देने के लिए हमारी पल्ली में आया। उनके मिशन कार्य में प्रत्येक दिन सुबह में पवित्र मिस्सा और शाम को प्रवचन और गवाही शामिल थी। सप्ताह के अंत में, मैंने पाया कि मेरा हृदय बदलने लगा था। माता मरियम से प्रार्थना करने की बचपन की यादों की एक लहर मुझ पर छा गई, और मुझे याद आया कि माँ मरियम ने हमारे जीवन में कितनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मैं माँ मरियम के साथ अपने बचपन के रिश्ते को फिर से हासिल करना चाहती थी।

मिशन के अंतिम दिन, हमने एक अति सुंदर पवित्र मिस्सा में भाग लिया। बाद में, पल्ली के बच्चे जलती मोमबत्तियाँ लेकर माता मरियम के इर्द गिर्द इकट्ठे हो गए। हम वयस्क लोग उनके साथ जुड़ गए। जब हम मोमबत्तियाँ जला रहे थे और प्रार्थना कर रहे थे, तो बच्चों ने धन्य माँ के बारे में कई सवाल पूछे: वे जानना चाहते थे, “वह अब कहाँ हैं?” और “हम उससे कैसे बात कर सकते हैं?” उन्होंने आँखें बंद करके और हाथ जोड़कर, भावपूर्ण प्रार्थना की। उस समय मुझे अपने बचपन की भक्ति और धर्मपरायणता को फिर से प्राप्त करने की इच्छा महसूस हुई। मैंने माता मरियम से उसी तरह बात करना शुरू किया जैसे मैं बचपन में किया करती थी। हम वयस्क लोग कभी-कभी उसके सम्मुख निवेदन रखकर उस से प्रार्थना करने में संतुष्ट होते हैं, लेकिन उसके साथ बात करने या संवाद करने में नहीं। हम उससे उस तरह बात नहीं करते जैसे हम अपनी मां से करते हैं। पल्ली में उस आध्यात्मिक मिशन के दौरान, मैंने फिर से सीखा कि कैसे मैं माता मरियम के पास विश्राम पाऊँ और किस तरह मैं अपनी प्रार्थनाओं को मेरे मन के अन्दर से बाहर प्रवाहित करूँ।

एक दिन कार में अपनी छोटी बेटी सारा के साथ यात्रा करते हुए, मैंने कहा कि मुझे माता मरियम से मिलना अच्छा लगेगा। उसने जवाब दिया कि यह “बहुत अच्छा” होगा। फिर उसने कहा, “रुको माँ, हम माता मरियम को बराबर देखते हैं। हम उसे हर दिन देखते हैं, लेकिन कोई भी उसे देखने या उससे बात करने का समय नहीं निकालता है।“ मैं उसकी टिप्पणी से इतना हैरान थी कि मेरी गाड़ी लगभग सड़क से बाहर चली गयी। सारा ने जो कहा वह मुझे तार्किक और विवेकपूर्ण बात लगी। जब मैंने इस बात को मुझे समझाने के लिए कहा, तो उस समय वह अपनी गुड़िया के साथ खेल में लौट चुकी थी। मुझे यकीन था कि उसकी टिप्पणी पवित्र आत्मा से प्रेरित थी। “तूने इन बातों को ज्ञानियों और समझदारों से छिपाकर, निरे बच्चों पर प्रकट किया है।” (मत्ती 11:25)।

मरियम के हाथ पकड़े हुए

बेशक, हमारी धन्य माँ के प्रति मेरी भक्ति में रोज़री माला विनती शामिल है। हालाँकि यह एक महत्वपूर्ण और सुंदर प्रार्थना है, कई वर्षों तक मुझे इस प्रार्थना को करने के लिए संघर्ष करना पडा, क्योंकि मैं अभी तक अपने बचपन की शिकायत से दूर नहीं हुई थी कि यह प्रार्थना बड़ी लंबी थी। लेकिन मैंने रोज़री माला के महत्व को तब पहचाना जब मैंने येशु के जीवन पर ध्यान देना शुरू किया। इससे पहले, रोज़री माला एक प्रार्थना थी जिसे पूरा करने के लिए मैं जल्दी जल्दी प्रार्थना बोलती थी। लेकिन जैसा कि मैंने येशु के जीवन पर विचार करना शुरू किया, वैसे वैसे माता मरियम ने मुझे सिखाया कि रोज़री माला हमें उसके दिल में गहराई तक ले जाती है। क्योंकि वह ईश्वर की माँ है और हमारी माँ भी, हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी उंगली पकड़कर हमें ले जाए और हमें येशु मसीह के साथ उस गहरी यात्रा में ले जाए जिसे केवल वही पूरी तरह से समझती है।

