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अगस्त 15, 2024 48 0 सेसिल किम एस्गाना
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एक उपहार जिसे खोलना बाकी है

एक उपहार जिसे आप दुनिया में कहीं से भी प्राप्त कर सकते हैं, और अंदाज़ा लगाइए यह कैसा उपहार है ? यह सिर्फ़ आपके लिए ही नहीं बल्कि सभी के लिए मुफ़्त है!

कल्पना कीजिए कि आप किसी गहरे गड्ढे में गिर गए हैं जहाँ अंधेरा ही अन्धेरा है और आप निराश होकर इधर-उधर टटोल रहे हैं। अचानक, आपको एक बड़ी रोशनी दिखाई देती है और कोई आपको बचाने के लिए आगे बढ़ता है। कितनी राहत की बात है! उस ज़बरदस्त शांति और खुशी के अनुभव को शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। सामरी स्त्री को ऐसा ही महसूस हुआ जब वह कुएँ पर येशु से मिली। उसने उससे कहा: “यदि तुम परमेश्वर का उपहार पहचानती और यह जानती कि वह कौन है जो तुमसे कहता है – मुझे पानी पिला दो, तो तुम उससे माँगती और वह तुम्हें संजीवन जल देता” (योहन 4:10)। जैसे ही उस स्त्री ने ये शब्द सुने, उसे एहसास हुआ कि वह पूरी ज़िंदगी इसी का इंतज़ार कर रही थी। उसने विनती की, “महोदय, मुझे वह जल दीजिये, जिससे मुझे फिर प्यास न लगे” (योहन 4:15)। तभी, मसीहा के ज्ञान के लिए उसके अनुरोध और प्यास के जवाब में, येशु ने स्वयं को उसके सामने प्रकट किया: “मैं जो तुम से बोल रहा हूँ, वही हूँ।” (योहन 4:26)।

वही संजीवन जल है जो हर प्यास बुझाता है – स्वीकृति की प्यास, समझ की प्यास, क्षमा की प्यास, न्याय की प्यास, खुशी की प्यास और सबसे महत्वपूर्ण बात है, प्रेम की प्यास, ईश्वर के प्रेम की प्यास।

जब तक आप नहीं मांगते…

मसीह की उपस्थिति और दया का उपहार हर किसी के लिए उपलब्ध है। “परमेश्वर हमारे प्रति अपने प्रेम को इस प्रकार प्रमाणित करता है कि जब हम पापी ही थे, तभी मसीह हमारे लिए मरा।” (रोमी 5:8) वह हर पापी के लिए मरा ताकि मसीह के लहू के द्वारा हम अपने पापों के कलंक से शुद्ध हो सकें और ईश्वर के साथ मेल-मिलाप कर सकें। लेकिन, सामरी स्त्री की तरह, हमें येशु से मांगने की ज़रूरत है।

कैथलिक के रूप में, हम मेलमिलाप के संस्कार के माध्यम से आसानी से ऐसा कर सकते हैं, अपने पापों को स्वीकार कर सकते हैं और जब पुरोहित ईश्वर द्वारा दी गई शक्ति का उपयोग करके मसीह के व्यक्तित्व में कार्य करते हुए हमें पापों से मुक्त करता है, तब ईश्वर के साथ हम सामंजस्य स्थापित कर सकते हैं । इस संस्कार को बार-बार अपनाने से मुझे बहुत शांति मिलती है, क्योंकि जितना अधिक मैं इसे करती हूँ, उतना ही मैं पवित्र आत्मा के प्रति ग्रहणशील हो जाती हूँ। मैं महसूस कर सकती हूँ कि वह मेरे दिल से बोल रहा है, मुझे बुराई से अच्छाई को पहचानने में मदद कर रहा है, जैसे-जैसे मैं बुराई से दूर भागती हूँ, सद्गुणों में बढ़ती जाती हूँ। जितनी अधिक बार मैं अपने पापों का पश्चाताप करती हूँ और ईश्वर की ओर मुड़ती हूँ, उतना ही मैं पवित्र यूखरिस्त में येशु की उपस्थिति के प्रति संवेदनशील होती जाती हूँ। जिन्होंने येशु को पवित्र भोज में ग्रहण किया है, उन लोगों में विराजमान येशु की उपस्थिति के प्रति मैं सचेत हो जाती हूँ । जब पुरोहित पवित्र रोटी से भरे पात्र के साथ मेरे पास से गुजरते हैं, तब मैं अपने दिल में उनकी गर्मजोशी महसूस करती हूँ।

चलिए इसके बारे में ईमानदार रहें। बहुत से लोग परम प्रसाद को ग्रहण करने के लिए लाइन में लगते हैं, लेकिन बहुत कम लोग पाप स्वीकार के लिए लाइन में खड़े रहते हैं। यह दु:खद है कि बहुत से लोग आध्यात्मिक रूप से हमें मजबूत करने के अनुग्रह के ऐसे महत्वपूर्ण स्रोत से वंचित रह जाते हैं। यहाँ कुछ बातें दी गई हैं जो मुझे पाप स्वीकार द्वारा सबसे अधिक लाभ उठाने में मदद करती हैं।

