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जून 03, 2023 663 0 बिशप रॉबर्ट बैरन, USA
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कलीसिया को बढ़ाने के चार तरीके

पिछले हफ्ते, मैंने अपने धर्मप्रन्त के प्रांतीय प्रभारियों से कई मुद्दों पर चर्चा करने के लिए मुलाकात की। कुछ पल्लियों का विलय करने और उन्हें अन्य समूहों के साथ पुनर्गठित करने की प्रक्रिया चल रही थी, और यही चर्चा का प्रमुख विषय रहा। पिछले कई वर्षों से ये कदम उठाए जा रहे हैं, कई कारणों की वजह से ज़रूरी थे, जैसे: पुरोहितों की घटती संख्या, हमारे शहरों और कस्बों में जनसांख्यिकीय बदलाव, आर्थिक दबाव, आदि। मैंने इनमें से कुछ बदलाव के लिए अपना अनुमोदन व्यक्त किया और अपने प्रांतीय प्रभारियों से कहा कि मुझे समेकन की प्रत्येक रणनीति के साथ साथ विकास के लिए भी एक रणनीति चाहिए।

मैं बस इस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इंकार करता हूं कि मुझे या किसी अन्य धर्माध्यक्ष को हमारी देखरेख या अध्यक्षता में गिरजाघरों को बंद करने की प्रक्रिया लेनी चाहिए। ईसाई धर्म, अपने स्वभाव से ही, अपकेंद्रित, बाहरी-प्रवृत्ति वाला, उद्देश्य और दायरे में सार्वभौमिक है। येशु ने यह नहीं कहा, “अपने मुट्ठी भर दोस्तों को सुसमाचार सुनाओ,” या “अपनी ही संस्कृति के लोगों के लिए सुसमाचार की घोषणा करो।” इसके बजाय, येशु ने अपने चेलों से कहा: “मुझे स्वर्ग में और पृथ्वी पर सारा अधिकार मिला है। इसलिये तुम लोग जाकर सब राष्ट्रों को शिष्य बनाओ, और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो” (मत्ती 28:18-19)। उन्होंने अपने अनुयायियों को यह भी निर्देश दिया कि उनके द्वारा स्थापित की गयी कलीसिया के खिलाफ नरक के द्वार प्रबल नहीं होंगे। इसलिए, येशु हमसे यह अपेक्षा नहीं करते हैं कि हम सिर्फ पूर्वस्थिति बनाए रखें, या पतन का प्रबंधन करें, या डूबते पानी में ही बने रहें।

मुझे यह कहने की अनुमति दें कि हमारी कलीसिया की प्रगति के कार्य की ज़िम्मेदारी किसी भी तरह से धर्माध्यक्षों और पुरोहितों तक सीमित नहीं है। जैसा कि द्वितीय वेटिकन अधिवेशन स्पष्ट रूप से सिखाता है, प्रत्येक बपतिस्मा प्राप्त कैथलिक को सुसमाचार का प्रचारक बनने के लिए नियुक्त किया गया है; इसलिए हम सब को इसमें एक साथ कार्य करना हैं। इसलिए सोचना होगा कि विकास की कुछ रणनीतियाँ क्या हैं जो कोई भी कैथलिक काम में ला सकता है? पहली बात जिसे मैं उजागर करना चाहूँगा, वह है: प्रत्येक परिवार जो नियमित रूप से मिस्सा-बलिदान में भाग लेता है उसे इस आने वाले वर्ष में एक और परिवार को मिस्सा-बलिदान में लाने का अपना सुसमाचारीय उत्तरदायित्व निभाना चाहिए। इन शब्दों को पढ़ने वाला प्रत्येक विश्वासी उन लोगों को जानता है जिन्हें मिस्सा में जाना चाहिए और जिसे नहीं। वे आपके अपने बच्चे या नाती-पोते हो सकते हैं। वे सहकर्मी हो सकते हैं जो कभी उत्साही कैथलिक थे और जो केवल विश्वास के अभ्यास से दूर चले गए, या शायद वे लोग जो कलीसिया से नाराज हैं। इन भटकती हुई भेड़ों की पहचान करें और उन्हें मिस्सा-पूजा में वापस लाने के लिए उसे अपनी सुसमाचारीय चुनौती बनाएं। यदि हम सभी ने इस कार्य को सफलतापूर्वक किया, तो हम एक ही वर्ष में अपनी पल्लियों के आकार को दोगुना कर सकेंगे।

दूसरी सिफारिश कलीसिया की प्रगति के लिए प्रार्थना करना है। पवित्र शास्त्रों के अनुसार, प्रार्थना के बिना कोई भी महान कार्य कभी पूरा नहीं हो सकता। इसलिए दृढ़ता से, यहाँ तक कि हठपूर्वक, प्रभु से विनती करें कि वह अपनी बिखरी हुई भेड़ों को वापस लावे। जिस तरह हमें फसल के मालिक से उसकी फसल काटने के लिए मजदूरों को भेजने की विनती करनी पड़ती है, उसी तरह हमें उस मालिक से उनकी भेड़-बकरियों की संख्या बढ़ाने के लिए भीख माँगनी पड़ती है। मैं इस विशिष्ट कार्य को करने के लिए पल्ली के बुजुर्गों और घर में रहने वालों से आग्रह करना चाहता हूँ। और मैं उन लोगों से विनती करता हूँ जो नियमित रूप से यूखरिस्त की आराधना करते हैं कि वे प्रतिदिन पंद्रह या तीस मिनट प्रभु से इस विशेष कृपा के लिए प्रार्थना करें। या मैं सुझाव दूंगा कि पूजा-विधि की योजना बनानेवाले रविवारीय मिस्सा में विश्वासियों की प्रार्थनाओं में पल्ली की प्रगति और विस्तार के लिए भी प्रार्थनाएँ शामिल करें।

