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अगस्त 20, 2021 1617 0 Eva Treesa
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आनंदपूर्ण संसार

मेरे परिवार का जीवन सुख और दु:ख दोनों का एक संगम रहा है। प्रिय लोगों के गुज़र जाने से, परीक्षा में असफल होने से, बार बार स्कूल बदलने से और आवास की परेशानियों से प्यार और खुशी पर अक्सर दुःख का बदल मंडराता रहा। इन सभी परीक्षणों के दौरान मैंने बहुत दुख और अकेलेपन का अनुभव किया है, लेकिन इसके बावजूद, मैं माँ मरियम से लिपटी रहकर उनसे मदद लेती थी और वह मेरा समर्थन और सांत्वना देती थी।

हाई स्कूल की पढ़ाई शुरू करते ही मेरे जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। प्राथमिक विद्यालय के दिनों के  मेरे कई मित्र और सहपाठी दूसरे विद्यालयों में चले गए थे इसलिए मुझे नए लोगों के साथ जुड़ने और मेरे मित्र बनने के लिए नए लोगों को खोजने की कोशिश करनी पड़ी। मेरे नए स्कूल में अधिक काम और लगातार समीक्षा का कार्य होता था. जो मेरे लिए किसी करीबी दोस्त के बिना यह कार्य मुश्किल था।

जैसे-जैसे महीने बीतते गए, मैंने सोचा कि क्या इन कठिनाइयों और परीक्षण का दौर कभी समाप्त होगा। मैंने इस मुश्किल दौर के दौरान सांत्वना पाने के लिए माँ मरियम से प्रार्थना की और मरियम के सम्मुख समर्पण की तैयारी के लिए फादर माइकल ई. गैटले द्वारा तैयार किया गया “महिमा की सुबह हेतु 33 दिन” नामक एक ‘स्व निर्देशित आत्मिक साधना’ शुरू किया। उस साधना के प्रत्येक दिन में संतों की जीवनी से दैनिक पाठ शामिल हैं। मुझे संत लुइस डी मोंटफोर्ट, संत मैक्सिमिलियन कोल्बे, कोलकत्ता की संत  टेरेसा और पोप संत जॉन पॉल द्वितीय  की शिक्षाओं के प्रमुख अंशों से प्रेरणा मिली। इस पुस्तक ने माँ मरियम के साथ मेरे रिश्ते को मज़बूत किया और प्रतिदिन माला विनती करते समय पाठों पर मनन चिंतन करते हुए माँ मरियम की मातृ सेवा पर मेरा भरोसा बढ़ता रहा।

इन दिनों, जब तनाव या चिंता मेरे ऊपर हावी हो जाते हैं, तब मैं केवल मालाविनती की प्रार्थना करती हूं और मैं अपने कंधे पर माँ मरियम का सांत्वना भरे हाथ का स्पर्श महसूस करती हूं। “जब मैं मालाविनती  का पाठ करता हूं, मैं पवित्र माता का हाथ थामे रहता हूं। मालाविनती के बाद पवित्र माता मेरा हाथ थाम लेती है” (संत पापा जॉन पॉल द्वितीय)। जैसे-जैसे साधना के प्रत्येक दिन के दौरान माँ मरियम के लिए मेरा प्यार और विश्वास गहराता गया, मुझे अब स्कूल में उदासी और अकेलापन महसूस नहीं होता था। मालाविनती और मरियम की अन्य भक्ति प्रार्थनाओं से मेरे आध्यात्मिक जीवन में एक बड़ा बदलाव आया। समर्पण के आखिरी दिन, समर्पण की प्रार्थना करने के लिए मैं भोर में जल्दी उठी। जैसे ही समर्पण प्रार्थना के शब्द मेरे होठों से निकले, मेरा दिल बहुत खुशी और उल्लास से भर गया, क्योंकि मुझे इस ज्ञान में आनंद आया कि मैं आखिरकार मरियम को समर्पित हो गयी।

हम में से कई लोग, जो अपने जीवन में इसी तरह की कठिनाइयों का सामना करते हैं, अक्सर नहीं जानते हैं कि उन्हें क्या करना है या कहाँ जाना है। आइए हम इस अवसर पर माँ मरियम की मध्यस्थता पर भरोसा करें। हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि मरियम ने पृथ्वी पर रहते हुए कई दुखों और कठिनाइयों का अनुभव किया और हम किस अनुभव से गुज़र रहे हैं यह वही ठीक से समझ सकती हैं। उसका हाथ पकड़ना और उसे हमारे कष्टों में साथ देने के लिए माँ मरियम से कहने पर हमें ‘गुलाब के पुष्पों और मधु जैसे मधुर मार्ग’ की ओर चलें अका मीठा अनुभव होगा।

आइए हम अपने जीवन की कठिनाइयों के दौरान इस शक्तिशाली प्रार्थना को करते हुए मरियम की मदद मांगे:

ईश्वर की प्यारी माँ और हमारी प्यारी माँ,

हमारे दयालु पिता ईश्वर से हमारे लिए प्रार्थना कर, ,

ताकि यह बड़ी पीड़ा समाप्त हो जाए और वह आशा और शांति फिर से जाग उठें।

आमेन ।

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Eva Treesa

Eva Treesa is a high school student. Faith is her first priority and she deepens her relationship with Jesus through daily prayer and scripture readings. She lives with her family in Brisbane, Australia.

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