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नवम्बर 24, 2022 334 0 Emily Shaw, Australia
Engage

दुनिया को बदलने की कुंजी

अपनी समस्याओं के समाधान के लिए सदियों पुरानी विधि को फिर से खोजें!

राजनीतिक और सामाजिक सक्रियता, निरंतर बनी रहने वाली घटना बन गई है। बहुत ज़रूरी बदलाव लाने के उद्देश से अपने अच्छे आदर्शों से उत्साहित होकर, लोग पूरे विश्व की बेहतरी और कल्याण के लिए पहल करते हैं और विभिन्न प्रकार के अभियान एवं आन्दोलन चलाते हैं|

सोशल मीडिया के सन्देश हमसे आग्रह करते हैं: “जो बदलाव तुम दुनिया में देखना चाहते हो, तुम स्वयं वह बदलाव बन जाओ।”

लेकिन हम यह निर्णय कैसे लें कि अपना समय और पैसा किस सामाजिक कार्य में निवेश करना है? किन किन अभियानों का समर्थन किया जाए? दुनिया में इतनी सारी सेवा संस्थाएं या धर्मार्थ संगठन हैं जो हमारे समय, हुनर, प्रतिभा और धन के अनुदान का उपयोग कर सकते हैं।

वास्तव में, हमारी परिस्थितियों में, हमारे समुदायों में, हमारी कलीसियाओं में और हमारे देशों में बहुत सारी ऐसी बातें हैं जिनमें हम बदलाव देखना चाहते हैं |

मेरा मतलब है, ठण्ड के दिनों में जूते और गरम कपडे जुटाना बहुत ज़रूरी है, लेकिन यही बात अपने बच्चों को समझाना मेरे लिए टेढ़ी खीर है, ऐसे में मैं प्रभावशाली विश्व नेताओं के दिमाग को कैसे बदल सकती हूं?

कठोर वास्तविकता यह है कि यह काम मैं नहीं कर सकती। लेकिन यह मुझे शक्तिहीन या नपुंसक नहीं बनाती है।

और अधिक बनने की ओर बदलें

मैं दुनिया में जो बदलाव देखना चाहती हूं, उसके बजाय मुझे उसी बदलाव केलिए प्रार्थना करने की जरूरत है। लेकिन रुकिए, मैं आप को शायद यह कहते हुए सुन रही हूँ कि क्या प्रार्थना निष्क्रियता का कार्य नहीं है? क्या हमें इससे बेहतर कोई कुछ और अच्छा कार्य नहीं करना चाहिए… मतलब… कोई सक्रिय कार्य?

प्रार्थना में कोई निष्क्रियता नहीं है। बहुत सी बातें प्रार्थना में हैं – प्रार्थना चिंतनशील, व्यवस्थित, अव्यवस्थित, नियमित, ध्यान परक हैं – लेकिन निश्चित रूप से निष्क्रिय नहीं। यह सही है कि हमारे समुदायों में बहुत सी सक्रिय सेवायें हैं। लेकिन हमारे कार्यों को बढ़ावा देने के प्रार्थनामय मनन-चिंतन के इंधन के बिना, हमारे सेवा कार्य कमजोर पड़ जाते हैं और इसी तरह, यदि हमारे द्वारा सक्रिय सेवा कार्य न हो, तो हमारी प्रार्थना भी कमज़ोर हो सकती है।

कुरिंथियों के नाम अपने पत्र में संत पौलुस बताते हैं कि जब हमारे पास आध्यात्मिक आधार नहीं होता है, तब हमारे सक्रिय सेवाओं की नियति क्या होती है:

मैं भले ही मनुष्यों तथा स्वर्गदूतों की सब भाषाएँ बोलूँ, किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव है, तो मैं खनखनाता घड़ियाल या झनझनाती झांझ मात्र हूँ मुझे भले ही भविष्यवाणी का वरदान मिला हो, मैं सभी रहस्य जानता होऊँ, मुझे समस्त ज्ञान प्राप्त हो गया हो, मेरा विश्वास इतना परिपूर्ण हो कि मैं पहाड़ों को हटा सकूं, किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव है, तो मैं कुछ भी नहीं हूँ। मैं भले ही अपनी सारी संपत्ति दान कर दूं और अपना शरीर भस्म होने के लिए अर्पित करूँ, किन्तु यदि मुझ में प्रेम का अभाव है, तो इस से मुझे कुछ भी लाभ नहीं। (1 कुरिन्थी 13:1-3)

यदि विश्वास के मामले में, वर्तमान-संत पापा, बिशप या पुरोहित के प्रति मेरे अन्दर क्रोध है और यदि उनके प्रति मेरे मन में उचित उदारता नहीं है, तो उनके खिलाफ असहमति द्वारा बिखराव और फूट फैलाने के बदले, मुझे उनके लिए प्रार्थना करने की आवश्यकता है। यही बात नेतृत्व पद पर बैठे किसी के लिए भी कहा जा सकता है जिससे हम असहमत हैं, या जब हमारी परिस्थितियां हमारे नियंत्रण से बाहर हैं, जिनके कारण हमारे जीवन में कहर बरपा है। दूसरे लोग क्या सोचते हैं, क्या कहते हैं या क्या करते हैं, इसे मैं नियंत्रित नहीं कर सकता, लेकिन मैं अपनी प्रतिक्रिया को नियंत्रित कर सकता हूं। और प्रार्थना के बारे में सबसे सरल बात यह है कि यह हमारे लिए हमेशा एक अच्छा विकल्प है।

