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मार्च 09, 2023 303 0 Father Roy Palatty CMI
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मौन हत्यारे को खत्म करें

क्या आप आलस्य, उदासीनता और बोरियत से जूझ रहे हैं? आपकी आत्मा की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने के लिए यहां सात आध्यात्मिक टीकाकरण दिए जा रहे हैं

आमतौर पर हम शैतान को अंधेरे और रात से जोड़ते हैं। लेकिन इस से भी बुरा एक दुश्मन है: जब सूर्य अपने चरम पर होता है तब वह घात करता है, हम पारंपरिक रूप से इसे ‘दोपहर का शैतान’ कहते हैं। आप दिन की शुरुआत बड़े उत्साह और जुनून के साथ करते हैं, लेकिन जैसे ही दोपहर करीब होता है आप अपना उत्साह और जोश खो देते हैं। यह शारीरिक थकान नहीं है, बल्कि आत्मा का संकुचन है।

रेगिस्तान के भिक्षुओं ने इसे असीडिया कहा, जिसका अर्थ है उदासीनता, या परवाह न करना या जागरूकता की कमी। इस दोष को आलस्य के रूप में भी जाना जाता है, जो सात घातक पापों में से एक है, जो अपने आप में हानिकारक नहीं है, बल्कि अन्य बुराइयों और दोषों के लिए दरवाज़ा खोल देता है। ईश्वर से मिलन होने के बाद आत्माएँ पूरे जूनून के साथ आध्यात्मिक यात्रा पर निकल पड़ती है। लेकिन उसी भावना में बने रहना आसान नहीं है। कुछ हफ्तों या महीनों के बाद, आलस्य या कुछ करने की ऊर्जा की कमी आत्मा को घेर लेती है। उदासीनता की यह स्थिति, आत्मा में निराशा और उबाउपन एवं आध्यात्मिक शून्यता द्वारा प्रदर्शित होती है।

असीडिया को आध्यात्मिक अवसाद के रूप में वर्णित किया जा सकता है। इस अवस्था में कोई भी गतिविधि सुखद नहीं हो सकती है। आलस्य जीवन के सभी चरणों में लोगों को डराता है। यह अनेक बुराइयों का कारण है। जाहिर है कि, यह हमें उद्धार पाने से रोकता है। इवाग्रीस पोंटिकस कहते हैं कि दोपहर का दानव “सभी राक्षसों में सबसे अधिक अत्याचारी” है। यह दमनकारी है, क्योंकि यह हमारे मन में यह बात डालता है कि धार्मिक आस्था या तपस्वी जीवन का अभ्यास बहुत कठिन है। वह यह बताता है कि नियमित रूप से प्रार्थना या धार्मिक अभ्यास करने की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि ईश्वर की सेवा करने के कई तरीके हैं।

यह मानसिकता सभी आध्यात्मिक आनंद को छीन लेती है, और देह से मिलने वाले सुख को सबसे बड़ी प्रेरणा बना देता है। इस दानव की चालों में से एक चाल यह सुनिश्चित करना है कि व्यक्ति को यह एहसास न हो कि वह पीड़ित हैं, आध्यात्मिक कार्यों के लिए एक अरुचि पैदा करना, एक व्यक्ति को सांसारिक सुखों पर इतना निर्भर कर देना कि, इस हद तक कि उसमें भी उसका आनंद नष्ट हो जाय। क्लैरवा के बर्नार्ड इसे किसी की आत्मा की नपुंसकता, सूखापन और बंजरता बोलते हैं जो स्तोत्र भजन के गायन के मधुर शहद को भी कडुवा बना देता है, और रात्री जागरण को निरर्थक पीड़ा में बदल देता है।

असीडिया के प्रलोभन

अपने आप से और दूसरों से प्यार करने की क्षमता को असीडिया ख़तम कर देता है। यह आत्मा को उदासीन बनाता है। पवित्र वचन उनके बारे में कहता है: “मैं तुम्हारे आचरण से परिचित हूँ। तुम न तो ठंडे हो और न गर्म। कितना अच्छा होता कि तुम ठंडे या गर्म होते! लेकिन न तो तुम गर्म हो और न ठंडे, बल्कि कुनकुने हो, इसलिए मैं तुमको अपने मुख से उगल दूंगा” (प्रकाशना-ग्रन्थ 3:15-16)। आप यह कैसे जान पायेंगे कि आप दोपहर के शैतान के दमन के अधीन हैं या नहीं? अपने जीवन की जांच करें और देखें कि क्या आप इन निम्नलिखित संघर्षों का सामना कर रहे हैं?

