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एक के बाद एक मुसीबत आयी, लेकिन ईश्वर की दया ने इस परिवार को कभी निराश नहीं किया!
दस साल पहले मैंने अपने पहले बच्चे को जन्म दिया था, और हम बहुत खुश थे! मुझे आज भी वह दिन याद है; हमें यह जानकर बहुत खुशी हुई कि यह एक बच्ची है। मेरे परिवार पर ईश्वर के आशीर्वाद के लिए उसका पर्याप्त धन्यवाद नहीं दे पाती। हर माँ की तरह, मैंने भी अपनी छोटी गुड़िया के लिए प्यारे फ्रॉक, क्लिप और बूटियाँ खरीदने का सपना देखा। हमने उसका नाम ‘एथली’ रखा, जिसका अर्थ है ‘ईश्वर की महिमा हो।’ हम ईश्वर के खूबसूरत उपहार के लिए उनकी स्तुति कर रहे थे।
हमें नहीं पता था कि हमारी खुशी जल्द ही दिल के गहरे दर्द में बदल जाएगी या कि हमारी कृतज्ञता की प्रार्थना जल्द ही हमारे प्यारे बच्चे के लिए उसकी दया की याचिकाओं में बदल जाएगी।
चार महीने की उम्र में, मेरी बेटी गंभीर रूप से बीमार हो गई। कई बार दौरे पड़ने के कारण, वह घंटों रोती रहती थी और ठीक से सो नहीं पाती थी या ठीक से खाना नहीं खा पाती थी। कई जांचों के बाद, यह पाया गया कि उसका मस्तिष्क क्षतिग्रस्त है; वह ‘वेस्ट सिंड्रोम’ नामक दुर्लभ प्रकार की गंभीर बचपन की मिर्गी से भी पीड़ित थी, जो 4,000 बच्चों में से एक को प्रभावित करती है।
हमारे लिए वह निदान बहुत चौंकाने वाला और दिल तोड़ने वाला था। मुझे नहीं पता था कि मैं इस तूफान का सामना कैसे कर पाऊँगी। मैं चाहती थी कि मेरा दिल उस भावनात्मक दर्द से सुन्न हो जाए जिससे मैं गुज़र रही थी। मेरे दिमाग में कई सवाल उठे। यह एक लंबी और दर्दनाक यात्रा की शुरुआत थी, जिसके लिए मैं कभी तैयार नहीं थी। मेरी बच्ची लगभग ढाई साल तक दौरे से पीड़ित रही। डॉक्टरों ने कई दवाइयाँ, प्रतिदिन के दर्दनाक इंजेक्शन और खून के कई जांच किए। वह घंटों रोती रहती थी और मैं बस ईश्वर से मेरी बच्ची पर अपनी दया बरसाने के लिए प्रार्थना कर सकती थी। मैं किसी भी तरह से उसे सांत्वना न दे पाने के कारण असहाय महसूस करती थी। ज़िन्दगी ऐसी मालूम हो रही थी मानो कि वह पीड़ा और निराशा का गहरा और अंधा गड्ढा जैसी हो।
आखिरकार उसके दौरे कम हो गए, लेकिन उसे वैश्विक विकास संबंधी विलम्ब का सामना करना पड़ा। जैसे-जैसे उसका इलाज आगे बढ़ रहा था, एक और चौंकाने वाली खबर ने हमारे परिवार को झकझोर कर रख दिया। हमारे बेटे अशर को पहले से ही बोलने में देरी और व्यवहार संबंधी समस्याएँ थीं। अब वह तीन साल का हो गया है और हमें पता चल कि उसे उच्च कार्यशील ऑटिज़्म (हाई-फंक्शनिंग ऑटिज़्म) की बीमारी है ।
हम उम्मीद खोने के कगार पर थे; नए माता-पिता के रूप में हमारे लिए जीवन बहुत भारी लग रहा था। जिस दर्द से हम गुज़र रहे थे, उसे कोई भी नहीं समझ या महसूस नहीं कर सकता था। हम अकेलापन और हताशा महसूस करते थे। हालाँकि, अकेलेपन की यह अवधि और मातृत्व के वे दर्द भरे दिन मुझे ईश्वर के करीब ले आए; ईश्वर के वचन ने मेरी थकी हुई आत्मा को सांत्वना प्रदान की। जिन वादों को मैं अब गहरे अर्थ और पूरी समझ के साथ पढ़ रही थी, उन वादों ने मुझे प्रोत्साहित किया।
मेरे जीवन के इस कठिन समय के दौरान ही ईश्वर ने मेरे जैसी विभिन्न चुनौतियों और पीड़ा से गुज़र रहे लोगों के लिए आस्था से भरे और उत्साहवर्धक ब्लॉग लिखने में मुझे सक्षम बनाया। मेरी दैनिक भक्ति से जन्मे मेरे लेखों में माता पिता की विशेष चुनौतियों को साझा किया गया और मेरे जीवन के अनुभव और अंतर्दृष्टि को शामिल किया गया। ईश्वर ने मेरे शब्दों का उपयोग कई पीड़ाग्रस्त आत्माओं को उपचार दिलाने के लिए किया। मैं ईश्वर के प्रति वास्तव में आभारी हूँ कि उसने मेरे जीवन को उसके प्रेम के लिए एक उपयोगी पात्र में परिवर्त्तित कर दिया।
