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नवम्बर 19, 2020 1826 0 Darwin James
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एक चमत्कार जिसने मेरी ज़िन्दगी बदल दी

मुझे याद है माँ का पापा के कन्धों पर सर रख कर रोना और मेरे रिश्तेदारों, दोस्तों और यहाँ तक कि अनजान लोगों का मेरे लिए रो-रो कर प्रार्थना करना| ऑपरेशन रूम में लेटे हुए जब मैंने डॉक्टरों को घबराहट के साथ आपस में फुसफुसाते हुए सुना जैसे कि मेरे बचने की कोई उम्मीद नही थी, तब मैंने आँखें बंद करके प्रार्थना की कि मैं एक दिन और ज़िंदा रह सकूं|

उस भयंकर क़यामत की तारीख

साल 2007 में जब मैं चौथी कक्षा में था, तब मेरे चाचा ने मुझे एक नया कम्प्यूटर ला कर दिया| रोज़ मैं उसपर गेम्स खेलने का इंतज़ार करता था| एक दोपहर, मैं स्कूल से भाग कर घर आया| मेरे माता पिता, मैं, और मेरा छोटा भाई, हम सब एक अपार्टमेंट के पहली मंजिल पर रहते थे| मैंने अपना स्कूल बैग फेंका, कपड़े बदले और बिजली की तेज़ी से कंप्यूटर पर गेम्स खेलने के लिए दौड़ा| इसी बीच मेरी दादी गरम पानी की एक बड़ी हांडी लिए गलियारे से गुज़र रही थीं|

जब मैं तेज़ी से भागता हुआ अंदर आया तब मैंने दादी को अपनी ओर आते देखा| मुझे अपनी ओर आते देख मुझे चेतावनी देने के उद्देश्य से दादी ज़ोर से चीखीं, पर मैं होनेवाले खतरे से बेखबर उन्हें गले लगाने को उनकी ओर दौड़ा| इस दौरान उनका संतुलन बिगड़ा और हांडी का सारा गरम पानी मेरे ऊपर जा गिरा| इसके तुरंत बाद मेरे लिए सिर्फ अँधेरा ही अँधेरा था | मेरी दादी की चीखें मेरे कानों में गूँज रही थी जब मैं ज़मीन पर पड़ा था, इस बात से अनजान कि मेरे साथ अभी अभी क्या घट चुका था| मैंने माँ को घबराई हालत में अपनी ओर आते देखा| उन्होंने इतना शोर मचाया कि सारे पड़ोसी घर पर एकत्रित हो गए | मेरी हालत देख कर वे सभी घबरा गए | इसी बीच मुझे अपने पेट में तेज़ दर्द महसूस होने लगा| मुझे जल्द ही नज़दीकी अस्पताल में ले जाया गया|

 दुःख का चिन्ह

दादी मुझे जैसे-तैसे संभालने और सांत्वना देने की कोशिश कर रही थीं, इसी बीच माँ का रो-रो के बुरा हाल था| लेकिन इमरजेंसी कक्ष में ले जाए जाने से ठीक पहले दादी ने मुझसे येशु, मरियम और संत योसेफ के पवित्र नाम को लेते रहने केलिए कहा | जब डॉक्टर ने मेरी जांच की, तभी मुझे पता लगा कि मेरी हालत असल में कितनी बुरी थी| मेरे पेट की चमड़ी जल कर ख़तम हो चुकी थी और अंदर का लाल मांस देखा जा सकता था| जब डॉक्टर मेरा इलाज करने में व्यस्त थे तब मेरे माता-पिता और सगे सम्बन्धी एकजुट हो कर माता मरियम की शक्तिशाली मध्यस्थता केलिए प्रार्थना कर रहे थे| लेकिन सभी को इस बात का अंदाज़ा था कि मेरे ठीक होने की उम्मीद काफी कम थी|

अस्पताल में लगभग एक महीना बिताने के बाद मैं आखिरकार घर जाने लायक हो गया | मेरे एक चाचा ने मेरी देखभाल की ज़िम्मेदारी अपने ऊपर ले ली | मेरे माता पिता के लिए अब मैं निरंतर चिंता और दुःख का कारण बन गया था| बचपन में मैंने पापा को कभी रोते हुए नहीं देखा था, लेकिन एक दिन मुझे ऐसे दर्द में लिपटे देख उनकी आँखें भर आयी थीं| मेरी ज़िन्दगी अब बस बिस्तर पर पड़े पड़े गुज़र रही थी| हर कोई जो मुझसे मिलने आता था वे मुझसे कहते थे कि वे मेरे लिए प्रार्थना कर रहे हैं| मेरे दोस्त, अध्यापक, पल्लीवासी, धर्मगुरु, धर्मबहनें, सब मेरे ऊपर प्रार्थना कर चुके थे| हर ओर, हर जगह मेरे लिए निरंतर प्रार्थना की जा रही थीं| अब मैं जानता हूँ कि उनमें से किसी की भी प्रार्थना अनसुनी नही की गयी थी|

जले के निशान

डॉक्टरों को जितनी उम्मीद थी उससे काफी पहले ही मैं पूरी तरह चंगा हो गया| हर किसी ने कहा कि यह एक बड़ा चमत्कार है | दोस्तों और परिवार वाले इस बात पर एकमत थे | उन्होंने यह स्वीकार किया कि उन्हें मेरे बचने की उम्मीद बिलकुल नहीं थी| पर आज मैं उनके सामने था, चंगा और स्वस्थ| ये सब सिर्फ ईश्वर की कृपा, उन्हीं का करम था|

हालांकि उस वक़्त मैं सिर्फ एक छोटा बच्चा था, फिर भी, इस चमत्कारी अनुभव ने मेरे दिल में मेरे मसीहा के लिए प्रेम और विश्वास के बीज बो दिए| मैंने जाना कि ईश्वर हमेशा हर मुसीबत से बचाने के लिए मेरे साथ हैं | मेरे पेट पर अभी भी जले के निशान हैं, लेकिन जब मैं उन्हें देखता हूँ मुझे ईश्वर की चंगाई की शक्ति याद आती है, और मुझे इस बात का अहसास होता है कि मैं उनकी कृपा का एक जीता जागता सबूत हूँ|

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Darwin James

Darwin James resides with his family in Tamil Nadu, India.

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