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जून 23, 2021 1347 0 Dina Mananquil Delfino, Australia
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महामारी: आशीष या अभिशाप ?

एक संस्मरण

“तुमने मेरी कॉफ़ी को छुआ!” कॉफ़ी हॉउस में बैठी उस महिला ग्राहक ने युवा सेविका को देखकर चिल्लाया। वह नव युवती असहाय रूप से रोती रोती उस क्रुद्ध महिला को नया प्याला देने की कोशिश कर रही थी । हमें लगा कि वह महिला स्थानीय नहीं है । कॉफ़ी हाउस के स्थायी ग्राहक उस जवान लड़की की सुरक्षा में लामबंद हो गए। “यदि आप संदूषण या संक्रमण के बारे में बहुत चिंतित हैं, तो आपको घर से बाहर नहीं निकलना चाहिए!” एक ने चिल्लाया। “घर पर ही रहो !” एक और ने साथ दिया |

एक आत्मिक सलाहकार की हैसियत से, मैंने उस युवा सेविका को सांत्वना के कुछ शब्द कहने का प्रयास किया । उसने सिसकियों के बीच मेरे लिए कॉफ़ी बनाया, उस दौरान मैंने उसे याद दिलाया कि वर्तमान परिवेश ने सभी को तनावग्रस्त कर दिया है, इसलिए उसे इसे व्यक्तिगत रूप से नहीं लेना चाहिए और इस घटना के कारण इस अच्छे दिन को खराब होने नहीं देना चाहिए। बस कुछ ही मिनटों बाद, मुझे अपनी उस सलाह को अपने को ही सुनाना पड़ा । जब मैंने गलती से किराने की दुकान पर डेढ़ मीटर के निशान का उल्लंघन किया, तो एक बुजुर्ग सज्जन ने मुझे बड़े गुस्से के साथ कहा: “अपने स्थान पर रहो!” अपनी बात को अतिरिक्त जोर देने के लिए उन्होंने अपने ही पंजे पर दूसरे हाथ से प्रहार किया। फिर, जब मैं अपनी छोटी पोती को ज़रूरी कसरत के लिए घर से बाहर निकालक्र ले जा रही थी, तो उसे एक राहगीर ने देख लिया, और चिल्लाया “डेढ़ मीटर!” और झुंझलाहट के साथ दूर हटकर चलने लगा !

ये सिर्फ कुछ घटनाएं हैं, जो कोविड-19 महामारी से छिपी हुई त्रासदियों में से कुछ हैं । जो भय और चिंताएँ व्याप्त हैं, उन के कारण जीवन के प्रेम, आनंद और अनुग्रह नष्ट हो चुके हैं । शायद ही कोई मुस्कुराया हो। लोग सिर झुकाकर चल रहे हैं, आँखें सतर्क रूप से सजग हैं, लेकिन शरीर की भाषा स्पष्ट रूप से संकेत देती है: “मुझसे दूर रहो |” ऐसी प्रतिक्रियाएं आसानी से समझी जा सकती हैं, क्योंकि हम एक खतरनाक, अदृश्य दुश्मन का सामना कर रहे हैं और हमें नहीं पता कि महामारी समाप्त होने से पहले इसकी तलवार की मार से किस किस का पतन होगा | हजारों जीवन और आजीविका प्रभावित हैं; सामाजिक दूरी और स्व-अलगाव इस नए और अज्ञात वायरस के खिलाफ बहुत ज़रूरी ढाल बन चुके हैं |

छिपे और अनछिपे  हताहत और त्रासदियाँ   

हम सभी इससे प्रभावित हुए हैं। हमारे प्रियजनों की मौत और अग्रिम पंक्ति में रहकर संघर्ष कर रहे समर्पित स्वास्थ्य कर्मियों और कोरोना योद्धाओं की क्षति पर हमारा दुःख बहुत भारी और अविश्वसनीय है। प्रियजनों की मृत्यु का कारण जो भी हो, पर उदासी भारी हो जाती है और विशेषकर इस परिस्थिति में जब शोक करने वाले अपने मित्रों और सम्बन्धियों की दिलासा को प्राप्त करने में हम असमर्थ होते हैं। मेरी संवेदनाएं उनके दिलों के दर्द के प्रति जागृत है और मैं केवल उनकी आत्माओं और उनके परिवारों की सांत्वना के लिए प्रार्थना कर सकती थी। सरकार और स्वास्थ्य अधिकारियों ने इसे नियंत्रित करने और इसे रोकने के लिए सबसे अच्छे उपाय निर्देशित किये हैं, और जो कुछ संभव था वह सब किया जा रहा है। उनमें से कई लोगों ने माना कि यह लड़ाई युद्ध में जाने के बराबर है। और वास्तव में बहुत सारे हताहत हुए हैं। हर राष्ट्र अपने घुटनों पर गिर गया।

