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अगस्त 18, 2021 1402 0 Margaret Ann Stimatz
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मज़बूत बनें

“क्या आप कई चीज़ों को लेकर व्याकुल और चिंतित हैं? तो फिर यह लेख आपके लिए है।”

वह सप्ताह मेरे लिए मानसिक रूप से बड़ा भारी था। जब भी मैं प्रार्थना के समय ध्यान लगाने की कोशिश करती थी मेरा मन जैसे दहाड़ने लगता था। आज लगातार दूसरा दिन था जब मैंने बैठ कर येशु को उन सारी शारीरिक तकलीफों का हिसाब दिया जो कि मुझे परेशान कर रही थी। मैंने उन्हें बताया कि कैसे कोरोना महामारी का कहर खतम होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मुझे कई चिंताएं थी। कई लोगों से मेरे संबंध ठीक नहीं चल रहे थे, मैं एक लेखन कार्य से जुड़ी थी जिसमें प्रगति नहीं हो पा रही थी जिसकी वजह से मैं काफी निराश चल रही थी। “मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं चारों तरफ से दुश्मनों से घिरी हुई हूं”। मैंने अपने आंसुओं को पोछते हुए येशु से कहा। फिर मैंने दैनिक वचन खोला (लूकस 10:38-42) और वचन पढ़ते पढ़ते मैं रुक गई। हां मैं भी मार्था की तरह अनेक चिंताओं और परेशानियों में डूबी हुई थी।

मुझे इस बात का भी अहसास था कि येशु मेरी परिस्थिति बदलना चाहते थे, पर कैसे? ऐसा सोचते ही मेरे मन में दो शब्द स्पष्ट रूप से गूंज उठे: “मज़बूत बनो।” यह सुनते ही मुझे ईश्वर का इशारा समझ में आ गया। पिछले ही सप्ताह मैंने संत तेरेसा की आध्यात्मिक मज़बूती के ऊपर एक प्रवचन सुना था। “तेरेसा”, मैंने प्रार्थना की, “तुम आध्यात्मिक रूप से कितनी मज़बूत थी जब तुमने अपने जीवन के अंत में बड़ी ही भयंकर यातना झेली, मेरे लिए प्रार्थना करो। मेरी मदद करो।”

धीरे धीरे मुझे समझ आने लगा की किस प्रकार येशु मुझे मज़बूत बनाना चाहते थे। मुझे समझ आया कि मुझे दो बातों पर ध्यान केंद्रित करने की ज़रूरत थी।

1. येशु पर विश्वास करना

2. निराशा को नकारना

येशु पर विश्वास

मुझे अपनी परेशानियों पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय येशु पर विश्वास करने की ज़रूरत थी। मुझे खुद को याद दिलाने की ज़रूरत थी कि येशु हमेशा मेरा भला चाहते हैं। इसीलिए मैं ईश्वर की इच्छा पर भरोसा रखूंगी और ईश्वर को अपनी इच्छाओं के अनुसार निर्देशित नहीं करूंगी। मार्था ने दो ऐसी गलतियां की जिसने येशु के ऊपर उसके विश्वास को कमज़ोर किया। उसने येशु से ध्यान हटा कर मरियम पर ज़्यादा ध्यान लगाया। और फिर अपनी परेशानियों के हल के रूप में उसने येशु से कहा कि मरियम को उठ कर उसकी मदद करनी चाहिए।

निराशा को नकारना

मुझे यह समझना चाहिए कि निराशा दुश्मन का एक हथियार है। निराशा शैतान से आती है, ना कि येशु से। कभी कभी मेरा मन करता है कि मैं बैठ कर खुद को जी भर के कोस लूं। लेकिन यह करने के बजाय, खुद पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय, खुद की कमियों पर ध्यान देने के बजाय, मैं येशु पर ध्यान केंद्रित करूंगी और उसी पर विश्वास करूंगी।

इन सब बातों के अनुसार अपना जीवन जीने के लिए मैंने अपने किचन टेबल पर एक कार्ड चिपका दिया है (जहां पर हर समय मेरी नज़र पड़ ही जाती है) जिस पर ये शब्द लिखे हैं: मज़बूत बनो

“येशु, संत तेरेसा, संत मार्था, विश्वास करने में, निराशा से दूर रहने में, मज़बूत बनने में मेरी मदद कीजिये। मेरे लिए प्रार्थना कीजिए!”

येशु मैं आप पर भरोसा रखती हूं!

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Margaret Ann Stimatz

Margaret Ann Stimatz is a retired therapist currently working to publish her first book “Honey from the Rock: A Forty Day Retreat for Troubled Eaters”. She lives in Helena, Montana.

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