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जून 03, 2022 299 0 Emily Shaw, Australia
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चालीसा काल के अपने संकल्पों पर टिके रहने के लिए पांच कदम

क्या आप इस चालीसा काल में परिवर्तन लाने वाले किसी अनुभव की तलाश कर रहे हैं? अगर हां, तो यह लेख आपके लिए है

 जब हम नए साल को मनाने के लिए इकट्ठा हुए थे, तब एक दोस्त ने मज़ाक में यह सवाल पूछा, “चालीसा काल के संकल्प नए साल की शुरुआत में लिए गए संकल्पों की तरह अधूरे क्यों रह जाते हैं?” ऑस्ट्रेलिया में हम सब नए साल का स्वागत स्वादिष्ट खाने और स्विमिंग पूल के पास आराम करते हुए बिताते हैं। उस दिन जब हम रात के खाने के बाद आराम कर रहे थे, और मच्छरों को दूर भगा रहे थे, तब किसी वजह से हम बड़ी गहरी और आध्यात्मिक बातें करने लगे।

इन्हीं सब के बीच मेरी दोस्त के किए सवाल का जवाब यह निकला: “क्योंकि हम अपनी हार को दूसरों के साथ साझा करने और उसे अपनाने से डरते हैं!” देखा जाए तो हमारे कैथलिक समाज में ऐसी सोच रखना आम बात है, लेकिन एक पुरानी कहावत है ना, कि मज़ाक मज़ाक में इंसान गहरे सच कह डालता है।

हम पापियों के लिए चालीसा काल एक मुश्किल भरा समय हो सकता है। नए साल के संकल्पों की ही तरह, हम चालीसा काल भी उसी उत्साह के साथ शुरू करते हैं, यह सोच कर कि इस साल हम चालीसा काल को बड़ी श्रद्धा के साथ बिताएंगे। हमारे इरादे अच्छे होते हैं लेकिन हम अक्सर आलस को आने देते हैं, या कुछ दिन बाद ही हार मान लेते हैं।

लेकिन चालीसा काल अभी खत्म नहीं हुआ है, और हमारे पास अब भी चालीसा काल के प्रयासों को ठीक करने के लिए समय है, चाहे हमारे प्रयास अभी तक कितने भी निराशाजनक क्यों ना रहे हों।

  1. अपूर्ण रहें

हालांकि मेरी दोस्त की बातें सिर्फ एक मज़ाक थी फिर भी ईश्वर द्वारा पकड़े जाने से हमें कोई डर नहीं होना चाहिए। ईश्वर हमारी तरह हमें अपनी असफलताओं के आधार पर चिन्हित नहीं करते हैं। और ना ही वे हमें कमतर समझ कर हमें खुद को पुनः समर्पित करने की मांग करते हैं। क्योंकि ईश्वर की कृपा अनंत है।

सच बात तो यह है कि कलवारी के रास्ते पर चलते हुए बार बार गिरना तो नियति है — क्या हम क्रूस रास्ता की प्रार्थना बोलते वक्त प्रभु के बार बार गिरने पर मनन चिंतन नहीं करते हैं? हां यह बात सच है कि प्रभु के गिरने में और हमारे पापों में गिरने में ज़मीन आसमान का फर्क है, पर वह अहसास, वह पीड़ा तो हम भी महसूस करते हैं।

ईश्वर इस बात की उम्मीद नहीं रखते कि हम अपने चालीसा काल के संकल्पों को पूर्णता के साथ पूरा कर पाएंगे। वे तो बस इन तपस्याओं का इस्तेमाल करते हैं हमारे जीवन में पवित्रता, नम्रता और ईश्वरीय इच्छा की स्वीकृति को बढ़ाने के लिए। वे जानते हैं कि हम अपने आप में परिपूर्ण नहीं हैं, इसलिए वे हमारी मदद करते हैं ताकि हम बेहतर बन सकें और ईश्वर की तरह बन सकें।

  1. ज़िम्मेदार बनें

एक बार जब हम अपने पापी स्वभाव और इसकी अपूर्ण प्रवृत्ति को स्वीकार कर लेते हैं, तो फिर खुद को जवाबदेह ठहराना हमारे लिए चालीसा काल का लाभ उठाने का एक उपयोगी साधन है। ऐसा करने के सबसे सरल तरीका यह है कि हम हर दिन के अंत में रात को अपने अंतकरण की जांच के माध्यम से अपनी आध्यात्मिक प्रगति का मूल्यांकन करते रहें।

अपने अंतकरण की जांच ध्यान करने की वह प्रक्रिया है जहाँ हम अपने आप को प्रार्थनापूर्वक परमेश्वर की उपस्थिति में रखते हैं और अपने विचारों की जाँच करते हैं। हम अपने आप से इस तरह के सवाल पूछ सकते हैं: क्या मैंने आज अपना चालिसा काल के संकल्पों का पालन किया? क्या मैंने इन संकल्पों को खुश हो कर या अपनी ज़िम्मेदारी समझ कर पूरा किया?

