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जून 03, 2023 343 0 Sarah Barry
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नुकसान फायदे में बदल जाते हैं

जब मुसीबतें आती हैं, तब हम बहुत जल्दी सोचने लगते हैं कि यह कोई नहीं समझ रहा है कि हम किस दौर से गुजर रहे हैं?

लगभग हर गिरजाघर में, हम वेदी के ऊपर एक क्रूस लटका हुआ पाते हैं। हमें अपने उद्धारकर्ता की छवि, जेवरों का ताज पहने, सिंहासन पर बैठे हुए या स्वर्गदूतों द्वारा उठाए हुए बादलों पर उतरते हुए नहीं दिखाई देती है, बल्कि वह छवि एक आम व्यक्ति के रूप में, घायल, बुनियादी मानवीय गरिमा से वंचित, और प्राणदंड के सबसे अपमानजनक और दर्दनाक पीड़ा को सहते हुए व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करती है। हम एक ऐसे व्यक्ति को देखते हैं जिसने प्यार किया और हार गया, जिसे चोट लगी है और उसके साथ विश्वासघात हुआ है। हमें अपने ही जैसे एक व्यक्ति दिखाई देता है।

और फिर भी, इस सबूत के बावजूद, जब हम खुद पीड़ित होते हैं, तो हम कितनी जल्दी विलाप करते हैं कि कोई भी हमें नहीं समझता, कोई नहीं जानता कि हमपे क्या बीत रही है? हम त्वरित धारणाएँ बनाते हैं और सांत्वना से परे दु:ख से भरे अकेलापन में डूब जाते हैं।

जीवन की दिशा में परिवर्तन

कुछ साल पहले मेरी जिंदगी हमेशा के लिए बदल गई। बचपन में मैं हमेशा एक स्वस्थ बच्ची थी, बैले डांसर बनना मेरा सपना था, जिसे मैंने बारह साल की उम्र तक साकार करना शुरू कर दिया। मैं नियमित रूप से सन्डे स्कूल में धर्मशिक्षा में भाग लेती थी और मेरे अन्दर ईश्वर के प्रति आकर्षण का अनुभव करती थी, लेकिन बाद में मैं इसके बारे में ज्यादा ध्यान नहीं देती थी। इसलिए मैं अपने जीवन का आनंद लेती रही, दोस्तों के साथ मैं ने अपना समय बिताया, और उत्तम बैले डांस स्कूलों में मुख्य नर्त्तकी की भूमिका निभाई। मैं अपने जीवन से संतुष्ट थी। मुझे पता था कि ईश्वर है, लेकिन वह हमेशा वहां बहुत दूर था। मेरा उस पर भरोसा था, लेकिन मैंने कभी उसके बारे में ज्यादा नहीं सोचा।

फिर भी आठवीं कक्षा में, मेरे बचपन के नृत्य करियर के चरम उत्कर्ष पर, मेरा स्वास्थ्य गिरने लगा, और चार साल बाद भी मैं ठीक नहीं हुई। यह सब मेट्रोपॉलिटन ओपेरा हाउस में एक बैले में प्रदर्शन करने के ठीक एक सप्ताह बाद शुरू हुआ। जिस दिन मुझे दृढ़ीकरण संस्कार मिला, और इससे दो हफ्ते बाद मुझे संयुक्त राज्य अमेरिका के दूसरे सबसे प्रतिष्ठित डांस स्कूल में ग्रीष्मकालीन गहन पाठ्यक्रम में भाग लेना था। मेरे टखने की हड्डी पहले से टूटी थी और अब स्नायुबंधन के खराब तनाव ने समस्या और अधिक बढ़ा दी। इसलिए अब सर्जरी की आवश्यकता थी। फिर मुझे अपेंडीसैटिस हो गयी, जिसके लिए एक और सर्जरी की आवश्यकता थी। एक के बाद एक हुई दो सर्जरी ने मेरी तंत्रिकाओं और रोगप्रतिरोध क्षमता को गंभीर नुकसान पहुंचाया और मुझे इस हद तक कमजोर कर दिया कि कोई भी डॉक्टर मेरा इलाज नहीं कर सकता था या पूरी तरह से मेरी स्थिति को समझ भी नहीं सकता था। मैंने बैले जारी रखने के लिए अपने शरीर पर दबाव डालना जारी रखा, इससे मेरे शारीर पर ज़ोर पड़ा और मेरी रीढ़ की हड्डी टूट गई, जिससे मेरा बैले करियर समाप्त हो गया।

