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अगस्त 20, 2021 1237 0 Marie Paolini
Encounter

अपना दिल मुझे दो

उस समय मुझे ऐसा लगा जैसे पवित्र मां मरियम ने मुझे अपने आंचल में छुपा लिया था।

सन् 1947 में, इटली के एक छोटे से गांव में मेरा जन्म हुआ था। यह गांव कैसलबोर्डिनो के नज़दीक था, जहां “चमत्कारों वाली मां मरियम” ने दर्शन दिए थे। चूँकि मेरा जन्मदिन “चमत्कारों वाली मां मरियम” के त्योहार और संत एंटोनी के त्योहार के बीच पड़ता था, इसीलिए मेरे माता पिता ने मेरा नाम मारिया एंटोनिया रख दिया।

जब मैं सात साल की थी तब मेरा परिवार कैनेडा जा बसा। और हालांकि मेरे माता पिता का चर्च से ज़्यादा कोई लेना देना नही था, फिर भी उन्होंने इस बात का ध्यान रखा कि उनके बच्चे कैथलिक विश्वास में बड़े हों। लेकिन मेरा ध्यान मां मरियम और उनकी महत्ता पर तब तक नहीं गया जब तक मेरे माता पिता सन 1983 में मेडजुगोर्ज नही गए। वहां उन्होंने जो अनुभव किया उसकी वजह से मेरी मां इतनी प्रभावित हुई कि उन्होंने घर आकर सबको वहां के बारे में बताया। वहां से मां रोज़री, मेडल, अंगूठियों के साथ साथ एक छोटा सा पोस्ट कार्ड भी लाई थीं जिसमें मां मरियम के द्वारा दिए गए छह दर्शनों से घिरी हुई उनकी तस्वीर थी। इसके बाद जब भी मैं घर में दाखिल होती थी, मुझे किचन के कोने में एक छोटी सी शेल्फ पर मां मरियम की वह तस्वीर दिखाई देती थी। मुझे ऐसा लगता था कि मां मरियम मुझे उस तस्वीर के सहारे से देख रही हैं।

सन 1995 की बात है, मैं मेडजुगोया में हुए वहां जानेवाले तीर्थयात्रियों के अनुभवों पर बनी एक वीडियो देख रही थी। उस वीडियो को देखते वक्त मुझे ऐसा लगा जैसे मां मरियम मुझसे कह रही हों “तुम कब आओगी? मैं तुम्हारी मां हूं और मैं तुम्हारा इंतज़ार कर रही हूं।” इसके अगले ही साल हमें कैल्गरी से मेडजुगोया जाने वाली एक तीर्थ यात्रा के बारे में पता चला, और मैंने उसमें शामिल होने का सोचा। चूंकि उस वक्त बोस्निया जंग से गुज़रा था इसीलिए कई लोगों ने उस तीर्थ यात्रा पर जाने से इंकार कर दिया। क्योंकि लोगों को डर था कि जंग फिर से छिड़ सकती है। लेकिन मैं तीर्थ यात्रा में जाने का मन बना चुकी थी।

मेडजुगोया पहुंच कर मुझे भरोसा हो गया कि मां मरियम मुझे असल में पुकार रही थीं। एक दिन, मैं पादरी स्लावको बर्बरीक से मिली जिन्होंने मुझे देख कर कहा, “जब तुम घर लौटोगी, तब मैं चाहता हूं कि तुम एक प्रार्थना समूह शुरू करो, और उस समूह की प्रार्थनाएं पारिवारिक तकलीफों के लिए होंगी, क्योंकि आज के समय में पारिवारिक समस्याएं बहुत बढ़ गई हैं।” इसीलिए जब मैं घर लौटी तब हमने हर दिन एक घंटा संत बोनेवेंचर की मध्यस्थता मांगने के लिए निर्णय लिया। तब से हर साल कई नए लोग हमारे प्रार्थना समूह से जुड़ते हैं।

इसके बाद फिर जब मैं मेडजुगोया गई तो मैं इस उद्देश्य से गई कि मुझे अपने जीवन में कुछ ठोस बदलाव लाने थे। मैं जानती थी कि मुझे अपने दिल में एक गहरा बदलाव चाहिए था। इसीलिए मैंने पवित्र वचन को समझने के लिए, अपने प्रार्थना के समय को बढ़ाने के लिए, और ईश्वर के आलौकिक प्रेम और खुशी को अनुभव करने के लिए मां मरियम की सहायता मांगी और रोज़री माला की प्रार्थना करना शुरू किया। और धीरे धीरे मैंने यह सारी आशीषें प्राप्त कर लीं।

उस वक्त, मुझे लगा कि यह तीर्थ यात्रा का बुलावा सिर्फ मेरे लिए है, क्योंकि मुझे ध्यान ही नही आया कि मां मरियम चाहती थी कि मैं और लोगों को उनके पास लाऊं। हालांकि पादरी स्लावको ने सुझाव दिया कि मैं अपने पति को भी इस तीर्थ यात्रा के लिए लाऊं, इसीलिए सन 1998 में, हम दोनों ने साथ में यह तीर्थ यात्रा की। उसी वक्त मुझे लगा कि मुझे और लोगों को मां मरियम के पास लाना चाहिए, लेकिन इस बात की पुष्टि करने के लिए मैंने मां मरियम से एक चिन्ह मांगा। इसके तुरंत बाद दो औरतों ने मुझसे मेडजुगोया की तीर्थ यात्रा के बारे में पूछा। तब से हर साल मैं मां मरियम से तीर्थ यात्रा पर जाने से पहले उनकी मर्ज़ी पूछती हूं। और हर बार मुझे यह जवाब मिलता है कि कई ऐसे लोग हैं जिन्हें मां मरियम की मध्यस्थता द्वारा ईश्वर की कृपा और आशीषों की ज़रूरत है।

