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जनवरी 20, 2022 482 0 डीकन जिम मैकफैडेन
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मानसिक गंदगी को साफ करें

क्या नई तकनीकियां आपकी चेतना को आकार दे रही है? यदि हां, तो पुनर्विचार करने का समय आ गया है।

सयुक्त राज्य अमेरिका में हाल ही में साइबर हमला हुआ, जिसके कारण गैस की कमी, घबराहट में अनावश्यक खरीददारी, और खाद्य पदार्थ की कमी के बारे में लोगों की चिंताएँ बढ़ गयीं। इस से एक सीख लोगों को मिली कि हम अपने आधुनिक समाज में कार्य करने के लिए प्रौद्योगिकी पर निर्भर हैं। इस तरह की निर्भरता ने नई और अनोखी मानसिक, मनोवैज्ञानिक और आध्यात्मिक चुनौतियों को जन्म दिया है। हमारा कीमती समय टी.वी. के परदे के सामने हमारे समाचार, मनोरंजन, और भावनात्मक और बौद्धिक उत्तेजना की तलाश में व्यतीत होते हैं। लेकिन जब हम अपने डिजिटल उपकरणों और प्रौद्योगिकी के माध्यम से जीवन की राह में आगे बढ़ते हैं, तो हमें यह नहीं पता होता है कि ये सारे उपकरण हमारी चेतना को कैसे आकार दे रहे हैं।

इस तरह की निर्भरता एक बुनियादी सवाल उठाती है: क्या तकनीक, जो बौद्धिकता का विस्तार है, हमारी चेतना का निर्माण करती है; क्या यह जीवन के प्रति हमारा प्राथमिक नजरिया बन गया है? आज बहुत से लोग बिना हिचके “हाँ” में जवाब देंगे। कई लोगों के लिए, “देखने” का एकमात्र तरीका बुद्धिमत्ता और तर्क ही है। लेकिन कुरिन्थियों के नाम संत पौलुस का दूसरा पत्र एक गूढ़ कथन के माध्यम से एक अलग दृष्टिकोण प्रस्तुत करता है जो कि ख्रीस्तीय जीवन का सार प्रस्तुत करता है: “… हम आँखों देखी बातों पर नहीं, बल्कि विश्वास पर चलते हैं” (5:7)।

एक शक्तिशाली अंतर्दृष्टि

ख्रीस्तीय के रूप में, हम अपनी शारीरिक इंद्रियों के माध्यम से दुनिया को देखते हैं, और हम उस संवेदिक तथ्यों की व्याख्या अपने तर्कसंगत व्याख्यात्मक चश्मे के द्वारा करते हैं जैसे कि गैर-विश्वासी करते हैं। लेकिन हमारा प्राथमिक नजरिया हमें शरीर या बौद्धिक तर्क से नहीं दिया जाता है, यह विश्वास द्वारा दिया जाता है। आस्था का या विश्वास का मतलब भोलापन, अंधविश्वास या अनभिज्ञता नहीं है। हमें अपने क्रोमबुक्स, आइ-पैड और स्मार्टफ़ोन को काली कोठरी में रखने की ज़रूरत नहीं है। विश्वास के माध्यम से हम अपनी संवेदिक धारणाओं और तर्कसंगत निष्कर्षों को ईश्वर और अन्य लोगों के साथ अपने संबंधों के साथ एकीकृत करते हैं। येशुसमाजी कवि जेराल्ड मैनली हॉपकिंस की कविता है: “ईश्वर की भव्यता और महानता से यह दुनिया भरी हुई है।” इन सार्थक शब्दों को हम अपने विश्वास के द्वारा समझ सकते हैं।

धारणा और बुद्धि, अर्थात आंखों देखी बातों पर चलना, अच्छा और आवश्यक है; वास्तव में, हम वहीं से शुरू करते हैं। लेकिन ख्रीस्तीय होने के नाते हम मुख्य रूप से विश्वास पर चलते हैं। इसका मतलब है कि हम अपने सामान्य अनुभव के भीतर ईश्वर और ईश्वर की गति के प्रति चौकस हैं। वर्त्तमान समय के आध्यात्मिक लेखक पाउला डी आर्सी इस सत्य को इस तरह समझाते हैं, “ईश्वर हमारी जीवनशैली के प्रछन्न वेश को अपनाकर हमारे पास आता है।” और यह प्रत्यक्ष दृष्टि या तर्कसंगत अंतर्दृष्टि का विषय नहीं हो सकता। ईश्वर की भव्यता से परिपूर्ण जीवन को देखने और समझने के लिए या यह समझने के लिए कि हमें ईश्वर की तलाश करने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि ईश्वर हमारे जीवन के ताने-बाने में है, इस के लिए विश्वास की ज़रुरत है। यह विश्वास, तर्क और बुद्धिमता का विरोध किये बिना उसके परे जाता है।

कार्य से लापता?

