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जुलाई 27, 2021 1369 0 Jackie Perry
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क्या आप विश्वास करते हैं?

आपके जीवन में ईश्वर की एक योजना है, लेकिन यदि उनकी योजना आपकी योजना से मेल ना खाती हो तो क्या होगा ?

 

“थोड़ी चिंता की बात है”, अल्ट्रासाउंड तकनीशियन ने गंभीर होकर कहा| यह सुनकर हमारे दिल धक् धक् करने लगे| अपने नन्हें शिशु को देखने की जिस ख़ुशी और उत्सुकता को इतने दिनों से अपने मन में लिए हम चल रहे थे, अल्ट्रासाउंड तकनीशियन की बातों से उस सर्री ख़ुशी पर जैसे ग्रहण सा लग गया| ऐसा तो हमने कभी नहीं सोचा था|

हमारी शादी को बस डेढ़ साल ही हुए थे| हम एक दूसरे के साथ बहुत खुश थे और अपने जीवन में एक बच्चे की आशीष का इंतज़ार कर रहे थे| हमने अपने परिवार के लिए ढेर सारे प्यारे ख़्वाब देखे थे| हम एक नन्ही सी जान को इस दुनिया में लाने, उसे बड़े लाड़ प्यार से पाल पोस कर बड़ा करने, और इसके द्वारा खुद बेहतर इंसान बनने के लिए बेताब थे| हमें उम्मीद थी कि हम अपने होने वाले बच्चों के लिए अच्छे माता पिता साबित होंगे| और ये सारी बातें हमें बहुत ख़ुशी देती थीं|

डेढ़ साल की कोशिश के बाद जब हमें कोई फल नहीं मिला, तब हमें निराशा ने घेर लिया| गर्भधारण की हर जांच का नेगेटिव रिपोर्ट हमारे दुःख को और बढ़ा रहा था| इन सब के बीच जब हमें आखिरकार गर्भधारण का एक पॉजिटिव रिपोर्ट देखने को मिला तो हमारी ख़ुशी का ठिकाना ना रहा| हम आखिरकार माता पिता बनने वाले थे! हम जल्द ही अपने बच्चे को अपनी गोदी में खिला पाएंगे यह सोच कर हम बहुत उत्साहित थे|

हमने अपने पहले अल्ट्रासाउंड के लिए तीन हफ्ते इंतज़ार किया और इस बीच हमने एक बार भी नहीं सोचा कि कोई चिंता की बात हो सकती है| हमारी मुलाक़ात के अंत में, तकनीशियन ने हमें एक हफ्ते बाद डॉक्टर से दोबारा अल्ट्रासाउंड कराने को कहा, क्योंकि उसकी जांच के मुताबिक़ हमारे बच्चे की बढ़त और उसका माप उतना नही था जितना एक आठ हफ्ते के बच्चे का होना चाहिए|

यह सब सुन कर चिंता और डर में डूब जाने के बदले हमने आपस में यह तय किया कि हम येशु को इस नए जीवन के उपहार के लिए धन्यवाद देंगे| और उसकी योजना पर भरोसा रखेंगे, चाहे उसकी योजना जो भी हो| हमने इस विश्वास के साथ प्रार्थना की कि जो पहला अल्ट्रासाउंड हुआ था वह गलत हो और हमारी नन्ही सी जान बिलकुल सही सलामत हो| हमने बड़े विश्वास और भरोसे के साथ यह प्रार्थना की |

लेकिन कभी कभी, ज़िंदगी में चीज़ें आपकी इच्छा के हिसाब से नही चलती| और कभी कभी आपको सारी ज़िंदगी इस बात का जवाब नही मिलता कि आपके साथ जो हुआ वह क्यों हुआ| हम अपने पहले अल्ट्रासाउंड के दस दिन बाद दूसरे अल्ट्रासाउंड के लिए गए, जिसमें हमें यह बुरी खबर दी गई कि बच्चे के दिल की धड़कन बिलकुल नही मिल रही है और  गर्भपात हो जाना निश्चित है|

उस दिन जब मैं और मेरे पति अपने दूसरे अल्ट्रासाउंड के लिए हॉस्पिटल गए थे, तब हमें विश्वास था कि ईश्वर हमें डॉक्टर के कंप्यूटर स्क्रीन पर एक स्वस्थ बच्चा दिखाएंगे| हमें इस बात पर पूरा भरोसा था कि हमारी प्रार्थना सुनी जाएगी और ईश्वर हमारी इच्छा को नही ठुकराएंगे| पर ईश्वर को उस वक़्त कुछ और ही मंज़ूर था, और इस बार ईश्वर को जोमंजूर था, उसे अपनाना हमारे लिए काफी मुश्किल हो रहा था|

जहां कुछ ही समय पहले तक हम अपने परिवार को बढ़ते हुए, नए कल के सपने देख रहे थे, वहीं अब हम अपने बच्चे को खो देने का मातम मना रहे थे| इस दुखभरी खबर पर मैं विश्वास नहीं करना चाह रही थी| मैं परिणाम को अपने हिसाब से पाना चाह रही थी| और मैंने इस दू:खद सच्चाई को कभी नहीं चाहा था | लेकिन अब मैं कर ही क्या सकती थीं?