जैसे-जैसे हम जीवन में आगे बढ़ते हैं, हम जिन कठिनाइयों का सामना करते हैं, वे हमें ईश्वर के प्रेम पर संदेह करने या माता मरियम से दूर करने का कारण बन सकती हैं। मेरी भाभी की कैंसर से मृत्यु हो गई जब वह केवल बयालीस वर्ष की थी। वह अपने पीछे अपने पति और तीन बच्चे छोड़ गई। ऐसे समय में “ऐसा क्यों हुआ?” यह सवाल उठाना स्वाभाविक है, लेकिन हमारी परीक्षाओं को मरियम से बेहतर कौन समझ सकता है? क्रूस के नीचे खड़ी होकर उसने अपने बेटे को तड़पते और मरते हुए देखा। हम जिस भी रास्ते पर चलते हैं, दुख के रास्ते में भी, मरियम हमारे लिए एक हमसफ़र हो सकती है।

मसीह के हृदय तक जाने का सबसे छोटा मार्ग

माता मरियम के माध्यम से ही परमेश्वर ने मुझे मेरे दिल की इच्छा तक पहुँचाया। लेकिन इसमें कुछ समय लगा। उसके माध्यम से मुझे यूखरिस्त का महत्व समझ में आया। कभी-कभी माँ मरियम के प्रति लोगों की भक्ति, मसीह के बारे में अधिक ज्ञान की ओर नहीं ले जाती है। लेकिन माँ मरियम की भक्ति उसके पुत्र के बारे में ही है और हमें येशु के साथ गहरे रिश्ता जोड़ने के बारे में है। माँ मरियम के माध्यम से मैंने येशु के सम्मुख अपना पूर्ण समर्पण किया है। यह मरियम के साथ उसके दिव्य पुत्र की ओर एक व्यक्तिगत यात्रा है। मरियम एक मार्गदर्शक हैं जो हमेशा हमें येशु के पवित्र हृदय तक ले जाती हैं।

मेडजुगोरे के छह छोटे बच्चों को माता मरियम दर्शन दे रही हैं यह बात सुनकर सन 2009 में मैं वहां गयी। मेडजुगोरे एक सरल लेकिन सुंदर जगह है जहाँ शांति को मूर्त रूप से अनुभव किया जाता है। मेडजुगोरे में येशु के पवित्र ह्रदय की एक प्रतिमा थी, जिसकी चारों ओर कई तीर्थयात्री प्रार्थना करने के लिए एकत्रित हुए थे। जब उस प्रतिमा के पास जाने की मेरी बारी आई, तो मैं उसके पास गयी, अपनी आँखें बंद कीं, और मूर्ति के कंधे पर हाथ रखकर प्रार्थना की। लेकिन जब मैंने अपनी आँखें खोलीं, तो मैंने पाया कि मेरा हाथ कंधे पर नहीं बल्कि येशु के हृदय पर टिका हुआ था! मेरी सरल प्रार्थना थी, “येशु, मैं जितना तेरी माँ को जानती हूँ, उतना तुझे नहीं जानती।” मेरा मानना ​​है कि माँ मरियम मुझसे कह रही थी, “ठीक है, अब समय आ गया है। यह समय है कि तुम मेरे बेटे के दिल में जाओ।“ मैं इस बात से अनभिज्ञ थी कि अगले दिन येशु के पवित्र हृदय का पर्व था!

