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अगस्त 18, 2021 1347 0 Carissa Douglas, Canada
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असीमित आज़ादी

तन्हाई के इस समय को एक नए और प्रभावशाली तरीके से बिताने की कोशिश

हम में से कई लोगों के लिए प्यार के दो बोल और मिलने जुलने के छोटे छोटे मौके बहुत ज़रूरी होते हैं। किसी के आमने सामने बैठ कर, उनकी आंखे पढ़ पाने से हमारी आत्मा को जो खुशी, जो अपनेपन का अहसास होता है उसे शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता है। इसलिए वैश्विक महामारी के इस दौर में अपनेपन के इस अकाल ने हमें गहरी क्षति पहुंचाई है। इस बात को याद रखते हुए दिन काटना, कि हमें अपने प्रियजनों से मिलने की आज़ादी नहीं है, यह एक ऐसा क्रूस है जो हम सब ने बड़ी कठिनाई के साथ ढोया है।

इस वैश्विक महामारी ने हमारी आज़ादी में बाधा डाल कर चारों ओर अकेलेपन, बेबसी और निराशा की भावनाओं को बढ़ावा दिया।

वह समय मुझे याद है, जब मैंने तीन साल के अंदर तीन बच्चों को जन्म दिया था। उस समय मुझे ऐसा लगा था जैसे मेरी व्यक्तिगत आज़ादी कहीं खो गई हो। मेरा सारा समय और सारा ध्यान बच्चों का हो कर रह गया था। मुझे ऐसा लगने लगा था कि मैं घर में कैद हो कर रह गई हूं, क्योंकि मेरे लिए पास की दुकान तक जा पाना भी असंभव हो गया था। सारे बच्चों को कार में बिठाना, एक सूटकेस जितने बड़े डाइपर बैग को साथ ले चलना, आते जाते वक्त सारे बच्चों की ज़रूरतों का खयाल रखना, यह सब मेरे लिए काफी मुश्किल हो रहा था। छोटे से छोटे काम के लिए भी बाहर जाना मुझे शारीरिक और मानसिक रूप से बुरी तरह थकावट दे रहा था। अगर मुझे किसी सम्मेलन में जाना होता था, और उस शाम बच्चों का खयाल रखने के लिए कोई राज़ी नहीं होता था तो मुझे अपना जाने का कार्यक्रम  कैंसल करना पड़ता था। बाहर जाने के अनगिनत मौकों को बार बार मना करने की वजह से ही मुझे ऐसा लगने लगा था कि मेरी आज़ादी मुझसे छीन ली गई है।

लेकिन यही तो प्रेम है।

प्रेम एक ऐसा बंधन है जहां आप दूसरों की खुशी के लिए खुद की आज़ादी से समझौता करने को तैयार हो जाते हैं। प्रेम में आप खुद को समर्पित करते हैं, और खुद को समर्पित करने का मतलब है दूसरों की खातिर खुद की आज़ादी से समझौता करना। – जॉन पॉल द्वितीय, (प्रेम और ज़िम्मेदारी)

इस महामारी काल में हम में से कई लोग यही बाधा महसूस कर रहे हैं। वे खुद को बंधा बंधा सा, चारदीवारी में कैद, बिल्कुल अकेला महसूस कर रहे हैं। कई लोग अपने प्रियजनों से मिलना जुलना छोड़ चुके हैं, ताकि वे अपने दोस्तों, रिश्तेदारों को सुरक्षित रख सकें। प्रेम हमसे ऐसे बलिदान कराता है।

लेकिन अकेलेपन के इस समय को भी थोड़ी सूझबूझ के साथ प्रभावशाली तरीके से काटा जा सकता है।

स्वतंत्रता में बाधा को नकारात्मक और अप्रिय दृष्टि से देखा जा सकता है, लेकिन प्रेम इसे एक सकारात्मकता, खुशी और रचनात्मकता की बात बना देता है। हमारी आज़ादी प्रेम पर न्योछावर होने के लिए बनी है। – जॉन पॉल द्वितीय (प्रेम और ज़िम्मेदारी)

जब अपने बच्चों की खातिर मैंने अपनी आज़ादी से समझौता किया था, तब मैंने अपना ज़्यादा से ज़्यादा समय आध्यात्मिक किताबें पढ़ने और गहन मनन चिंतन करने में लगाया, क्योंकि बाहर ना जा पाने के कारण मेरे पास काफी खाली समय बच जाता था। मैं रोज़री के सारे भेद बोला करती थी। मैं बच्चों को संभालते वक्त, घर की साफ सफाई करते वक्त और खाना पकाते वक्त प्रार्थनाएं बोलती रहती थी। मेरे लिए यह सब एक बड़ा बदलाव था, मेरी पूरी ज़िंदगी बदल चुकी थी। लेकिन यही बदलाव मेरी ज़िंदगी का सबसे आध्यात्मिक समय बन के उभरा।

इसीलिए मैं यह विश्वास करती हूं कि इस वक्त कई आध्यात्मिक लड़ाइयां लड़ी जा रही हैं और जीती भी जा रही हैं। क्योंकि जिन लोगों ने अपनी आज़ादी खोई हैं वे घर में कैद रह कर या अस्पतालों की चारदीवारी के बीच से लगातार प्रार्थना और मध्यस्थता कर रहे हैं। कई शांत कोनों में, समाज के दायरों से परे, रोज़री, प्रार्थना, निवेदन, लगातार ईश्वर तक पहुंचाए जा रहे हैं। जो लोग घरों में अकेले कैद हैं और जो लोग शारीरिक बाधाओं से जूझ रहे हैं, वे एक तरह से अपने व्यक्तिगत मठ में जी रहे हैं। उनकी ये सीमित ज़िंदगी उन्हें उनकी दुनिया को प्रार्थना के भंडारघर में बदलने का मौका दे सकती है। और इस वक्त हमारी दुनिया को प्रार्थना के भंडारघरों की बहुत आवश्यकता है।

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Carissa Douglas

Carissa Douglas is the author and illustrator of the Catholic children’s book series “Little Douglings,” which promotes the sacraments and the culture of life. She is the mother of 14 children. Be sure to check out her site at littledouglings.com where she blogs about her adventurous life with her big Catholic family and shares the humor and joy in her comic series: Holy HappyMess.

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