Home/Engage/Article

जून 03, 2022 317 0 Lianna Mueller
Engage

चिंताओं को दूर भगाएं

अपनी चिंताओं को दूर भगाने का एक तरीका यहां बताया जा रहा है …

 प्रत्येक दिन, हमें अपनी मानसिकता को और हृदय को भी बदलने का अवसर मिलता है। मैं प्रार्थना करने के लिए दृढ़ता से वकालत करती हूं, लेकिन यह हमेशा मेरे व्यवहार में परिणत नहीं होता है। बहुतों की तरह, मैं प्रार्थना करने के बजाय चिंता करने की प्रवृत्ति रखती हूँ, ‘अगर… तो क्या होगा’ की सोच में फँसी रहती हूँ। बार-बार, मुझे अपनी मानसिकता को बदलने का सबक सीखने की जरूरत है, जो बदले में मेरा ह्रदय परिवर्तित कर देता है। येशु ने हमें चिंता न करने के लिए प्रोत्साहित किया, और इसलिए प्रतिदिन मैं अपनी चिंताओं को प्रार्थनाओं में बदलने का प्रयास कर रही हूं और इस तरह उन चिंताओं को मुझसे दूर जाने देती हूं।

वर्ष 2021 के अधिकांश समय में एक लोकप्रिय कैथलिक सम्मेलन में भाग लेने के लिए मैं ने कुछ पैसे की बचत की। लेकिन खर्च मेरी अपेक्षा से अधिक लग रहा था। मैं वर्षों से इस सम्मेलन में भाग लेना चाहती थी और उम्मीद नहीं थी कि यह अवसर इसी वर्ष आयेगा। एक दम्पंती, दोनें जो मेरे करीबी दोस्त हैं, और मेरे जीवन में प्रभावशाली रहे हैं, उन्होंने मुझे यह बताने के लिए फोन किया कि वे भी इस साल इस सम्मेलन में भाग लेंगे और मुझे इसमें शामिल होने के लिए दृढ़ता से प्रोत्साहित किया। उनके बोलने के तरीके में कुछ ऐसी शक्ति थी, जिससे मुझे लगा कि पवित्र आत्मा मुझे इस केलिए कुरेद रहा है। फोन पर उस बातचीत के बाद, मैं निःसंदेह जान गयी थी कि मेरे लिए उस सम्मेलन में इसी वर्ष भाग लेना बहुत ज़रूरी है। उस कर्यक्रम में भागीदारी के बारे में सोचकर मुझे अपार खुशी और उम्मीद का अनुभव हुआ।

जैसे-जैसे सम्मेलन में भाग लेने से संबंधित लागत बढ़ती जा रही थी, मैंने देखा कि मैं चिंता जाल फंसी जा रही थी। ईश्वर ने हमेशा कैसे कैसे मेरी ज़रूरतों को पूरा किया है, यह याद रखने के बजाय, मुझे इस बात की चिंता थी कि क्या मेरे पास उचित समय पर आवश्यक धन होगा।

एक दिन, मुझे प्रेरणा मिली कि मैं चिंता करना छोड़ दूं और सभी अच्छे उपहारों के दाता ईश्वर की ओर मुड़ जाऊं! जैसे ही चिंता प्रार्थना में बदल गई, मेरे चेहरे पर मुस्कान आ गई। मुझे याद आया कि परमेश्वर विश्वासयोग्य है, और परमेश्वर स्वयं यह सुनिश्चित करेगा कि मेरे पास उस कार्यक्रम में भाग लेने केलिए पर्याप्त धन हो जाएगा। मैंने प्रार्थना की, “हे स्वर्गीय पिता, तू ने मुझे जो भी अवसर दिया है, उन सभी अवसरों के लिए तुझे धन्यवाद। कृपया सम्मेलन में भाग लेने केलिए मेरी जरूरतों को तू पूरा कर। तू हमेशा अपनी पूर्णता के तरीके से मेरी ज़रूरतों को पूरा करता है, उसके लिए धन्यवाद।”

मेरी चिंताओं से अवगत हो जाना, बल्ब की रोशनी जैसा हो गया है। अँधेरे में बल्ब का स्विच ऑन किया जाता है, और वह रोशानी बिखेरता है और उसी तरह जब चिंता का अन्धेरा छा जाता है, तुरंत मैं अपनी चिंताओं को प्रार्थनाओं में बदलने का ध्यान रखती हूँ। मेरा मन और दिल शांत हो जाते हैं। मुझे याद है कि मेरे स्वर्गीय पिता ने मेरे जीवन के हर क्षेत्र में लगातार मेरी ज़रूरतों की पूर्ती की है। वह मेरी चिंता के इस क्षेत्र में मेरा भरण-पोषण क्यों नहीं करेगा? अब, मैं अपने जीवन के हर क्षेत्र में, अपनी चिंताओं को प्रार्थना में बदलने की आदत विकसित करने के लिए दैनिक प्रयास करती हूं और इस तरह मेरी चिंताओं को दूर कर देती हूं।

ईश्वर ने अद्भुत तरीके से मेरे लिए ज़रूरी धन उपलब्ध कराया और सम्मेलन में भाग लेने का सौभाग्य मुझे प्राप्त हुआ। हालांकि जिस दिन मुझे जाना था, उस दिन सुबह एक बर्फीले तूफान के कारण मुझे अपनी उड़ान रद्द करने का खतरा खडा हो गया। अंततोगत्वा ईश्वर की ही जीत हुई और मैं सम्मलेन स्थल पर समय पर और सुरक्षित पहुंच गयी। अति सुंदर तरीके से सजाया गया सम्मेलन स्थल और अपने आरामदायक होटल के कमरे को देखकर मैं आश्चर्य चकित थी। मुझे यह भी पता चला कि मैंने सम्मलेन के अपने खर्चों के लिए जरूरत से ज्यादा पैसा जुटाया था! मैं क्यों परेशान थी? परमेश्वर पिता ने वही किया, जो वह हमेशा सबसे अच्छे ढंग से करता है, और उसने अपनी इस संतान की जरूरतों को पूरा किया है। मैं इस अनुभव के लिए ईश्वर की आभारी हूँ, और एक बार फिर से चिंता करने के बजाय, अपने मन को ईश्वर की ओर मोड़ने की सीख देने के लिए आभारी हूं। जैसे हम अपने विचार बदलते हैं, वैसे ही हम अपना जीवन बदलते हैं। जैसे-जैसे हम अपने दिलों को नकारात्मकता के बजाय ईश्वर की ओर मोड़ते हैं, हम और अधिक ईश्वर के जैसे हो जाते हैं। यदि हम लगातार अपनी चिंताओं को प्रार्थनाओं में बदलते रहेंगे, तो हमारी चिंताएं और उत्कंठायें कितनी कम होंगी, और हम अपने स्वर्गीय पिता के प्रति कितने अधिक आभारी होंगे? अगर हम अपनी चिंताओं को दूर कर दें तो जीवन कितना अधिक शांतिपूर्ण होगा? धन्यवाद, स्वर्गीय पिता, कि केवल एक प्रार्थना करने से तेरे और हमरे बीच की दूरी मिट जाती है!

Share:

Lianna Mueller

Lianna Mueller works as a counselor in the Dallas, TX area. She loves to write fiction and non-fiction in her free time, and blogs at sunflowersojourn.wordpress.com

प्रातिक्रिया दे

आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *

Neueste Artikel