एक प्रमुख संकेत काम को टालना है। टालने का मतलब यह नहीं है कि आप कुछ नहीं कर रहे हैं। हो सकता है कि आप सब कुछ कर रहे हों सिवाय उस एक चीज़ के जिसे आप करने वाले थे। क्या आप में यह आदत हैं?

आलस्य के तीन रूप हैं: अपने आप को अनावश्यक चीजों में व्यस्त रखना, व्याकुलता और आध्यात्मिक उदासी या अवसाद। आलस्य की भावना से पीड़ित व्यक्ति किसी एक चीज़ पर ध्यान केन्द्रित किए बिना बहुत सारी चीज़ों को अपने कार्य में शामिल करता है। वे एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर डोलते रहते हैं। ऐसे समय में शांति और स्थिरता हासिल करना बहुत मुश्किल है। ईश्वर की वाणी न सुनने से आत्मा खोखली हो जाती है। व्याकुलता ध्यान और स्मरण शक्ति को बाधित करती है, जिससे प्रार्थना और आध्यात्मिक अभ्यास कम हो जाते हैं। यह थकान सब कुछ स्थगित करने की ओर ले जाती है। आंतरिक खोखलापन और थकान का यह अनुभव आध्यात्मिक अवसाद का कारण बनता है। अन्दर एक छुपा हुआ गुस्सा रहता है। इस वेदना से पीड़ित व्यक्ति को, व्यक्तिगत रूप से स्वयं कुछ रचनात्मक कार्य किए बिना, सभी की आलोचना करने का मन करता है।

प्याज के लिए तरसना

अस्थिरता इस बुराई का एक और संकेत है – अपनी बुलाहट पर ध्यान केंद्रित करने में असमर्थता। अपना क्षेत्र या  इलाका, कार्य, स्थिति, संस्था, धार्मिक मठ, जीवनसाथी या दोस्तों को बदलने की अत्यधिक इच्छा अस्थिरता के लक्षण हो सकते हैं। गपशप सुनना, व्यर्थ के वाद-विवाद और झगड़ों में भाग लेना और हर बात की शिकायत करना इस असीदिया भावना के कुछ रूप हैं। जब लोग इसके अधीन होते हैं, तो वो शरारती बच्चों की तरह व्यवहार करते हैं: जैसे ही एक इच्छा पूरी होती है, वे कुछ और चीज़ की चाह करने लगते हैं। उन्होंने एक किताब पढ़ना शुरू करते ही दूसरी किताब पर कूद पड़ते हैं, फिर सेल फोन पर, लेकिन कभी भी कोई काम खत्म नहीं करते। इस स्तर पर, किसी को ऐसा लग सकता है कि विश्वास या धर्म भी किसी काम का नहीं है। दिशा खोना अंततः एक आत्मा को भयानक संदेह और भ्रम में ले जाता है।

तीसरा लक्षण है अतिशयोक्तिपूर्ण शारीरिक अभिरुचिः लंबे समय के लिए दुखदायी और अप्रिय चीजों के साथ रहने में असमर्थ होना। आत्मा का दु:ख व्यक्ति को सुख के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश करने के लिए प्रेरित करता है, फिर अन्य चीजों की की ओर ले जाता है जो ख़ुशी देती हैं। संत थॉमस एक्विनस ने एक बार कहा था: “जो लोग आध्यात्मिक सुखों में आनंद नहीं पाते हैं, वे शरीर के सुखों का सहारा लेते हैं।” जब आध्यात्मिक आनंद गायब हो जाता है, तो एक आत्मा अपने आप सांसारिक सुखों या शरीर की असमान्य भूख की ओर मुड़ जाता है, छोड़ दिए गए पापों को याद करता है और त्यागी हुई चीज़ की “मिस्र के प्याज” की लालसा करता है (गणना ग्रन्थ 11: 5)। कोई व्यक्ति जो प्रभु के द्वारा प्रदान किये गए स्वर्गीय मन्ना की ओर निहारने में असफल रहता है, वह निश्चित रूप से “दुनिया के प्याज” के लिए तरसना शुरू कर देगा।