मेरे दृढ़ीकरण से पूर्व के वर्षों के दौरान, मैंने येशु को उन रूपों में अनुभव किया जो मैंने पहले कभी नहीं किया था। मैंने उनके प्रेम और दया को सुसमाचारों के अध्ययन और उनके सेवाकार्य की चर्चाओं में पाया। मैंने हर रविवार को गिरजाघर जाना शुरू किया और पवित्र परम प्रसाद की शक्ति का अनुभव किया। मेरे पल्ली पुरोहित ने दृढ़ीकरण की कक्षाओं के दौरान मुझे येशु के प्रेम के बारे में इतने स्पष्ट रूप से सिखाया था, उससे पहले किसी ने भी नहीं सिखाया था। उनकी शिक्षा ने ईश्वर के बारे में मेरे ज्ञान को स्पष्ट किया कि वास्तव में वह कौन है। प्रभु येशु, जिन्हें मैं हमेशा से अपने उद्धारकर्ता के रूप में जानती थी, अब मेरे सबसे प्रिय मित्र और मेरा सबसे बड़ा प्रेम बन गये थे। वह गिरजाघर में लटकी हुई मूर्ति मात्र नहीं थे या कहानियों के एक पात्र नहीं थे; वह वास्तविक थे, और वह सत्य का अवतार थे, वह सत्य जिसे मैं कभी नहीं जानती थी, जिसे मैं खोज रही थी। उस साल के अध्ययन के माध्यम से, मैंने अपना जीवन पूरी तरह से येशु के लिए जीने का निर्णय लिया। मैं उसके जैसा बनने के अलावा और कुछ नहीं चाहती थी।

मेरी चोट के बाद से, जैसे-जैसे मेरा स्वास्थ्य ऊपर-नीचे होता गया और मुझे उस रास्ते से दूर ले गया जिस पर मुझे हमेशा रहने की उम्मीद थी, मैं आशान्वित रहने के लिए संघर्ष कर रही थी। मैंने बैले खो दिया था और कुछ दोस्त भी। मैं स्कूल जाने के लिए मुश्किल से बिस्तर से उठ पाती थी, और जब मैं उठ पाती, तो पूरा दिन खड़ी नहीं हो पाती थी। मेरा जीवन चरमरा रहा था और मुझे यह समझने की जरूरत थी कि ऐसा क्यों है। मुझे इतना कष्ट और इतना नुकसान क्यों उठाना पड़ा? क्या मैंने कुछ गलत किया? क्या यह कुछ अच्छाई में बदल जायेगी? हर बार जब मेरा स्वास्थ्य सुधरना शुरू हुआ, तब कोई नई स्वास्थ्य-समस्या उत्पन्न हुई और मुझे फिर से कमज़ोर कर दिया। फिर भी मेरे कठिन घड़ियों मे, येशु ने हमेशा मुझे अपने पैरों पर वापस खड़ा किया, और अपनी ओर खींच लिया।

उद्देश्य की ढूँढ

मैंने अपने दुःख को दूसरे लोगों के लिए ईश्वर को अर्पित करना सीख लिया और उन लोगों के जीवन में अच्छे बदलाव होते देखा। जैसे-जैसे चीजें मुझसे छीनी गईं, बेहतर अवसरों के लिए जगह बनती गयी। उदाहरण के लिए, बैले डांस न कर पाने की वजह से मुझे अपने बैले स्कूल में नर्त्तकों की तस्वीरें लेने और उनकी प्रतिभा दिखाने का मौका मिला। आखिरकार मेरे पास अपने भाई के फुटबॉल खेलों को देखने के लिए खाली समय मिला और मैंने उसकी तस्वीरें लेना शुरू कर दिया। मैंने जल्द ही पूरी टीम की तस्वीरें खींचनी शुरू कर दीं, जिनमें वे लड़के भी शामिल थे, जिनको खेलते हुए देखेने केलिए कोई नहीं आते थे, उनके कौशल को किसी के द्वारा एक तस्वीर में कैद करना तो दूर की बात थी। जब मैं मुश्किल से ही चल पाती थी, तब मैं घर में बैठकर दूसरों को देने के लिए रोजरी माला बनाती थी। जैसे-जैसे मैंने शारीरिक रूप से और बुरा महसूस करना शुरू किया, मेरा दिल हल्का होता गया, क्योंकि मुझे न केवल खुद के लिए जीने का मौका मिला, बल्कि ईश्वर के लिए जीने और उसके प्रेम और करुणा को दूसरों में तथा अपने ह्रदय में कार्य करते देखने का मौका मिला।