लेकिन व्यक्तिगत रूप से मुझ पर इसका क्या प्रभाव पड़ा है? जब लॉकडाउन और शटडाउन लगाए गए थे, मैंने अपनी उन परियोजनाओं को देखा, जिन पर मुझे काम करना था। उस पल में, वे अप्रासंगिक लग रहे थे। यह जानते हुए कि मैं अब उन पर काम नहीं कर पाऊँगी, मैंने उन्हें ठन्डे बस्ते में डालकर भविष्य में उन पर काम करने का फैसला किया । मेरा दृष्टिकोण जल्दी ही बदल गया | अब मुझे भविष्य नहीं बल्कि पल-पल का जीवन बस दिखाई दिया और मैं ने समझा कि स्वास्थ्य और सुरक्षा से बढ़कर कुछ भी महत्वपूर्ण नहीं। जब मुझे एक चिकित्सा के मुद्दे पर डॉक्टर से मिलने जाना पड़ रहा था, उस समय मैंने ईश्वर से अनुनय विनय किया कि मुझे अस्पताल जाने की स्थिति से बचा लें, क्योंकि मैं वहां के वातावरण से भयभीत थी।

मैं और अधिक चिंतनशील हो गयी और यह जांचने लगी कि मेरे जीवन के किन हिस्सों को बदलने की जरूरत है। हर दिन मैंने अपने घुटनों पर प्रार्थना करते हुए प्रभु से मदद मांगी। प्रत्येक घंटे में, मैंने सभी के लिए प्रभु के संरक्षण हेतु अपना पसंदीदा स्त्रोत्र 91 की प्रार्थना करना शुरू किया | साथ साथ “हे प्रभु येशु मसीह, परमेश्वर के पुत्र, मुझ पापी पर दया कर” यह प्रार्थना मैं निरंतर बोलने लगी|      

अनजाने आशीर्वाद

मैं आमतौर पर भविष्य की परियोजनाओं के बारे में उत्साहित हूं, लेकिन कोविड-19 के साथ, भविष्य धुंधला हो गया। अनिश्चितता मेरी दैनिक वास्तविकता बन गई। क्योंकि मैं एक व्यस्त जीवन का आदी हूं, मुझे लॉकडाउन का सामना करने के लिए कुछ नयी गतिविधियों को खोजने की ज़रुरत थी। मैं परिवार के लिए, पहले से ज्यादा रसोई में खाना बनाने के काम में लग गयी । जब से मेरी बेटी और दामाद ने घर से काम करना शुरू किया किया, मैं रसोई में बहुत सारे काम करने लगी। पारिवारिक जीवन हमारी नींव बन गया। पहले के कुछ हफ्ते घर में 24 X 7 रहना मुश्किल हो रहा था लेकिन परिवार की एकजुटता को ज्यादा महत्व दिया गया और हमने एक-दूसरे की सराहना की और इस तरह पारिवारिक रिश्ता मज़बूत हुआ । हम में से प्रत्येक ने घर के कामों में अधिक योगदान दिया।

प्रतिदिन कपड़ा धोना अब एक राहत भरा काम बन गया, वाशिंग मशीन की आवाज स्वाभाविक और सुखद मालूम हो रहा है | अलमारियों को साफ़ करने और घर को व्यवस्थित करने के लिए खूब वक्त था, और इस से मुझे जीने का कुछ लक्ष्य निर्धारित करने में मदद मिली | नींद जबरदस्त आने लगी तो मुझे लगा कि यह काम से भागने की प्रवृत्ति है, लेकिन बाद में मैं ने एहसास किया कि पिछले कुछ वर्षों में मेरे शरीर से ऊर्जा निकल गयी थी, इसलिए मैं ने नींद का स्वागत किया और धीमी गति से जीना सीखा | सुबह का स्नान दोपहर के बाद का रिवाज़ बन गया, क्योंकि मुझे घर के लिए अनिवार्य चीज़ों को खरीदने सुबह दूकानों में जाना होता था |

छोटे चमत्कार भी हुए | कभी टॉयलेट पेपर को, कभी हाथ पोंछने के लिए नैपकिन्स को, तो कभी रोगाणुनाशी स्प्रे को खोजती खोजती मैं परेशान हो जाती थी | इन में से कुछ भी आलमारी में नहीं दिखाई दिया, तो अचानक मुझे सुखद आश्चर्य हुआ जब मैं ने देखा कि ये चीज़ें ट्राली में उपेक्षित पड़े हैं |   

ईश्वर कहाँ है ?