एक कुनकुनी आत्मा का एक और संकेत एक ठंडा और कड़ा दिल हो सकता है। ऐसी आत्मा के बारे में पवित्र ग्रन्थ  कहता है: “आलसी कहता है, सिंह बाहर खड़ा है, सिंह गलियों में विचरता है। जिस तरह किवाड़ अपने कब्ज़े पर घूमता, उसी तरह आलसी अपने पलंग पर करवट बदलता है। आलसी थाली में हाथ डालता तो है, किन्तु वह उसे मुंह तक उठाने में उसे थकान आती है।” (सूक्ति-ग्रन्थ 26:13-15)। फिर से, यह कहता है, “थोड़ी देर तक सोना, थोड़ी देर झपकी लेना और हाथ पर हाथ रखकर थोड़ी देर आराम करना” (सूक्ति-ग्रन्थ 6:10)। राजा दाऊद के पतन को याद करें। जब सेनाएं युद्ध के मैदान में थीं, तो सेना के अधिकारी अपने छोटे हितों की तलाश में महल में ही रह गया था। वह वहां नहीं था जहां उसे होना चाहिए था। आलस्य उसे वासना की ओर, और बाद में और भी जघन्य पापों की ओर ले गया। बिना उद्देश्य का एक भी दिन आत्मा को बुरी इच्छाओं का शिकार होने के लिए और अधिक प्रवण बना देता है। बाद में, दाऊद ने अफसोस के साथ लिखा “न अन्धकार में फैलने वाली महामारी से और न दोपहर को चलने वाले घातक लू से” (स्तोत्र-ग्रन्थ 91:6)।

असीडिया पर काबू पायें

इवाग्रियस पोंटिकस, जॉन कैसियन और उनके जैसे अन्य मरुस्थल के श्रेष्ठ आचार्यों ने दोपहर के शैतान का मुकाबला करने के कई तरीके सुझाए हैं। आइए उनमें से सात का अन्वेषण करें:

 1. आँसुओं में ईश्वर की ओर मुड़ें: वास्तविक आँसू उद्धारकर्ता को पाने की इच्छा की ईमानदारी को दर्शाते हैं। वे परमेश्वर की सहायता के लिए आंतरिक इच्छा की बाहरी अभिव्यक्ति हैं। असीडिया पर काबू पाने के लिए प्रभु की कृपा जरूरी है।

2. अपनी आत्मा से बात करना सीखें: अपने आप को उन आशीषों की याद दिलाते रहें जो आपको पहले ही मिल चुके हैं। आप प्रभु को उनके सभी अच्छाइयों के लिए धन्यवाद देकर अपनी आत्मा को प्रेरित कर सकते हैं। जब आप प्रभु को धन्यवाद देते हैं, तो आप आत्मा के उत्थान का अनुभव करते हैं। स्तोत्र-ग्रन्थ में, दाऊद कहते है: “मेरी आत्मा तुम उदास क्यों हो? क्यों आह भारती हो? ईश्वर पर भरोसा रखो। मैं फिर उसका धन्यवाद करूँगा। वह मेरा मुक्तिदाता और मेरा इश्वर है ” (स्तोत्र-ग्रन्थ 42:5)। “मेरी आत्मा! प्रभु को धन्य कहो और उसका एक भी वरदान कभी मत भुलाओ” (स्तोत्र-ग्रन्थ 103:2)। यह दानव से लड़ने की असफल-सुरक्षित युक्ति है। मैंने व्यक्तिगत रूप से, इस दृष्टिकोण को बहुत शक्तिशाली पाया है।

3. दृढ़ता अच्छे काम करने की अधिक इच्छा की ओर ले जाती है: इच्छा कार्य करने केलिए प्रेरणा देती है। आत्मा के आध्यात्मिक आलस्य को दूर करने के लिए निरंतर इच्छा की आवश्यकता होती है। अति क्रियाशीलता आपको पवित्र नहीं बनाएगी। हमारे साइबर युग में, दिखावे के रिश्तों, सोशल मीडिया की लत और दिल और शरीर की शुद्धता के वास्तविक खतरों में कोई भी आसानी से पड़ सकता है। आत्मा की बोरियत और अंतरात्मा की नीरसता एक व्यक्ति में हर किसी की तरह जीने की इच्छा पैदा करती है, पारगमन को निहारने का अनुग्रह खो देती है। हमें शांति और एकांत का अभ्यास करना सीखना चाहिए। इसके लिए हमें जानबूझकर कुछ पल प्रार्थना और ध्यान में बिताना चाहिए। मैं इसे करने के लिए दो सरल लेकिन गहन तरीके सुझाता हूं:

