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अक्टूबर 27, 2021 820 0 फादर जोसेफ गिल, USA
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प्रश्न और उत्तर : कलीसिया में वापस आने में दोस्तों की मदद

प्रश्न: मैं अपनी बहन के बहुत करीब हूं, लेकिन हाल ही में उसने मुझे बताया कि उसने ईसाई धर्म का पालन करना बंद कर दिया है। उसने एक साल से मिस्सा बलिदान में भाग नही लिया है, और उसे अब लगने लगा है कि शायद कैथलिक विश्वास में कोई सच्चाई नही है। मैं उसे किस प्रकार चर्च जाने के लिए फिर से प्रोत्साहित कर सकता हूं?

उत्तर: आजकल कई परिवारों में यह परिस्थिति देखी जाती है। जब भाई बहन, बच्चे या दोस्त चर्च से मुंह मोड़ लेते हैं तब जो उनसे प्रेम करते हैं उनका दिल बहुत टूटता है। मेरे दो भाई बहन हैं जो अब कैथलिक विश्वास का पालन नहीं करते हैं और यह बात मुझे बहुत दुखी करती है। मैं इस परिस्थिति में क्या कर सकता हूं?

सबसे पहला और सबसे सरल उपाय (जो कि हमेशा सबसे आसान नही होता) है कि उनके लिए प्रार्थना और उपवास करें। यह उपाय लगता सरल है, लेकिन यह बहुत प्रभावशाली है। आखिर में ईश्वर की कृपा ही भूली भटकी आत्माओं को वापस ला सकती हैं। इसीलिए इस भटकी हुई भेड़ के मामले में कुछ भी कहने, करने से पहले हमें ईश्वर से विनती करनी चाहिए कि वह आपकी बहन का दिल नरम करे, उसके मन को आलोकित करे, और उसकी आत्मा को अपने प्रेम के स्पर्श से भर दे। आप बाकी लोगों से भी निवेदन करें, कि वे प्रार्थना करें कि ईश्वर आपकी बहन की आत्मा को परिवर्तित करे।

प्रार्थना करने के पश्चात हमें अपने कार्यों द्वारा आनंद और दयालुता का प्रदर्शन करना चाहिए। संत फ्रांसिस डी सेल्स को अक्सर उनकी विनम्रता के कारण “सज्जन संत” कहा जाता है। उन्होंने कहा है “जितना हो सके सौम्य आचरण रखें, और हमेशा याद रखें कि पूरे डब्बे भर सिरके ले कर चलने वालों की तुलना में चम्मच भर शहद ले कर चलने वाले लोग ज़्यादा मक्खियां आकर्षित करते हैं।” अक्सर लोग भटके हुए लोगों को वापस लाने की कोशिश में उन्हें डांटने लगते हैं या उन्हें दोष देने लगते हैं। लेकिन लोग यह भूल जाते हैं कि हम ख्रीस्त विश्वासी सिर्फ इसलिए नहीं हैं कि हम कैथलिक पैदा हुए हैं और इस नाते कैथलिक विश्वास का पालन हमारा फर्ज़ है, बल्कि हम ख्रीस्त विश्वासी इसलिए हैं क्योंकि हमें ख्रीस्त से आलौकिक आनंद प्राप्त होता है। अगर ख्रीस्त सच में हमारा जीवन, हमारे आनंद का स्त्रोत हैं तो हमारी खुशी हमारे चेहरे में झलकनी चाहिए। इस प्रकार हम बिना येशु का नाम लिए भटकी आत्माओं को येशु के पास ला सकते हैं, क्योंकि खुशी और दयालुता अपने आप में बहुत आकर्षक होती है। आखिरकार, फ़्रांसीसी येसु समाजी पियरे तेयार्ड डी शार्दीन ने कहा है, “आनंद ईश्वर की उपस्थिति का अचूक संकेत है।”

