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मार्च 09, 2023 378 0 Joan Harniman
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आत्मा का रंग क्या है?

क्या आपने कभी सोचा है कि आत्मा का रंग क्या होता है? जब मैं डायरी लिखने का कार्य कर रही थी उस समय ईश्वर ने मेरे दिमाग में जो विचार रखा, उसे मैं आप लोगों के साझा करना चाहती हूँ…

मैं डायरी लिखने में विश्वास करती हूं। मेरा मानना है कि हर कोई इसे लिख सकता है। यदि आप सोच सकते हैं और बोल सकते हैं, तो आप लिख भी सकते हैं; क्योंकि लिखने का तात्पर्य बोली गयी बात को लिखित रूप में रखने से है। लेकिन हाल ही में मैंने एक नया सबक सीखा है। जब आप हाथ में कलम या पेंसिल (या कीबोर्ड) लिए, उन विचारों, चिंताओं और सामान्य ज्ञान को लिखते हैं, तब एक और आवाज को आप सुन सकते हैं। कभी-कभी, परमेश्वर आपसे, आपके द्वारा ही बात करता है!

मेरी दिनचर्या है कि मिस्सा में भाग लेने के बाद मैं तीन दैनिक प्रार्थनाओं का पाठ करती हूँ। मैं परमेश्वर के वचन से प्रेम करती हूँ और मैं जानती हूँ कि यह जीवंत और सशक्त है, इसलिए जब पवित्र ग्रन्थ का कोई वचन मुझसे “बात” करता है, तो मैं इसे अपनी डायरी में लिख लेती हूँ। उसके बाद मैं अपने विचार को लिख देती हूं।

24 जून, 2021 को मैं बस यही कर रही थी। मैं अपनी दुनिया में हो रहे सभी विभाजनों से बहुत परेशान महसूस कर रही थी। यह समूह बनाम उस समूह, ऐसी सोच, और हर जगह मनमुटाव और झगड़े। मैंने महसूस किया कि मानवजाति के पास हमें बांटने के बजाय जोड़ने के लिए बहुत कुछ है। मैंने कलम उठाई और लिखने लगी। मैंने बिना रुके लगभग 15 मिनट तक लिखा। मैंने काव्यात्मक रूप में भी लिखा जो मुझसे कभी कभार ही होता है। शब्दों और वाक्यों की धारा बहती गयी, और मैंने इसे बहने दिया। आखिरकार लिखना खत्म हो गया, और तब तक यह पूरा हो चुका था। मानव जाति के संबंधों के बारे में मैंने जो कुछ सोचा था, परमेश्वर उसकी पुष्टि करता हुआ प्रतीत हो रहा था। उसने मुझे उस संबंध का कारण बताया। उसने मुझे शीर्षक भी दिया – “आत्मा का रंग क्या है?”

कैथलिक चर्च की धर्मशिक्षा के अनुसार, “मनुष्य की आत्मा की सृष्टि ईश्वर द्वारा की गई है वह माता-पिता द्वारा “उत्पन्न” नहीं की गई है। (कैथलिक धर्मशिक्षा: 366-368, 382) बिंगन की संत हिल्डेगार्ड ने कहा, “आत्मा बोलती है: मुझे स्वर्गदूतों का साथी बनने के लिया बुलाया गया है, क्योंकि मैं ईश्वर द्वारा सूखी मिट्टी में भेजी गई जीवित सांस हूं।” फिर से, हम धर्मशिक्षा में पढ़ते हैं, “आत्मा भौतिक शरीर को एक जीवित शरीर बनाती है।” (कैथलिक धर्मशिक्षा: 362-365,382)

अब, मेरी डायरी लेखन में कैथलिक चर्च की धर्म शिक्षा के संदर्भ सम्बंधित निर्देश अंक शामिल नहीं थे, लेकिन अब मैं उन्हें शामिल करती हूं, क्योंकि मैंने जो लिखा है इन सन्दर्भों से उसका समर्थन होता हैं। चलिए मेरी डायरी में मैंने क्या लिखा है उसे देखिये: ईश्वर सूखी गंदगी की मिट्टी को उठाते हैं और फिर उसे मिलाते और सानते हैं। जब उसके पास बिल्कुल सही मिश्रण होता है, तो वह उसे पूर्णता के हिस्से में लाता है – ईश्वर के हिस्से में। क्या वह इसे अपने पवित्र हृदय से निकालते है? ईश्वर के हिस्से में, ईश्वर उस पर एक सांस और शायद एक चुंबन देता है। और इस तरह एक नई सृष्टि धरती पर भेजी जाती है। हर इंसान आत्मा के साथ बनाया गया है। आत्मा के बिना कोई व्यक्ति जीवित नहीं है। कोई अपवाद नहीं! क्या यह बात इस ग्रह के सभी प्राणियों को एकजुट नहीं करती है? हम यह भी जानते हैं कि यह आत्मा कभी नहीं मरती। देह सड़ जाता है, उमे ईश्वर का अंश जो था, वह जीवित रहता है। यह पिता द्वारा दिया गया अनन्त जीवन है।

