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जनवरी 10, 2024 250 0 Karen Eberts, USA
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परती ज़मीन से होकर आगे का सफ़र

मुझे तब तक कभी भी “बोझ” का वास्तविक अर्थ समझ नहीं आया था…

आज सुबह भारीपन महसूस करती हुई, मुझे पता था कि यह प्रार्थना में लंबा समय बिताने का स्पष्ट आह्वान है। यह जानते हुए कि ईश्वर की उपस्थिति सभी बुराइयों के लिए औषधि है, मैं अपनी “प्रार्थना कोठरी” में बैठ गयी। आज के लिए मेरी “प्रार्थना कोठरी”, मेरे सामने बरामदे पर थी। अकेले, लेकिन पक्षियों की चहचहाहट और पेड़ों के बीच से गुजरती शांत हवा के साथ, मैंने अपने फोन से आने वाले सौम्य भक्ति संगीत के स्वर के बीच में विश्राम किया। मैंने अक्सर उस आज़ादी का अनुभव किया है जो खुद से, अपने रिश्तों से, या दुनिया की चिंताओं से नज़रें हटाने से मिलती है। ईश्वर की ओर ध्यान आकर्षित करने पर मुझे भजन 22 का श्लोक याद आया: “यद्यपि तू मंदिर में विराजमान है, इस्राएल तेरा स्तुतिगान करता है” (3)। वास्तव में, ईश्वर अपने लोगों के स्तुतिगान में निवास करता है।

मैं एक बार फिर आत्मा में केंद्रित महसूस करने लगी, और अपने देश और दुनिया पर मंडरा रहे बोझ से मुक्त हो गयी। शांति लौट आई क्योंकि मैंने महसूस किया कि ईश्वर मुझे उन बोझों को उठाने के लिए नहीं बुला रहा था, बल्कि संत मत्ती के सुसमाचार में येशु द्वारा दिए गए जूए को गले लगाने के लिए था: “हे थके मांदे और बोझ से दबे हुए लोगो, तुम सभी मेरे पास आओ, और मैं तुम्हें विश्राम  दूंगा। मेरा जूआ अपने ऊपर ले लो, और मुझ से सीखो; मैं स्वभाव से नम्र और विनीत हूं। इस तरह तुम अपनी आत्मा केलिए विश्राम पाओगे।” (11:28,29).

एक ईसाई की पहचान

मेरे दोनों माता-पिता खेतीबारी करते हुए पले-बढ़े। शायद उन्होंने दो जानवरों को उनके कंधे पर लकड़ी के पट्टे से बंधे हुए देखा होगा, लेकिन मैंने नहीं देखा था। मैंने हमेशा उस वाक्य की व्याख्या येशु को हमारे साथ जीवन में साझेदारी करते हुए चित्रित करके की थी। वह, बोझ का भार उठाते हुए, और मैं, साथ-साथ चलती हुई, उनकी मदद और मार्गदर्शन से जो कार्य मुझे करना था उसे पूरा करती हुई।

लेकिन हाल ही में, मुझे पता चला कि “जुआ” पहली सदी का यहूदी मुहावरा था जिसका मतलब गर्दन से जुड़े बैलों की कृषि संबंधी छवि से बिल्कुल अलग था।

“जुआ”, जैसा कि येशु ने प्रयोग किया था, रब्बी, अर्थात यहूदी गुरु की शिक्षाओं के संग्रह को संदर्भित करता है। किसी विशेष रब्बी की शिक्षाओं का पालन करने का निर्णय लेकर, एक व्यक्ति उसका शिष्य बन जाता है और उसके साथ चलने का फैसला लेता है। वास्तव में, येशु कह रहे हैं, “मैं तुम्हें दिखा रहा हूँ कि परमेश्वर के साथ चलना कैसा होता है।” यह कोई कर्तव्य या दायित्व नहीं, बल्कि एक विशेषाधिकार और उपहार है! हालाँकि मैंने येशु के “जूए” को एक विशेषाधिकार और उपहार के रूप में अनुभव किया था, लेकिन “दुनिया की परेशानियों” का अनुभव करने के बारे में उसने वादा किया था। लेकिन मुझे डर था कि इससे अक्सर मेरी खुशी मुझसे छीन ले जायेगी जो एक ईसाई की पहचान है।

आज सुबह की प्रार्थना के दौरान, मैंने लगभग पच्चीस साल पहले एक फ्रांसिस्कन पादरी द्वारा लिखी गई एक किताब खोली, और उस पृष्ठ को देखा जिसे देखकर ऐसा लग रहा था जैसे यह आज ही लिखा गया हो:

‘जब अनुग्रह एक अनुभवी वास्तविकता नहीं रह जाती है, तो ऐसा लगता है कि स्वतंत्रता का क्षेत्र भी खो गया है… दूसरे पक्ष को राक्षसी बनाना बहुत आसान है। हम इस देश में चुनावों में इसे बड़े पैमाने पर लिखते हुए देखते हैं। कोई भी पक्ष जानता है कि दूसरे पक्ष पर हमला कैसे करना है। हमारे पास विश्वास करने के लिए कुछ भी सकारात्मक नहीं है, कोई भी ऐसी चीज़ जो प्रबुद्ध या समृद्ध या गहरी हो। नकारात्मक पहचान, भले ही वह उथली हो, समर्पित निर्णय  की तुलना में अधिक आसानी से आती है। सच कहूँ तो, पक्ष की अपेक्षा विपक्ष में होना कहीं अधिक आसान है। यहां तक कि कलीसिया में भी, कई लोगों के पास आगे बढ़ने का कोई सकारात्मक दृष्टिकोण नहीं है, इसलिए वे आरोप को पीछे या विपरीत दिशा में ले जाते हैं। ध्यान दें कि येशु की ‘ईश्वर के राज्य’ की अवधारणा पूरी तरह से सकारात्मक है – भय-आधारित या किसी व्यक्ति, समूह, पाप या समस्या के प्रति विरुद्ध नहीं।’ (एवरीथिंग बिलॉन्ग्स, 1999)