एक नयी सेवकाई की शुरुआत  

अगस्त 2009 में, एक अतिथि पुरोहित ने मुझे अपनी पल्ली में ईश्वरीय करुणा की भक्ति शुरू करने के लिए प्रेरित किया। मैंने रोज़री माला से संबंधित कुछ करने की उम्मीद की थी, लेकिन मैंने देखा कि माँ मरियम मुझे सीधे अपने पुत्र येशु के पास ला रही थी। मैंने पूरे आयरलैंड में ईश्वरीय करुणा पर प्रवचनों और यूखरिस्तीय आराधना के कार्यक्रमों का भी आयोजन किया। आखिरकार, आयरलैंड में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय यूखरिस्टिक कांग्रेस की योजना बनाने में मदद करने के लिए मुझे आमंत्रित किया गया। वह सब कुछ, जिसकी मैंने कभी कल्पना भी नहीं की थी!

यूखरिस्तीय कांग्रेस के अंत में मेरे हृदय में मेरी सेवकाई का बीज बोया गया था। क्योंकि मैंने यूखरिस्तीय कांग्रेस से इतना आनंद और अनुग्रह प्रवाहित होते पाया था, मैंने अपने आप से पूछा, “अनुग्रह की वर्षा के एक सप्ताह के बाद क्या इसे समाप्त होने देना है? यह जारी क्यों नहीं रह सकता?” ईश्वर की कृपा से, अनुग्रह की वह वर्षा समाप्त नहीं हुई। पिछले दस वर्षों से, मैं ‘पवित्र संस्कार के बच्चे’ (चिल्ड्रन ऑफ़ द यूखरिस्ट) का समन्वयन कर रही हूँ, जो आयरलैंड में यूखरिस्तीय आराधना की सेवकाई के तत्वावधान में स्थापित किया गया है। इस सेवकाई का उद्देश्य हमारे बच्चों के विश्वास को बढ़ाना और परम प्रसाद की आराधना के माध्यम से उन्हें प्रभु के करीब लाना है। बच्चों को यूखारिस्तीय आराधना के बारे में अधिक जानकारी देने और बच्चों के अनुकूल तरीके से इसे नियमित रूप से अनुभव करने की आवश्यकता को पहचानते हुए मैं ने इस सेवकाई को शुभारम्भ किया। हमारे स्थानीय प्राथमिक विद्यालय में इसका संचालन करने के बाद, यह कार्यक्रम शीघ्र ही पूरे आयरलैंड के कई विद्यालयों में फैल गया।

एक किशोरी के रूप में, मैंने नर्सिंग या किसी अन्य पेशे को अपनाने की उम्मीद की थी, लेकिन जब मैंने 22 साल की उम्र में शादी कर ली तो वे सब सपने फीके पड़ गए। बच्चों के बीच यूखरिस्तीय सेवकाई शुरू करने के बाद, एक पुरोहित ने मुझसे कहा, “हो सकता है कि अगर तुम एक नर्स बन गयी होती, तब तुम्हें आत्माओं की सेवा करने का अवसर नहीं मिलता। अब तुम आराधना करने केलिए बच्चों की नर्सिंग कर रही हो, उनकी मदद कर रही हो और उनका सही मार्गदर्शन कर रही हो।”

माँ मरियम ने न केवल मुझे अपने पुत्र येशु के करीब पहुंचाया, बल्कि उसने मुझे बच्चों को भी उनके करीब आने में मदद करने के लिए प्रेरित किया। जब हम माता मरियम को उसकी तरह ‘हाँ’ कहते हैं, अपनी गहराई से, ईमानदारी से ‘हां’ कहते हैं, तो एक यात्रा शुरू होती है। वह हमारे ‘हाँ’ के साथ साथ चलती है, हमें येशु के साथ एक गहरे मिलन में लाती है और हमारे जीवन के लिए येशु की जो भी योजनाएँ हैं उन्हें पूरा करती है।

 

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Antoinette Moynihan

Antoinette Moynihan is the founder and coordinator of ‘Children of the Eucharist’ Apostolate. She lives with her family in Ireland. This article is based on the testimony shared by Antoinette Moynihan for the Shalom World program ‘Mary My Mother.’

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