हमारे परमेश्वर को विविधता प्रिय है। उसने सिर्फ “फूल” नहीं बनाए। उसने फूलों के हर रूप, रंग, आकार, किस्म, कार्य और इत्र की भी रचना की। किसी भी प्रकार के सृजन को चुनें: पशु, खनिज, आकाशीय वस्तुएं आदि और आपको प्रत्येक के असंख्य भाव मिलेंगे। ईश्वर की कल्पना अच्छी है, वह ईश्वरीय है। और जो कुछ वह बनाता है वह अच्छा है। तो हम जानते हैं कि आत्मा को धारण करने वाला मानव हर रूप, रंग, आकार, उपहार और अनुग्रह में बनाया गया है। दुनिया के हर हिस्से में, इंसान ईश्वर द्वारा दी गयी आत्माओं के अद्भुत उपहार से जुड़े हुए हैं… आत्मा किस रंग की होती है? यह काला, सफ़ेद, लाल, भूरा, पीला आदि रंग का नहीं है। स्वर्ग में हमारा कलाकार ब्रह्मांड के सभी रंगों को इकट्ठा करता है। अपनी छवि में, वह हमें प्रतापी और भव्य रंग देता है। हम में से प्रत्येक जगमगाने और चमकने के लिए है। क्या आपको नहीं लगता कि यह एक पवित्र संकेत है कि हम आंतरिक रूप से  दिव्य हैं। आत्मा किस रंग की होती है? यह ईश्वरीय और दिव्य है!

यह डायरी लेखन मुझे शांत करता है और सुकून देता है। यह मुझे बताता है कि परमेश्वर नियंत्रण में है, और वह चाहता है कि मैं उस पर भरोसा करूं। मेरा उद्धारकर्ता मेरे विचार जानता है! उन शब्दों में निहित ज्ञान मेरा ज्ञान नहीं था। मैं इसका उत्तर खोज रही थी, और वह मुझे मिल गया। मुझे लगता है कि मेरी प्रार्थना के बाद ईश्वर ने मुझे लिखा, मेरे माध्यम से लिखा। ईश्वर की उपस्थिति हमेशा हमारे साथ और हमारे भीतर है। परमेश्वर हमसे दूसरे लोगों के द्वारा और हमारे चारों ओर की प्रकृतिक सुंदरता के द्वारा बात करता है। वह हमारी हंसी, हमारे संगीत और यहां तक कि हमारे आंसुओं के माध्यम से हमसे बात करता है। कई बार हम गौर नहीं करते हैं, लेकिन जब हम गौर करते हैं, उस अवसर पर हम क्या देखते हैं? क्या हम खुद को उस पवित्र क्षण से बाहर समझते हैं? जब हमारे विचारों की पुष्टि हो जाती है, या जब हमारे पठन किसी ऐसे प्रश्न का उत्तर देते हैं जो हमारे दिमाग में चल रहे होते है या जब हमें “सिखाया” जाता है जैसा कि मेरे साथ था, क्या हम इसके बारे में किसी को बताते हैं? हमें ईश्वर के साथ अपनी इन मुलाकातों को बार-बार साझा करने की आवश्यकता है। जब हम ऐसा करते हैं तो इसके द्वारा हम पृथ्वी पर परमेश्वर के राज्य को स्थापित करते हैं। परमेश्वर हमसे कितना प्रेम करता है! हम में से प्रत्येक अपने अच्छे ईश्वर के प्रिय बच्चे हैं। हम उसका प्यार अर्जित नहीं करते हैं। हम इसे खो भी नहीं सकते। इसमें हमारे दयालु परमेश्वर की महानता निहित है।

पवित्र वचन पढ़ें। प्रार्थना करें। ध्यान लगायें। लिखें। परमेश्वर आपके माध्यम से आपको लिख सकता है! ओह, और याद रखें कि डायरी लेखन बिना संपादित लेखन है। स्पेलिंग चेक करने के लिए रुकें नहीं। पूर्ण वाक्य के शुरू होने की प्रतीक्षा न करें। बस लिखें! आप कभी नहीं जानते कि परमेश्वर आपसे क्या कहना चाहता है।

 

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Joan Harniman

Joan Harniman is a retired teacher. She has co-authored two books of Biblical plays, skits, and songs, and has published articles in Catechist and teacher magazines, as well as Celebrate Life magazine. She lives in New York with her husband, children, and five grandchildren.

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