हो सकता है कि कभी कभी हमें उन सवालों के जो जवाब मिले वे संतोषजनक ना हों, लेकिन इसी परेशानी को हल करने के लिए हमें अगले कदम की मदद लेनी चाहिए।

  1. विनम्र रहें

अपनी अंतरात्मा की जांच परख करने के बाद, और चालीसा काल में अनेक प्रयास करने के बाद, अपनी अपेक्षाओं पर खरा उतरने की असफलता के लिए, हम परमेश्वर से क्षमा मांग सकते हैं। साथ ही साथ हम कल फिर से प्रयास करने का संकल्प लेने के लिए परमेश्वर की सहायता मांग सकते हैं।

यहाँ याद रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है: कि ‘ईश्वर की मदद से’ हम सब कुछ कर सकते हैं। हमें केवल खुद के बलबूते पर चालीसा काल की तपस्या को पूरा करने की ज़रूरत नहीं है। पवित्रता में बढ़ने और परमेश्वर की इच्छा के प्रति आज्ञाकारी बने रहने का मतलब वास्तव में यह समझना है कि ईश्वर हमारे लिए क्या चाहता है और इसके बाद ईश्वर को हमारी सहायता करने की अनुमति देना है।

यह समझना और स्वीकार करना कि हमें ईश्वर की सहायता की आवश्यकता है अक्सर हमारे लिए थोड़ा सा मुश्किल होता है। हम नियंत्रण में रहना पसंद करते हैं। लेकिन, यदि हम अपनी पवित्रता के बारे में गंभीर हैं, तो हमें यह स्वीकार करने की आवश्यकता है कि हम नियंत्रण में नहीं हैं और हमें परमेश्वर की योजना पर भरोसा करते की ज़रूरत हैं।

  1. विचारशील बनें

संत मत्ती के सुसमाचार में, येशु विशेष रूप से उस स्वभाव और दृष्टिकोण के बारे में बात करते हैं जो हमें उपवास और तपस्या करने के लिए अपनाना चाहिए: “और जब तुम उपवास करते हो, तब ढोंगियों की तरह मुंह उदास बना कर उपवास नहीं करो। क्योंकि वे अपना मुंह मलिन बना लेते हैं, जिससे लोग यह समझें कि वे उपवास कर रहे हैं। मैं तुम से सच कहता हूं, कि वे अपना पुरस्कार पा चुके हैं। जब तुम उपवास करते हो, तो अपने सिर पर तेल लगाकर अपना मुंह धो लो, जिससे लोगों को नहीं, केवल तुम्हारे पिता को, जो अदृश्य है, यह दिखाई दे कि तुम उपवास कर रहे हो।” (मत्ती 6:16-18)

छिपे हुए बलिदान वे होते हैं जिनके लिए अक्सर हमें सबसे ज़्यादा मेहनत करनी पड़ती हैं – इसके साथ ही साथ – यही बलिदान हमें सबसे ज़्यादा आध्यात्मिक फल प्रदान करते हैं। क्योंकि अगर केवल ईश्वर ही आपके जीवन में झांक कर देख पाते हैं कि बिना चीनी की कॉफी पीने से, या अपने खाने में नमक कम डालने से, या प्रार्थना में अधिक समय बिताने के लिए 15 मिनट पहले उठने से आपको कितना फर्क पड़ता है, तो इससे बड़ी आध्यात्मिक जीत और क्या होगी।

जब हम दूसरों से शिकायत करते हैं या चालीसा काल की कठिनाइयों के लिए सहानुभूति मांगते हैं, तो हम ईश्वर से प्राप्त किए हुए बलिदानों और तपस्याओं पर पानी फेर देते हैं।

  1. रूपांतरित हो जाइए

रोमियों को लिखे अपने पत्र में, संत पौलुस ने उन्हें और हमें समझाया, कि हमें इस दुनिया के अनुसार खुद को बांधना नहीं चाहिए। उनके शब्द इस बात की सही अभिव्यक्ति हैं कि चालीसा काल आपके लिए क्या बन सकता है, यदि आप इस समय को दृढ़ता से स्वीकार करेंगे, और ईश्वर के नज़दीक बढ़ने का प्रयास करेंगे:

“इसलिए, भाइयो और बहनो, मैं परमेश्वर के नाम पर अनुरोध करता हूं कि आप जीवंत, पवित्र तथा सब कुछ नई दृष्टि से देखें और अपना स्वभाव बदल लें। इस प्रकार आप जान जाएंगे कि परमेश्वर क्या चाहता है और उसकी दृष्टि में क्या भला, सुग्राह्य तथा सर्वोत्तम है। (रोमियों 12:1-2)

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Emily Shaw

Emily Shaw ऑस्ट्रेलियाई कैथलिक प्रेस एसोसिएशन की पुरस्कार विजेता संपादक रह चुकी हैं, जो कि अब Youngcatholicmums.com के लिए ब्लॉग लिखा करती है और कैथलिक-लिंक में अपने लेखों द्वारा योगदान करती हैं। वह गृहणी सात बच्चों की मां हैं। वह ग्रामीण ऑस्ट्रेलिया में रहती है और अपनी स्थानीय कैथलिक समुदाय में आध्यात्मिक मदद करना पसंद करती हैं।

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