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जनवरी 20, 2022 413 0 Sister Jane M. Abeln SMIC
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उसके साथ आमने सामने

तलाश का हर पल एक साक्षात्कार का पल है। जीवन-परिवर्त्तन के उन पलों को पहचानिए।

संत पापा फ्रांसिस अपने परिपत्र का शुभारम्भ इस पंक्ति से शुरू करते हैं: “सुसमाचार का आनंद उन सभी लोगों के दिल और जीवन को भर देता है जिनका येशु से साक्षात्कार होता है।“ इसके बाद वे बड़ी हिम्मत के साथ आमंत्रण देते हैं: “सभी ख्रीस्तीय, हर जगह, इसी पल, येशु ख्रीस्त के साथ साक्षात्कार के लिए बुलाये गए हैं, नहीं तो उनके साथ साक्षात्कार के लिए येशु को अनुमति देने के लिए वे कम से कम अपने दिल के दरवाजा खुला रखें ….. ।“

“साक्षात्कार” शब्द संत पापा फ्रांसिस के लिए आत्मिक जीवन की एक कुंजी है, और यह शब्द मेरी आनेवाली आत्मिक साधना के मूल विषय के रूप में मुझे प्रकट हुआ।

भटकाव

हमारे समाज में वास्तविक साक्षात्कार को पोषित नहीं किया जाता है। टी. वी. स्क्रीन पर हो रही गतिविधियों में हम डूब जाते हैं, निरर्थक गपशप और कार्यकलाप आपसी साक्षात्कार में बाधा बनते हैं। हम दूसरे व्यक्ति के अन्दर की बातों को समझने के लिए समय नहीं निकाल पाते हैं, बल्कि अक्सर उसके बाहरी बातों के आधार पर उसके बारे में हम फैसला लेते हैं।

मेरे पांच दिवसीय आत्मिक साधना के दौरान मैं ने प्रतिदिन के मनन-चिंतन के लिए आनंद के पांच रहस्यों में से रोज़ एक रहस्य को चुना। प्रात:काल के शारीरिक कसरत के दौरान मैं ने हर रहस्य पर मनन-चिंतन किया और उस रहस्य को एक नया नाम दिया:

– मरियम के साथ महादूत गाब्रियल का साक्षात्कार।

– मरियम का एलिज़ाबेथ, येशु और योहन के साथ साक्षात्कार।

– मरियम और जोसफ के साथ येशु का पहला आमने-सामने साक्षात्कार।

– जब मंदिर में येशु लाये गए, तब शिमोन, फिर अन्ना के साथ साक्षात्कार।

– येशु को खोने और खोजने के बाद मरियम और जोसफ का साक्षात्कार।

जब मेरा मन भटक जाता, तो मैं अपना ध्यान वापस मुख्य साक्षात्कार की ओर केन्द्रित करती।

मेरी आत्मा के भीतर

कभी कभार, मैं जब भजन संहिता और दनिंक प्राथना बोलती हूँ और पूरी तरह ध्यान नहीं दे पाती हूँ, तब मैं इसे पिता के साथ, येशु के साथ, पवित्र आत्मा के साथ, मरियम के साथ, या संतों के साथ एक साक्षात्कार के रूप में फिर से स्थापित करने की कोशिश करती हूं। कभी-कभी, एक मजबूत भटकाव मुझे गुमराह कर दूर ले जाता है। उदाहरण के लिए, यदि मैं किसी ऐसे व्यक्ति के बारे में सोचती हूँ जिसने मुझे चोट पहुँचाई है, और अनजाने में ही उस आक्रोश को अपने अंदर प्रवेश करने देती हूँ, तो मुझे प्रभु की चंगाई का साक्षात्कार पाने की आवश्यकता है। अक्सर जो बात हमें किसी और के बारे में परेशान करती है, वही बात वास्तव में हमारे अपने बारे में ही कुछ दर्शाती है। इसलिए, हमें खुद से पूछना चाहिए: “इस व्यक्ति के बारे में मेरा गुस्सा या नाराजगी मुझे अपने बारे में क्या बताती है?”

 येशु के साथ दोस्ती निभाएं

स्वयं को शुद्ध करने, व्यवस्थित और संगठित करने के मेरे सतत् प्रयासों में, अपने से यह सवाल पूछने से मुझे लाभ मिला है: “क्या यह पुस्तक, कागज, सी.डी., फोटो, वास्तव में बहुत उपयोगी है, या क्या मैं इस का सही  उपयोग किए बिना इसे अपने साथ निरंतर ले चली हूँ? अगर मेरा इस के साथ साक्षात्कार नहीं हुआ है, तो क्या मैं इसे छोड़ सकती हूं, इसे बाहर फ़ेंक सकती हूं, या इसका कुछ बेहतर उपयोग कर सकती हूं?”

प्रतिदिन मेरी प्रार्थना है कि वास्तव में येशु से गहराई से मुलाकात की जाए, फिर बाहर जाकर उन लोगों से मुलाकात की जाए जिनमें वह वास्तव में मौजूद हैं। जैसा कि संत पापा फ्राँसिस कहते हैं: हमें “मसीह की मित्रता और उनके संदेश का आनंद लेने के निरंतर नए अनुभव के साथ हमें स्वयं को संपोषित करना चाहिए, ….  हमें व्यक्तिगत अनुभव के द्वारा आश्वस्त होने की ज़रुरत है कि येशु को जानना और उसे नहीं जानना दोनों में बहुत अंतर है …..।

हम प्रार्थना करते हैं कि धन्य कुँवारी मरियम हमारी मदद करेगी जैसा उसने किया: “हे माँ मरियम, सुसमाचार की घोषणा करने के लिए हमें अपनी और से ‘हां’ कहने में, और दूसरों की सेवा के द्वारा ईश्वर का साक्षात्कार करने में हमारी मदद कर!”

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Sister Jane M. Abeln SMIC

Sister Jane M. Abeln SMIC is a Missionary Sister of the Immaculate Conception. She taught English and religion in the United States, Taiwan, and the Philippines and has been in the Catholic Charismatic Renewal for 50 years.

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