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अगस्त 12, 2021 1629 0 Ellen Hogarty, USA
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तूफान की ओर

ज़िंदगी की आंधियाँ हमें बहुत भयभीत कर सकते हैं, लेकिन जब भी यह आंधियाँ हमारी ओर बढ़ती हैं, हम अकेले नहीं हैं।

मैं हवाई द्वीप में पली बढ़ी हूं। अपने हाईस्कूल के जूनियर वर्ष में मैंने एक शिक्षात्मक प्रोग्राम में एक शिक्षक छात्र के रूप में बच्चों को समुद्री जीव विज्ञान पढ़ाना शुरू किया। छात्रों के छोटे छोटे समूह को हम एक बड़ी नाव में ले जा कर चार घंटों तक उन्हें समुद्र में यात्रा करना, जाल फैलाना और समुद्र की सतह में पाए जाने वाले पत्थरों और जीव जंतुओं के बारे में सिखाया करते थे।

इस प्रोग्राम के दौरान हमें काम पर रखे हुए लोगों की मदद करनी थी ताकि वे हर हवाई टापू पर जा कर वहां के छात्रों तक हमारी उच्च शिक्षा वाला प्रोग्राम पहुंचा सके। वह रात मुझे अच्छी तरह याद है जब हम माउई द्वीप की ओर जा रहे थे। हम दो वॉलंटियर नांव पर पहरा दे रहे थे जब हमारे आसपास एक तूफान उठने लगा। हम बड़ी मुश्किल से नाव को सीधे रास्ते में रखने की कोशिश कर रहे थे जब लहरों ने हमारी नाव के आसपास सब तहस नहस करना शुरू कर दिया। इन सब के बीच नाव में मौजूद प्रशिक्षित क्रू कमरे में आ कर हमारी मदद करने लगा। हवाएं बहुत तेज़ थी इसीलिए हमारी नाव बार बार रास्ते से भटक जा रही थी। इतने तेज़ तूफान में खुद को सुरक्षित रखने के लिए हमें खुद को नाव की रेलिंग से बांधना पड़ा। कई घंटों तक हम इसी तरह तूफान से लड़ते रहे जिसके बाद हम आखिर में एक शांत जगह के पास शरण ले पाए।

इसके बाद से जब भी मैं सुसमाचार में उस घटना को पढ़ती हूं जहां येशु और उनके शिष्यों को समुद्र के बीचों बीच आंधी का सामना करना पड़ा था, तब मुझे तूफान के बीच खुद का संघर्ष याद आता है। “येशु नाव पर सवार हो गए और उनके शिष्य उनके साथ हो लिए। उस समय समुद्र में एकाएक इतनी भारी आंधी उठी कि नाव लहरों से ढकी जा रही थी। परंतु येशु तो सो रहे थे। शिष्यों ने पास आ कर उन्हें जगाया और कहा, “प्रभु! हमें बचाइए! हम डूब रहे हैं!” येशु ने उन से कहा, “अल्पविश्वासियो! डरते क्यों हो?” तब उन्होंने उठ कर वायु और समुद्र को डांटा और पूर्ण शांति छा गई। इस पर वे लोग अचंभे में पड़ कर बोल उठे, “आखिर यह कौन है? वायु और समुद्र भी इनकी आज्ञा मानते है।” (मत्ती 8:23-27)

येशु के शिष्यों ने अपनी पूरी जिंदगी समुद्र पर बिताई थी, जिसमें उन्होंने कई लोगों को आंधी में अपनी जान गंवाते हुए देखा होगा। वे जानते थे कि आंधी कितनी जानलेवा हो सकती है, और तेज़ हवा और डरावनी लहरों के बीच फंसी सागर में गोता खाती नाव में सफर करना कितना खौफनाक होता है।

और फिर भी येशु आंधी तूफान के बीच सो पाए! उनके शिष्यों को उन्हें जगा कर उनकी सहायता मांगनी पड़ी और येशु को इस बात पर आश्चर्य हुआ कि वे लोग भयभीत थे। फिर अपने शिष्यों के देखते देखते येशु ने आराम से मौसम को शांत हो जाने का आदेश दिया और प्रकृति में शांति छा गई। यह सब देख शिष्य यह सोचने लगे “यह किस प्रकार का इंसान है जिसकी आज्ञा हवा और समुद्र भी मानते है?”

इन सब बातों से हमें क्या सीख मिलती है? साल 2020 कई मायनों में एक तूफानी साल रहा है जिसमे विश्व भर में फैली महामारी से लेकर, प्राकृतिक आपदाएं, नस्लीय तनाव, आर्थिक संकट न जाने क्या कुछ था। इन सब के बीच कईयों को अनेक प्रकार की चिंताएं सता रही हैं और कईयों को ऐसा लग रहा है कि उनके पैरों तले ज़मीन ही खिसक गई।

मेरे खुद के परिवार में हमने बेरोज़गारी देखी, जिसने हमें मुश्किल हालातों में ला खड़ा किया। इस महामारी की शुरुआत में मेरी बहन ने अपनी नौकरी खो दी और मेरा भाई तो लॉकडाउन लागू होने के पहले से ही नौकरी की तलाश में था। उस समय नौकरी खोजना समय की बरबादी ही था क्योंकि व्यवसाय ठप हो रहे थे और लोगों को नौकरी से निकाला जा रहा था। लेकिन हमने येशु को पुकारा और दिन रात अपनी प्रार्थनाओं के द्वारा उन्हें जगाने की कोशिश की ताकि वह हमारी नामुमकिन सी इच्छा को पूरा कर दें। और ईश्वर ने हमारी पुकार को सुना। मेरे भाई को एक अच्छी नौकरी मिल गई और मेरी बहन को भी एक बेहतर नौकरी मिल गई।

आंधी तूफान का सामना करना आसान नही होता। और तो और वे बड़े डरावने होते हैं। लेकिन हर तूफान में ईश्वर हमारे साथ होते हैं। ईश्वर नाव में हमारे साथ हैं क्योंकि वह हमारा साथ कभी नहीं छोड़ता है। यही उसका हमसे वादा है, “मैं तुम्हें कभी नही छोडूंगा, मैं तुम्हें कभी नही त्यागूंगा।” (इब्रानियों 13:5) और इसीलिए उसका नाम है “एमेनुअल, ईश्वर हमारे साथ है”।

जब भी ऐसा लगे कि लहरें आपको बहा ले जाएंगी और आप कमज़ोर और अकेला महसूस करें, ईश्वर को पुकारें। और लगातार पुकारते रहें, तब भी जब आपको लगे कि वे नींद में है। विश्वास की आंखों से देखें और आपको येशु नाव में आपके साथ दिखाई देंगे। याद रखें, “ईश्वर के तुल्य कोई नहीं! वह महिमा से विभूषित हो कर बादलों पर आरूढ़, आकाश के मार्ग से तुम्हारी सहायता करने आता हैं। शाश्वत ईश्वर तुम्हारा आश्रय है, उसका बाहुबल निरंतर सक्रिय है। वह तुम्हारे सामने से यह कहते हुए तुम्हारे शत्रु को भगाता है – उसे मिटा दो।” (विधि विवरण 33:26-27)

चाहे कितनी भी तेज़ आंधियां हों।

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Ellen Hogarty

Ellen Hogarty एक आध्यात्मिक निर्देशिका, लेखिका और लॉर्ड्स रैंच संस्था में पूर्णकालिक मिशनरी के रूप में कार्यरत हैं। गरीब जनों के प्रति इनके कार्यों के बारे में और जानने के लिए thelordsranchcommunity.com पर जाएं।

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