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नवम्बर 24, 2022 272 0 Ivonne J. Hernandez, USA
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चिंता पर काबू कैसे पायें?

जब चिंता का आप पर हमला होता है, तो उसका सामना करना आसान नहीं होता है, लेकिन यकीन करें, आप अकेले नहीं हैं

जैसे ही मैंने अपने सीने के अंदर धड़कन की आवाज़ सुनी, हर धडकन अगले धड़कन की तुलना में तेज़ थी, तब मुझे पता था कि आगे क्या होने वाला है। मैं याद करने की कोशिश कर रही थी कि मुझे साँस निकालने के लिए प्रयास करना चाहिए। मेरे पेट में दर्द की एक गाँठ बन गई, मानो उस गाँठ को पता था कि मुझे कुछ करने की जरूरत है, उथली सांस के बाद उथली सांस। मेरे शरीर में इस का भयानक परिवर्त्तन मेरे लिए परिचित लेकिन अवांछित अतिथि था। यहाँ चिंता फिर से सब कुछ अपने काबू में लेने की कोशिश कर रही थी। ऐसा लगता है कि जितना अधिक मैं उससे लडती हूँ, वह उतनी ही मजबूत होती जाएगी। मेरा ध्यान उसे तब तक भड़काता रहा जब तक मुझे एहसास हुआ कि जिस अतिथि का मैं स्वागत करना चाहती थी, यानी शांति, वह पहले ही मुझ से दूर जा चुकी थी।

एक तेज बुखार

चिंता एक ऐसा विषय है जिसके बारे में लिखने में मुझे झिझक होती है। मैं मानसिक स्वास्थ्य की विशेषज्ञ नहीं हूं। मैं इन मामलों पर सलाह देने की योग्य नहीं हूँ। लेकिन मेरे पास अपना अनुभव है, और मैं अपनी कहानी साझा करने के लिए योग्य हूं। मेरे लिए, चिंता एक बुखार की तरह रही है … वह एक लक्षण है जो मुझे कहीं कुछ संकेत देने के लिए दिखाई देता है, उस पर ध्यान देने की आवश्यकता है। कभी-कभी, तेज बुखार जैसे लक्षण को बीमारी की स्थिति से उबरने के लिए सीधे मदद की आवश्यकता होती है, लेकिन दूसरी बार, “यह भी बीत जाएगा” ऐसे सोचने से मुझे बेचैनी में बैठने और सांत्वना पाने हेतु ईश्वर की प्रतीक्षा करना ही पर्याप्त है। बार-बार, प्रभु ने मेरे दिल के उन हिस्सों में प्रकाश और उपचार लाया है जो हिस्से उससे अलग-थलग महसूस करते थे।

पहली बार जब मैंने महसूस किया कि उसका उपचार करने वाला हाथ मेरे डर को दूर कर रहा है, तो मुझे लगा कि मैं ठीक हो गयी हूं; मैंने सोचा कि मुझे फिर कभी उस भयावह आतंक का अनुभव नहीं करना पड़ेगा। इसलिए जब यह फिर से हुआ, तो मैं उलझन में थी। क्या मैंने प्रभु को अपना अनुग्रह वापस लेने के लिए कुछ गलत किया? क्या मैं परीक्षा पास करने में असफल रही? नहीं… अभी और भी बहुत कुछ है जिसके चंगा होने करने की जरूरत है। हर बार जब मैं चिंता का अनुभव करती हूं, तो यह मेरी मदद करने के लिए ईश्वर से प्रार्थना करने का अवसर बन जाता है। हर बार, मैं येशु को अपने दिल में शासन करने और मुझ में उनकी शांति लाने के लिए आमंत्रित करती हूं।

