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जुलाई 27, 2021 1426 0 डीकन जिम मैकफैडेन
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ईश्वर को पिता कहने का साहस करें

क्या आप जानते हैं कि आपके एक पिता हैं जो हमेशा आपके आस-पास, आपकी देख-रेख करते रहते हैं? अगर आप उनके प्यार केलिए तरस रहे हैं तो उनके बारे में जानने केलिए आगे पढ़िए|

जब आप उनसे अपना मुँह फेरते हैं

सोलह साल पहले मैं कैलिफ़ोर्निया शहर की सबसे कड़ी सुरक्षित जेल फोलसोम में एक धर्मशिक्षा क्लास का संचालन कर रहा था| उस धर्मशिक्षा क्लास में जुआन नाम का कैदी सबके सामने अपनी जीवन-कहानी बता रहा था| उसने हमें बताया कि उसके असली पिता ने उसे तब छोड़ा जब वह एक नवजात था, और उसका सौतेला पिता बहुत बद्तमीज़ और गैरज़िम्मेदार इंसान था| जुआन ने कई बार अलग अलग तरह से यह जताया कि उसकी ज़िंदगी में एक पिता की कमी रही है और उसकी ज़िंदगी में जिसने भी एक पिता की भूमिका निभाने की कोशिश की, उससे उसके सम्बन्ध कभी ठीक नही रहे| उसने कहा कि शायद यही कारण उसे उसके बचपन के ईश्वर पर विश्वास में वापस ले आया — वह अब भी अपने पिता को खोज रहा था|

मैंने उससे कहा, “जुआन ईश्वर तुम्हारे पिता हैं, और येशु तुम्हें उस पिता को “अब्बा” कहने केलिए आमंत्रित करते हैं|”

“अब्बा का मतलब क्या होता है?” उसने मुझ से पूछा|

“अब्बा का मतलब होता है पिता, जैसे पापा| येशु तुम्हें ईश्वर को पापा कहकर पुकारने की इजाज़त देते हैं,” मैं ने कहा|

जुआन के गालों पर आंसू बह रहे थे| वह धीरे धीरे और बड़े आदर और श्रद्धा से “हे हमारे पिता” प्रार्थना कहने लगा| वह इस प्रार्थना को इतने विश्वास और दृढ़ता के साथ बोला जैसे वह इस प्रार्थना को ज़िंदगी में पहली बार बोल रहा हो|

“हे हमारे पिता” प्रार्थना की सरलता और इसे आसानी से बोलने की हमारी आदत के कारण हम भूल जाते हैं कि हमारे धर्म के इतिहास में इस का कितना बड़ा योगदान रहा है| इस प्रार्थना में येशु ईश्वर को न्यायाधीश, या सर्वज्ञानी, या आसमानी दिव्य शक्ति, या ऐसी कोई अनोखी उपाधि देकर नही बुलाते हैं| इसकी जगह, येशु ईश्वर को पिता कहकर पुकारते हैं, जो कि हमारे अंदर एक अपनापन के भाव को जगाता है, और हमें यह याद दिलाता है कि कैसे छोटे बच्चे अपने पिता को खोजते हैं, उनके पास दौड़े चले आते हैं, क्योंकि उन्हें इस बात का यकीन होता है कि उनके पिता उन से बेहद प्यार करते हैं|

 ख़ालीपन को भरने की कोशिश

अगर कुछ लोग अपने जीवन में अपने पिता को घर से गायब, या जल्दी गुस्सा करते हुए, या कड़ा बर्ताव रखते हुए देखते हैं, तो यह मुमकिन है कि वह ईश्वर के व्यवहार को भी वैसा ही समझने की भूल कर बैठते हैं| अगर वे अपने पिता से कम उम्मीद रखते हुए बड़े हुए हैं, तो मुमकिन है कि वे ईश्वर से भी कम या कोई उम्मीद ना रखने लगें| अगर उनके पिता उन से बात नहीं किया करते थे तो मुमकिन है कि वे ईश्वर को भी अपने भक्तों से बात ना करने वाला समझते हों| पर येशु ने हमे ईश्वर को “अब्बा” कहना सिखाया है, और अब्बा का मतलब होता है “मेरे पिता”| ईश्वर को इस तरह पुकारना हमारे अंदर नज़दीकी, प्यार, सुरक्षा और अपनापन के भावों को जगाता है|

ईश्वर के परम प्रिय पिता के रूप के बारे में हमें नबी होशेआ की किताब में पढ़ते हैं| उन्होंने ईश्वर के उस प्यार भरे पिता-पुत्र के रिश्ते के बारे में लिखा जिसे महसूस करने केलिए येशु हमें न्यौता देते हैं|

इज़राइल जब बालक था, तब मैं उसे प्यार करता था

और मैंने मिस्र देश में अपने पुत्र को बुलाया

मैं उन लोगों को जितना अधिक बुलाता था,

वे मुझसे उतना ही दूर होते जाते थे |

वे बाल देवताओं को बलि चढ़ाते

और अपनी मूर्तियों के सामने धूप जलाते थे |

मैंने एफ्राइम को चलना सिखाया |

मैं उन्हें गोद में उठाया करता था |

किन्तु वे नहीं समझे कि मैं उनकी देखरेख करता था |

मैं उन्हें दया तथा प्रेम की बागडोर से टहलाता था

जिस तरह कोई बच्चे को उठा कर गले लगाता है,

उसी तरह मैं भी उनके साथ व्यवहार करता था |

मैं झुककर उन्हें भोजन दिया करता था | (होशेआ11:1-4)

बच्चे को उठा कर गले लगाने वाले ईश्वर का यह रूप कितना प्यारा है|

ईश्वर के इसी रूप ने जेल में जुआन नाम के उस कैदी के दिल को पिघला दिया और उसकी आँखों में ख़ुशी के आंसुओं से भर दिया| कई लोग सारी ज़िंदगी उस पिता को खोजने में बिता देते हैं| लेकिन येसु हमें बताते हैं कि हमारे पास पहले से ही एक ऐसे पिता हैं जो हमारे दुनियावी माता-पिता से कहीं ज़्यादा हमें प्यार करते है| हमें बस उनके सामने जाना हैं और बचपन की मासूमियत भरी आवाज़ में उनको पुकारते हुए कहना है, “अब्बा!”

हे स्वर्गिक पिता, मैं अपने आप को एक छोटे शिशु की तरह आप के हाथों में सौंपता हूँ, और मैं आप की दिव्य योजना पर विश्वास करता हूँ| मुझे हर दिन आपकी उन अदृश्य प्रेम की बागडोर का अनुभव कराइयेगा जो मुझे आप से बांधे रखतीं हैं|

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डीकन जिम मैकफैडेन

डीकन जिम मैकफैडेन कैलिफोर्निया के फॉल्सम में संत जॉन द बैपटिस्ट कैथलिक चर्च में सेवारत हैं। वह ईशशास्त्र के शिक्षक हैं और वयस्क विश्वास निर्माण और आध्यात्मिक निर्देशन के क्षेत्र में कार्य करते हैं।

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