1. तैयारी करें

पाप स्वीकार से पहले अंतरात्मा की गहन जांच आवश्यक है। दस आज्ञाओं, सात घातक पापों, अपनी ज़िम्मेदारी से चूक के पापों, पवित्रता, दान आदि के विरुद्ध पापों के बारे में मनन करके तैयारी करें। पाप स्वीकार संस्कार को ईमानदारी से करने के लिए, पाप के बारे में सही समझ और पाप क्षमा पर दृढ़ विश्वास एक शर्त है, इसलिए ईश्वर से यह पूछना हमेशा मददगार होता है कि जो पाप हमने किये हैं, लेकिन हमें उनके बारे में पता नहीं है, उनके बारे में हमें बताएं। पवित्र आत्मा से उन पापों की याद दिलाने के लिए कहें जिन्हें आप भूल गए हैं, या आपको इस बात से अवगत कराएं कि आप अनजाने में कहां गलत कर रहे हैं। कभी-कभी हम खुद को यह सोचकर धोखा देते हैं कि सब कुछ ठीक है, जबकि ऐसा नहीं है।

एक बार जब हम अच्छी तरह से तैयारी कर लेते हैं, तो हम फिर से पवित्र आत्मा की सहायता ले सकते हैं ताकि हम अपने दिल से अपनी असफलताओं को पश्चातापी हृदय से स्वीकार कर सकें। भले ही हम पूरी तरह से पश्चातापी हृदय से पाप स्वीकार के लिए न आ रहे हों, पाप स्वीकार के संस्कार में मौजूद अनुग्रह के माध्यम से संस्कार के दौरान ही यह पश्चाताप संभव है। चाहे कुछ पापों के बारे में आप जो भी महसूस कर रहे हों, उन्हें वैसे भी पाप स्वीकार में बताना अच्छा है; अगर यह पहचानते हुए कि हमने गलत किया है, हम ईमानदारी से अपने पापों को स्वीकार करते हैं, तो ईश्वर हमें इस संस्कार में क्षमा करता है।

2. ईमानदार रहें

अपनी कमज़ोरियों और असफलताओं के बारे में खुद से ईमानदार रहें। संघर्षों को स्वीकार करना और उन्हें अंधकार से निकालकर मसीह के प्रकाश में लाना आपको लकवाग्रस्त अपराधबोध से मुक्त करेगा और उन पापों के विरुद्ध आपको मज़बूत करेगा जो आप बार-बार करते हैं (जैसे व्यसन)। मुझे याद है कि एक बार, जब मैंने पाप स्वीकार संस्कार में पुरोहित को एक ख़ास पाप के बारे में बताया जिससे मैं बाहर नहीं आ पा रही थी, तो उन्होंने मेरे लिए विशेष रूप से पवित्र आत्मा से अनुग्रह प्राप्त करने के लिए प्रार्थना की ताकि मैं उस पर काबू पा सकूँ। यह अनुभव बहुत मुक्तिदायक था।

3. विनम्र रहें

येशु ने संत फ़ॉस्टिना से कहा कि “यदि आत्मा विनम्र नहीं है तो उसे पाप स्वीकार के संस्कार से उतना लाभ नहीं मिलता जितना उसे मिलना चाहिए। अहंकार उसे अंधकार में रखता है।” (डायरी, 113) किसी दूसरे इंसान के सामने घुटने टेकना और अपने जीवन के अंधेरे और पापमय क्षेत्रों का खुलकर सामना करना अपमानजनक हो सकता है। मुझे याद है कि एक बार एक गंभीर पाप को स्वीकार करने पर मुझे बहुत लंबा उपदेश मिला था और बार-बार उसी पाप को स्वीकार करने पर मुझे फटकार भी मिली थी। यदि मैं इन अनुभवों को मेरी आत्मा की बहुत परवाह करनेवाले पिता के प्रेमपूर्ण सुधार के रूप में देख सकूं और सीख सकूं, और स्वेच्छा से स्वयं को विनम्र बना सकूं, तो वे कड़वे अनुभव आशीर्वाद बन सकते हैं।

ईश्वर की क्षमा उनके प्रेम और विश्वासयोग्यता का एक शक्तिशाली संकेत है। जब हम उनके आलिंगन में कदम रखते हैं और जो हमने किया है उसे स्वीकार करते हैं, तो हमारे पिता के रूप में उनके साथ और उनके बच्चों के रूप में हमारे रिश्ते को यह बहाल करता है। एक दूसरे के साथ हमारे रिश्ते को भी यह बहाल करता है जो एक शरीर से संबंधित हैं – मसीह का शरीर। ईश्वर की क्षमा प्राप्त करने का सबसे अच्छा हिस्सा इसमे हैं कि यह हमारी आत्मा की पवित्रता को बहाल करता है ताकि जब हम खुद को और दूसरों को देखें, तो हम सभी में ईश्वर को निवास करते हुए देखें।

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सेसिल किम एस्गाना

सेसिल किम एस्गाना lives and works as a writer and painter by profession in Manila, Philippines. She shares her Christian faith through an online missionary portal, trying to evangelize the un-evangelized and raise up believers one article at a time.

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