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अक्टूबर 20, 2023 296 0 Nisha Peters
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जो किसी आंख ने नहीं देखा…

शब्द ने शरीर धारण कर हमारे बीच निवास किया । हमने उसकी महिमा देखी| वह पिता के एकलौते की महिमा- जैसी है – अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण । (योहन 1:14)

पहली बार ऐनी को पवित्र मिस्सा के दौरान देखा था। सप्ताहांत के दिनों में, मैं एक छोटे से प्रार्थनालय में जहाँ केवल दो पंक्तियों रहती हैं, मिस्सा बलिदान में भाग लेती हूं। आप हर दिन कम लोगों को देखते हैं, इसलिए आप सभी से परिचित हो जाते हैं। मुझे लगा कि ऐनी को कभी-कभी झटके के दौरे लगते हैं। सबसे पहले, मुझे लगा कि उसे पार्किंसंस रोग है। हालांकि, करीब से अवलोकन के बाद, मैंने देखा कि परम प्रसाद ग्रहण करते समय उसे इसकी समस्या थी। जैसे ही वह पुरोहित से परम प्रसाद को स्वीकार करती, उसका शरीर, विशेष रूप से उसके हाथ, हिलते थे। कंपन कुछ मिनटों के लिए जारी रहती थी।

एक दिन, मैंने ऐनी से कम्युनियन के दौरान उसके साथ हो रहे झटकों के बारे में पूछने का फैसला किया। ऐनी ने शालीनता से इस असामान्य ‘उपहार’ के बारे में समझाया। उसके झटके किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित विषय नहीं था, हालांकि कई लोग सोचते थे कि यह कोई बीमारी है। वह अपने शरीर की प्रतिक्रिया से थोड़ी शर्मिंदा थी, क्योंकि इसके कारण उस पर लोगों का अवांछित ध्यान पड़ जाता था। यह प्रतिभास कई साल पहले शुरू हुई जब उसने अचानक पहचान लिया कि येशु ख्रीस्त के शरीर को ग्रहण करने का मतलब क्या है। येशु, परमेश्वर का पुत्र, हमारे लिए एक मनुष्य बना। अनुग्रह और सत्य से परिपूर्ण, वह हमारे बीच रहा। वह हमारे पापों के लिए बलि चढ़ गया। ऐनी का कहना है कि विश्वास के इस सत्य के प्रति जागरूकता के बाद, जब भी वह परम प्रसाद को स्वीकार करती है तो उसका शरीर अनैच्छिक रूप से कांपता है। परम प्रसाद के प्रति ऐनी की श्रद्धा ने इस संस्कार के प्रति मेरे मन में भी बड़ा आदर और सम्मान बढ़ गया ।

संत अगस्टीन के अनुसार संस्कार की परिभाषा है ‘आंतरिक और अदृश्य अनुग्रह का बाहरी और दृश्य संकेत’। हम कितनी बार अनुग्रह के संकेतों को पहचानते हैं? जब हम संस्कारों को केवल अनुष्ठानों तक सीमित कर देते हैं, तो हम परमेश्वर की प्रेमपूर्ण उपस्थिति को महसूस नहीं कर पाते हैं। जो लोग चौकस और जागरूक हैं, वही लोग संस्कारों में विद्यमान पावन वास्तविकताओं की सराहना कर सकते हैं।

हे प्रभु येशु, मैं प्रार्थना करती हूं कि जो कुछ पवित्र है, उन सब के प्रति तू मुझे गहरी श्रद्धा दें । मैं जो कुछ भी हूँ और जो कुछ भी करूं उसमें मसीह को मूर्त रूप दे सकूं। मुझे एक जीवित संस्कार में ढाल ताकिमैं आपके आंतरिक और अदृश्य अनुग्रह का एक बाहरी और दृश्य संकेत बन जाऊं। आमेन।

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Nisha Peters

Nisha Peters serves in the Shalom Tidings’ Editorial Council and also writes her daily devotional, Spiritual Fitness, at susannapeters.substack.com

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