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मार्च 16, 2022 448 0 Mary Penich, USA
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ईश्वर आपसे बहुत प्यार करते हैं

सबसे बड़ी राहत आपको यह जानकर मिलती है कि कोई हर समय आप पर पूरा ध्यान दे रहा है!

अभी पिछले ही दिन मैंने अपनी चिंता को दूर करने के लिए बाहर घूमने का फैसला किया। जब मैं बाहर गई, तो मैंने देखा कि थोड़ी धूप, थोड़ी छांव निकली हुई थी। जब तक मैं फुटपाथ पर पहुंची, एक तेज़ हवा मुझसे जा टकराई! मैंने हँसते हुए कहा, ” मुझे धक्का देने की ज़रूरत नहीं है! मैं अपने आप चल सकती हूँ!”

जैसे ही मैंने उस अद्भुत हवा से ऐसा कहा, मुझे याद आया कि मैं अकेली नहीं हूं। और मैं कभी भी अकेली नहीं हूं। मैंने ऊपर की ओर देखा और सड़क पर चलते हुए प्रार्थना की: “प्रिय ईश्वर, आप अच्छी तरह जानते हैं कि आपको कब मुझे धक्का देना चाहिए और कब मैं अपने आप चलने में सक्षम हूं। मुझ पर इतना ध्यान देने के लिए आपको धन्यवाद!” इतना कहने के बाद, मैं अपने आस पड़ोस के परिचित नज़ारों का आनंद लेने लगी। अपने हर एक कदम के साथ, मेरे अंदर अपनापन की भावना ने उस गुस्से की जगह ले ली जिस गुस्से ने मुझे घर से बाहर निकलने पर मजबूर किया था।

मैं चिंतित थी क्योंकि दुनिया भर की खबरों ने मुझे मुस्कुराने की बहुत कम वजहें दी थी। यहां तक ​​​​कि हमारी दुनिया की बिगड़ती हालत से मुझे विचलित करने में इस साल के ओलंपिक खेलों में खेल रहे वीर खिलाड़ी भी नाकाम रहे थे। जब हम में से सबसे स्वस्थ लोगों तक को भी कोई न कोई कोरोना संस्करण होने लगा था, तो मुझे यह चिंता सताने लगी कि क्या हम कभी इस बीमारी से छुटकारा पा पाएंगे? जब मैंने उस संभावना पर सोचना शुरू किया, मैंने दुनिया भर में मौजूद उन सभी लोगों के बारे में सोचा, जो हमेशा यह सोचा करते हैं कि क्या वे कभी अन्याय और गरीबी, युद्ध और उत्पीड़न, बीमारी और प्राकृतिक आपदाओं से छुटकारा पा सकेंगे।

सुसमाचार एक युवा लड़के की बात करते हैं जो उस दिन भीड़ में शामिल था जब पांच हजार लोग बिना अपने रात के खाने की चिंता किए, येशु को सुनने के लिए आए हुए थे। यह जानकर कि वहां एकत्रित लोग बहुत भूखे होंगे, येशु ने अपने शिष्यों की ओर देखा और पूछा कि उन सभी को खिलाने के लिए उन्हें भोजन कहाँ से मिलेगा। सुसमाचार हमें बताता है कि उस समय उन लोगों के पास जौ की पाँच रोटियों और दो मछलियों की टोकरी के अलावा कुछ भी उपलब्ध नहीं था, जिसे वह लड़का अपने साथ ले आया था।

बचपन से मैं इस बारे में सोचती रही हूँ कि कैसे वह लड़का उस भूखी भीड़ के बीच अपने भोजन को सुरक्षित रखने में कामयाब रहा होगा। मैं यह भी सोचा करती थी कि येशु ने उस लड़के के हाथों से वह खाने की टोकरी किस तरीके से आसानी से लेने की कोशिश की होगी। शायद उस लड़के के लिए उसका दिनभर का भोजन वाही पांच रोटियाँ और दो मछलियाँ रही होंगी या वह उसे बेचार कुछ कमाई करनेवाला था। किस बात ने उस लड़के को उन रोटियों को खाने की इच्छा तय्गने या बेच कर कुछ पैसे कमाने के लालच से दूर रखा? मुझे लगता है कि इस सवाल का जवाब उन परिस्थितियों में छुपा है जिनसे वह लड़का उस वक्त घिरा हुआ था। हो सकता है कि वह इलाका उस लड़के के घर के पास था, शायद उस लड़के के माता-पिता और पड़ोसी भीड़ में मौजूद थे, या शायद उसके लालच ना करने की वजह खुद येशु थे। हालाँकि वह येशु से नहीं मिला होगा, फिर भी उसने निश्चित रूप से उनकी कहानियाँ सुनी थीं और उनके गहरे प्यार को महसूस किया था।