मैं ने येशु को देखा

फिर भी मेरे लिए दु:ख में अच्छाई खोजना हमेशा आसान नहीं होता है। मैं अक्सर अपने आप को यह कामना करती हुई पाती हूं कि काश मेरा दर्द दूर हो जाए, काश मैं शारीरिक पीड़ा से मुक्त एक सामान्य जीवन जी पाऊँ। फिर भी पिछले मार्च की एक शाम मैंने अपने शाश्वत प्रश्नों की स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्राप्त की। मैं आराधना में, गिरजाघर में लकड़ी की बेंच पर बैठी हुई, सुस्त मोमबत्ती की रोशनी में क्रूस को टकटकी लगाए हुए देख रही थी। और मुझे सिर्फ क्रूस दिखाई नहीं दे रहा था, बल्कि पहली बार मैं क्रूस पर टंगे प्रभु येशु को निहार रही थी।

मेरा पूरा शरीर दर्द से तड़प रहा था। मेरी कलाई और टखने दर्द से काँप रहे थे, मेरी पीठ नए चोट से दर्द कर रही थी, एक पुराने माइग्रेन के दर्द से मेरा सिर फट रहा था, और हरेक क्षण, एक तेज दर्द ने मेरी पसलियों को छेदते हुए मुझे जमीन पर गिरा दिया। मेरे सामने, येशु अपनी कलाइयों और टखनों में छिदे कीलों से क्रूस पर लटके हुए थे। कोड़ों की मार से उनकी पीठ पर चीरने के घाव बने थे, उनके सिर पर काँटों का ताज दर्दनाक तरीके से धँसा था, और उनकी पसलियों के बीच भाले से छिदा एक गहरा घाव था – जो यह सुनिश्चित करने के लिए भोंका गया था कि वह मर गया है या नहीं। एक विचार मुझे इतना कष्ट दे रहा था कि मैं लगभग बेंच पर ही गिर पड़ी। वह विचार था: हरेक पीड़ा जो मैंने महसूस की, यहां तक कि सबसे छोटी पीड़ा भी, मेरे उद्धारकर्ता ने भी महसूस की। मेरी पीठ दर्द और सिरदर्द, यहां तक कि मेरा यह विश्वास कि कोई और मुझे नहीं समझ सकता, मेरे प्रभु ये सारी पीडाएं जानते हैं, क्योंकि उन्होंने भी इन सबका अनुभव किया है, और इसे हमारे साथ सहना जारी रखता है।

दु:ख कोई सजा नहीं है, बल्कि एक उपहार है जिसका उपयोग हम ईश्वर के करीब आने और अपने चरित्र को अच्छा बनाने के लिए कर सकते हैं। यद्यपि मैंने शारीरिक रूप से बहुत कुछ खोया है, आध्यात्मिक रूप से मैंने पाया है। जब वे सब जिन्हें हम महत्वपूर्ण मानते हैं, दूर हो जाता है, तब हम देख सकते हैं कि वास्तव में क्या मायने रखता है। उस रात आराधना में जब मैंने येशु के घावों को अपने ही घावों के समान देखा, तो मुझे एहसास हुआ कि अगर उन्होंने मेरे लिए इतना सब सहा है, तो मैं भी उनके लिए यह सब सहन कर सकती हूँ। यदि हम और भी ज्यादा येशु के समान बनना चाहते हैं, तो हमें वही यात्रा करनी होगी जो उन्होंने की थी, क्रूस और अन्य सब कुछ। लेकिन वह हमें अकेले चलने के लिए कभी नहीं छोड़ेगा। हमें केवल क्रूस को देखना है और स्मरण रखना है कि वह ठीक हमारे सामने है जो इन सब में हमारे साथ चल रहे हैं।

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Sarah Barry

Sarah Barry is a student at the University of St Andrew’s in Scotland pursuing a degree in Biblical Studies. Her love of writing has allowed her to touch souls through her Instagram blog @theartisticlifeofsarahbarry.

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