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अक्टूबर 28, 2023 231 0 Marisana Arambasic
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मुसीबत की परकाष्ठा में

एक जहरीली मकड़ी के काटने के बाद अर्ध-लकवाग्रस्त मारिसाना अरम्बासिक को लगा कि उसका जीवन समाप्त हो रहा है। वह किसी चमत्कार के इंतज़ार में रोजरी माला का सहारा ली हुई थी|

मैं बहुत लंबे समय से पर्थ, ऑस्ट्रेलिया में रह रही हूं, लेकिन मैं मूल रूप से क्रोएशिया की हूं। जब मैं आठ साल की थी तब मैंने एक चमत्कार देखा। माता मरियम की शक्तिशाली मध्यस्थता से अपंग पैरों वाला एक 44 वर्षीय व्यक्ति ठीक हो गया। हम में से कई लोगों ने यह चमत्कार देखा। मुझे अभी भी याद है कि उस आदमी के ठीक होने के बाद मैं उनके पास दौड़कर गयी थी और आश्चर्यचकित होकर उनके पैर छू रही थी। इस अनुभव के बावजूद, जब मैं बड़ी हुई तो मैं परमेश्वर से दूर हो गयी। मुझे विश्वास था कि यह दुनिया और यहाँ की सांसारिकता मेरी सीप है। मुझे केवल अपने जीवन का आनंद लेने की परवाह थी। मेरी माँ चिंतित थी क्योंकि मैं गलत तरीके से जीवन का आनंद ले रही थी। वह नियमित रूप से मेरे लिए प्रार्थना करती थी। उन्होंने माता मरियम से मेरी लिए प्रार्थना की। हालाँकि मेरी माँ ने 15 वर्षों तक उत्साहपूर्वक प्रार्थना की, फिर भी मेरे व्यवहार में कोई सुधार नहीं हुआ। जब मेरी माँ ने मेरे बारे में स्थानीय पुरोहित को बताया, तो उन्होंने कहा, “वह इस समय पाप में जी रही है। एक बार जब वह पाप करना बंद कर देगी, तो परमेश्वर उसे उसके घुटनों पर लाएगा, पवित्र मिस्सा के माध्यम से सभी अनुग्रह बरसाए जाएंगे, और चमत्कार होंगे |”

वह विषैला दंश

जब मैं 33 वर्ष की हुई तो यह भविष्यवाणी सच हो गई। मैं अपने बच्चे का पालन पोषण अकेली कर रही थी। एक अकेली माँ के रूप में, मैं जीवन के सबसे निचले तह पर पहुंच चुकी थी। धीरे-धीरे, मैं वापस परमेश्वर की ओर मुड़ गयी। मैंने कठिन समय में माता मरियम की सहायता का अनुभव किया। एक दिन, एक सफेद पूंछ वाली मकड़ी ने मेरे बाएं हाथ पर काट लिया। यह ऑस्ट्रेलिया में ख़ास पायी जानेवाली जहरीली मकड़ी थी। हालाँकि मेरा स्वास्थ्य अच्छा था, फिर भी मेरा शरीर इस मकड़ी के काटने से उबर नहीं सका। वह दर्द भयानक था| मेरे शरीर का बायाँ हिस्सा लकवाग्रस्त हो गया था। मैं अपनी बायीं आँख से नहीं देख सकती थी। मेरी छाती, मेरा दिल और मेरे सभी अंगों में मैं ऐसे महसूस कर रही थी, जैसे उनमें ऐंठन हो रही हो। मैंने विशेषज्ञों से मदद मांगी और उनकी बताई दवाएं लीं, लेकिन मेरी हालत में कोई सुधार नहीं हुआ।

अपनी हताशा के समय में, मैंने अपनी रोज़री माला उठाई और ऐसी प्रार्थना की जैसे पहले कभी नहीं की थी। सबसे पहले, मैं प्रतिदिन घुटनों के बल बैठकर माला विनती की प्रार्थना करती थी। जल्द ही मेरी हालत और अधिक खराब हो गई और मैं अब घुटनों के बल नहीं बैठ पा रही थी। मैं ने बिस्तर पकड़ लिया था| मेरे पूरे चेहरे पर छाले पड़ गये थे और लोग मेरी ओर देखने से भी कतराते थे। इससे मेरा दर्द और बढ़ गया. मेरा वजन भारी मात्रा में कम होने लगा। एकमात्र चीज़ जो मैं खा सकती थी वह सेब था। अगर मैं कुछ और चीज़ खाती थी तो मेरे शरीर में ऐंठन होने लगती। मैं एक बार में केवल 15-20 मिनट ही सो पाती थी, और ऐंठन के साथ जाग जाती थी। मेरे स्वास्थ्य का इस तरह बिगड़ना मेरे बेटे के लिए कठिन था, जो उस समय 15 वर्ष का था। उसने वीडियो गेम खेलकर इस मुसीबत से अपने आप को दूर कर लिया। हालाँकि मैं अपने माता-पिता और भाई-बहनों के संपर्क में थी, लेकिन वे सभी विदेश में रहते थे। जब मैंने उन्हें अपनी स्थिति के बारे में बताया, तो मेरे माता-पिता तुरंत मेडजुगोरे गए, जहां वे एक पुरोहित से मिले जिन्होंने मेरे लिए प्रार्थना की।