मैं कहूँगी कि हमारी बेटी की बीमारी की निराशा ने ईश्वर पर हमारे परिवार के विश्वास को मजबूत किया। जब मैं और मेरे पति माता पिता की इस अनोखी यात्रा के अज्ञात मार्ग पर आगे बढ़े, तो हमें केवल ईश्वर के वादों से तथा हमारे दिलों में इस विश्वास से चिपके रहना था कि ईश्वर हमें कभी नहीं छोड़ेगा और न ही हमारा तिरस्कार करेगा। जो कभी राख के ढेर की तरह दिखाई देता था, वह शक्ति की सुंदरता में बदलने लगा, क्योंकि ईश्वर ने हमारे जीवन के सबसे हृदय विदारक और अंधेरे समय के दौरान हमें अपनी कृपा, शांति और खुशी प्रदान की। अकेलेपन के सबसे दर्दभरे क्षणों में, उनके चरणों में समय बिताने से हमें नई आशा और आगे बढ़ने का साहस मिला।
वर्षों के उपचार और निरंतर प्रार्थनाओं के बाद, एथली के दौरे अब नियंत्रित हो गए हैं, लेकिन उसे मस्तिष्क पक्षाघात का गंभीर रूप अभी भी है। वह न तो बोल सकती है, न चल सकती है, न देख सकती है और न ही खुद बैठ सकती है और पूरी तरह से वह मुझ पर निर्भर है। हाल ही में भारत से कनाडा आने के बाद, वर्तमान में हमारा परिवार सबसे अच्छा उपचार प्राप्त कर रहा है। उसके स्वास्थ्य में पर्याप्त सुधार हमारे जीवन को और अधिक रंगीन बना रहा है।
आशेर स्पेक्ट्रम से बाहर है, और उसने अपनी बोली पर पूरी तरह से पकड़ बना ली है। पढ़ाई में ध्यान केन्द्रित करने की क्षमता उसके पास नहीं थी| इसलिए कई स्कूलों ने शुरू में उसे अस्वीकार कर दिया था, इसलिए मैंने उसे पाँचवीं कक्षा तक घर पर ही पढ़ाया। हालाँकि वह ADHD के कुछ लक्षण दिखाता है, लेकिन ईश्वर की कृपा से, अब उसका नाम एक निजी मसीही विद्यालय में छठी कक्षा में लिखा गया है। वह एक पुस्तक प्रेमी है जो सौर मंडल में अनूठी रुचि दिखाता है। उसे विभिन्न देशों, उनके झंडों और मानचित्रों के बारे में सीखना पसंद है। हालाँकि जीवन अभी भी चुनौतियों से भरा है, लेकिन ईश्वर का प्यार ही है जो हमें अपने बच्चों को प्रेम, धैर्य और दयालुता से पालने के लिए प्रेरित करता है।
जैसे-जैसे हम येशु में अपनी आशा को मज़बूत बनाते हैं और विशेष-आवश्यकताओं वाले माता-पिता के इस अनूठे मार्ग से यात्रा करते हैं, मेरा मानना है कि ऐसे समय होते हैं जब हमें अपनी प्रार्थनाओं का तुरंत उत्तर मिलता है, और हमारा विश्वास काम करता है और परिणाम देता है। उन समयों में, परमेश्वर की शक्ति और सामर्थ्य के कारण हमारी प्रार्थनाओं का निश्चित उत्तर प्रकट होता है।
अन्य अवसरों पर, उसकी शक्ति हमारे माध्यम से चमकती रहती है, हमें साहस के साथ अपने दर्द को सहने में सक्षम बनाती है, हमें अपनी कठिनाइयों में उसकी प्रेमपूर्ण दया का अनुभव करने देती है, हमें अपनी कमज़ोरियों में उसकी शक्ति दिखाती है, हमें सही कदम उठाने की क्षमता और बुद्धि विकसित करना सिखाती है, हमें उसकी शक्ति की कहानियाँ बताने के लिए सशक्त बनाती है, और हमें अपनी चुनौतियों के बीच उसकी रोशनी और आशा को देखने के लिए प्रोत्साहित करती है।
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एलिज़ाबेथ लिविंगस्टन लेखिका, वक्ता और ब्लॉगर हैं। उनके प्रेरक लेखों के माध्यम से, कई लोग परमेश्वर के उपचारात्मक प्रेम से प्रभावित हुए हैं। वह कनाडा में अपने पति और दो खूबसूरत बच्चों के साथ रहती हैं।
एलिजाबेथ लिविंगस्टन एक लेखिका, वक्ता और ब्लॉगर हैं। उनके प्रेरक लेखन के माध्यम से, कई लोगों ने ईश्वर की चंगाई के प्रेम को अनुभव किया है। वे भारत के केरल प्रदेश में अपने पति और दो खूबसूरत बच्चों के साथ रहती है। उनके द्वारा लिखित अन्य लेख पढ़ने के लिए देखें: elizabethlivingston.in/
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