तिल तिल मसीह की छवि में 

मैं जो भारीपन महसूस कर रही थी, वह न केवल हमारे देश में विभाजन के कारण हुआ, बल्कि मेरे अपने वृत्त में उन लोगों के बीच भी था, जो मेरे जैसे, येशु को “प्रभु” पुकारते हैं, फिर भी वे दूसरे व्यक्ति की अलग बुलाहट और पथ का सम्मान करने में असमर्थ मालूम पड़ते हैं। यह जानते हुए कि येशु ने उन लोगों की गरिमा बहाल की जिन्हें समाज ने शर्मिंदा किया था, क्या यह वही नहीं होना चाहिए जो हम, उनके अनुयायियों के रूप में, एक दूसरे के लिए करना चाहते हैं? हमारा काम बहिष्कृत करना नहीं, सम्मिलित करना है; मुंह मोड़ना नहीं , बल्कि हर व्यक्ति के पास पहुँचना है; आरोप लगाना नहीं, परन्तु सबको सुनना है।

मैंने स्वयं इससे संघर्ष किया। यह समझना कठिन था कि दूसरे लोग चीजों को इस तरह से कैसे देख सकते हैं जो मुझे मसीही संदेश के विपरीत लगती है, फिर भी उन्हें उस दृष्टि के माध्यम से देखने में वही कठिनाई हुई जिसके माध्यम से मैं अब येशु के “जूए” को देखती हूं। मैंने वर्षों पहले “सिखाने योग्य” भावना रखने का मूल्य सीखा था। हमारे लिए यह महसूस करना आसान है कि हमारे पास एकमात्र सत्य है, फिर भी, यदि हम दृढ़ शिष्य हैं, तो हम न केवल प्रार्थना के माध्यम से बल्कि पढ़ने, पवित्र धर्मग्रन्थ पर मनन करने और अपने से अधिक बुद्धिमान लोगों को सुनने के माध्यम से लगातार अपनी दृष्टि का विस्तार करेंगे। हम किसे अपने ऊपर प्रभाव डालने की जगह देना चाहते हैं, यह सर्वोपरि है। परखे हुए विश्वास और सत्यनिष्ठा वाले व्यक्ति, जिन्होंने “अपनी बुलाहट के योग्य जीवन” जीया है, हमारे ध्यान के पात्र हैं। सबसे बढ़कर, जो प्रेम को आदर्श बनाते हैं, सभी की भलाई की तलाश करते हैं, उन लोगों की मिसाल हमें वर्षों तक बढ़ने और बदलने में मदद करेगी। हमारा चरित्र धीरे-धीरे परिष्कृत होता जाएगा, क्योंकि हम “मसीह की छवि में परिवर्तित” हो रहे हैं।

अगर हम, अपने पूरे ज्ञानोदय में, अभी भी महसूस करते हैं कि हमें सच बोलना चाहिए जैसा कि हम इसे समझते हैं, यहां तक​कि उस प्यार के साथ भी जो इसके साथ जुड़ा हुआ है, तो यह सोचने में गलती करना बहुत आसान है कि हम किसी की ज़िंदगी में पवित्र आत्मा की आवाज़ हैं! केवल ईश्वर ही उसके लिए जीए गए जीवन के हृदय, मन और आज्ञाकारिता को जानता है। उसकी आत्मा का कार्य और दूसरे की प्रतिक्रिया हमारे अधिकार क्षेत्र नहीं हैं।

निश्चित रूप से, अच्छे माता-पिता एक छोटे बच्चे पर उंगली नहीं उठाएंगे और इस बात पर ज़ोर नहीं देंगे कि वह बच्चा एक वयस्क की तरह व्यवहार करें। अच्छे माता-पिता समझते हैं कि बच्चे को परिपक्व होने में कई साल, बहुत सारी शिक्षा और एक अच्छे नमूने की ज़रुरत है। शुक्र है, हमारे पास एक बहुत अच्छे माता-पिता हैं! भजन 22 फिर याद आया। वही भजन जिसे येशु ने अपने दर्द और पीड़ा की गहराई में क्रूस से उद्धृत किया था, इस अनुस्मारक के साथ समाप्त होता है कि प्रत्येक पीढ़ी अपने बच्चों को प्रभु द्वारा किए गए अच्छे कामों के बारे में बताएगी। अनुग्रह प्रचुर मात्रा में है, और स्वतंत्रता आती है। मैंने फिर से फैसला किया कि जिन्हें मैं नहीं समझती और जो मुझे नहीं समझते उनके प्रति मैं  अनुग्रह और स्वतंत्रता दोनों को समर्पित करूंगी।

जिसके साथ जीवन भर मेरा जूआ जुड़ा है,  वही मुझे रास्ता दिखाता है।

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Karen Eberts

Karen Eberts एक सेवानिवृत्त फिजिकल थेरापिस्ट हैं। वे दो युवाओं की मां हैं और अपने पति डैन के साथ फ्लोरिडा के लार्गो में रहती हैं।

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