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अक्टूबर 27, 2021 322 0 Shalom Tidings
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पुण्य चिंतन : अपनी कुंठाओं से बाहर निकलें

अक्सर लोग ऐसी हरकतें करते हैं जो हमें परेशान कर देती हैं। लेकिन अगर हमारा दिल पवित्रता की ओर अग्रसर है, तो हम इन हरकतों से उपजी हमारी कुंठाओ को आध्यात्मिक प्रगति के अवसरों में बदल सकते हैं।

काफी लंबे समय तक जहां सिस्टर थेरेस मनन चिंतन के लिए बैठती थी, वह जगह एक ऐसी चंचल सिस्टर के बगल में थी जो हमेशा या तो अपनी रोज़री से या किसी ना किसी चीज़ से खेलती, कुछ आवाज़ निकलती रहती थी। सिस्टर थेरेस ऐसी बेवजह की आवाज़ों को लेकर बड़ी संवेदनशील थी और इस परिस्थिति में उनके लिए मनन चिंतन पर ध्यान केंद्रित करना बहुत मुश्किल हो जाता था। हालांकि सिस्टर थेरेस यह समझती थी कि बाकी लोग उनकी तरह संवेदनशील नही हैं, फिर भी कभी कभी उनका मन होता था कि पलट कर उस सिस्टर को इतनी कड़ी निगाहों से देखूं कि वह सिस्टर फिर कभी इस तरह की आवाज़ निकालने की गलती ना करे।

पर इन सब के बीच, दिल ही दिल में सिस्टर थेरेस जानती थी कि उनके लिए धैर्य मन से सब सह जाना ही सही था। क्योंकि ऐसा करने से वह ईश्वर के प्रेम के अनुरूप कार्य करेंगी और उस सिस्टर को तकलीफ भी नही पहुंचाएंगी। इसीलिए वह चुपचाप ध्यान लगाने की कोशिश करने लगी, अपनी ज़बान को काबू में करने की कोशिश करने लगी, पर इसकी वजह से पसीना छूट जाता था, और इस वजह से उन्हें घुटन और सांस लेने में तकलीफ होने लगती थी। उनके मनन चिंतन का समय उनके लिए अनकही पीड़ा का समय बन गया। लेकिन समय के साथ थेरेस इस पीड़ा को शांति और आनंद के साथ सहने लगीं, और उन्हें अपने आसपास की छोटी छोटी आवाज़ों की आदत लगने लगी। पहले वह इन आवाज़ों को ना सुनने की कोशिश करती थीं, जो कि उनके लिए नामुमकिन था, पर अब वे उन्हें ऐसे सुनने लगीं जैसे वे कोई मधुर संगीत हो। अब उनकी “शांति की प्रार्थना” “संगीत रूपी बलिदान” में परिवर्तित हो चुकी थी जिसे वे रोज़ ईश्वर को चढ़ाया करती थी।

अपनी रोज़मर्रा की ज़िंदगी में हम ना जाने कितनी सारी परेशानियों का सामना करते हैं। ये सारी परेशानियां हमारे लिए धैर्य को अपनाने के वे अवसर हैं, जिन्हें हम बार बार छोड़ते जाते हैं। इन अवसरों में हम अपने गुस्से और पसंद नापसंद को प्रकट करने के बजाए अपने अंदर उदारता, समझदारी और धैर्य को जागृत करने की कोशिश कर सकते हैं। इस प्रकार धैर्य परोपकार का कार्य बन जाता है और हमारे अंदर परिवर्तन लाता है। हम सब विश्वास की इस यात्रा में सहभागी हैं, जहां हम हर नए मोड़ पर येशु को उस ईश्वर के रूप में पाते हैं जिसका दिल हमारे लिए धैर्य से भरा हुआ है।

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