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जुलाई 27, 2021 1289 0 Shalom Tidings
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ईंट की दीवार से भी ज़्यादा मज़बूत

क्या ईश्वर को सच में कोई फर्क पड़ता है कि हमारी ज़िंदगी में क्या चल रहा है? यह कहानी, चाहे सच्ची हो या झूठी, यह आपके नज़रिए में कुछ बदलाव तो ज़रूर लाएगी। दूसरे विश्व युद्ध की बात है, एक सिपाही लड़ाई करते करते अपनी सेना की टुकड़ी से बिछुड़ गया। लड़ाई बहुत ही ज़्यादा भयानक हो चली थी, जिसकी वजह से धुएं और गोलियां की बौछार से गुमराह हो कर वह सिपाही अपने साथियों के सम्पर्क से काफी दूर निकल गया। तभी घने जंगल में अकेले भटकते हुए उसने शत्रु सैनिकों के आने की आहट सुनी। खुद को बचाने की जल्दी में वह एक पहाड़ी पर पहुंचा जहां उसे कुछ छोटी छोटी गुफाएं दिखाई दीं। वह जल्दी से रेंगता हुआ उनमें से एक के अंदर जा छुपा।

कुछ समय के लिए उसने खुद को दुश्मनों से सुरक्षित समझा, फिर उसे डर लगने लगा कि अगर दुश्मन भी इस पहाड़ी पर पहुंच गए तो उन्हें उसे खोज निकालने में ज़्यादा समय नही लगेगा। इसी घबराहट में बैठे बैठे उसने प्रार्थना की “हे प्रभु मेरी जान बख़्श दीजिए। अब आगे मेरे साथ जो भी हो, मैं आपसे प्यार करता हूं और आप पर विश्वास करता हूं। आमेन।” इन सब के बीच उसे दुश्मन सिपाहियों की टुकड़ी के बूट की आवाज़ प्रतिपल नज़दीक आती सुनाई दे रही थी।

“लगता है कि इस बार शायद ईश्वर मेरी मदद नहीं करेंगे”, उसने दुखी हो कर सोचा। इसी उदासी में बैठे बैठे वह एक मकड़ी को गुफा के द्वार पर जाल बुनते हुए देखने लगा। परेशान हो कर उसने कहा, “मुझे इस वक्त बचने के लिए ईंट की एक मज़बूत दीवार की ज़रूरत है, और प्रभु ने मेरे लिए मकड़ी के जाले भेज दिए। ईश्वर के मज़ाक करने का तरीका भी निराला है।” अब दुश्मनों की टुकड़ी उस गुफा के काफी नजदीक आ चुकी थी। एक दुश्मन सिपाही उस गुफा की तलाशी लेने ही वाला था, तब दूसरे दुश्मन सिपाही ने उसे रोक कर कहा, “उस गुफा की तलाशी में समय बर्बाद करने की कोई ज़रूरत नहीं है… क्योंकि उसके सामने इतने मकड़ी के जाले हैं, अगर कोई सिपाही इसमें घुसा हो तो इन मकड़ी के जालों को तोड़कर ही अंदर घुस पाता!”

और इसी तरह, सिपाही के देखते ही देखते, उसके दुश्मन उस गुफा पर एक सरसरी निगाह दौड़ा कर आगे बढ़ गए। उस नाज़ुक से मकड़ी के जाले ने ही आखिरकार उसकी जान बचाई। “माफ कीजियेगा प्रभु” उसने कहा। “मैं भूल गया था कि आप एक मकड़ी के जाले को भी एक ईंट की दीवार से कहीं ज़्यादा मज़बूत बना सकते हैं।”

“ज्ञानियों को लज्जित करने केलिए ईश्वर ने उन लोगों को चुना है जो दुनिया की दृष्टि में मूर्ख्हाई| शक्तिशालियों को को लज्जित करने केलिए उसने उन लोगों को चुना है जो दुनिया की दृष्टि में दुर्बल है |” (1 कुरिन्थी 1:27)

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