देखा जाए तो पूछे गए सवाल में एक और सवाल छिपा है: क्या हम सांस्कृतिक रूप से अपने विश्वास को जी रहे हैं? अगर हमारी जीवन शैली लौकिक संस्कृति से पूरी तरह मेल खाती है तब हमें खुद से यह सवाल करने की ज़रूरत है कि क्या हम ख्रीस्त की परिवर्तन शक्ति के प्रबल साक्षी हैं? अगर हम निरंतर अपनी संपत्ति की चर्चा करते हैं या हमें प्रशंसा पाने की अत्यधिक इच्छा है या अपनी नौकरी से अत्याधिक लगाव है, या हम दिन रात गपशप करते हैं, या बेमतलब के टीवी कार्यक्रम देखते हैं, तो हम किसी भी सूरत में औरों को ख्रीस्त का अनुसरण करने के लिए प्रोत्साहित नहीं कर सकते हैं। आदिम ख्रीस्तीय लोग  सुसमाचार के प्रचार में इतने सफल इसलिए हुए थे, क्योंकि उनका जीवन उनके आसपास रहने वालों की तुलना में ज़्यादा पवित्र और भक्तिमय था। हम आज भी गुज़रे ज़माने की तरह एक पापमय पर्यावरण में रहते हैं, इसीलिए अगर हम चाहें तो हमारा जीवन भी पवित्र और भक्तिमय हो कर औरों के लिए प्रेरणा का स्रोत बन सकता है।

आपके लिए आपकी बहन से बात करना भी बहुत ज़रूरी है। हो सकता है कि वह इसलिए कैथलिक विश्वास से दूर हुई हो, क्योंकि किसी पुरोहित के साथ उसके अनुभव अच्छे नहीं रहां हो, या हो सकता है कि उसके मन में ख्रीस्त द्वारा दी गई किसी शिक्षा के बारे में गलतफहमी हो। हो सकता है कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन में पाप से संघर्ष कर रही हो, और यही मानसिक अंतर्द्वंद उसके चर्च ना जाने की वजह हो। उससे लड़ाई ना कर बैठें, बल्कि धैर्य के साथ उसकी बातें सुनें और अगर वह कुछ अच्छा या सही कहती है तो उस बात का समर्थन करें। अगर उसके कुछ सवाल हैं, तो उनके जवाब देने के लिए तैयार रहें। ध्यान रखें कि आपको चर्च की शिक्षाओं के बारे में सही तरीके से सबकुछ पता हो, और अगर उसके किसी सवाल का आपके पास जवाब ना हो तो आप उसे आश्वस्त कीजिए कि आप और पढ़कर, समझकर उसके सवाल का जवाब देंगे।

अगर आपको लगता है कि वह कैथलिक विश्वास को नए सिरे से समझने के लिए तैयार है, तो आप उसे अपने साथ किसी सत्संग पर जाने के लिए या किसी धार्मिक प्रवचन को सुनने के लिए आमंत्रित करें। आप उसे तोहफे में कोई धार्मिक किताब या किसी अच्छे प्रवचन की सी.डी. दे सकते हैं। अगर उसकी मंज़ूरी है तो किसी पुरोहित के साथ उसकी मुलाकात तय करें। मैं समझता हूं कि यह राह कठिन है, क्योंकि आपको इस बात का हर समय ध्यान रखना है कि आप उसके साथ कोई ज़ोर ज़बरदस्ती नहीं कर रहे हैं।

आखिर में, ईश्वर पर विश्वास रखें। ईश्वर आपकी बहन से अत्याधिक प्रेम करता है, आपसे भी ज़्यादा प्रेम, और वह हर संभव प्रयास कर रहा है कि आपकी बहन उसके सानिध्य में वापस आ जाए। यह जान कर धैर्य रखें कि हर व्यक्ति एक व्यक्तिगत आध्यात्मिक सफर का राही है। हो सकता है कि आपकी बहन संत अगस्टीन की तरह बन जाए, जिन्होंने ईश्वर से दूर जाने के बाद, जब कलीसिया में वापसी की, तब वे चर्च के डॉक्टर कहलाए। अपनी बहन से प्रेम बनाए रखें और ईश्वर की कृपा पर भरोसा रखें, क्योंकि ईश्वर हर आत्मा को अनंत जीवन प्रदान करना चाहता है।

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फादर जोसेफ गिल

फादर जोसेफ गिल हाई स्कूल पादरी के रूप में एक पल्ली में जनसेवा में लगे हुए हैं। इन्होंने स्टुबेनविल के फ्रांसिस्कन विश्वविद्यालय और माउंट सेंट मैरी सेमिनरी से अपनी पढ़ाई पूरी की। फादर गिल ने ईसाई रॉक संगीत के अनेक एल्बम निकाले हैं। इनका पहला उपन्यास “Days of Grace” (कृपा के दिन) amazon.com पर उपलब्ध है।

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