तलाश करें

यदि आप एक उत्कृष्ट तकनीकी जानकार हैं, तो आप ऑनलाइन सर्च इंजन के बारे में सब कुछ जानते हैं। और मैं लगभग गारंटी दे सकती हूं कि आप जो कुछ भी कर रहे हैं या आप जिस तकलीफ से गुज़र रहे हैं – उस हर एक बात के लिए कोई न कोई प्रार्थना है और/या कोई संरक्षक संत है। बस आप ऑनलाइन सर्च इंजन से तलाश कर लें |

पूरी ईमानदारी से कह रही हूँ, वहाँ आप के कंप्यूटर में प्रार्थनाओं का खजाना है। कभी-कभी केवल आराधना, विनती और याचिका के संकलन को पढ़ने से बड़ा सुकून मिलता है। हमारे पीडाओं और संघर्षों के बीच अकेलापन महसूस होना आम बात है, यह भूल जाना भी आसान है कि दूसरों को भी हमारे जैसे संघर्ष और अकेलापन के अनुभव हुए हैं।

अवसाद और चिंता से पीड़ित इस तरह के अप्रत्याशित दौर में संत डिम्फना के पास आप ज़रूर मदद लेने जाएँ। क्या आप सभी जातियों और पंथों के लोगों के बीच वैश्विक समानता देखना चाहते हैं? जोसेफिन बखिता जैसे संतों को देखें। क्या आप सामाजिक सक्रियता, या शरणार्थियों की दुर्दशा और हमारे पर्यावरण के बारे में सोचकर चिंतित हैं? डोरोथी डे, संत फ्रांसिस जेवियर कैब्रिनी या असीसी के संत फ्रांसिस की मध्यस्थता से ईश्वर के सम्मुख अपनी चिंताओं को प्रकट करें, प्रार्थना करें।

सेवा कार्य से पहले थोड़ी देर रुक कर मंथन द्वारा समझदारी पावें 

उपरोक्त बातों को सुनकर, शायद आप तर्क देंगे कि वर्त्तमान दौर में और आज की दुनिया में बहुत सारी परेशानियाँ हैं। कुछ परेशानियां छोटी हैं, कुछ बड़ी हैं और हम अपनी तत्काल शक्ति से उन्हें बदल सकते हैं। अन्य समस्याएं वैश्विक स्तर पर हैं और हमारे प्रयास, बस समुद्र में एक बूंद की तरह होगा।

किसी भी कार्य को करने का निर्णय लेने से पहले, उस मुद्दे पर विवेचना केलिए प्रार्थना और मनन-मंथन में समय बिताना विवेकपूर्ण कार्य होगा। शायद भूखों के बीच सेवा दे रही स्थानीय खाद्य वैन को देखकर उन भूखों और बेघरों के लिए स्वयंसेवक बनने की प्रबल इच्छा आपके दिल में उमड़ रही होगी, लेकिन आप छोटे छोटे जुड़वे शिशुओं की माँ हैं, और घर पर उनकी देखभाल में लगे रहना आपकी मजबूरी है और आप केलिये समय एक ऐसी वस्तु है जो अभी आपके पास नहीं है।

ऐसी परिस्थिति में, समय मिलते ही, प्रार्थना करें, मंथन कर समझदारी पावें और पुनर्मूल्यांकन करें। हो सकता है कि आप भविष्य में पर-सेवा के किसी दौर में शामिल हों, उस मार्गदर्शन पर भरोसा करें जो ईश्वर आपको प्रार्थना में देता है।

प्रार्थना में अपनी चिंताओं, सपनों और इच्छाओं को येशु के पास ले जाएं। माइकल जैक्सन अपने गीत के द्वारा आप को प्रोत्साहित कर सकता है: “यदि आप दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं, तो खुद को देखें और वह बदलाव लावें”। लेकिन सच में, यह उतना आसान नहीं है।

अगर आप दुनिया को एक बेहतर जगह बनाना चाहते हैं: प्रार्थना करें। और बाकी बातें वहीं से आएंगे।

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Emily Shaw

Emily Shaw ऑस्ट्रेलियाई कैथलिक प्रेस एसोसिएशन की पुरस्कार विजेता संपादक रह चुकी हैं, जो कि अब Youngcatholicmums.com के लिए ब्लॉग लिखा करती है और कैथलिक-लिंक में अपने लेखों द्वारा योगदान करती हैं। वह गृहणी सात बच्चों की मां हैं। वह ग्रामीण ऑस्ट्रेलिया में रहती है और अपनी स्थानीय कैथलिक समुदाय में आध्यात्मिक मदद करना पसंद करती हैं।

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