ईश्वर के मन में हमारे लिए अलग योजनाएं थी, ऐसी योजनाएं जिन में अपने जीवन की इतनी अनमोल चीज़ को खो देने का दुःख, ह्रदय विदारक दर्द और मातम लिखा था| इतने दुःख के बीच भी हमने ईश्वर की योजना को स्वीकार करने का फैसला किया और उसकी मर्ज़ी की खोज में अपनी ज़िंदगी को आगे बढ़ाने की कोशिश की| इन सब के बावजूद, यह नही कहा जा सकता कि ईश्वर की योजना को अपनाना और ईश्वर की मर्ज़ी को समझ पाने के  बराबर नहीं है| ईश्वर की मर्ज़ी को समझ पाने का मतलब ईश्वर की मर्ज़ी से सहमत होना या अच्छा लगना नहीं है | हम चाहते थें कि ईश्वर की योजनाएं हमारे मन मुताबिक़ हों लेकिन इन सब के बीच हमें खुद से यह सवाल करना पड़ रहा था कि अब क्या हमें ईश्वर से नाराज़ हो जाना चाहिए या हमें उनकी योजनाओं को अपना कर उन पर भरोसा करना चाहिए?

आखिर ईश्वर ने अपने वचन में यह कहा है,
क्योंकि मैं मैं तुम्हारे लिए निर्धारित अपनी योजनाएँ जानता हूँ – तुम्हारे हित की योजनाएँ, अहित की नहीं, तुम्हारे लिए आशामय भविष्य की योजनाएँ | जब तुम मुझे पुकारोगे और मुझ से प्रार्थना करोगे, तो मैं तुम्हारी प्रार्थना सुनूंगा| जब तुम मुझे ढूंढोगे, तो तुम मुझे पा जाओगे| यदि तुम मुझे सम्पूर्ण ह्रदय से ढूंढोगे तो मैं तुम्हें मिल जाऊँगा और मैं तुम्हारा भाग्य पलट दूँगा|” (यिर्मयाह 29:11-14)

अगर हम येशु में विश्वास करते हैं तो हमें उनके किये गए वादों पर भी भरोसा करना पडेगा, है ना? फादर जो मैकमोहन कहते हैं, “या तो येशु हमसे झूठ बोले थे या हम उसकी बातों पर भरोसा नही कर रहे हैं|” येशु हमारा भरोसा चाहते हैं| वह हमारा विश्वास चाहते हैं| वह हमारी आस्था चाहते हैं|

इसीलिए जब भी मैं उस गर्भपात द्वारा लाये गए ख़ालीपन और एकाकीपन के कारण मेरे जीवन की बर्बादी को महसूस करती हूँ, मैं यिर्मयाह 29:11-14 के वचनों को याद करती हूँ| जब भी इस बात से मेरा दिल दुखता है कि मैं इस जीवन में अपनी उस शिशु को अपनी गोद में ले नही पाउंगी, तब तब मैं उन वचनों से शक्ति पाती हूँ|

क्या मुझे लगता है कि येशु हमसे झूठ बोले थे? या क्या यह हो सकता है कि मैं अपने दुःख दर्द में उसपर पूरी तरह भरोसा नही कर पा रही हूँ? क्या मुझे लगता है कि येशु झूठे हैं, या क्या है संभव है कि मैंने अपनी पीड़ा में डूब कर खुद को उनसे दूर कर लिया?

आप अपने बारे में बताइये| क्या आप उन पर भरोसा रखते हैं जिन्होंने अपनी वाणी को उच्चारित करके आपकी सृष्टि की? क्या आप उस कहानी पर विश्वास करते हैं जिसे ईश्वर ने आपके जीवन के लिए लिखा है? क्या आप विश्वास करते हैं कि ईश्वर आपके जीवन को मार्गदर्शन दे रहा है? क्या आप अपनी दुःख तकलीफों के बीच ईश्वर पर भरोसा रख पाते हैं?

चाहे आपने अपने जीवन में बहुत सारे दुःख तकलीफें झेली हो, यह समय उन सब दुखों को क्रूसित येशु के पैरों के   नीचे छोड़ने का अवसर है| ताकि आपके सृष्टिकर्ता उन बातों को निपट सकें और चंगा कर सकें| दुःख तकलीफों का समय ही वह समय है जब हमें ईश्वर में अपने विश्वास को बढ़ाना चाहिए, ऐसा करना चाहे कितना ही तकलीफदेह हो|

अपने आप से पूछिए, क्या आप विशवास करते हैं कि येशु हमसे  झूठ बोले हैं ? क्या आपको लगता है कि उन्होंने हमारे भविष्य के लिए समृद्धि और आशा की योजनाएं नही बनाई हैं? या फिर इसकी संभावना है कि आप उनपर अभी तक पूरा भरोसा ही नही कर पाए हैं?

ईश्वर पर अपने भरोसे को बढ़ाइए| उन्हें अपनी दुःख तकलीफें सौंपिए ताकि वह आपको नया बना कर आपको अपने जीवन के लक्ष्य प्रकट कर सके| अपने आप को उनके सामने नम्र और छोटा बनाइये, ताकि वह आपको दिखा सकें कि वे कितने बड़े और महान हैं|

हे येशु, जब मैं कमज़ोर और निस्सहाय महसूस करता हूँ तब मुझे तेरी उपस्थिति का अनुभव करा दे| मुझे तेरी सुरक्षापूर्ण प्रेम और तेरी शक्तिशाली ताकत पर विश्वास करना सिखा, ताकि मुझे किसी बात की चिंता और किसी बात का डर ना लगे| मेरी सहायता कर कि मैं तेरे करीब रहकर सब कुछ में तेरा हाथ, तेरा उद्देश्य और तेरी योजनाको समझ सकूं| आमेन|

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Jackie Perry

Jackie Perry is a wife, mother, and inspiring writer. Her Catholic faith ignites her desire to share her journey of life on her blog jackieperrywrites.com *The article, ‘Do You Trust?’ appeared in the September/October 2020 issue of Shalom Tidings magazine. Scan now to read. (shalomtidings.org/do-you-trust)

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