(क) आत्मा को चार्ज करने के लिए कुछ ‘तीर प्रार्थना’ फेंकें। “येशु, मैं तुझ पर भरोसा करता हूँ” जैसे छोटी प्रार्थना करें। या, “हे प्रभु, मेरी सहायता के लिए आ।” या “येशु मेरी मदद कर।” या आप लगातार ‘येशु प्रार्थना’ कह सकते हैं: “हे प्रभु येशु, दाऊद के पुत्र, मुझ पापी पर दया कर।”

(ख) आत्म-समर्पण की नवरोज़ी प्रार्थना करें: “हे येशु, मैं खुद को तेरे सामने समर्पित करता हूं, मेरी हर बात का तू ध्यान रख।”

आप इन छोटी-छोटी प्रार्थनाओं को बार-बार बोल सकते हैं, यहाँ तक कि दात्तुवन करते हुए, नहाते हुए, खाना बनाते हुए, गाड़ी चलाते हुए भी। यह प्रभु की उपस्थिति को विकसित करने में मदद करेगा।

4. पापस्वीकार संस्कार के लिए जाएं: आध्यात्मिक रूप से कुनकुनी आत्मा पाप स्वीकार करने से कतराती है। लेकिन, आपको इसे बार-बार करना चाहिए। यह वास्तव में आपके आध्यात्मिक जीवन में दुबारा चालु करने का बटन है जो आपको पटरी पर वापस ला सकता है। हो सकता है कि आप बार-बार एक ही पाप को स्वीकार कर रहे हों, और वर्षों से एक ही तपस्या कर रहे हों! बस इसे एक बार में करें। मेलमिलाप संस्कार के पुरोहित के साथ अपनी आध्यात्मिक स्थिति साझा करें। आपको अद्भुत कृपा प्राप्त होगी।

5. पवित्र बातों से घिरे रहें: संतों के बारे में पढ़ें। अच्छी प्रेरणा देने वाली मसीही फिल्में देखें। मिशनरियों और मिशन की चुनौतीपूर्ण कहानियाँ सुनें। प्रतिदिन पवित्र ग्रन्थ का एक छोटा अंश पढ़ें; शुरुवात करने केलिए आप स्तोत्र-ग्रन्थ की पुस्तक को पढ़ सकते हैं।

6. पवित्र आत्मा की भक्ति: पवित्र त्रित्व का तीसरा व्यक्ति हमारा सहायक है। हाँ, हमें मदद चाहिए। प्रार्थना करें: “हे पवित्र आत्मा, मेरे हृदय को अपने प्रेम से भर दे। हे पवित्र आत्मा, मेरे खालीपन को अपने जीवन से भर दे।”

7. मृत्यु पर ध्यान: इवाग्रियस आत्म-प्रेम को सभी पापों की जड़ मानते थे। मृत्यु पर मनन करने से, हम स्वयं को याद दिलाते हैं कि “हम मिट्टी हैं, और मिट्टी ही में फिर मिल जाएंगे।” संत बेनेदिक्त ने हमें यह नियम सिखाया है: ‘अपनी आंखों के सामने रोजाना मौत को रखना। मृत्यु-चिंतन बुरे विचारों में पड़ने के लिए नहीं है, बल्कि हमें सतर्क करने और अधिक लगन से मिशन के लिए खुद को प्रतिबद्ध करने के लिए है।

‘दोपहर के शैतान’ को हराने में आत्मा को मदद करने केलिए ये सात तरीके हैं। वे आपकी आत्मा की आध्यात्मिक प्रतिरक्षा को बढ़ाने के लिए आध्यात्मिक टीकाकरण की तरह हैं। जो हर आत्मा में प्रभु केलिए प्यास लगाता है, प्रभु केलिए प्यास को बुझानेवाला भी वही है।

 

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Father Roy Palatty CMI

Father Roy Palatty CMI is a priest of the congregation of the Carmelites of Mary Immaculate. He earned his Ph.D. in Philosophy from the Catholic University of Leuven in Belgium and is a published author of books and articles. Since 2014, he has been serving as Spiritual Director of Shalom Media, a Catholic media ministry based in South Texas. Shalom Media is home to SHALOM WORLD Catholic television network and publishes Shalom Tidings bi-monthly magazine. Father Varghese is a gifted speaker and has been an in-demand preacher around the world, leading numerous retreats for priests, religious, and lay people.

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