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अगस्त 12, 2021 1374 0 फादर जोसेफ गिल, USA
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प्रश्न और उत्तर

प्रश्न: मुझे लगता है कि मैं एक ही तरह के पापों को लेकर बार बार संघर्ष कर रहा हूं। जितना भी मैं उन्हें लेकर पापस्वीकार करता हूं और अपने को बदलने की कोशिश करता हूं, उतना ही मैं अपने आप को फिर से उन्हीं में गिरता हुआ पाता हूं। पाप की इस जिद्दी आदत को तोड़ने के लिए मैं क्या कर सकता हूं?

उत्तर: बार-बार एक ही पाप का पापस्वीकार करना निराशाजनक हो सकता है। लेकिन, जैसा कि एक धर्मगुरु ने एक बार मुझसे कहा था, यह अच्छा है कि आप नए पापों को लेकर नहीं आ रहे हैं!

ऑस्ट्रेलियाई कैथलिक प्रचारक मैथ्यू केल्ली कहते हैं, “जब हमारी आदतें बदल जाएंगी तो हमारा जीवन भी बदल जाएगा।” यह एकदम सच है! यदि हम वही करते हैं जो हमने हमेशा किया है, तो हमें वही मिलेगा जो हमने हमेशा पाया है। तो इस आध्यात्मिक लीक से बाहर निकलने के लिए हम क्या व्यावहारिक कदम उठा सकते हैं?

सबसे पहले, आप अपने प्रार्थना जीवन पर काम करें। पाप की तुलना में मजबूत एकमात्र वस्तु प्रेम है। जब हम येशु को अपने पाप से अधिक प्यार करते हैं, तो हम अपने पाप से मुक्त होंगे। मैं एक ऐसे व्यक्ति को जानता था, जिसे विशेष रूप से एक खास बुरी आदत या लत थी। वह हताश होने लगा था, लेकिन हताशा में उसने धन्य माँ मरियम की दुहाई दी। उसने महसूस किया कि माँ मरियम उसकी आत्मा से यह कह रही है: “जब कभी तुमने पाया कि तुम किसी अमुक पाप में पड़ गए हो, उसके बदले तुम हर बार एक रोज़री माला विनती की प्रार्थना करोगे, तो तुम उस पाप से मुक्त हो जाओगे।” उसने सोचा, “अरे, तब तो बहुत सारी रोज़री माला की विनती बोलनी होगी!” लेकिन उसने शुरू किया, और ईश्वर और धन्य माँ के लिए उसका प्यार बढ़ता गया और धीरे-धीरे पाप की आदत से वह मुक्त हो गया!

दूसरा, उपवास को लागू करें। मनुष्य शरीर और आत्मा दोनों से बना हुआ है। शुरुआत में, ईश्वर ने शरीर को (अपनी भावनाओं, वासनाओं, इंद्रियों और इच्छाओं के साथ) आत्मा के नियंत्रण में रखने का इरादा किया (हमारा विवेक हमें दिखाता है कि वास्तव में क्या अच्छा है, और हमारा स्वतंत्र मन इसे चुनता है)। लेकिन आदि पाप के कारण हमारा शरीर, आत्मा के खिलाफ विद्रोह करता है और इसलिए अक्सर शरीर के नियंत्रण में सब कुछ रहता है! कितनी बार हमने गपशप में न पड़ने की कसम खाई है लेकिन हमें इस प्रलोभन को रोकना अच्छा नहीं लगता है; कितनी बार हमने अनायास ही उस अतिरिक्त पकवान को पकड़ा जिस से हमारे स्वास्थ्य को हानि हो सकती है? संत पौलुस हमें निर्देश देते हैं कि “शरीर तो आत्मा के विरुद्ध इच्छा करता है, और आत्मा शरीर के विरुद्ध। ये एक-दूसरे के विरोधी हैं। इसलिए  आप जो चाहते हैं, नहीं कर पाते हैं (गलाती 5:17)।

इसलिए हमारे शरीर के प्राकृतिक विद्रोह पर काबू पाने की कुंजी है – इच्छाशक्ति को मजबूत करना। हम इसे उपवास के माध्यम से करते हैं। चॉकलेट को त्याग देने से, उसके प्रति आसक्ति के पाप को छोड़ना आसान हो जाता है। दूसरी बार अपनी थाली में भोजन भरने से इनकार करने से, हम मजबूत हो जाते हैं और एक अवैध खुशी का त्याग कर सकते हैं। हम कुछ अच्छाई का त्याग करते हैं ताकि कुछ बुराई छोड़ देना हमारे लिए आसान हो जाए। हमारी स्वतंत्र इच्छा एक मांसपेशी की तरह है – जब इसका व्यायाम किया जाता है, तो यह मजबूत होती है। हर दिन कुछ स्वैच्छिक त्याग को चुनें, और आप पाएंगे कि आपका आत्म-संयम बढ़ेगा।

तीसरा, हमें अपने पाप के विपरीत पुण्य का अध्ययन और अभ्यास करना चाहिए। अगर हम क्रोध या खुद को गुस्से से जूझते हुए पाते हैं, तो शांति के बारे में पवित्र धर्म ग्रन्थ के उद्धरण को पढ़ें, या ख्रीस्तीय  मनन चिंतन में लग जाएँ । यदि वासना हमारा जिद्दी पाप है, तो शुद्धता का पीछा करना होगा और शरीर के धर्मविज्ञान (संत पापा द्वारा प्रकाशित धर्मपत्र – थियोलजी ऑफ़ बॉडी) का अध्ययन करना चाहिए। यदि हम जीभ के पापों से जूझते हैं, तो याकूब के पत्र के तीसरे अध्याय को पढ़ें और अविवेकी शब्दों को काबू में करने का अभ्यास करें। पाप के विपरीत पुण्य में वृद्धि करें और पाप दूर हो जाएगा।

अंत में, किसी भी हालत में हार मत मानिए! मेरे पिताजी हमेशा कहा करते थे, “निराशा शैतान की ओर से आता है!” ईश्वर अक्सर हमें संघर्ष करने की अनुमति देता है ताकि हम विनम्रता में बढ़ें, यह पहचानते हुए कि हमें उसकी आवश्यकता है। उसकी दया पर भरोसा रखिये, और भले ही पूरे जीवन की अवधि इसमें लग जाए, उस जिद्दी पाप पर काबू पाने के लिए काम करते रहें ! यदि आप ईश्वर के साथ साझेदारी के लिए उसे अनुमति देते हैं, तो वह आपके जीवन में कामयाबी ज़रूर दिलाएगा!

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फादर जोसेफ गिल

फादर जोसेफ गिल हाई स्कूल पादरी के रूप में एक पल्ली में जनसेवा में लगे हुए हैं। इन्होंने स्टुबेनविल के फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय और माउंट सेंट मैरी सेमिनरी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फादर गिल ने ईसाई रॉक संगीत के अनेक एल्बम निकाले हैं। इनका पहला उपन्यास “Days of Grace” (कृपा के दिन) amazon.com पर उपलब्ध है।

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