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अगस्त 20, 2021 1653 0 Emily Shaw, Australia
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बहादुरी से आगे बढ़ने के पाँच तरीके

क्या आप दुनिया बदलना चाहते हैं? अगर आपका जवाब हां में है, तो इन सुझावों को अपना कर देखिए।

हमारी सेमिनरी में कलीसिया का इतिहास पढ़ाने वाले शिक्षक ने एक दिन पहले वर्ष के छात्रों से पूछा कि उनके हिसाब से कलीसिया के इतिहास में सबसे अच्छा वर्ष कौन सा रहा होगा? इस सवाल को सुनते ही प्रथम वर्ष के उत्साहित छात्र मन ही मन घबराने लगे।

धीरे धीरे छात्र सवाल का जवाब देने की कोशिश करने लगे, पर जब सबों के जवाब गलत होने लगे तो छात्र सोचने लगे कि जो सवाल उनसे पूछा गया था, क्या उसका कोई ठोस जवाब है भी या नही? आखिर में शिक्षक ने छात्रों के अंदेशों को सच साबित करते हुए कहा कि पूछे गए सवाल का कोई ठोस जवाब इसीलिए नही हैं क्योंकि कलीसिया ने आज तक कभी भी कोई सर्वश्रेष्ठ काल नही देखा है।

हर एक काल अपने साथ ख्रीस्तीय विश्वास के लिए नई चुनौतियां लाया है। चाहे वह संतों का कत्ल हो या किसी तरह चर्च की बदनामी, या कलीसिया के अंदर लड़ाई झगड़े, या कोई खतरनाक विचारधारा, या अपधर्मी प्रवचन, या आज के समय का नास्तिकवाद।

कलीसिया और विश्वासियों ने कई आंधियों का सामना किया है, हमने चोटें खाई पर हम डंटे रहे। कई संत, शहीद, पवित्र स्त्री-पुरुषों ने बड़ी बहादुरी के साथ इन आंधियों का सामना किया है। शायद आज हमें ऐसा लग रहा हो कि वर्तमान काल कलीसिया के लिए बड़ा भारी है, और जिस कलीसिया को हम अपने दिलो-जान से प्यार करते हैं वह इन दिनों लगातार हमले, अत्याचार और धोखेबाज़ी का शिकार है। लेकिन हमें यह याद कर के हौसला रखना चाहिए कि जैसे बीते वक्त में कलीसिया ने सारी बाधाओं का सामना किया है, उसी तरह आने वाले वक्त में हम फिर से विजयी होंगे।

लेकिन विश्वास और सहनशीलता की इसी कशमकश के बीच हमें उन उपायों के बारे में भी गौर करना चाहिए जिसके सहारे हम अपने आस पास के वातावरण को बदल सकते हैं और उस राह पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं जो हमें पवित्रता की ओर ले चलता है। शायद दुनिया हमें कभी संत की उपाधि ना दे, पर फिर भी हम संत बन कर अनंत काल ईश्वर के सानिध्य में बिता सकते हैं। आइए पवित्रता की इस यात्रा में हमारी सहायता करने योग्य पांच सुझावों को हम देखते हैं:

1. साधारण आचरण अपनाएं

हमें अक्सर ऐसा लगता है कि हमें कोई बहादुरी का काम करना चाहिए, पर अंदर ही अंदर हम अपने आप को दुनिया के विश्वास को सशक्त करने के काबिल नही पाते। लेकिन हम में से ज़्यादतर लोग ख्रीस्त की तरह बहादुर कार्य करने के लिए बुलाए ही नहीं गए हैं। हम में से कइयों पर जो भार या दायत्व है, वह हमारी समझ और हमारे अंदाज़े से कहीं ज़्यादा छोटा और आसान है। संत थॉमस मोर, जो कि कलीसिया और उसकी शिक्षाओं के बहुत बड़े रक्षक थे, उन्होंने इस सिद्धांत को बड़ी अच्छी तरह समझ लिया था। उन्होंने कहा, “हम अपने परिवार, अपने घर में जो मामूली कार्य हर रोज़ करते हैं, वह साधारण आचरण हमारी आत्मा के लिए हमारी सोच से कहीं ज़्यादा महत्वपूर्ण है।”

हमारे छोटे छोटे, सहज और सादगी भरा आचरण, और हर दिन ईश्वर पर विश्वास रखना ही आध्यात्मिक रूप में हमें उन बीजों को बोने में मदद करता है जिनके फल हम कभी देख भी ना पाएं। इन्हीं छोटे छोटे कार्यों द्वारा हम अपने घरों, अपनी पल्ली, अपने समुदाय में विश्वास बोते हैं, वह विश्वास जो आगे चल कर दूसरों को और आखिर में ख्रीस्त के शरीर रूपी कलीसिया के स्वास्थ्य को सशक्त करता है।

