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दिसम्बर 03, 2022 301 0 Karen Eberts, USA
Engage

वह धीमी आवाज़

उस छोटी सी, धीमी सी आवाज को सुनें …

फुसफुसाहट अप्रत्याशित रूप से आती है। किसी पुस्तक में पाए गए या किसी मित्र या वक्ता से सुने गए वे शांत और धीमी आवाज़ या वचन जो हमारे जीवन के मार्ग में सही समय पर सुनाई देते हैं – एक ऐसे क्षण पर जब हमारे दिल उन्हें नए या अनोखे तरीके से सुनने के लिए तैयार रहते हैं। यह बिजली की चमक की तरह होता है, जो अचानक आसमान के नीचे के परिदृश्य को रोशन कर देता है।

इस तरह के एक वाक्यांश ने हाल ही में मेरा ध्यान आकर्षित किया, “जब आप दोष लगाने की इच्छा को जिज्ञासा से बदल देते हैं, तो सब कुछ बदल जाता है।” हम्म…मैं इस वाक्य पर विचार करने के लिए रुक गयी। मुझे लगा कि इस वाक्य में दम है! मैंने वर्षों से नकारात्मक विचारों को सकारात्मक पुष्टि और धर्मग्रन्थ के विभिन्न पाठों के बल पर बदलने का अभ्यास किया था, और इसके परिणामस्वरूप सोचने का एक नया तरीका सामने आया था। मुझे लग रहा था कि नकारात्मकता की ओर एक आनुवंशिक प्रवृत्ति है। जैसे जैसे मैं उम्र में बड़ी होती जा रही थी, वैसे वैसे मैंने अपने माता-पिता में यह प्रवृत्ति देखी थी, और वह प्रवृत्ति मुझमें समा गई थी, लेकिन मैं वैसा नहीं बनना चाहती थी। परिणामस्वरूप, मैंने अपने अन्दर आशावादी मित्रों के प्रति आकर्षण महसूस किया! वे मेरे पूर्व अनुभवों से भिन्न, कुछ अलग सोच रखते थे, और मैं उनके इस प्रकार की सोच पर आधारित व्यवहार के प्रति आकर्षित हुई! दूसरों में जो अच्छा था उसकी तलाश करना मेरा उद्देश्य था, लेकिन यह कठिन परिस्थितियों के बीच भी सकारात्मकता की तलाश में परिणत हुआ।

जो कोई भी इस धरती पर कुछ समय तक रहा है, वह जानता है कि जीवन बाधाओं और चुनौतियों से भरा है। योहन के सुसमाचार में येशु इस सत्य को प्रकट करते हैं: “मैं ने ये बातें तुम से इसलिये कही हैं, कि तुम मुझ में शान्ति प्राप्त करें। इस दुनिया में तुम्हें समस्याएं तो झेलनी ही होंगी। लेकिन दिल थाम लो! मैने संसार पर काबू पा लिया है।” हम देखते हैं कि येशु के ये वचन हेलेन केलर जैसे लोगों में सच साबित हुए हैं। एक बीमारी ने हेलेन कलर को बचपन में ही बहरी और अंधी बना ली, इस के बावजूद, यह साबित करने में सक्षम थी कि “यद्यपि यह संसार दुखों से भरा है, यह संसार उस पर काबू पाने वालों से भी भरा हुआ है। तब मेरा आशावाद बुराई की अनुपस्थिति पर नहीं टिका हुआ है, बल्कि अच्छाई की प्रधानता में एक सुखद विश्वास और हमेशा अच्छाई के साथ सहयोग करने के इच्छुक प्रयास पर टिका हुआ है, ताकि यह अच्छाई ही प्रबल हो। मैं उस शक्ति को बढ़ाने की कोशिश करती हूं जिसे ईश्वर ने मुझे हर चीज और हर किसी में सर्वश्रेष्ठ को देखने और अपने जीवन का सबसे अच्छा हिस्सा बनाने के लिए दी है।”