दुनिया के कुछ हिस्सों से आई रिपोर्ट से पता चलता है कि प्रकृति एक पुनरावर्ती विश्राम ले रही थी क्योंकि प्रदूषण कम हो रहा था और आकाश, सागर, वन पुनर्जीवित हो रहे थे । चालीसा के तपस्या काल में और ईस्टर के दौरान हमारे गिरजाघरों को बंद करना ख़ास तौर पर मुश्किल था, और मुझे ताज्जुब हो रहा है कि प्रभु हमें क्या संदेश देना चाह रहे हैं। कई लोगों ने पूछा कि इन सब में प्रभु ईश्वर कहाँ है?  आध्यात्मिक संदेश बहुतायत से मिल रहे हैं। उनमें से अधिकांश प्रोत्साहित करने वाले सन्देश हैं, क्योंकि ये सन्देश यह पुष्टि करते हैं कि इस त्रासदी का कारण ईश्वर नहीं है | क्योंकि वह कोई बुराई नहीं करता, लेकिन इस दर्दनाक सफ़र पर वह हमारे साथ यात्रा कर रहा है, ठीक उसी तरह जब उसने हमारे साथ यहां पृथ्वी पर पीड़ा भोगी थी, और उसका पुनरुत्थान हमें आशा देता है कि हम इस विपत्ति को झेल लेंगे ।

हमारा प्रार्थना दल जो पिछले 22 वर्षों से साप्ताहिक बैठक कर रहा है, तालाबंदी से हतोत्साहित नहीं हुआ। पवित्र आत्मा के मार्ग निर्देशन पर, हमने हर शुक्रवार को फोन सम्मेलन द्वारा अपनी प्रार्थना सभा और आध्यात्मिक संगति का आयोजन किया, और इस मुश्किल अवधि के लिए भविष्य वाणी या नबूबत के संदेश और उपदेश एकत्रित किए ।

प्रौद्योगिकी के उपयोग को अपनाते हुए हम अपने धर्मगुरुओं से जुड़े रहे | उन्होंने हमारे लिए मिस्सा बलिदान अर्पित करना जारी रखा । इस से यह फायदा हुआ कि बहुत से लोग जो पहले मिस्सा बलिदान में उपस्थित नहीं थे, वे गिरजाघर की सभाओं और उपदेशों को सुनाने के लिए टेलीविज़न कार्यक्रमों को देखने लगे | इस प्रकार विश्वास का गहरी, आंतरिक मनन चिंतन और समझ का मार्ग प्रशस्त हुआ। आगे कभी भी मैं यूखरिस्त के महान उपहार को हलके में नहीं लूंगी। यह मेरे लिए अब तक का सबसे गहन उपवास का अनुभव था।

हाल ही में, मुझे एक मित्र का फोन आया जो एक गंभीर बीमारी से रोज़ लड़ रही है – दिल और गुर्दे की बीमारियों से किसी भी समय उसकी मौत हो सकती है । जब वह इन जटिलताओं की एक और लड़ाई के दौर के बाद अस्पताल से बाहर आई, तो उसने मुझे बताया कि उसकी सोच बस एक-एक दिन जीने के बारे में है। मैंने मनन किया तो लगा कि हम सभी एक ही नाव में हैं।

कोविड-19 ने हमें एक महत्वपूर्ण सबक सिखाया है – सुबह जब हम जागते हैं तब से लेकर दिन भर हमें प्रत्येक पल को महत्व देना चाहिए, और ईश्वर के प्रति कृतज्ञ बने रहना चाहिए। प्यार भरे शब्दों को अभी और यहीं पर बोला जाना चाहिए, प्यार भरे कार्यों को आज ही कर लेना चाहिए, कल के लिए नहीं टालना चाहिए।

किसी ऐसे व्यक्ति जिसने आज के दिन हमारी सेवा की है, क्या हमने कभी उसे दिल से धन्यवाद कहा है? ” हे महान प्रकाश पुंज ईश्वर, हर सुबह तेरा प्यार नवस्फूर्ति से भरपूर है, और दिन भर तू दुनिया की भलाई के लिए कार्य कर रहा है। तेरी सेवा करने, पड़ोसियों और तेरी सम्पूर्ण रचना के साथ शांति से रहने की तीव्र तृष्णा हमारे अन्दर जगा दे । हर एक दिन तेरे पुत्र, हमारे उद्धारकर्ता येशु मसीह को समर्पित करने की इच्छा हम में जगा दे ।”  – आमेन।

(प्रात:कालीन प्रार्थना की धर्म विधि  “अपर रूम आराधना क्रमसे उद्धृत)

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Dina Mananquil Delfino

Dina Mananquil Delfino works at an Aged Care Residence in Berwick. She is also a counselor, pre-marriage facilitator, church volunteer, and regular columnist for the Philippine Times newspaper magazine. She resides with her husband in Pakenham, Victoria.

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