2. असाधारण से जुड़े

विश्वास पर निर्भर जीवन शैली हमारे आज के समाज की समझ के परे है। कई लोग अलौकिक बातों को समझ नही पाते और धर्म को बीते ज़माने की परियों की कहानी की शैली में डाल देते हैं। इसीलिए आज के समय में एक सच्चा कैथलिक जीवन जीने के लिए असाधारण विश्वास, ईश्वर पर भरोसा और इन सब से बढ़ कर ईश्वर के प्रति एक ऐसे प्रेम की ज़रूरत है जो हमें ईश्वर पर आश्रित होने पर मजबूर करे। मदर एंजेलिका ने इस सिद्धांत को बड़ी खूबसूरती से शब्दों में पिरो कर कहा है, “ईश्वर पर विश्वास हमें इस बात की तसल्ली देता है कि जब हम प्रार्थना करते हैं तब ईश्वर हमारे बीच उपस्थित रहता है, और ईश्वर पर आशा हमें आश्वस्त करती है कि वह सुनता है, पर सिर्फ ईश्वर के प्रति प्रेम ही हमें उससे तब भी प्रार्थना करने की प्रेरणा देता है जब हमारे जीवन में अंधियारा और हमारी आत्मा में निराशा भरी होती है।” इसीलिए आइए हम प्रार्थना करें, भरोसा रखें, प्रेम रखें, और फिर प्रार्थना करें। देखने में यह कार्य थोड़ा भारी है, लेकिन यही छोटी छोटी बातें हमें ईश्वर के असाधारण व्यक्तित्व से जोड़ती हैं और हमें स्वर्गिक पिता और उनके मुक्तिदाता पुत्र येशु की भव्य और अलौकिक उपस्थिति के करीब लाती है। जब हम ईश्वर के करीब होते हैं तभी पवित्र आत्मा भी हमें समझदारी के तोहफे देते हैं।

 3. पवित्र दृढ़ता को अपनाएं

हममें से कोई भी पूर्ण नही है, और हम सब पापी हैं, इसीलिए हम कई सारी गलतियां करते हैं। यहां तक कि हम कई बार अपनी गलतियों को दोहरा बैठते हैं। लेकिन यह ज़रूरी है कि इन उलझनों के बीच हम खुद पर निराशा को हावी ना होने दें।

संत जोसे मारिया एस्क्रीवा ने कहा है: “यह कभी ना भूलें कि संत वे नहीं होते जो कभी गलतियां नहीं करते, बल्कि संत वे होते हैं जो गलतियों में गिर कर भी फिर खड़े होने का साहस करते हैं। संत जन बड़ी विनम्रता के साथ पवित्र दृढ़ता का पालन करते हैं।” इसीलिए गलतियों में गिरने के बाद खुद को वापस खड़ा कीजिए, अपने ऊपर लगी धूल को झाड़िए और पवित्र दृढ़ता से भर कर पवित्रता की राह की ओर एक नया कदम बढ़ाइये। क्योंकि पवित्रता का मार्ग कोशिश करने योग्य है।

4. समाज का पवित्रीकरण

“खुद को पवित्र करो जिससे समाज पवित्र हो सके”, ऐसा असीसी के संत फ्रांसिस कहते हैं। मेरे लिए, यह कथन बस सुनने में आसान लगता है, पर अपनाने में बड़ा ही मुश्किल। क्योंकि मेरे पापी स्वभाव के लिए ऐसा कर पाना किसी पहाड़ तोड़ने से कम नही है। लेकिन क्योंकि यह सुझाव दिखने में मुश्किल लगता है, इसका मतलब यह नहीं है कि हम इसे पूरा नहीं कर सकते। येशु ने हमसे बड़े स्पष्ट शब्दों में कहा है कि जो मनुष्यों के लिए असंभव है वह ईश्वर के लिए संभव है। (मत्ती 19:26)

कोशिश करें कि आप दैनिक प्रार्थनाएं बिना भूले किया करें। अच्छे कार्य किया करें और हर रात अपने अंतर्मन की जांच करके सोएं ताकि आप खुद को और खुद की आध्यात्मिक प्रगति को समझ सकें।

 5. उम्मीद को थामे रहें

संत पाद्रे पिओ लोगों को हमेशा उत्साहित करते हुए कहते थे, “प्रार्थना करो, आशा रखो, और चिंता मत करो।” हमारी दुनिया पूर्ण नहीं है। यह मुसीबतों और चिंताओं से भरी पड़ी है। लेकिन इस सच्चाई से हमारी आत्मा विचलित न हो।

पाद्रे पिओ ज़िंदगी की आंधियों से जूझ रहे लोगों को सांत्वना देते हुए कहते हैं, “ईश्वर हमारे साथ ऐसा कुछ भी नही होने देंगे जो हमारी भलाई के लिए ना हो। जो आंधियां आपके आसपास उठ रही हैं वह अंत में ईश्वर की महिमा, आपकी प्रगति और कई आत्माओं की भलाई का मार्ग बनेगी।”

इसीलिए जब आप अपने जीवन और दुनिया की आंधियों से घिरे रहते हैं, तब आशा ना खोएं। ईश्वर ने ही हमें इन हालातों में डाला है, और इन्हीं के द्वारा ईश्वर हमारा पवित्रीकरण करते हैं। हमें बस बहादुरी के साथ डटे रहना है, और इन सब से तब तक गुजरते जाना है जब तक हम आखिर में ईश्वर के स्वर्गिक निवास ना पहुंच जाएं।

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Emily Shaw

Emily Shaw ऑस्ट्रेलियाई कैथलिक प्रेस एसोसिएशन की पुरस्कार विजेता संपादक रह चुकी हैं, जो कि अब Youngcatholicmums.com के लिए ब्लॉग लिखा करती है और कैथलिक-लिंक में अपने लेखों द्वारा योगदान करती हैं। वह गृहणी सात बच्चों की मां हैं। वह ग्रामीण ऑस्ट्रेलिया में रहती है और अपनी स्थानीय कैथलिक समुदाय में आध्यात्मिक मदद करना पसंद करती हैं।

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