तीसरी बात साधकों को प्रश्न पूछने के लिए आमंत्रित करना है। मैं पिछले बीस वर्षों में बहुत सारे ठोस अनुभवों से जानता हूँ कि कई युवा लोग, यहाँ तक कि वे जो विश्वास के प्रति शत्रुता का दावा करते हैं, वास्तव में धर्म में गहरी रुचि रखते हैं। जैसे हेरोद जेल में योहन बपतिस्ता के उपदेश को सुनता है, वैसे ही धर्म-विरोधी भी धार्मिक वेबसाइटों पर जाकर कलीसिया के बारे में ध्यान से जानकारी प्राप्त करने की कोशिश करते हैं। तो उन लोगों से पूछिए जो कलीसिया से दूर हैं कि वे अब मिस्सा में क्यों नहीं आते। वे आपको कारण बताने में उनका उत्साह देखकर आपको आश्चर्य होगा। फिर आपको संत पेत्रुस की सिफारिश का पालन करना होगा: “जो लोग आपकी आशा के आधार के विषय में आप से प्रश्न करते हैं, उन्हें विनम्रता तथा आदर के साथ उत्तर देने के लिए सदा तैयार रहें” (1 पेत्रुस 3:15)। दूसरे शब्दों में, यदि आप प्रश्नों की मांग करते हैं, तो बेहतर होगा कि आप कुछ उत्तर देने के लिए तैयार रहें। इसका मतलब है कि आपको अपने ईशशास्त्र, अपना पक्षमंडनशास्त्र (अपने पक्ष की सफाई), अपना पवित्र शास्त्र, अपना दर्शनशास्त्र और अपना कलीसियाई इतिहास को मजबूत करना होगा। यदि यह कठिन लगता है, तो याद रखें कि पिछले पच्चीस वर्षों में इन सारे सवालों के इर्द गिर्द इतने सारे साहित्य उपलब्ध हुए हैं; जो प्रश्न अक्सर युवा साधक पूछते हैं, ठीक उसी प्रकार के प्रश्नों पर ध्यान केंद्रित कीजिये – और इसमें से अधिकांश आसानी से आप ऑनलाइन प्राप्त कर सकते हैं। .

एक चौथा और अंतिम सुझाव जो मैं दूंगा; वह बस इतना है: दयालु बनें। शेरी वाडेल, जिनकी रचना “फॉर्मिंग इन्टेंशनल डीसाइपल्स” (ज्ञानकृत शिष्यों का प्रशिक्षण) सुसमाचार-प्रचार के क्षेत्र में एक आधुनिक क्लासिक बन गया है। उनका कहना है कि किसी को विश्वास में लाने के लिए एक महत्वपूर्ण पहला कदम भरोसा बढ़ाना है। यदि कोई सोचता है कि आप एक अच्छे और सभ्य व्यक्ति हैं, तो इस बात की बहुत अधिक संभावना है कि आपको अपने विश्वास के बारे में बोलते वक्त वह सुनेगा। सच बोलूँ तो हमारी कैथलिक सोशल-मीडिया पर सबसे आकस्मिक नज़र भी अप्रिय व्यवहार की अधिकता को प्रकट करती है। बहुत से लोग ‘हम बिकुल सही हैं’ ऐसा ढिंढोरा पीटने के इरादे से प्रतिक्रिया व्यक्त करते हैं, ऐसे सूक्ष्म या संकुचित मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करते हैं जो अधिकांश लोगों के लिए अबोधगम्य और अप्रासंगिक हैं। उनका इरादा बस अपने दुश्मनों को केवल चीर फाड़कर हराना हैं। मुझे डर है कि जो कलीसिया ‘डिजिटल स्पेस’ के बाहर है, उसके प्रति लोगों का दृष्टिकोण बढ़ा चढ़ाकर सोशल-मिडिया में दिखती है। ये मनोवृत्तियाँ सुसमाचार-प्रचार के प्रतिकूल हैं। मेरे एक सहयोगी ने कहा कि कलीसिया से अलग और दूर हुए लोगों के साथ उनकी बातचीत में उन्हें पता चला कि जो चीज़ उन्हें कलीसिया से दूर रखती है, वह विश्वासियों की नीचता और निकृष्टता है। इसलिए ऑनलाइन और वास्तविक जीवन दोनों में दयालु बनें। स्पष्ट रूप से कटु और दुखी लोगों के विश्वास के जीवन के बारे में सुनने में किसी को भी दिलचस्पी नहीं होगी।

इसलिए, हमारे पास हमें आगे बढ़ने के आदेश हैं: सभी राष्ट्रों में प्रभु येशु मसीह की घोषणा करें। आइए हम अपने पल्लियों, अपने परिवारों से शुरुआत करें। और हम यथास्थिति बनाए रखने की बात कभी न सोचें।

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बिशप रॉबर्ट बैरन

बिशप रॉबर्ट बैरन लेख मूल रूप से wordonfire.org पर प्रकाशित हुआ था। अनुमति के साथ पुनर्मुद्रित।

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