समय के आगे बढ़ने पर, मेरे प्रयासों और ईश्वर की कृपा के परिणामस्वरूप, प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद जिन बातों के लिए मुझे आभारी होना चाहिए, उन बातों पर मेरा ध्यान तुरंत केंद्रित करके कठिनाइयों का जावाब देने के लिए मुझे प्रेरणा मिली। “बदबूदार सोच” में फंसना आसान है! शिकायतों, आलोचनाओं और निंदाओं से दूर, आंतरिक और बाहरी बातचीत को पुनर्निर्देशित करने के लिए इरादे और साहस की आवश्यकता होती है! मैंने पहली बार एक युवती के रूप में ऐसे कुछ शब्द सुने थे जिन पर मैंने अक्सर विचार किया है; वे शब्द हैं: “विचार बोओ, कार्य की फसल काटो। कार्य बोओ, आदत की फसल काटो। आदत बोओ, जीवन शैली की फसल काटो। जीवन शैली बोओ, किस्मत की फसल काटो।”

हम पहले सोचते हैं उसके बाद कार्य करते हैं। जो कार्य हम बार-बार करते हैं वह हमारी आदत बन जाती है। हमारी आदतों में हमारे जीवन जीने का तरीका शामिल होता है। जिस तरह से हम अपना जीवन जीते हैं, समय के साथ हम अपनी पसंद तय करते हैं, वे सब मिलकर हम जो हैं, हमें बनाते हैं। किसी ने ये शब्द कहे थे, लेकिन, सिर्फ इसलिए मुझे इन शब्दों पर विश्वास नहीं हुआ। इस सच्चाई को जानने के लिए किसी की अंत्येष्टि में शामिल होने और मृतक व्यक्ति के बारे में जो बात कही जाती है, उसे ध्यान से सुनने की ही आवश्यकता है! कोई अपना जीवन कैसे जीता है यह निर्धारित करता है कि उन्हें कैसे याद किया जाएगा… दुसरे शब्दों में कहें तो अगर वह व्यक्ति याद किये जाने लायक था तो वह उसके जीने के तरीके पर निर्भर है।

बेशक, अच्छा जीवन जीने के लिए लगातार मनन चिंतन की आवश्यकता होती है, साथ ही साथ परिस्थितियों के अनुसार अनुकूलन करने की इच्छा भी ज़रूरी है। अब मैं ‘दोष लगाने की इच्छा को जिज्ञासा से बदलने’ की नसीहत पर विचार कर रही हूं। मेरे चारों ओर बहुत सारे अवसर हैं! जिस तरह मैं अतीत में नकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन नहीं जीना चाहती थी, अब, मैं पड़ोसियों को दोषी के रूप में देखने की आदत नहीं डालना चाहती, ताकि अपने पड़ोसी को अपने समान प्रेम करने केलिए येशु की आज्ञा का पालन करना मेरे लिए आसान हो जाए।

मुझे इस नई प्रतिक्रिया को आज़माने का अवसर तुरंत मिल गया! अगले दिन एक मित्र ने मेरे साथ जो कुछ साझा किया, वह जल्दी से किसी अन्य व्यक्ति को दोषी के रूप में नजरिया रखने की प्रवृत्ति में बदल गया, और बिजली की तरह ही, मैं अपने मित्र के साथ सहमत हुई! लेकिन जैसे ही वह धीमी आवाज़ आई, “यदि तुम दोष लगाने के निर्णय को जिज्ञासा में  बदल दोगी, तब सब कुछ बदल जाएगा।” एक पल में, उस व्यक्ति ने ऐसा कार्य क्यों चुना, हमने इस जिज्ञासा का चयन किया। उसके बाद जिस बात पर हम दोनों को दोष लगाना इतना आसान लगा, हमारे दिमाग में आया कि वैसा कार्य करने का उसके पास एक प्रशंसनीय कारण था! यह सच था….जिज्ञासा सब कुछ बदल देती है! और अगर ऐसा नहीं भी होता है, तो यह मुझे बदल सकती है…और यह हमेशा इसी लक्ष्य केलिए ही तो था!

यदि हम अपने शत्रुओं के गुप्त इतिहास को पढेंगे  तो हम पायेंगे कि प्रत्येक मानव के जीवन में दुःख और पीड़ा हैं जो सभी प्रकार की शत्रुता को समाप्त करने के लिए पर्याप्त है।” – हेनरी वड्सवर्थ लॉन्गफेलो

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Karen Eberts

Karen Eberts एक सेवानिवृत्त फिजिकल थेरापिस्ट हैं। वे दो युवाओं की मां हैं और अपने पति डैन के साथ फ्लोरिडा के लार्गो में रहती हैं।

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