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अगस्त 18, 2021 1636 0 Sean Booth, UK
Engage

घर की ओर दौड़

कुछ कीमती वस्तु आपके भीतर है!

लोग कहते हैं कि जीवन में केवल दो निश्चित चीजें हैं: मृत्यु और कर। लेकिन निर्माण उद्योग में अपना कामकाजी जीवन बिताने के बाद और दवा के कारोबार में खूब पैसा कमानेवालों से वाकिफ होने के बाद, मैं निश्चित रूप से कह सकता हूं कि उपरोक्त कथन केवल आधा सच है। मृत्यु निश्चित रूप से हम सभी का इंतजार कर रही है,हालांकि हम में से ज्यादातर लोग, मजबूर नहीं किये जाते, तो शायद ही कभी इसके बारे में सोचते हैं। हम अपने नश्वर,भौतिक या लौकिक शरीर पर ध्यान केंद्रित करते हैं और अपनी शाश्वत आत्माओं के बारे में भूल जाते हैं। लेकिन अनंत जीवन एक वास्तविकता है और अब यह तय करने का समय है कि हम अपने अनंत जीवन को कहां बिताना चाहते हैं।

कुछ साल पहले, मुझे कलकत्ता (कोलकाता) में मदर तेरेसा के मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी के बेसहारे, बीमार और मरणासन्न लोगों के  आश्रय स्थल में सेवा करने का सौभाग्य और आशीर्वाद मिला। मदर तेरेसा ने कहा,‘जानवरों की तरह जीवन बिताने वाले उन लोगों  के लिए स्वर्गदूतों की तरह खूबसूरत मौत की कृपा यहाँ मिलती है।’ भारत की अपनी पहली यात्रा के दौरान मुझे ऐसी मौत का प्रत्यक्ष अनुभव प्राप्त हुआ।

जिस रात को मदर तेरेसा की उत्तराधिकारी मिशनरीज़ ऑफ चैरिटी की अध्यक्षा सिस्टर निर्मला के देहांत की खबर मिली, उस समय मैं उनके धर्मसंघी भाइयों के साथ रह रहा था। ब्रदर लोगों का सम्पूर्ण समुदाय शोक में था और जैसे ही मैंने प्रार्थना की, मुझे लगा कि रात का आसमान बदल गया है, मानो स्वर्ग इस पवित्र और विश्वस्त महिला को प्राप्त करने के लिए खुल रहा हो। आश्चर्य इस बात की है कि मुझे लगा कि स्वर्ग का खुलना सिर्फ सिस्टर निर्मला के लिए नहीं था, बल्कि किसी और के लिए भी था जो जल्द ही मरने वाला था। मैंने अपनी आत्मा में महसूस किया कि जहां मैं सेवा दे रहा था, उस आश्रम में अगले दिन किसी की मौत होने वाली है। मैंने इसे अपनी डायरी में भी लिखा था। उस रात, मैं सो नहीं पाया।

अगली सुबह पवित्र मिस्सा में भाग लेने और आश्रम में प्रवेश करने पर जो प्रार्थना होती है, उसे भी करने के बाद,मैं तुरंत ही सबसे गंभीर रूप से बीमार दो पुरुषों के पास गया, चूँकि मुझे यह सुनिश्चित करना था कि वे अभी भी जीवित थे। शुक्र है,कि वे दोनों जीवित थे। मैंने हमेशा की तरह अपने सेवा कार्य की ड्यूटी में लग गया। लेकिन जल्द ही बहनों में से एक ने मेरा हाथ पकड़ कर मुझ से पूछा कि क्या तुम प्रार्थना करना जानते हो। मैंने उनसे कहा कि मैं जानता हूँ।

वे मुझे एक ऐसे व्यक्ति के पास ले गई, जिसके बारे में उन्हें मालूम था कि वह अभी ज्यादा देर ज़िंदा नहीं रहेगा और उन्होंने मुझसे कहा कि मैं उस आदमी के लिए प्रार्थना करूँ। मैं उस आदमी के बिस्तर पर बैठा और उसके दिल पर हाथ रखकर प्रार्थना करने लगा। उसकी आँखें छत की तरफ ही थीं और मुझे लगा कि उसने पूरी तरह से हार मान ली है। उसका वजन इतना कम हो गया था कि उसका चेहरा बिलकुल दुबला पतला और उसके गाल खोखले हो गए थे। उसकी आँखें इस कदर धँसी हुई थीं कि उसके आँसू उसकी आँखों के कोनों में जमा हो गए और उसके गालों तक नहीं आ पा रहे थे। मेरा दिल दुखने लगा। जैसे जैसे मैं प्रार्थना कर रहा था, मैं ने देखा कि उसकी प्रत्येक धीमी सांस के साथ उसके सीने पर रखा मेरा हाथ भी ऊपर नीचे हो रहा था, जिसकी गति शनै: शनै: धीमी, और धीमी होती जा रही थी। उसकी जान धीरे धीरे समाप्ति की ओर थी। परेशान होकर, मैं ईश्वर से कुछ क्रोध भरे सवाल पूछने लगा: क्या इस आदमी का कोई परिवार है, और अगर है तो वे लोग कहाँ हैं? वे यहाँ क्यों नहीं हैं? क्या वे जानते हैं कि इस आदमी का इस समय क्या हाल है? क्या वे इसकी परवाह करते हैं? कोई ऐसा है जो इसकी परवाह करता है?