बड़ी तादाद में लोगों को बहुत दर्द और नुकसान से पीड़ित करनेवाली महामारी के निर्वासन से चुपके से निकलते हुए, हम पूछ सकते हैं कि इन सब में ईश्वर कहाँ थे? ईश्वर का मंशा क्या है? आमतौर पर, बुद्धि की आंखें उत्तर नहीं देख सकतीं। लेकिन हम केवल आँखों देखी बातों से नहीं, विश्वास से चलते हैं। ईश्वर जो कर रहा है वह धीरे-धीरे होता है और भारी विपरीत प्रमाणों के सामने होता है। ईश्वर हमेशा कार्य कर रहा है! वह कभी भी कार्य से लापता नहीं है! छोटी सी छोटी शुरुआत से ही परमेश्वर के उद्देश्यों की सिद्धि आ सकती है। हम इसे नबी एज़ेकिएल से जानते हैं जिन्होंने इस्राएल के महान सार्वभौमिक भाग्य के बारे में गाया था। निर्वासन के दौरान इस्राएलियों ने सब कुछ खो दिया था, और उसी दौरान नबी ने इसकी भविष्यवाणी की थी!

एजकिएल के पांच सौ साल बाद, येशु ने भी यही बात कही है। संत मारकुस के अनुसार सुसमाचार में हम सुनते हैं, “ईश्वर का राज्य उस मनुष्य के सदृश है, जो भूमि में बीज बोता है। वह रात को सोने जाता है और सुबह उठता है। बीज उगता है और बढ़ता जाता है, हालांकि उसे वह पता नहीं कि यह कैसे हो रहा है” (4:26-27)।

आश्चर्यचकित होने के लिए तैयार हो जाएँ

ईश्वर काम कर रहा है, लेकिन हम इसे अपनी साधारण आंखों से नहीं देख सकते हैं; हम इसे अपनी सामान्य क्षमता से नहीं समझ सकते हैं; ऐसा कोई ऐप भी नहीं है जो हमें इस समझदारी तक जोड़ सकेगा। ईश्वर अपने काम पर सक्रिय है और हम नहीं जानते कि कैसे। यह ठीक है। हम आँखों देखी, नहीं विश्वास पर चलते हैं।

यही कारण है कि मारकुस के सुसमाचार में, येशु यह भी कहते हैं कि परमेश्वर का राज्य राई के दाने की तरह है – पृथ्वी के सभी बीजों में सबसे छोटा, लेकिन बोये जाने के बाद, वह उगता है और बढ़ते बढ़ते वह सब पौधों में सबसे बड़ा हो जाता है, इसलिए कि “आकाश के पंछी उसकी छाया में बसेरा कर सकते हैं” (4:32)। ईश्वर के अप्रत्याशित स्वरूप के इस तर्क में प्रवेश करना और अपने जीवन में उसकी रहस्यमय उपस्थिति को स्वीकार करना हमारे लिए आसान नहीं है। लेकिन अनिश्चितता, मृत्यु, और सांस्कृतिक/राजनीतिक विभाजन के इस समय पर विशेष रूप से ईश्वर हमें विश्वास पर चलने के लिए प्रोत्साहित करता है जो हमारी अपनी योजनाओं, गणनाओं और पूर्वानुमानों से परे है। ईश्वर हमेशा कार्य कर रहा है और वह हमेशा हमें आश्चर्यचकित करेगा। राई के बीज का दृष्टान्त हमें आमंत्रित करता है कि हम अपने दिलों को व्यक्तिगत स्तर पर और समुदाय के लिए ईश्वर की योजनाओं के लिए अर्थात उन अपार आश्चर्यपूर्ण बातों के लिए के लिए खोल कर रखें।

यह महत्वपूर्ण है कि हम अपने पारिवारिक स्तर पर, पल्ली स्तर पर, राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक स्तर पर सभी रिश्तों में ईश्वर और पड़ोसी से प्यार करने की महान आज्ञाओं को जीने के उन छोटे और बड़े अवसरों पर ध्यान दें। इसका मतलब है कि हम टेलीविजन और सोशल मीडिया पर इतनी प्रचलित विभाजनकारी बयानबाजी से दूर रहें, जिसके कारण हम अपनी बहनों  और भाइयों को सिर्फ उपभोग की वस्तुओं जैसा मानने लगते हैं। चूँकि हम विश्वास से चलते हैं न कि आँखों देखी बातों से,  इसलिए हम प्रेम की गतिशीलता में, दूसरों का स्वागत करने और उन के प्रति दया दिखाने में सक्रिय हो जाएँ।

कभी हार न मानें

कलीसिया के मिशन की प्रामाणिकता, जो कि पुनर्जीवित और महिमान्वित ख्रीस्त का मिशन है, कार्यक्रमों या सफल परिणामों के माध्यम से नहीं आता है, लेकिन मसीह येशु में और येशु के माध्यम से निरंतर आगे बढ़ने से, और उसके साथ साहसपूर्वक चलने से, और हमारे पिता की इच्छा हमेशा फल देगी ऐसा अटूट विश्वास करने से होता है। हम इसकी घोषणा करते हुए आगे बढ़ते हैं कि येशु प्रभु हैं, न कि कैसर या उनके उत्तराधिकारी। हम समझते हैं और स्वीकार करते हैं कि हम अपने प्यारे स्वर्गीय पिता के हाथों में एक छोटा राई हैं और पिता हमारे माध्यम से ईश्वर के राज्य को यहाँ स्थापित करने लिए कार्य कर सकता है।

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डीकन जिम मैकफैडेन

डीकन जिम मैकफैडेन कैलिफोर्निया के फॉल्सम में संत जॉन द बैपटिस्ट कैथलिक चर्च में सेवारत हैं। वह ईशशास्त्र के शिक्षक हैं और वयस्क विश्वास निर्माण और आध्यात्मिक निर्देशन के क्षेत्र में कार्य करते हैं।

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