उस समय, मैं अपनी रसोई के फर्श पर एक गद्दे पर लेटी हुई थी, क्योंकि एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना मेरे लिए बहुत मुश्किल था। अचानक, उठने और चलने में मैं सक्षम हो गई, हालाँकि मुझे अभी भी कुछ दर्द हो रहा था। मैंने अपनी बहन को फोन किया और तब पता चला कि एक पुरोहित ने मेरे ठीक होने के लिए माता मरियम की मध्यस्थता के लिए प्रार्थना की थी। मैंने सोचना बंद नहीं किया। मैंने तुरंत मेडजुगोरे जाने के लिए टिकट खरीदे। मैं चिकित्सा विशेषज्ञों की सलाह के विरुद्ध जा रही थी। मेरी रोग-प्रतिरोधक-क्षमता कम थी और मेरा शरीर कमजोर था। फिर भी, मैंने जाने का फैसला किया।

पहाड़ी पर

जब मैं क्रोएशिया पहुंची, तो मेरी बहन ने मुझसे हवाई अड्डे में मुलाकात की और हम उसी शाम मेडजुगोरे पहुंचे। मैं उस पुरोहित से मिली जिसने मेरे माता-पिता के साथ प्रार्थना की थी। उन्होंने मेरे लिए प्रार्थना की और मुझे अगले दिन उस पहाड़ी पर चढ़ने के लिए कहा जिस पर माँ मरियम ने दर्शन दिए थे। उस समय भी, मैं सेब के अलावा कुछ भी नहीं खा पा रही थी और अगर खाती तो मेरा गला बंद हो जाता। उस समय भी मेरे पूरे शरीर पर छाले थे। फिर भी जहां माता मरियम प्रकट हुई थीं, उस पहाड़ी पर चढ़ने के लिए मैं अपने आप को रोक नहीं सकी। मेरी बहन मेरे साथ आना चाहती थी, लेकिन मैं अकेली जाना चाहती थी। मैं नहीं चाहती थी कि कोई मेरा दुःख देखे। जब मैं ऊपर पहुंची तो बर्फबारी हो रही थी।

वहां ज्यादा लोग नहीं थे। मैंने माता मरियम के साथ एक खास पल बिताया। मुझे लगा कि वह मेरी प्रार्थना सुन रही है। मैंने माँ से अपने लिए जीवन की दूसरी पारी माँगी और अपने बेटे के साथ अधिक समय बिताने का अवसर मांगा। मैंने प्रार्थना की, “येशु, मुझ पर दया कर।”

जैसे ही मैं पहाड़ी से नीचे आयी, मैं ‘हे हमारे पिता’ की प्रार्थना कर रही थी। जैसे ही मैंने ‘हमारी प्रतिदिन की रोटी आज हमें दे’ कहा तो मुझे दुख हुआ, क्योंकि मैं रोटी नहीं खा सकती थी। मैं परम प्रसाद की रोटी प्राप्त करने के लिए बहुत उत्सुक थी, लेकिन मैं उसे नहीं खा सकती थी। मैंने प्रार्थना की कि मैं फिर से रोटी खा सकूं। उस दिन मैंने कुछ खाने का निश्चय किया और खाना खा लिया। खाने के बाद मेरे शरीर में किसी भी प्रकार की कोई तकलीफ नहीं थी| उसके बाद, मैं लगातार दो घंटे तक सोयी। दर्द और मेरे शरीर में बीमारी के अन्य लक्षण कम हो चुके थे। ऐसा लगा मानो धरती पर स्वर्ग हो।

अगले दिन मैं वापस गयी और ‘येशु की पहाड़ी’ पर चढ़ गयी जिसकी चोटी पर एक बड़ा क्रूस है। वहां मुझे अत्यधिक शांति का अनुभव हुआ। मैंने परमेश्वर से मेरे पापों को दिखाने के लिए कहा। जैसे-जैसे मैं चढ़ती गयी, परमेश्वर ने धीरे-धीरे उन पापों को प्रकट किया जिन्हें मैं भूल गयी थी। जैसे ही मैं पहाड़ी से नीचे उतरी, मैं पाप स्वीकार के लिए जाने को उत्सुक थी। मैं खुशी से भरी हुई थी। भले ही बीमारी से मुक्ति पाने में थोड़ा समय लगा, लेकिन अब मैं पूरी तरह ठीक हो गयी हूं।

पीछे मुड़कर देखने पर मुझे एहसास होता है कि मेरे सभी कष्टों ने मुझे एक बेहतर इंसान बना दिया है। मैं अब अधिक दयालु और क्षमाशील हूं। जीवन में कष्ट और दुःख पीड़ा, किसी भी व्यक्ति को अकेलापन और हताशा का अनुभव करा सकता है। आपकी आर्थिक स्थिति, विवाह, पारिवारिक जीवन सहित सब कुछ बिखर सकता है। ऐसे समय में, आपको आशा रखने की ज़रूरत है। विश्वास आपको अज्ञात क्षेत्र में कदम रखने की ताकत देता है और तूफान के गुजर जाने तक अपने क्रूस को ढोते हुए, अपरिचित राह पर चलने की अनुमति देता है।

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