अपनी प्रार्थना के दौरान, मुझे मृत्यु की देवी, काली को समर्पित बगल के हिंदू मंदिर से आने वाले ढोल की आवाज़ सुनायी दी। ढोल के लयबद्ध स्वर लगातार बढ़ता गया। मुझे लगा कि इस आदमी की आत्मा के लिए एक उग्र युद्ध लड़ा जा रहा है। जैसे मैंने उसे आखिरी सांस लेते हुए देखा, वैसे ही मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और मैं रोने लगा।

लेकिन जब मैंने अपनी आँखों को फिर से खोला, तो मुझे अचानक मेरे क्रोध भरे सवालों के जवाब मिल गए। मुझे पता ही नहीं चला कि मेरे साथ दो बहनें, एक धर्म बन्धु और एक अन्य स्वयंसेवक भी उस मृतक की शैया के आसपास एकत्र हुए थे। वे चुपचाप खड़े होकर प्रार्थना कर रहे थे। क्या किसी ने परवाह की? बेशक, उन सबों ने परवाह की! उसका परिवार कहाँ था? उसका परिवार वहीं उसी जगह था और उसके लिए प्रार्थना कर रहा था – ईश्वर का परिवार! मैं आँसू बहाकर रोने लगा, इस पश्चाताप के साथ कि मैंने ईश्वर से कैसे सवाल किया था; लेकिन मेरा ह्रदय ईश्वर की असीम भलाई और दया के बारे में सोचकर विस्मय और कृतज्ञता से भर गया। मैं अपनी मृत्यु के समय के लिए इससे अधिक कोई विशेष निवेदन नहीं कर सकता था कि इसी तरह प्रेमपूर्वक मेरी मुक्ति के लिए प्रार्थना करने वाले लोगों से लोगों से मैं घिरा रहूँ। जैसे ही मैंने फिर से प्रार्थना करने के लिए अपनी आँखें बंद कर लीं, मैंने देखा कि मृत व्यक्ति की एक छवि शानदार सफेद कपड़े पहकर, येशु की ओर बढ़ रही थी। येशु की बाहें  खुली हुई थीं, क्योंकि वह उस व्यक्ति की प्रतीक्षा कर रहा था और फिर येशु ने बड़े प्यार से उसका आलिंगन किया। यह सुंदर अति लुभावना दृश्य था।

लेकिन ईश्वर मेरे दिल में और अधिक रोशनी डालना चाह रहा था। मेरे हाथ अभी भी मृत व्यक्ति की छाती पर थे, मैंने अपनी आँखें खोलीं और पास के बिस्तर में एक व्यक्ति को देखा जिसने कपडे में ही मल-मूत्र त्याग दिया था । किसी और ने उस पर ध्यान नहीं दिया था, इसलिए मुझे ही एक निर्णय लेना था: मैं एक ऐसे व्यक्ति के लिए प्रार्थना करना जारी रखूँ जिसके बारे में मुझे पता है कि वह अब येशु के पास पहुँच चुका है, या मैं उठकर इस दूसरे व्यक्ति की गरिमा को बहाल करने में मदद करूं। यह एक आसान विकल्प था। मैं सीधे खड़ा हो गया और बिस्तर पर पड़े उस आदमी को साफ किया और उसे नए कपड़े पहनाये। मैंने अपने दिल में एक धीमी आवाज़ सुनी, ‘जीवन आगे बढ़ता है।’

येशु के साथ चलने वालों को पता है कि मौत से डरने की ज़रूरत नहीं है। वास्तव में, मौत हम ख्रीस्तीयों को उत्साहित करना चाहिए: संत पौलुस इसे दृढ़ता से कहते हैं: ‘मुझे दृढ विश्वास है कि न तो मरण या जीवन, न स्वर्गदूत या नरकदूत, न वर्तमान या भविष्य, न आकाश या पाताल की कोई शक्ति और न समस्त सृष्टि में कोई या कुछ हमें ईश्वर के उस प्रेम से वंचित कर सकता है, जो हमें हमारे प्रभु येशु मसीह द्वारा मिला है’(रोमियों 8: 38-39)।

हां, जीवन आगे बढ़ता रहता है, लेकिन हम में से प्रत्येक के लिए एक दिन यह भी समाप्त हो जाएगा। यहां हमारा समय कम है, और अनंतता लम्बी है। इसलिए, संत पौलुस के साथ हम भी “पीछे की बातें भुलाकर (इसके बजाय) और आगे की बातों पर दृष्टि लगाकर बड़ी उत्सुकता से अपने लक्ष्य की ओर दौडूँ ताकि स्वर्ग में वह पुरस्कार प्राप्त कर सकूं, जिसके लिए ईश्वर ने हमें येशु मसीह में बुलाया है’(फिलिप्पियों 3:14)।

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Sean Booth

Sean Booth is a member of the Lay Missionaries of Charity and Men of St. Joseph. He is from Manchester, England, currently pursuing a degree in Divinity at the Maryvale Institute in Birmingham.

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