ऐसा नहीं हैं कि हमारा जीवन बड़ी आसानी से गुज़रा है, कई बार हमारे विश्वास की भी परीक्षा ली गई। आठ साल पहले हमें एक खबर मिली जिसने हमें चौका दिया। मेरी बेटी को खून का कैंसर हो गया था। हमने तुरंत उसके लिए प्रार्थना शुरू की, चूंकि इस खबर से हम पहले से ही बड़े विचलित थे, इसीलिए हमारा ध्यान इस बात पर नही गया कि ईश्वर कितना महान है और वह हमारे लिए क्या कुछ कर सकता है। एक दिन हम बहुत सारी परेशानियों से गुज़रे। मेरी बेटी की हालत इतनी खराब हो गई थी कि वह दवाइयां भी नही खा पा रही थी, जिसकी वजह से डॉक्टर उसे ठीक कर पाने के नए तरीके खोजने लगे थे।

हमेशा की तरह हम अपनी दु:ख तकलीफों को ले कर आराधना में बैठे, और हमने ईश्वर से एक सवाल किया “तूने क्यों हम पर यह मुसीबत डाली? क्यों हमारी बेटी को इस दर्द से गुज़रना पड़ रहा है? आखिर क्यों?” और हमें स्पष्ट रूप से जवाब मिला, “क्यों नही?” तब ही मुझे एहसास हुआ कि प्रभु ख्रीस्त भी तो ना जाने कितनी सारी दुख तकलीफों से गुज़रे हैं, और अब वह हमारी दुख तकलीफों में हमारे साथ खड़े थे, ताकि हम उसके प्रेम में आगे बढ़ सकें। उस समय मुझे ऐसा लगा जैसे पवित्र मां मरियम ने मुझे अपने आंचल में छुपा लिया था, और उसी तरह मुझे सीने से लगाए बैठी थीं, जिस तरह येशु के जन्म और मरण के वक्त उन्होंने येशु को सीने से लगाया था।

इसके बाद जब हम अस्पताल पहुंचे तब हमने देखा कि कई सारे डॉक्टर हमारी बेटी को घेरे खड़े थे और उसके आगे के इलाज के लिए सोच विचार कर रहे थे। तभी मुझे विश्वास हो गया कि हमारी प्रार्थना सुन ली गई थीं। हमारे ईश्वर और हमारी मां मरियम वहां उपस्थित थे। हमें बस उन पर विश्वास रखना था। सब कुछ ठीक होने वाला था। ईश्वर और मां मरियम सारी जिंदगी हमारा खयाल रखने वाले थे। पिछले साल हमारी बेटी ने अपनी शादी की पच्चीसवीं सालगिरह मनाई। यह सब ईश्वर की कृपा है।

मेडजुगोया की मां मरियम ने हमें पांच बातें सिखाई हैं जिस पर हमने अपने विश्वास की नींव रखी है:

1. हमें हर दिन रोज़री करनी चाहिए।

2. हमें हर दिन ईश्वर का वचन पढ़ना चाहिए।

3. हमें जब भी मौका मिले मिस्सा बलिदान में भाग लेना चाहिए, और हर रविवार मिस्सा सुनने जाना चाहिए।

4. ईश्वर की चंगाई और ईश्वर की क्षमा प्राप्त करने के लिए हमें कम से कम महीने में एक बार पाप स्वीकार करना चाहिए।

5. हमें हर बुधवार और शुक्रवार को उपवास करना चाहिए।

इन सब बातों का पालन करना आसान नही है, खासकर उन केलिए जो विश्वास में नये हैं। इन सब बातों को आदतों में ढालने में वक्त लगता है जिसके लिए बड़े धैर्य की ज़रूरत है, जिसमें मां मरियम हमारा प्रोत्साहन करती हैं। पर जिस बात ने मुझे सबसे ज़्यादा आश्चर्यचकित किया वह यह है कि जब हम रोज़ रोज़री बोलते हैं तो बाकी बातों का पालन भी आसानी से कर पाते हैं। रोज़री हमारे विश्वास को बढ़ाती है और हमारे जीवन में प्रार्थना को आसानी से ढालने में हमारी मदद करती है। वह हमारे जीवन में ईश्वर की उपस्थिति को बनाए रखने में हमारी मदद करती है।

रोज़री के माध्यम से हम मां मरियम से कहते हैं कि हम उनकी मध्यस्थता द्वारा ईश्वर की योजना को ढूंढना चाह रहे हैं। और जवाब में मां मरियम भी हमसे कहती हैं, कि अपनी समस्याएं मुझे दो, और मैं तुम्हारे लिए प्रार्थना करूंगी। रोज़री के द्वारा हम उन सब लोगों से जुड़ते हैं जिनकी ज़रूरतें हमारी जैसी हैं। मैंने और मेरे परिवार ने उन सब लोगों में बड़े बदलाव देखे हैं जिन्होंने हमारे साथ तीर्थ यात्रा की। कई तीर्थ यात्रियों ने घर लौट कर ईश्वर की सेवा में योगदान दिया। मेरे लिए मेडजुगोय किसी प्रेम की पाठशाला से कम नही है। और वहां उपस्थित मां मरियम से जब हम प्रार्थना करते हैं तब मां बड़े खुले दिल से हमारे लिए ईश्वर की आशीषों और कृपा के द्वार खोल देती हैं जिन्हे ईश्वर ने हमारे लिए तैयार किया है।

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Marie Paolini

Marie Paolini This ARTICLE is based on the testimony of Marie Paolini in the Shalom World TV program “Mary My Mother”. To watch the episode visit: shalomworld.org/episode/the-blessed-mother-enveloped-me-in-her-cloak-marie-paolini

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