एक बड़ा झूठ

उन में से एक अवसर पर, मैंने सीखा कि कैसे मेरी आत्मा का दुश्मन मेरे खिलाफ मेरे डर का इस्तेमाल कर रहा था। हर बार जब मैं अपने जीवन में पाप के एक प्रतिमान की पहचान करने के करीब पहुंचती, तो डर अंदर प्रवेश करता था। डर इतना भयानक था कि मैं अपने दिमाग से उस झूठ को भी नहीं सुन पाती थी, जिस पर विश्वास करने का निर्णय मैं लेने वाली थी। जब तक मैं भागने के बजाय शांत नहीं हुई तब तक यह एक स्वचालित प्रतिक्रिया की तरह लगा। माँ मरियम के लिए शिमोन की भविष्यवाणी मुझे याद आ गई: “…. इस प्रकार बहुत से हृदयों के विचार प्रकट होंगे और एक तलवार आपके ह्रदय को आर पार बेधेगी” (लूकस 2:35)। मरियम के माध्यम से, मैंने येशु से मेरे ही हृदय के विचारों को मुझ पर प्रकट करने के लिए कहा।

हवा चलने लगी, और मेरे मन की भावना में, मैंने देखा कि रेत से बनी बड़ी-बड़ी मूर्तियाँ एक-एक करके बिखरने लगी हैं। प्रत्येक झूठ शून्य से और ईश्वर की सच्चाई के खिलाफ बना था, वे झूठ ईश्वर के सम्मुख खड़ा नहीं हो पा रहे थे। लेकिन दूसरी तरफ मुझे क्या मिला? कोई खुशी नहीं, दिल में गहरा दर्द। मैं ने अपने पाप का सामना किया, छिपा हुआ गहरी जड़ वाला एक पेड़, लेकिन उसके बुरे फल मेरे पूरे जीवन में दिखाई दे रहे थे। जो चीज़ें अलग थलग लग रही थीं, वे सब मिलकर इस एक बड़े झूठ कह रही थी: “परमेश्वर तुम्हारा ख्याल नहीं करता; तुम इस जीवन में अकेली हो।”

इस एक झूठ से जो पाप निकला था, उसे देखकर दुख हुआ, लेकिन डर नहीं लगा। मन फिराव और पश्चाताप का अनुग्रह हर आंसू के साथ उँडेला… ”जहाँ पाप की वृद्धि हुई, वहाँ अनुग्रह की उससे कहीं और वृद्धि हुई” (रोमी 5:20)। पवित्र ग्रन्थ के एक वचन के बाद दूसरे वचन ने मेरे दिमाग को भर दिया, क्योंकि पवित्र आत्मा ने मेरे लिए हस्तक्षेप किया, और सत्य ने मेरे दिल को भर दिया। मैंने महसूस किया, कि मेरा ख्याल किया जा रहा है। मुझे प्रेम का एहसास हुआ। मुझे पता था कि मैं हूँ और कभी अकेली नहीं रहूंगी।

जैसा कि मैंने शुरुआत में कहा, मैं कोई मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ नहीं हूं, इसलिए मुझे नहीं पता कि आपको अपने डर का सामना करने में मदद करने के लिए क्या करना चाहिए। लेकिन मुझे पता है कि ईश्वर हम में से हर एक से प्यार करता है। परमेश्वर के प्रेम के साथ इस मुलाकात ने मुझमें कुछ और ही भर दिया। चिंता के सबसे भयानक पहलुओं में से एक तब होता है जब हम चिंता से ही डरते हैं। यह अनुभव इतना परेशान करने वाला और असहज करने वाला होता है कि हम हर संभव कोशिश करते हैं कि हमें फिर कभी इसका सामना करना न पड़े। लेकिन मुझे पता है कि अब डरने की कोई बात नहीं है, क्योंकि यह हमारे सबसे अंधेरे क्षणों में ही हमें सबसे चमकीला प्रकाश देगा। उसने मृत्यु पर विजय प्राप्त कर ली है। उसका प्यार हमारे डर से बड़ा है।

किन्तु इन सब बातों पर हम उन्हीं के द्वारा सहज ही विजय प्राप्त करते हैं, जिन्होंने हमें प्यार किया। मुझे दृढ विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्त्तमान या भविष्य, न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा मिला है (रोमी 8:37-39)

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Ivonne J. Hernandez

Ivonne J. Hernandez is a lay Associate of the Blessed Sacrament, president of Elisheba House, and author of The Rosary: Eucharistic Meditations. She writes regularly for many Catholic blogs and lives in Florida with her husband and two of her young adult sons.

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