हालाँकि मैं अपने आस-पड़ोस की सड़कों की किनारे लगे पेड़ों, फुलवारियों और घरों का आनंद लेती हूँ, फिर भी अपने पड़ोस में टहलने का मेरा सबसे पसंदीदा पहलू वे लोग हैं जिनसे मैं आते जाते हुए मिलती हूँ। मिलने वाले हर एक जन में, मुझे वह खुशी दिखाई देती है जो उनकी मुस्कुराहट का कारण है और वे आंसू जो उनके दुख के प्रतीक हैं। मैं उन नरम हाथों को देखती हूं जो बच्चों को गले लगाते हैं और उन खुरदुरे हाथों को भी जो अपने परिवार को कपड़े पहनने और उनके खाने का इंतेज़ाम करने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं। मैं उन मजबूत पैरों को देखती हूं जो किसी बुजुर्ग पड़ोसी को उनके पालतू कुत्ते को पकड़ने में मदद केलिए दौड़ते हैं और उन कोमल बाहों को भी देखती हूं जो एक दुखी पड़ोसी को गले लगाकर सांत्वना देते हैं।

मैं जिस भी व्यक्ति से मिलती हूं, उनमें मैं किसी ऐसे व्यक्ति को देखती हूं, जिसे कभी-कभी ईश्वर की ओर से एक धक्के की ज़रूरत होती है, और मैं किसी ऐसे व्यक्ति को देखती हूं जो कभी-कभी आत्मनिर्भर होकर अपने आप राह पर चल रहा होता है। मैं जिस भी व्यक्ति से मिलती हूं, मुझे उनमें एक आत्मा दिखाई देती है, जिसके बारे में ईश्वर कहते हैं, “मुझे अच्छी तरह पता है कि इन लोगों को कब धक्का देना है और कब वे अपने दम पर चलने में सक्षम हैं। मैं तुम में से हर एक व्यक्ति पर बहुत ध्यान देता हूं क्योंकि मैं तुमसे प्यार करता हूं!”

यह जानकारी कि ईश्वर मुझसे प्यार करता है, इसी जानकारी से हमारे जीवन में बहुत फर्क पड़ता है। यह जानना कि ईश्वर मेरे साथ है मुझे प्रेरणा से भर देता है। यह जानना कि ईश्वर मेरे आनंद और मेरे दुख पर पूरा ध्यान देता है मुझे सशक्त करता है, कि मैं अपने जीवन की मुसीबतों का सामना अकेले नहीं कर रही हूं।

अगर हम इस परेशानी भरी दुनिया में रह कर एक दूसरे के लिए कुछ कर सकते हैं, तो वह एक दूसरे को याद दिलाना होगा कि हम इन चीजों का एक साथ सामना कर रहे हैं, हम एक दूसरे के साथ हैं और ईश्वर हमारे पक्ष में हैं। चूंकि ईश्वर हमसे प्यार करता है और हमेशा हम पर ध्यान देता है, इसीलिए हमारे लिए बड़ी से बड़ी त्रासदी  भी सहन कर पाना मुश्किल नहीं है!

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Mary Penich

Mary Penich एक पत्नी, माँ, दादी और प्रेरणादायक लेखिका हैं। एक शिक्षिका और प्रशासक के रूप में अपने काम से सेवानिवृत्त होने के बाद, मैरी ने marypenich.com पर दैनिक चिंतन लिखना शुरू किया। वह और उनके डीकन पति सेंट पॉल द एपोस्टल चर्च, गुर्नी में सेवकाई करते हैं।

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